सामंतवाद क्या है : सामंतवाद क्या है, सामंतवाद की विशेषताएं, सामंतवाद के उदय के कारण एवं परिणाम, सामंतवाद के गुण और दोष, सामंतवाद का पतन कब आरंभ हुआ, सामंतवाद के पतन के कारणों का वर्णन कीजिए, यूरोप में सामंतवाद के पतन के कारण, व्यापार व सामंतवाद के पतन पर पॉल स्वीजी का दृष्टिकोण क्या है , सामंतवाद के पतन संबंधी प्रमुख विवाद का वर्णन कीजिए, सामंतवाद के पतन में पूंजीवाद की भूमिका की व्याख्या करो आदि प्रश्नों के उत्तर यहाँ दिए गए हैं। Show
सामंतवाद क्या हैजिस शासन व्यवस्था में राज्य की भूमि बड़े-बड़े जमींदारों के अधिकार या हक में रहती हो उसे सामंतवाद (feudalism) कहते हैं। सामंतवाद एक व्यवस्था प्रणाली थी, जिसके अंतर्गत अशासकीय व्यक्तियों द्वारा राजनीतिक शक्ति का प्रयोग किया जाता था। सामंतवाद में सामंतों की कई श्रेणियां थी जिनके शीर्ष स्थान पर राजा एवं निचले स्थान पर दास या किसान हुआ करते थे। इसी क्रम में राजा के नीचे विभिन्न कोटि के सामंत होते थे जो असल में अधीनस्थ लोगों का संगठन हुआ करता था। सामंतवाद के अंतर्गत राजा को समस्त भूमि का स्वामी माना जाता था। सभी सामंतगण राजा के प्रति स्वामिभक्ति करके राजा से भूमि प्राप्त करते थे। इसके अलावा सामंतगण राजा की सुरक्षा हेतु सेना को भी सुसज्जित किया करते थे। परंतु सामंतगणों को भूमि के क्रय–विक्रय का अधिकार नहीं था। शुरुआती दौर में सामंतवाद ने न्याय व्यवस्था, कृषक क्षेत्र एवं स्थानीय सुरक्षा की नीतियों में सुधार करने का कार्य किया, जिससे समाज में उनकी काफी प्रशंसा हुई। धीरे-धीरे सामंतों का उद्देश्य व्यक्तिगत स्वार्थ एवं व्यक्तिगत युद्ध में बदल गया जिसके परिणामस्वरूप आम जनता को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा। सामंतवाद का पतन कब आरंभ हुआसामंतवादी सामाजिक व्यवस्था के अंतर्गत लोगों पर शोषण एवं तरह-तरह के अत्याचार किए जाते थे। जिसके फलस्वरूप 13 वीं सदी के आरंभ से ही सामंतवाद का पतन शुरू हो गया था। सामंतवाद एक ऐसी सामाजिक व्यवस्था प्रणाली थी। जिसमें सत्ता एवं अधिकार का नियंत्रण केवल कुछ ही लोगों के पास था और उनमें से अधिकतर लोग सामंत वर्ग के हुआ करते थे। सामंतवाद की विशेषताएं
सामंतवाद के उदय के कारणसामंतवाद के उदय का मुख्य कारण सुरक्षा व्यवस्था एवं शांति व्यवस्था को बनाए रखना था। परंतु जिन कारणों से सामंत प्रणाली को स्थापित किया गया था उन्हीं कारणों से सामंतवाद का पतन हो गया। दरअसल सामंतवाद ने समाज में अराजकता को बढ़ावा दिया जिसके कारण जनता का शोषण एवं उत्पीड़न हुआ। सामंतवाद के गुण
सामंतवाद के दोष
सामंतवाद के पतन के कारणों का वर्णन कीजिए
यूरोप में सामंतवाद के पतन के कारणमाना जाता है कि 13 वीं शताब्दी के मध्य कुछ नवीन प्रगतिशील शक्तियों का उदय हुआ जिसके कारण पूरे यूरोप में सामंतवाद व्यवस्था का पतन शुरू हो गया। इसके अंतर्गत उन सारी शक्तियों का विघटन हुआ जो मध्यकालीन व्यवस्था की विशेषताएं थी। इसके साथ ही यूरोप में सामंतवाद के पतन के कई और कारण भी रहे जैसे:–
