समतल दर्पण द्वारा बनने वाले प्रतिबिम्ब के लक्षण क्या होते हैं? - samatal darpan dvaara banane vaale pratibimb ke lakshan kya hote hain?

दर्पण (Mirrors) ऐसे प्रकाशीय तल (optical surfaces) हैं जो प्रकाश की किरणों के परावर्त क (reflection) के द्वारा या तो प्रकाशपुंज को प्रत्यावर्तित कर देते हैं अथवा उसे एक बिंदु पर अभिसृत (converge) करके बिंब (image) का निर्माण करते हैं। प्रकाशीय यंत्रों के, विशेष कर ज्योतिष से संबधित यंत्रों के, निर्माण में दर्पणों ने अत्यंत महत्वपूर्ण सहायता प्रदान की है।

दर्पण के तल से परावर्तित होते समय प्रकाश की किरणें दो विशेष नियमों का पालन करती हैं। इन नियमों को परावर्तन के नियम (Laws of Reflection) कहते हैं। ये निम्नलिखित हैं:

  • 1. आपाती किरण, आपतन बिंदु पर अभिलंब तथा परावर्तित किरण एक ही समतल में स्थित होते हैं।
  • 2. अभिलंब के साथ आपाती किरण तथा परावर्तित किरण द्वारा बननेवाले कोण परस्पर बनाबर होते हैं। पहले कोण अ (i) को आपतन कोण तथा दूसरे कोण प (r) को परावर्तन कोण कहते हैं।

यदि कोई तल प्रकाश की किरणों का परावर्तन किसी ऐसे प्रकार से करता है जिसमें किरणें उपर्युक्त नियमों का पालन नहीं करतीं तो ऐसा तल दर्पण का तल न होकर विसारी परावर्तक तल (diffusive reflecting surface) कहा जाएगा।

प्राय: सभी दर्पणों की रचना समुचित आकृति के काचतल पर किसी अत्यधिक परावर्तनशील पदार्थ की पतली परत चढ़ाकर की जाती है। यह प्रक्रिया प्राय: निर्वात आलेपन द्वारा संपन्न की जाती है और पदार्थ का चयन उस वर्णक्रम प्रदेश के अनुसार किया जाता है जिसके लिय दर्पण का प्रयोग अभीष्ट है।

दृश्य प्रखंड (visible region) के लिए चाँदी सर्वाधिक परावर्तनीयता (reflectivity) प्रदान करती है, किंतु साधारणतया ऐल्यूमिनियम का ही उपयोग किया जाता है। इसका कारण यह है कि एल्यूमिनियम चाँदी की अपेक्षा अधिक टिकाऊ होता है। इसका कारण ऐल्यूमिनियम ऑक्साइड है, जो ऐल्यूमिनियम के वायुमंडल के संपर्क में आने पर बन जाता है।

निकटस्थ तथा दूरस्थ अवरक्त प्रखंड (Near and far infra-red region)[संपादित करें]

लगभग २ माइक्रॉन तरंगदैर्घ्य तक के प्रकाश के लिए ऐल्यूमिनियम के स्थान पर सोने का उपयोग दर्पण की कलई करने के लिए किया जाता है। ०.३५ म्यू (m) के नीचे वर्णक्रम प्रखंड के लिए पुन: ऐल्यूमिनियम ही उपयुक्त सिद्ध होता है, क्योंकि ०.३१ म्यू (m) के समीप की किरणों के लिए ऐल्यूमिनियम पारदर्शी होता है। ०.१० म्यू (m) के नीचे प्लैटिनम का उपयोग किया जाता है, क्योंकि इन किरणों के लिए ऐल्यूमिनियम पारदर्शी होता है।

समतल दर्पण[संपादित करें]

एक ओर पाॅलिश की गई काँच की समतल प्लेट समतल दर्पण कहलाती है।

समतल दर्पण द्वारा किसी वस्तु का बिंब बनने की प्रक्रिया में निम्नलिखित तीन बातें मुख्य होती हैं :

  • 1. वस्तु का बिंब ऐसी स्थिति में तथा ऐसे आकार का बनता है कि दर्पण का तल वस्तु और बिंब के संगत बिंदुओं को मिलानेवालत रेखाओं के लंबवत्‌ पड़ता है और उन्हें समद्विभाजित करता है।
  • 2. वस्तु का कोई भाग दर्पण से जितनी दूर आगे स्थित होता है, उसका बिंब दर्पण में उतनी ही दूर पीछे बनता है। इसके साथ वस्तु का आगे का भाग बिम्ब में पीछे हो जाता है तथा वस्तु का पीछे का भाग बिम्ब में आगे आ जाता है। इस क्रिया को (pervrsion) कहते हैं।
  • 3. बिंब की स्थिति केवल वस्तु और दर्पण की स्थिति पर निर्भर करती हे, देखनेवाले की स्थिति पर नहीं।

समतल दर्पण से बननेवाले बिंब आभासी (virtual) होते हैं, क्योंकि परावर्तित किरणें किसी एक बिंदु पर मिलती नहीं, वरन्‌ बिंब से अपसृत (diverge) होती हुई प्रतीत होती हैं। इसलिए ये किरणें किसी पर्दे पर वस्तु के वास्तविक (real) बिंब का निर्माण नहीं कर सकतीं।

