राशि पिछले जन्म में क्या थे? - raashi pichhale janm mein kya the?

राशि पिछले जन्म में क्या थे? - raashi pichhale janm mein kya the?

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हिन्दू धर्म के लोग पूर्वजन्म में विश्वास रखते हैं. गीत और वेद-पुराणों में भी इसका जिक्र है. कई लोगों के मन में इस बात को लेकर जिज्ञासा होती है कि वो पूर्वजन्म में क्या थे. पंडित शैलेंद्र पांडेय बता रहे हैं पूर्वजन्म के रहस्य के बारे में. 
 

राशि पिछले जन्म में क्या थे? - raashi pichhale janm mein kya the?

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पंडित शैलेंद्र पांडे के अनुसार, पूर्वजन्म एक अनुमान है जिसे जानने के लिए लगातार लक्षणों पर ध्यान देना होगा. सामान्यत: कोई व्यक्ति घूम-फिरकर अपने परिवार में ही जन्म लेता है और उसकी मुख्य आदतें वैसी की वैसी ही रहती हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो उसके मन में अपने परिवार का ही विचार होता है.
 

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व्यक्ति के अंत समय में उसे जो याद रह जाता है वैसी ही उसकी आगे कि गति हो जाती है. परिवार की चिंता अंत समय में ज्यादा होती है तो व्यक्ति घूम-फिर कर उसी परिवार में आ जाता है. अगले जन्म में वो किसी का बेटा-बेटी या पोता-पोती बन कर वापस आ जाता है. 
 

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हालांकि दोबारा जन्म के बाद भी जो उसकी मुख्य आदतें हैं वो वैसी की वैसी ही रहती हैं. जब किसी भावना या इच्छा को लेकर व्यक्ति की मृत्यु होती है तो उस व्यक्ति का जन्म उस इच्छा को पूरा करने के लिए होता है.
 

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कोई विशेष तरह का गुण, अवगुण, बीमारी या चिन्ह जो बिना किसी प्रयास के आपके अंदर आ जाते हैं वो पूर्वजन्म से ही संबंध रखते हैं. उदाहरण के तौर पर कुछ बच्चे बचपन से ही बहुत अच्छा गाना गाते हैं. क्योंकि पूर्वजन्म में वो अच्छा गाते थे और वो गुण इस जन्म में उनके अंदर आ गया.
 

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कुछ बच्चे बचपन से ही गीता के श्लोक पढ़ने लगते हैं क्योंकि वो पूर्वजन्म में इसे पढ़ते थे और वो आदत इस जन्म में आ गई. गुण ही नहीं अवगुण भी पिछले जन्म से इस जन्म में आ जाते हैं. आप ईश्वर के किसी विशेष रूप के प्रति आकर्षण रखते हैं ये बात भी पूर्वजन्म से संबंध रखती है. 
 

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अगर आपको जन्म से ही शिव के प्रति प्रेम है, आपको शिव के अलावा कोई और दिखता नहीं है तो इसका मतलब ये है कि पूर्वजन्म में आप शिव के भक्त थे. इस जन्म में आपके पिछले जन्म के संस्कार आ गए. 
 

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पूर्व जन्म के कर्म अगर आपको लगातार बाधा दे रहे हैं तो आपको इसके लिए कुछ उपाय करना चाहिए. जो व्यक्ति सृष्टि का पहला गुरु है वो हैं शिव. कर्म बंधन यानी पूर्व जन्म के संस्कारों से मुक्ति चाहते हैं तो भगवान शिव की पूजा करें. शिव मंत्र का जप करें और एकादशी और पूर्णिमा का उपवास रखें. 
 

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इसके लिए आप श्रीमदभागवत का अर्थपूर्ण पाठ भी कर सकते हैं. शनिवार को भूखे व्यक्ति को अन्न का दान करें और लोगों की सहायता करें. अपने कर्मों और विचारों को ईश्वर को समर्पित करें. इस विधि से आप अपने कर्म बंधन से मुक्ति पा सकते हैं. 
 

