गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा लिखित “जन-गण-मन” भारत का राष्ट्रगान है जिसे उन्होंने मूलतः बंगाली में लिखा था। जिसे बाद में आबिद अली ने हिन्दी और उर्दू में अनुवाद किया। भारतीय राष्ट्रगान में संस्कृत जिसे साधु भाषा भी कहते है की अधिकता हैं। भारतीय राष्ट्रगान को गाते समय राष्ट्रगान गाने के नियमों का पालन करना आवश्यक हैं। Show
हमारे देश भारत का राष्ट्र-गान कहीं-कहीं प्रतिदिन तो कहीं कुछ विशिष्ट अवसरों पर गाया जाता हैं।
भारतीय राष्ट्रगान का अर्थ व इतिहाससंविधान सभा ने जन-गण-मन को 24 जनवरी 1950 को राष्ट्रगान के रुप में स्वीकार किया। इसे पहली बार 27 दिसंबर 1911 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में गाया गया था। राष्ट्रगान को गाने में 52 सेकेंड का समय लगता है तथा कई अवसरों पर जब इसके लघु संस्करण(प्रथम तथा अंतिम पंक्ति) को गाया जाता है तब 20 सेकेंड का समय लगता हैं।
राष्ट्रगान का पूर्ण तथा लघु संस्करणपूर्ण संस्करणजन-गण-मन अधिनायक जय हे, लघु संस्करण
राष्ट्रगान का अर्थजन गण के मनों के उस अधिनायक की जय हो, जो भारत के भाग्य-विधाता हैं। उनका नाम सुनते ही पंजाब, सिन्धु, गुजरात और मराठा, द्राविड़ उत्कल व बंगाल एवं विन्ध्या हिमाचल व यमुना और गंगा पर बसे लोगों के हृदयों तथा मनों में जागृतकारी तरंगें भर उठती हैं। सब तेरे पवित्र नाम पर जाग उठते हैं, सब तेरी पवित्र आशीर्वाद पाने की अभिलाशा रखते है और सब तेरे ही जयगाथाओं का गान करते हैं। जनगण के मंगल दायक की जय हो, हे भारत के भाग्यविधाता, जन-गण-मन कविता के संपूर्ण पदगुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने जिस कविता की रचना की थी उसके सिर्फ पहले पद को ही राष्ट्रगान माना गया जबकि पूरी कविता पाँच पदों में हैं। कविता के पाँचों पद निम्नलिखित हैं- जनगणमन-अधिनायक जय हे भारतभाग्यविधाता ! अहरह तव आह्वान प्रचारित, शुनि तव उदार बाणी, पतन-अभ्युदय-वन्धुर पन्था, युग युग धावित यात्री, घोरतिमिरघन निविड़ निशीथे पीड़ित मूर्छित देशे, रात्रि प्रभातिल, उदिल रविच्छवि पूर्व उदयगिरिभाले, भारतीय राष्ट्रगान गाने के नियमये देश हमलोगों का है इसलिए हमें अपने देश की राष्ट्रीय संपत्ति को नुकसान नही पहुंचाना चाहिए और ना ही हमलोग पहुँचाते हैं लेकिन बात जब देश के आन-बान और शान की हो तो हमें हमेशा सतर्क रहना चाहिए तथा उनका सम्मान करना चाहिए। जो लोग जाने-अनजाने में देश के गौरव को धूमिल करने की कोशिश करते है उनके लिए दंड की व्यवस्था हैं। ऐसा करने वालों के खिलाफ Prevention of insults to National Honour Act, 1971(राष्ट्रीय सम्मान को ठेस पहुँचने से रोकने के लिये कानून-१९७१) के तहत कार्रवाई की जा सकती है। ऐसे मामलों में दोषी पाए जाने पर जुर्माने के साथ अधिकतम तीन वर्ष की कैद का प्रावधान है। राष्ट्रगान के अपमान के लिए प्रिवेंशन ऑफ इन्सल्ट टु नैशनल ऑनर ऐक्ट-1971 के धारा-3 के तहत कार्रवाई होती हैं। राष्ट्रीय गान के सम्मान के लिए बनाये गये कुछ सामान्य नियम
राष्ट्रगान का हिंदी मतलब क्या होता है?जन गण के मनों के उस अधिनायक की जय हो, जो भारत के भाग्य-विधाता हैं। उनका नाम सुनते ही पंजाब, सिन्धु, गुजरात और मराठा, द्राविड़ उत्कल व बंगाल एवं विन्ध्या हिमाचल व यमुना और गंगा पर बसे लोगों के हृदयों तथा मनों में जागृतकारी तरंगें भर उठती हैं।
राष्ट्रगान कहाँ से लिया गया है?राष्ट्रगान को रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा 1911 में लिखी गई एक कविता से लिया गया है, यह कविता 5 पदों में लिखी गई है, जिसके पहले पद को ही राष्ट्रगान के रूप में लिया गया।
हमारे देश का राष्ट्रीय गान क्या है?भारत का राष्ट्रगान 'जन गण मन' कवि और नाटककार रवींद्रनाथ टैगोर ने लिखा था। भारत के राष्ट्रगान की पंक्तियाँ रवींद्रनाथ टैगोर के गीत 'भारतो भाग्य बिधाता' से ली गई हैं। मूल बांग्ला में लिखा गया था और पूरे गीत में 5 छंद हैं। पाठ पहली बार 1905 में तत्वबोधिनी पत्रिका के एक अंक में प्रकाशित हुआ था।
राष्ट्रीय गान किसने और कब लिखा?'राष्ट्र गान जन-गण-मन' को किसने लिखा? रवीन्द्रनाथ टैगोर ने। राष्ट्र गान को सर्वप्रथम 27 दिसम्बर, 1911 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के किस अधिवेशन में गाया गया था? कलकत्ता अधिवेशन में।
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