परस्पर झुके हुए दर्पणों से बिंबों का निर्माण[संपादित करें]

जब दो समतल दर्पण एक दूसरे पर झुके हुए होते हैं तब उनके बीच स्थित किसी वस्तु का बिंब दोनों दर्पणों द्वारा बनता है। इन बिंबों से और भी अनेक बिंब पुनरावृत परावर्तनों (repeated reflections) द्वारा बन सकते हैं,

प्रतिबिंबों की संख्या = 360◦/θ - 1 होता हैं।

जहाँ θ = दो समतल दर्पण झुकाव से बना कोण हैं।

दर्पणों का घूर्णन (Rotation of mirrors)[संपादित करें]

परावर्तित किरण में दर्पण के घुमाव का दुना घुमाव उत्पन्न हो जाता है।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • गोलीय दर्पण
दर्पण
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समतल दर्पण | उत्तल दर्पण | अवतल दर्पण

समतल दर्पणों द्वारा बनने वाले प्रतिबिम्बों के चार अभिलक्षणों की सूची बनाइए।


समतल दर्पण द्वारा बनाई गई छवियों के लक्षण इस प्रकार हैं:
i) बनाई गई छवि वस्तु की तरह एक ही आकार की है।
ii) छवियाँ दर्पण के पीछे बनाई गई हैं और आकृतियों के समान दर्पण से दूरी पर हैं।
iii) आभासी और खड़ी छवि का निर्माण होता है।
iv) छवि तिरछे क्रम में बदली हुई हैं।

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हम वाहनों में उत्तल दर्पण को पश्च-दृश्य दर्पण के रूप में वरीयता क्यों देते हैं?


उत्तल दर्पणों कोण वाहनों के पश्च-दृश्य दर्पण के रूप में प्रयोग किया जाता है, क्योंकि:
(i) इसमें प्रतिबिंब सदैव सीधा बनता है।
(ii) बना प्रतिबिंब सदैव आकार में छोटा होता है।
(iii) यह पश्च-दृश्य के बहुत बड़े भाग को दिखा पाता है।

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अवतल दर्पण के मुख्य फोकस की परिभाषा लिखिए।


अवतल दर्पण का मुख्य फोकस मुख्य अक्ष पर वह बिंदु होता है जहाँ पर मुख्य अक्ष के समानांतर आने वाली प्रकाश की किरणें परावर्तन के बाद मिलती हैं।

समतल दर्पण द्वारा बनने वाले प्रतिबिम्ब के लक्षण क्या होते हैं? - samatal darpan dvaara banane vaale pratibimb ke lakshan kya hote hain?

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उत्तल दर्पण की फोकस दूरी ज्ञात कीजिए जिसकी वक्रता-त्रिज्या 32 cm है?


वक्रता त्रिज्या = 32cm
फोकस दूरी, f = ?

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एक गोलीय दर्पण की वक्रता त्रिज्या 20 cm है। इसकी फोकस दूरी क्या होगी?


R = 20cm,  f = ?

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उस दर्पण का नाम बताइए जो बिंब का सीधा तथा आवर्धित प्रतिबिंब बना सके।

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समतल दर्पण में बनने वाले प्रतिबिम्ब की विशेषता क्या होती है?

Solution : समतल दर्पण द्वारा बनने वाले प्रतिबिंब के निम्नलिखित अभिलक्षण (विशेषताएँ) होते हैं- <br> (1) समतल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिंब हमेशा सीधा बनता है। <br> (2) प्रतिबिंब का आकार वस्तु के आकार के बराबर होता है। <br> (3) प्रतिबिंब दर्पण के पीछे उतनी ही दूरी पर बनता है जितनी दूरी पर वस्तु दर्पण के आगे रखी गई है।

समतल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिंब कौन सा होता है?

समतल दर्पण से बननेवाले बिंब आभासी (virtual) होते हैं, क्योंकि परावर्तित किरणें किसी एक बिंदु पर मिलती नहीं, वरन्‌ बिंब से अपसृत (diverge) होती हुई प्रतीत होती हैं। इसलिए ये किरणें किसी पर्दे पर वस्तु के वास्तविक (real) बिंब का निर्माण नहीं कर सकतीं।

समतल दर्पण द्वारा बनने वाले प्रतिबिम्ब का सिद्धांत क्या है?

समतल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिंब सदैव आभासी तथा सीधा होता है। प्रतिबिंब का साइज़ बिंब (वस्तु) के साइज़ के बराबर होता है। प्रतिबिंब दर्पण के पीछे उतनी ही दूरी पर बनता है, जितनी दूरी पर दर्पण के सामने बिंब रखा होता है। इसके अतिरिक्त प्रतिबिंब पार्श्व परिवर्तित होता है।

निम्नलिखित में कौन समतल दर्पण से बने प्रतिबिंब की विशेषता नहीं है?

Detailed Solution. प्रतिबिंब पार्श्व रूप से उल्टा होता है और समतल दर्पण से वस्तु की दूरी समतल दर्पण से प्रतिबिम्ब की दूरी के समान होती है। दी गई विशेषताओं से, यह स्पष्ट है कि विकल्प 4 समतल दर्पण द्वारा बने प्रतिबिम्ब की बिम्ब विशेषताओं से मेल नहीं खाता। अतः विकल्प 4 उत्तर है।