सहयोग एवं असहयोगी सामाजिक प्रक्रिया की व्याख्या कीजिए - sahayog evan asahayogee saamaajik prakriya kee vyaakhya keejie

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सामाजिक क्रिया

सामाजिक प्रक्रिया की अवधारणा - Concept Of Social Process.

सहयोग एवं असहयोगी सामाजिक प्रक्रिया की व्याख्या कीजिए - sahayog evan asahayogee saamaajik prakriya kee vyaakhya keejie




प्रक्रिया जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में पायी जाती है। इसकी 4 विशेषतायें हैंः

1. घटनाओं का सम्बन्धित होना,

2. घटनाओं की पुनरावृत्ति,

3. निरन्तरता,

4. परिणाम,         


शारीरिक प्रक्रिया में श्वांस लेने की प्रक्रिया इन शब्दों को स्पष्ट करती है क्योंकि उसमें पुनरावृत्ति भी होती है, निरन्तरता भी पायी जाती है तथा निश्चित परिणाम प्राप्त होते हैं। इसी प्रकार सामाजिक क्षेत्र में भी पुनरावृत्ति होती है तथा निश्चित परिणाम प्राप्त होते हैं। सामाजिक प्रक्रिया की परिभाषा

जिस विधि से व्यक्ति सामाजिक जीवन का अंग बनता है उसे सामाजिक प्रक्रिया कहते हैं।

गिलिन, जे0 एल0 एवं गिनि जे0 पी0: सामाजिक क्रियाओं से हमारा तात्पर्य अन्तःक्रिया के उन तरीकों से है जिनका हम उस समय अवलोकन कर सकते हैं जब व्यक्ति तथा समूह परस्पर मिलते हैं तथा सम्बन्धों की व्यवस्था स्थापित करते हैं या पूर्व प्रचलित जीवन के तरीकों में व्यवधान घटित होता है। 

  अन्तःक्रिया के विभिन्न स्वरुपों को सामाजिक प्रक्रियायें कहते हैं। व्यक्ति समूह से सम्बन्ध दो आधारों पर स्थापित करता हैः

1. सहयोगिक,

2. विरोधात्मक।

सहयोगिक प्रक्रियाओं के अन्तर्गत सहयोग, व्यवस्थापन, अनुकूलन तथा सात्मीकरण तथा विराधात्मक में प्रतिस्पर्धा तथा संघर्ष प्रमुख है। 

सामाजिक प्रक्रियाएं – एक व्यक्ति या समूह की दूसरे के साथ अन्तःक्रिया होती है और वह अन्तः क्रिया सहयोग, संघर्ष, प्रतिस्पर्धा, आदि किसी भी रूप में हो सकती है। अन्तःक्रिया के विभिन्न स्वरूपों को ही सामाजिक प्रक्रिया के नाम से पुकारा गया है। जब अन्तः क्रिया में निरन्तरता पायी जाती है और साथ ही जब वह किसी निश्चित परिणाम की ओर बढ़ती है तो ऐसी अन्तःक्रिया सामाजिक प्रक्रिया के नाम से जानी जाती है।

यदि दो व्यक्ति समय-समय पर एक-दूसरे से मिलते रहते हैं आवश्यकता पड़ने पर एक-दूसरे की सहायता करते रहते हैं, एक-दूसरे के सुख-दुख में हाथ बँटाते रहते हैं तो उनकी इस अन्तःक्रिया में निरन्तरता पायी जाती है। धीरे-धीरे उनके सम्बन्ध घनिष्ठ और मधुर होते जाते हैं और इसका परिणाम मित्रता के रूप में निकलता है, उनमें सहयोग पनपता है। यही सामाजिक प्रक्रिया है। सामाजिक प्रक्रियाएँ व्यक्ति, समूह, और समाज के जीवन में अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं।

सामाजिक प्रक्रियाएं

अन्तःक्रिया के विभिन्न स्वरूपों को ही सामाजिक प्रक्रिया कहते हैं।

बीसंज के अनुसार

एक प्रक्रिया का अर्थ परिस्थिति पहले से ही मौजूद शक्तियों की क्रियाशीलता के माध्यम से एक निश्चित तरीके से होने वाले निरन्तर परिवर्तन से है।

मैकाइवर तथा पेज के अनुसार

उपर्युक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि सामाजिक प्रक्रियाएं सामाजिक जीवन में सदैव बनी रहने वाली और साथ ही परस्पर सम्बन्धित घटनाओं का वह क्रम है जो एक विशिष्ट परिणाम या परिवर्तन को जन्म देने के लिए उत्तरदायी है।

सहयोग एवं असहयोगी सामाजिक प्रक्रिया की व्याख्या कीजिए - sahayog evan asahayogee saamaajik prakriya kee vyaakhya keejie
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सामाजिक प्रक्रियाएं

