अप्रैल फूल क्यों मनाया जाता है - aprail phool kyon manaaya jaata hai

1 अप्रैल यानि अप्रैल फूल। 1 अप्रैल का दिन दुनिया भर में मूर्ख दिवस के रूप में मनाया जाता है। हर कोई अपने आस-पास के लोगों को उल्लू बनाने अर्थात मूर्ख बनाने का प्रयास करता है। वहीं हर कोई मूर्ख बनने से बचना भी चाहता है, इसलिए इस दिन मिलने वाली किसी भी सूचना या बात को अक्सर बिना जांच पड़ताल के गंभीरता से न हीं लिया जाता। अप्रैल फूल आखि‍र क्यों और कब से मनाया जाता है, जानिए -  


अप्रैल फूल डे (कभी-कभी ऑल फूल डे) हर वर्ष 1 अप्रैल को प्रेक्टिकल जोक्स (शरारतें) और अफवाहें फैला कर मनाया जाता है। जोक्स और शरारतें जिनके साथ की जाती हैं उन्हें अप्रैल फूल या अप्रेल मूर्ख कहा जाता है। लोग अपनी शरारतों का खुलासा, अप्रैल फूल चिल्ला कर करते हैं।  

कब से मनाया जाता है अप्रैल फूड डे....अगले पेज पर जानें...

April Fool History: दुनियाभर में अप्रैल महीने के पहले दिन को मूर्ख दिवस या अप्रैल फूल डे के रूप में मनाते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं ऐसा अप्रैल में ही क्यों किया जाता है.

अप्रैल फूल क्यों मनाया जाता है - aprail phool kyon manaaya jaata hai

इस दिन फ्रांस ने जूलियन कैलेंडर को छोड़कर ग्रेगोरियन कैलेंडर अपनाया था.

आज एक अप्रैल है (1st April). आज से नया वित्तीय वर्ष शुरू हो रहा है और आज के दिन को कई लोग मूर्ख दिवस (April Fools Day) के रूप में भी सेलिब्रेट कर रहे हैं. मूर्ख दिवस को सेलिब्रेट करने के लिए लोग आपस में मजाक करते हैं और एक दूसरे को मूर्ख बनाने की कोशिश करते हैं. शायद, आप भी ऐसा करते हों या फिर बचपन में तो ऐसा करते ही होंगे. लेकिन, कभी आपने सोचा है कि ऐसा अप्रैल महीने के पहले दिन ही क्यों होता है और मूर्ख दिवस (April Fool History) एक अप्रैल को ही क्यों मनाया जाता है.

ऐसे में आज हम आपको इसे अप्रैल की पहली तारीख को सेलिब्रेट करने की कहानी के बारे में बता रहे हैं, जिससे आपको इसके इतिहास के बारे में पता चल जाएगा. तो जानते हैं अप्रैल फूल बनाने की क्या कहानी है और हर साल इस दिन को क्यों सेलिब्रेट किया जाता है.

अप्रैल फूल की क्या है कहानी?

ये दिन क्यों सेलिब्रेट किया जाता और इसकी शुरुआत कब से हुई? इसकी एकदम सही जानकारी तो मिल पाना मुश्किल है. अभी भी इसके ऑरिजन के बारे में पता करना रहस्य है, लेकिन कई ऐसी कहानियां प्रचलित हैं, जिन्हें अप्रैल फूल मनाने की शुरुआत से जोड़ा जाता है. इन कहानियों से कहा जाता है कि इस वक्त से इस खास दिन की शुरुआत हुई. इसमें सबसे लोकप्रिय है साल 1582 की एक कहानी, जब फ्रांस ने जूलियन कैलेंडर को छोड़कर ग्रेगोरियन कैलेंडर अपनाया था.

बता दें कि Pope Gregory XIII ने ग्रेगोरियन कैलेंडर को शुरू किया. इस कैलेंडर में जनवरी से साल की शुरुआत होती है और ये वो ही कैलेंडर है, जिसका हम इस्तेमाल करते हैं. जूलियन कैलेंडर में नए साल की शुरुआत 1 अप्रैल से होती थी, लेकिन जब पोप चार्ल्स 9 ने ग्रेगोरियन कैलेंडर को शुरू किया, तो लोग उस बदलाव के बारे में जान नहीं पाए और हर साल की तरह 1 अप्रैल को ही नया साल मनाने लगे. ऐसे में उन लोगों का काफी मजाक बनाया गया और उन्हें अप्रैल फूल्स कहा गया. तभी से इस दिन की शुरुआत हुई.

एक कहानी साल 1381 की

अप्रैल फूल डे को लेकर इंग्लैंड के राजा रिचर्ड द्वितीय का एक मजेदार किस्सा प्रचलित है. बताया जाता है कि रिचर्ड द्वितीय और बोहेमिया की रानी एनी ने ऐलान करते हुए कहा कि वे 32 मार्च 1381 के दिन सगाई करने वाले हैं. ये खबर सुनकर लोग बेहद खुश हुए. जश्न मनाया और इस दिन के लिए तमाम तैयारियां करने लगे. लेकिन जब 31 मार्च आया तो उन्हें अहसास हुआ कि उन्हें मूर्ख बनाया गया है, क्योंकि 32 मार्च तो कभी आएगा ही नहीं. तभी से 31 मार्च के अगले दिन यानी 1 अप्रैल को मूर्ख दिवस मनाया जाने लगा.