सामाजिक कारणयूरोप में नवीन सामाजिक व सांस्कृतिक संस्थाओं की स्थापना हुई जिसकी मदद से लोगों में शिक्षा, ज्ञान एवं मुद्रा के आविष्कार के प्रति एक सकारात्मक विचार की धारणा ने जन्म लिया। इस कारण यूरोपीय समाज के संगठन में परिवर्तन आया और राज्य व नगर विकासशील गति से आगे बढ़ने लगे। इसके साथ ही कृषि प्रधान समाज के सिद्धांतों में भी परिवर्तन आया जिससे कृषकों के जीवन में सकारात्मक बदलाव हुए। राजनीतिक कारणयूरोप में शक्तिशाली एवं स्वतंत्र राजतंत्र की स्थापना के पश्चात राजा की सत्ता एवं शक्ति में भी वृद्धि हुई जिसके प्रभाव से सभी राजाओं ने विभिन्न प्रकार से सामंतों की नीतियों पर रोक लगाई। राजाओं ने अपनी संप्रभुता स्थापित करने हेतु राज्य में सिक्कों के प्रचलन में योगदान दिया एवं कई प्रशासकीय क्षेत्रों से सामंतों के प्रभाव को कम कर दिया। इसके फलस्वरूप यूरोप में तेजी से सामंतवाद के पतन का आरंभ हो गया। आर्थिक कारणयूरोप में समुद्री मार्ग की खोज हुई जिसके कारण यूरोप के निवासियों को अन्य देशों से आदान-प्रदान करने का अवसर प्राप्त हुआ। इस कारण यूरोप के निवासियों ने अन्य देश से व्यापार करना आरंभ कर दिया। धीरे-धीरे वस्तुओं की मांग में वृद्धि होने लगी एवं नवीन व्यापारी वर्ग का उदय हुआ। बड़ी संख्या में व्यापारी जल्द ही वैभवशाली हो गए एवं सामंतों के विरुद्ध राजा को सहयोग देने लगे। नवीन साधनयूरोप में कई संपन्न नगर विकसित हुए जिसकी मदद से व्यापार, कला कौशल, वाणिज्य एवं उद्योग के कार्यों को बढ़ावा मिला। इसके कारण व्यापारी वर्ग के लोगों की शक्ति और प्रभाव में वृद्धि हुई जिसके फलस्वरूप यूरोप में सामंतों का प्रभाव कम हुआ। धार्मिक कारणमध्यकालीन में यूरोप में कई बार धर्म युद्ध हुए जिन में भाग लेने के लिए सामंतों ने कई बार अपनी भूमि को बेच दिया। धीरे-धीरे सामंतों की सत्ता खतरे में पड़ने लगी एवं उनकी शक्ति का अधिकार भी खत्म हो गया। कई सामंत धर्म युद्ध के दौरान वीरगति को प्राप्त हुए जिसके कारण उनकी भूमि को राजा ने अपने अधिकार में ले लिया। कृषक विद्रोहयूरोप में सामंतों के शोषण एवं अत्याचार से तंग आकर कृषक वर्ग के लोगों ने विद्रोह शुरू कर दिया। इस दौरान यूरोप में भीषण महामारी का दौर शुरू हुआ जिसके कारण गरीब मजदूर एवं श्रमिकों की मृत्यु हुई। इसके पश्चात खेत में काम करने वाले मजदूरों ने अपने वेतन में वृद्धि एवं कुछ अधिकारों की मांग की जिससे कृषक वर्ग के लोग सामंतों पर निर्भर ना रह सकें। सामंतवाद के परिणामसामंतवाद एक ऐसी व्यवस्था प्रणाली थी जिसके अंतर्गत आम जनता, कृषकों एवं श्रमिकों पर तरह-तरह से अत्याचार एवं उनका शोषण किया जाता था। सामाजिक दृष्टि से सामंतवाद का परिणाम अच्छा नहीं था क्योंकि इसमें कृषि वर्ग के लोगों के ऊपर अधिक दबाव दिया जाता था। सामंत अपनी भूमि पर कृषकों को खेती करने के लिए बाध्य कर सकता था जिससे किसानों के निजी जीवन एवं आर्थिक स्थिति पर बेहद बुरा प्रभाव पड़ता था। इसके अलावा सामंतवाद के अंतर्गत राजा के पास कोई वास्तविक अधिकार नहीं था जिसके कारण राजा अपने राज्य में जन कल्याण हेतु कार्य करने के लिए स्वतंत्र नहीं था। व्यापार व सामंतवाद के पतन पर पॉल स्वीजी का दृष्टिकोण क्या हैअमेरिकी विद्वानों में से एक पॉल स्वीजी के अनुसार सामंतवाद का पतन वाणिज्यिक अर्थव्यवस्था के विस्तार के कारण हुआ। वाणिज्यवाद (Mercantilism) एक ऐसी अर्थव्यवस्था है जिसके अंतर्गत दो व्यक्तियों या संस्थाओं के बीच सौदा करके धन की प्राप्ति की जाती है। सामंतवाद के विषय में पॉल स्वीजी का दृष्टिकोण बाकियों से बहुत अलग था। हालांकि अन्य देशों के इतिहासकारों की विचारधारा पॉल स्वीजी से भी अलग थी। पॉल स्वीजी ने बेल्जियम के इतिहासकार हेनरी पिरेन की व्यापार या सामंतवाद के बीच असंगति की अवधारणा का भी समर्थन किया। सामंतवाद के पतन संबंधी प्रमुख विवाद का वर्णन कीजिएसामंतवाद के पतन के कारण