थार्नथ्वेट के जलवायु के वर्गीकरण के क्या आधार है? - thaarnathvet ke jalavaayu ke vargeekaran ke kya aadhaar hai?

थार्नथ्वेट Ka Jalwayu Vargikarann

Pradeep Chawla on 29-10-2018

प्रसिद्ध अमरीकी ऋतु वैज्ञानिक थोर्नथ्वेट ने 1931 एवं 1933 में जलवायु क्षेत्रों का वर्गीकरण वर्षा एवं प्राकृतिक वनस्पति को ध्यान में रखकर किया। थोर्नथ्वेट ने वाष्पीकरण की अधिकता और न्यूनता के आधार पर जलवायु क्षेत्रों का वर्गीकरण किया। 1955 में उसने अपने वर्गीकरण में संशोधन किया। थोर्नथ्वेट ने आर्द्रता प्रभावशीलता के आधार पर विश्व को 5 जलवायु प्रदेशों में विभाजित किया है-

क्रम आर्द्रता का विभाजन वनस्पति वर्षा, वाष्पीकरण का सूत्र P/E
A अधिक तर अधिक वर्षा करने वाले वन 320 सेमीं से अधिक
B आर्द्र वन 160 से 318 सेमीं
C कम आर्द्र घास के जंगल 80 से 157 सेमी
D अर्द्ध-शुष्क स्टेपी जंगल 40 से 78 सेमीं
E शुष्क मरुस्थली 40 सेमी से कम

तापीय दक्षता Thermal Effeciency

जलवायु वर्गीकरण में तापीय दक्षता का विशेष महत्व होता है। तापीय दक्षता ज्ञात करने के लिए औसत मासिक तापमान को मासिक वाष्पीकरण से विभाजित किया जाता है। तापीय दक्षता को सूत्र T/E सूत्र द्वाराप्रदर्शित किया गया है। इस सूत्र को इस प्रकार से हल करते हैं-

तापीय दक्षता अनुपात = T/E Ratio = S-32 / 4

तापीय दक्षता सूत्र T/E Formula = 12 (S – 32 / 4)

इनके अतिरिक्त थोर्नथ्वेट ने तापीय क्षमता के अनुसार

क्रम तापीय क्षेत्र तापीय क्षमता सूचकांक
A’ उष्ण कटिबंधीय Tropical 320 से अधिक
B’ मध्य तापीय Mesothermal 160-318
C’ न्यून तापीय Microthermal 80-157
D’ टैगा Taiga 40-78
E’ टुन्ड्रा Tundra 3-37
F’ हिमाच्छादित Frost 0 से कम

इनके अतिरिक्त वर्षा के मौसमी वितरण के आधार पर थोर्नथ्वेट ने निम्नलिखित अक्षरों का प्रयोग किया-

  1. r- साल भर अधिक वर्षा
  2. s- ग्रीष्म ऋतु में वर्षा की कमी
  3. w- शीत ऋतु में वर्षा की कमी
  4. w’- बसन्त ऋतु में वर्षा की कमी
  5. d- सभी महीनों में वर्षा की कमी

उन्होंने जलवायु को 32 विभागों में बांटा है।



Comments Jaba biswas on 23-09-2022

Thornthwaites जलवायु वर्गीकरण

Ajay on 03-07-2022

Thatanthavet ke vargikaran ke anusar kis jalvay varg mein Jaisalmer upsthit hai

Sandhya Tiwari on 28-04-2022

Thor weight Kajal Vayu vargikaran

Sahiba.agwan on 08-12-2021

Ias.bnne.ka.leya

Shakun on 08-08-2021

Thorn waite ne New Zealand me kis prakar ki jalwayu batti h

aakashjoshi304 on 16-07-2021

आर्थिक भूगोल के प्राथमिक एवं तृतीय खंड का महत्व बताइऐ

Dayasagar sen on 16-07-2021

थार्नथ्वट के जलवायु का वर्गीकरण का वर्णन कीजिये

Rakesh Kumar Jayswal on 15-07-2021

Thurntwet jalwayu ka wardan

Triloki on 14-07-2021

Describe the configuration of bottom of the pacific ocean

Tapi dakshata kya hai on 14-07-2021

Tapi dakshata kya hai

Prashant on 28-06-2021

Copenche hawkman vagikarn

kunal thakur on 29-05-2021

thornthvet ke jalvayu vargikaran ko samjhaeye

Vardhan parbhawit? on 30-03-2021

Vardhan prbhawit?

Lalita on 21-03-2021

Inke vargikaran me hnumangarha aayega kya

Deepika on 07-10-2020

According thornvet Rajasthan ka sawana vanaspati jalwayu pradesh konsa h

Jiya on 26-09-2020

Thonthvet ne that ke marusthal ke leye konsa pardes bataya h

Tarun Kumar on 21-01-2020

Thornvet ke jalvayu vargikaran ka map ke madhym se dikhaye...



थार्नथ्वेट के जलवायु वर्गीकरण का आधार क्या है?

थार्नथ्वेट के वर्गीकरण के अनुसार, जैसलमेर EA'd जलवायु क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है। EA'd एक उष्णकटिबंधीय रेगिस्तानी जलवायु क्षेत्र है। यह वर्गीकरण गर्म और शुष्क प्रकार की जलवायु का प्रतिनिधित्व करता है। प्रत्येक मौसम में वर्षा की कमी होती है।

कोपेन ने जलवायु का वर्गीकरण कितने भागों में किया है?

कोपेन ने अपने वर्गीकरण में विश्व की जलवायु को छः समूहों-उष्णकटिबंधीय, शुष्क जलवायु, कोष्ण शीतोष्ण, शीतल हिम-वन जलवायु, शीत और उच्च भूमि जलवायु समूह में विभाजित किया है।

भारत की जलवायु को कितने भागों में बांटा गया है?

कोपेन के वर्गीकरण में भारत में छह प्रकार की जलवायु का निरूपण है किन्तु यहाँ यह भी ध्यातव्य है कि भू-आकृति के प्रभाव में छोटे और स्थानीय स्तर पर भी जलवायु में बहुत विविधता और विशिष्टता मिलती है। भारत की जलवायु दक्षिण में उष्णकटिबंधीय है और हिमालयी क्षेत्रों में अधिक ऊँचाई के कारण अल्पाइन (ध्रुवीय जैसी)।

जलवायु के प्रमुख तत्व कौन कौन से हैं?

जलवायु-मौसम के प्रमुख तत्वों-वायुदाब, तापमान, आर्द्रता, वर्षा तथा सौर प्रकाश की लम्बी अवधि के औसतीकरण (30 वर्ष या अधिक) को उस स्थान की जलवायु कहते हैं, जो उस स्थान की भौगोलिक स्थिति (अक्षांश एवं ऊँचाई), सौर प्रकाश, ऊष्मा, हवाएँ, वायुराशि, जल थल के आवंटन, पर्वत, महासागरीय धाराओं, निम्न तथा उच्च दाब पट्टियों, अवदाब एवं ...