Show वैश्विक एन्थ्रोपोजेनिक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन आठ विभिन्न क्षेत्रों से, वर्ष २००० में ग्रीन हाउस गैसें ग्रह के वातावरण या जलवायु में परिवर्तन और अंततः भूमंडलीय ऊष्मीकरण के लिए उत्तरदायी होती हैं।[1][2] इनमें सबसे ज्यादा उत्सर्जन कार्बन डाई आक्साइड, नाइट्रस आक्साइड, मीथेन, क्लोरो-फ्लोरो कार्बन, वाष्प, ओजोन आदि करती हैं।[2] कार्बन डाई आक्साइड का उत्सर्जन पिछले १०-१५ सालों में ४० गुणा बढ़ गया है। दूसरे शब्दों में औद्यौगिकीकरण के बाद से इसमें १०० गुणा की बढ़ोत्तरी हुई है। इन गैसों का उत्सर्जन आम प्रयोग के उपकरणों वातानुकूलक, फ्रिज, कंप्यूटर, स्कूटर, कार आदि से होता है। कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन का सबसे बड़ा स्रोत पेट्रोलियम ईंधन और परंपरागत चूल्हे हैं।[1][2] पशुपालन से मीथेन का उत्सर्जन होता है। कोयला बिजली घर भी ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन के प्रमुख स्रोत हैं। हालाँकि क्लोरोफ्लोरो का प्रयोग भारत में बंद हो चुका है, लेकिन इसके स्थान पर प्रयोग हो रही गैस हाइड्रो क्लोरो-फ्लोरो कार्बन सबसे हानिकारक ग्रीन हाउस गैस है जो कार्बन डाई आक्साइड की तुलना में एक हजार गुना ज्यादा हानिकारक है। रेडियेटिव फोर्सिंग के संदर्भ में
आधुनिक वैश्विक एन्थ्रोपोजेनिक कार्बन उत्सर्जन रेडियेटिव फोर्सिंग एवं ओजोन निःशेषण के संदर्भ में; इन सभी का कोई प्राकृतिक स्रोत नहीं है, अतः शून्य अर्थात उद्योग-पूर्व
कार्बन डाई आक्साइड गैस तापमान बढ़ाती है।[3] उदाहरण के लिए वीनस यानी शुक्र ग्रह पर ९७.५ प्रतिशत कार्बन डाई आक्साइड है जिस कारण उसकी सतह का तापमान ४६७ डिग्री सेल्सियस है। ऐसे में पृथ्वीवासियों के लिए राहत की बात यह है कि धरती पर उत्सर्जित होने वाली ४० प्रतिशत कार्बन डाई आक्साइड को पेड़-पौधे सोख लेते हैं और बदले में ऑक्सीजन उत्सर्जन करते हैं। वातावरण में ग्रीन हाऊस गैसें ऊष्म अधोरक्त (थर्मल इंफ्रारेड रेंज) के विकिरण का अवशोषण और उत्सजर्न करती है। सौर मंडल में शुक्र, मंगल और टाइटन में ऐसी गैसें पाई जाती हैं जिसकी वजह से ग्रीन हाऊस प्रभाव होता है।[2][4] विश्व बैंक ने १५ सितंबर, २००९ को वर्ष २०१० विश्व विकास रिपोर्ट विकास व जलवायु बदलाव जारी की एक रिपोर्ट में विकसित देशों को ग्रीस हाउस गैस का उत्सर्जन घटाने और विकासशील देशों को संबंधित धनराशि व तकनीकी सहायता प्रदान करने को कहा है। जलवायु परिवर्तन के पूरे समाधान के लिए भावी कई दशकों में विश्व ऊर्जा ढाँचे में बदलाव लाना पड़ेगा। रिपोर्ट में चेतावनी दी गयी है कि वर्तमान वित्तीय संकट के बीच जलवायु परिवर्तन सवाल की उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए।[5]
सन्दर्भ[संपादित करें]
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
सबसे शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस कौन सी है?वातावरण में मौजूद ग्रीनहाउस गैस कार्बन डाइऑक्साइड बहुत अधिक मात्रा में होती है। जब जीवाश्म ईंधन को जलाया जाता है तो वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों की संख्या बढ़ जाती है। दक्षता के मामले में क्लोरोफ्लोरोकार्बन सबसे शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस है।
ग्रीन हाउस के लिए कौन सी गैस जिम्मेदार नहीं है?सही उत्तर नाइट्रोजन है। नाइट्रोजन ग्रीन हाउस गैस नहीं है। ग्रीनहाउस प्रभाव के लिए जिम्मेदार मुख्य गैसों में कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड, और जल वाष्प (जो सभी प्राकृतिक रूप से होते हैं), और फ्लोरिनेटेड गैसें (जो सिंथेटिक हैं) शामिल हैं।
कौन सा देश सर्वाधिक ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन करता है?चीन सबसे बड़ा उत्सर्जक
दुनिया का एक चौथाई ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन विश्व का कारखाना कहे जाने वाले चीन में होता है।
ग्रीन हाउस गैस कितने प्रकार के होते हैं?यदि वातावरण में मौजूद 6 प्रमुख ग्रीनहाउस गैसों को देखें तो उनमें कार्बनडाइऑक्साइड (सीओ 2), मीथेन (सीएच 4), नाइट्रस ऑक्साइड (एन 2ओ), हाइड्रोफ्लूरोकार्बन (एचएफसी), परफ्लूरोकार्बन (पीएफसी), सल्फर हेक्साफ्लोराइड (एसएफ 6) शामिल हैं।
|