सामाजिक प्रक्रियाएं आवश्यक तत्व विशेषताएँ

  1. घटनाओं का एक रूप – किसी एक घटना को चाहे वह कितनी ही कम या अधिक महत्वपूर्ण क्यों न हो सामाजिक प्रक्रिया नहीं कहा जा सकता। सामाजिक प्रक्रिया के लिए यह आवश्यक है कि उसमें विभिन्न घटनाओं का एक क्रम हो। आप सामाजिक प्रक्रियाएं Hindibag पर पढ़ रहे हैं।
  2. घटनाओं की पुनरावृत्ति – सामाजिक प्रक्रिया के अन्तर्गत कुछ घटनाओं का बार-बार घटित होना आवश्यक है। यदि कोई घटना एक बार घटित हो जाये तो उसे सामाजिक प्रक्रिया नहीं माना जायेगा। यहाँ तो घटनाओं की पुनरावृत्ति आवश्यक है।
  3. घटनाओं के वीच सम्बन्ध होना – सामाजिक प्रक्रिया के अन्तर्गत विभिन्न घटनाओं की प्रवृत्ति अलग-अलग हो सकती है, उनका क्षेत्र पृथक-पृथक हो सकता है, परन्तु उन सभी घटनाओं के बीच सम्बन्ध का होना अत्यन्त आवश्यक है। इस सम्बन्ध के अभाव में केवल घटनाएँ मात्र सामाजिक प्रक्रिया नहीं कहला सकती।
  4. निरन्तरता – सामाजिक प्रक्रिया के लिए घटनाओं की पुनरावृत्ति बार-बार होना ही काफी नहीं है। इसके लिए घटनाओं का निरन्तर बने रहना आवश्यक है। उदाहरण के रूप में सहयोग एक सामाजिक प्रक्रिया है। इसका कारण यह है कि सामाजिक जीवन में सहयोग की आवश्यकता सदैव बनी रहती है। सहयोग को व्यक्त करने वाली घटनाएँ समाज में घटित होती रहती हैं, उनमें निरन्तरता पायी जाती है। इतना अवश्य है कि किसी समय सहयोग की मात्रा कम और किसी समय अधिक हो सकती है।
  5. विशिष्ट परिणाम – परिणाम सामाजिक घटना का एक परम आवश्यक तत्व है। सामाजिक प्रक्रिया तो घटनाओं का ऐसा क्रम है जिसमें निरन्तरता का गुण पाया जाता है और जिसके कुछ निश्चित परिणाम अवश्य निकलते हैं। उदाहरण के रूप में सहयोग एक ऐसी सामाजिक प्रक्रिया है जो व्यक्तियों और समूहों को एकता के सूत्र में बांधती है जो संगठन पनपती है जो प्रगति में योग देती है।

सामाजिक प्रक्रियाओं के प्रकार (स्वरूप)

गिलिन और गिलिन के अनुसार सामाजिक प्रक्रियाएं तीन प्रकार की होती है-

  1. सामान्य प्रक्रिया
  2. सहयोगी या सहभागी सामाजिक प्रक्रिया
  3. असहगामी और असहगामी सामाजिक प्रक्रिया

इसी प्रकार की सामाजिक प्रक्रियाओं को मूलतः दो भागों में बाँटा गया है सहयोगी तथा असहयोगी। सहयोगी, सहगामी, संगठनात्मक या एकीकरण करने वाली सामाजिक प्रक्रियाएँ तथा असहोगी, असहगमी, विघटनात्मक करने वाली सामाजिक प्रक्रियाएँ। सहयोगी या एकीकरण करने वाली सामाजिक प्रक्रियाओं के अन्तर्गत सहयोग, व्यवस्थापन (समायोजन) तथा सात्मीकरण आते हैं। असहयोगी या पृथक्करण करने वाली सामाजिक प्रक्रियाओं के अन्तर्गत प्रतिस्पर्द्धा, प्रतिकूलन तथा संघर्ष आते हैं।

सहयोग सामाजिक प्रक्रिया क्या है?

सहयोग की परिभाषा (sahyog ki paribhasha) जोसेफ फिचर के अनुसार " सहयोग सामाजिक प्रक्रिया का वह रूप है जिनमे दो या दो से अधिक व्यक्ति या समूह एक लक्ष्य की प्राप्ति के लिए एक साथ मिलकर कार्य करते है। ए. डब्ल्यू ग्रीन " दो या दो से अधिक व्यक्तियों का इच्छित लक्ष्य प्राप्ति के लिए किया गया निरंतर और सम्मिलित प्रयास सहयोग है।

सहयोग क्या है सामाजिक जीवन में सहयोग के महत्व की व्याख्या करें?

सहयोग किसे कहते हैं जब व्यक्ति समान उद्देश्य के लिए एक साथ कार्य करते हैं तो उनके व्यवहार को सहयोग कहते हैं। सहयोग व्यक्ति की मौलिक आवश्यकता है क्योंकि इससे उसकी आवश्यकताओं की संतुष्टि तथा उद्देश्यों की पूर्ति होती है। व्यक्ति चेतन रूप से सहयोगिक क्रिया में भाग लेता है।

सहयोग कैसे एक साहचर्य सामाजिक प्रक्रिया है इसका औचित्य सिद्ध कीजिए?

जब अन्तःक्रिया की पुनरावृत्ति होती है तो यह एक सामाजिक प्रक्रिया बन जाती है। जब एक पति-पत्नी प्रेम, आत्मीयता और सहानुभूति के कारण परस्पर सहायता करते हैं तो यह क्रिया सहयोग का स्वरूप धारण कर लेती है तथा वह एक सामाजिक प्रक्रिया हो जाती है। सहयोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष दोनों ही तरह का हो सकता है।

सहयोग कितने प्रकार के होते हैं?

यह सभी अलग-अलग कार्य कर रहे होते है किन्तु सभी का लक्ष्य समान है। प्राथमिक सहयोग वह सहयोग है जो व्यक्ति अपने घनिष्ठ संबंधों के बीच परस्पर करते है।.
मित्रवत् सहयोग ... .
सामान्य सहयोग ... .
सहायक सहयोग.