सामंतों के बीच हुए विवाद को सबसे विवादास्पद माना जाता है। सामंतवाद के पतन के दौरान सामंतों के बीच आपसी युद्ध बढ़ता चला गया, जिसके कारण प्रत्येक सामंतों की सेना आपस में ही युद्ध करने लगी। धीरे-धीरे सामंत अपने प्रभाव क्षेत्र से नियंत्रण खोने लगे जिसके कारण सामंतों की शक्ति खत्म होती चली गई। सामंतों के बीच होने वाले संघर्ष के कारण राजा की शक्तियों का भी खंडन हुआ जिसके परिणामस्वरूप राजा को अपनी एवं प्रजा की सुरक्षा के लिए नई सेना का निर्माण करना पड़ा। दरअसल मध्यकालीन में यूरोप के राजा की सुरक्षा का भार सामंतों की सेना के ऊपर हुआ करता था परंतु सामंतों की आपसी संघर्ष के कारण राजा की सुरक्षा प्रणाली खतरे में पड़ गयी। सामंतवाद के पतन में पूंजीवाद की भूमिका की व्याख्या करो।सामंतवाद के पतन के दौरान ही पूंजीवाद का उदय हुआ। दरअसल सामंतवादी व्यवस्था पूर्ण रूप से कृषि निर्वाह अर्थव्यवस्था पर आधारित थी। इसके अंतर्गत भूमि का एक बड़ा हिस्सा सामंती व्यवस्था का केंद्र हुआ करता था जिसका मालिकाना हक केवल सामंतों के पास हुआ करता था। वही पूंजीवाद व्यवस्था बड़े पैमाने पर वस्तु के उत्पादन, उच्च स्तरीय श्रमिक विभाजन या विशेषज्ञता एवं उपकरणों से सुसज्जित बाजार उन्मुख एक अर्थव्यस्था प्रणाली है। इसीलिए अधिकतर उत्पादों को बाजार में मुनाफा कमाने के लिए बेचा जाता है। पूंजीवाद के अंतर्गत मुद्रा का उपयोग करके बाजार में उत्पादों का आदान-प्रदान किया जाता है। पूंजीवाद की व्यवस्था में किसी एक व्यक्ति का व्यवसाय या व्यावसायिक भूमिका कानूनी रूप से व्यक्तिगत प्रयास एवं क्षमता पर ही निर्भर करती है। इसे भी पढ़ें – वैश्वीकरण क्या है – अर्थ, कारण, उद्देश्य, सिद्धांत, प्रभाव, विशेषताएं। सामंतवाद के उदय के क्या कारण है?सामंतवाद के उदय का मुख्य कारण सुरक्षा व्यवस्था एवं शांति व्यवस्था को बनाए रखना था। परंतु जिन कारणों से सामंत प्रणाली को स्थापित किया गया था उन्हीं कारणों से सामंतवाद का पतन हो गया। दरअसल सामंतवाद ने समाज में अराजकता को बढ़ावा दिया जिसके कारण जनता का शोषण एवं उत्पीड़न हुआ।
सामंतवाद के उत्पत्ति के क्या कारण थे और इसकी विशेषता बताएं?सामंतवाद के अंतर्गत केंद्रीय राजनीतिक शक्ति के अभाव के कारण बहुत सारे सामंतों का राजनीतिक वर्चस्व कायम था जो राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक मामलों को नियंत्रित करते थे। इस समय राजा बहुत शक्तिशाली नहीं था। सामंत किसानों का शोषण करते थे और 'सर्फडम' सामंतवाद की महत्वपूर्ण विशेषता बन गई थी।
सामंतवाद की प्रमुख विशेषताएं क्या थी इसके प्रमुख गुणों एवं दोषों का संक्षिप्त वर्णन?सामंतवाद की विशेषताएं या लक्षण (samantvad ki visheshta)
सामंतो की अधीनता मे कृषक वर्ग कार्य करता था। सामंतो के पास जागीरें हुआ करती थी, जिनको वह कृषकों मे बांट दिया करते थे। सामंत राजा को सैनिक सहायता भी देते थे। वे अपने क्षेत्रों के निरंकुश शासक होते थे दासो को बेगार देते थे।
सामंतवाद क्या है इसकी विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए?सामंतवाद (Feudalism / फ्युडलिज्म) मध्यकालीन युग में इंग्लैंड और यूरोप की प्रथा थी। इन सामंतों की कई श्रेणियाँ थीं जिनके शीर्ष स्थान में राजा होता था। उसके नीचे विभिन्न कोटि के सामंत होते थे और सबसे निम्न स्तर में किसान या दास होते थे। यह रक्षक और अधीनस्थ लोगों का संगठन था।
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