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नई दिल्लीः आज 1 अप्रैल है और इस दिन को पूरी दुनिया में मूर्ख दिवस के तौर पर जाना जाता है. हालांकि ये कम ही लोग जानते होंगे कि एक अप्रैल को ही मूर्ख दिवस क्यों मनाया जाता है. तो आइए जानते हैं क्या है इसकी वजह और इसका इतिहास?

ऐसे हुई शुरुआत
माना जाता है कि साल 1381 में पहली बार एक अप्रैल को मूर्ख दिवस मनाया गया था. इसके पीछे एक मजेदार कहानी है. दरअसल इंग्लैंड के राजा रिचर्ड द्वितीय और बोहेमिया की रानी एनी ने सगाई का ऐलान किया और कहा गया कि सगाई 32 मार्च 1381 को होगी. इस ऐलान से आम जनता इतनी खुश हुई कि उसने खुशियां मनाना शुरू कर दिया. हालांकि बाद में उन्हें एहसास हुआ कि वह बेवकूफ बन गए हैं क्योंकि कैलेंडर में तो 32 मार्च की तारीख ही नहीं होती. माना जाता है कि उसके बाद से ही हर साल एक अप्रैल को लोग मूर्ख दिवस के रूप में मनाने लगे. 

अप्रैल फूल से जुड़ी एक और कहानी ये है कि फ्रांस में 1582 में पोप चार्ल्स ने पुराने कैलेंडर की जगह नया रोमन कैलेंडर शुरू किया था. हालांकि इसके बाद भी कुछ लोग पुरानी तारीख पर ही नया साल मनाते रहे और उन लोगों को अप्रैल फूल्स कहा गया. 

भारत में ऐसे हुई शुरुआत
भारत में एक अप्रैल को मूर्ख दिवस मनाने की शुरुआत 19वीं सदी में अंग्रेजों द्वारा हुई. इसके बाद भारत में भी हर साल इस दिन को मूर्ख दिवस के रूप में मनाया जाने लगा. हालांकि अब सोशल मीडिया के आने के बाद देश में मूर्ख दिवस की पहचान बढ़ी है.  

अब हर दिन बेवकूफ बन रहे लोग!
पहले एक दिन ही मूर्ख दिवस मनाने का चलन था. लेकिन आजकल तो लोग हर दिन ही मूर्ख बन रहे हैं. डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए, हनीट्रैप के जरिए, फर्जी ईमेल या मैसेजेज, ऑनलाइन लॉटरी जीतने आदि के नाम पर लोग इन दिनों रोजाना ही मूर्ख बन रहे हैं. 

1 अप्रैल को मूर्ख दिवस क्यों मनाया जाता है?

एक कहानी साल 1381 की ये खबर सुनकर लोग बेहद खुश हुए. जश्न मनाया और इस दिन के लिए तमाम तैयारियां करने लगे. लेकिन जब 31 मार्च आया तो उन्हें अहसास हुआ कि उन्हें मूर्ख बनाया गया है, क्योंकि 32 मार्च तो कभी आएगा ही नहीं. तभी से 31 मार्च के अगले दिन यानी 1 अप्रैल को मूर्ख दिवस मनाया जाने लगा.

अप्रैल फूल की शुरुआत कब से हुई?

भारत में अप्रैल फूल मनाने की शुरआत अंग्रेजों ने की, 19वीं सदी में इसकी शुरुआत की गई, इसके बाद भारत में अब हर साल 1 अप्रैल को अप्रैल फूल मनाया जाता है, सोशल मीडिया के बदलते चलन के बाद अप्रैल फूल को भारत में ज्यादा पहचान मिली है.

अप्रैल फूल क्यों कहते हैं?

अप्रैल फूल से जुड़ी एक और कहानी ये है कि फ्रांस में 1582 में पोप चार्ल्स ने पुराने कैलेंडर की जगह नया रोमन कैलेंडर शुरू किया था. हालांकि इसके बाद भी कुछ लोग पुरानी तारीख पर ही नया साल मनाते रहे और उन लोगों को अप्रैल फूल्स कहा गया. भारत में एक अप्रैल को मूर्ख दिवस मनाने की शुरुआत 19वीं सदी में अंग्रेजों द्वारा हुई.

अप्रैल फूल क्यों नहीं मनाना चाहिए?

इस दिन को पारंपरिक रूप से 'हंट द गॉक डे' के रूप में भी जाना जाता है। यहां लोग अप्रैल के पहले दो दिनों तक मूर्ख दिवस मनाते हैं। पहले दिन अफवाह फैलाकर और लोगों को बेवकूफ बनाकर सेलिब्रेट किया जाता है। दूसरा दिन टेली-डे के रूप में जाना जाता है, जहां लोग एक-दूसरे के पीछे पूंछ लगाते हैं।