जानिए पिछले जन्म में क्या थे आप?

पृथ्वी लोक पर जो भी जन्म लेता है उसकी मृत्यु अवश्य होती है. आत्मा एक शरीर को छोड़कर दूसरे शरीर में प्रवेश करती है. जिस प्रकार से कपड़े मैले हो जाने पर उन्हें बदला जाता है उसी प्रकार समय पूर्ण हो जाने पर आत्मा शरीर को त्याग कर दूसरे शरीर को धारण करती है. शरीर नश्वर है जबकि आत्मा अमर है. इसी तरह से एक जन्म से दूसरे जन्म का चक्र चलता रहता है. कई लोगों को पूर्वजन्म से जुड़ी बातों पर विश्वास नहीं होता है परंतु कुछ लोग पूर्वजन्म पर विश्वास करते हैं. पूर्वजन्म के विषय में हमारे वेदों व पुराणों में भी कई जगह उल्लेख मिलता है. जब कभी इस तरह की बातों का जिक्र होता है तो हर मनुष्य के मन में यह प्रश्न या जिज्ञासा अवश्य उत्पन्न होती है कि वह पिछले जन्म में क्या था. यदि आप पूर्वजन्म से जुड़े रहस्यों के बारे में जानना चाहते हैं तो व्यक्ति के लक्षणों व आदतों पर ध्यान देना पड़ता है. माना जाता है कि किसी भी व्यक्ति के पिछले जन्म की आदतें उसके अगले जन्म में भी वैसी की वैसी ही रहती हैं.

आइए जानते हैं पिछले जन्म से जुड़े रहस्यों के बारे में-

जानकारों के मुताबिक किसी भी व्यक्ति का जन्म सामान्यतः लौट-फिरकर उसी के घर परिवार में होता है. इसके पीछे कहा जाता है कि जब व्यक्ति की मृत्यु निकट होती है तब उसे जो भी कुछ अंत समय में याद रहता है उसकी गति वैसी ही हो जाती है. मनुष्य को सबसे अधिक अंत समय में सबसे अधिक अपने प्रियजनों, परिवार की चिंता सताती है ऐसे में वह अगले जन्म में किसी न किसी प्रकार से उसी घर में जन्म ले लेता है. किसी भी व्यक्ति की पिछले जन्म की मुख्य आदतें वैसी ही रह जाती हैं ऐसे में व्यक्ति के बारे में अनुमान लगाया जा सकता है. यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु के समय कोई इच्छा अधूरी रह गई हो तो उसका अगला जन्म अधूरी इच्छा को पूर्ण करने के लिए होता है.

कभी-कभी व्यक्ति के शरीर पर कोई निशान आदि को देखकर भी पहचाना जा सकता है कि वह पिछले जन्म में क्या था. अगले जन्म में भी कुछ लोगों के शरीर पर वही निशान बने रह जाते हैं जो पहले बने थे. इसी तरह से देखने में आता है कि कुछ लोग बचपन से ही भगवान की भक्ति में लीन रहते हैं या बहुत ही कम आयु में ही कठिन से कठिन मंत्रोच्चार भी आसानी से कर लेते हैं. दरअसल माना जाता है कि यह सब उनके पिछले जन्म के लक्षण व निशानी होते हैं. इसी तरह से कुछ लोगों में जीव-जंतुओं की आदतें भी देखने को मिलती हैं उदाहरण के तौर पर जैसे कोई व्यक्ति अपनी गर्दन को ऊंट की भांति बहुत ऊंचा उठाकर चलता है.

कई बार कुछ लोगों को पूर्व जन्म के कारण समस्याएं भी होने लगती हैं. यदि किसी के पूर्व जन्म के कर्म बाधा दे रहे हों तो उसे भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए. शिव ही सृष्टि के पहले गुरु हैं और शिव ही देवों के भी देव और कालों के भी महाकाल हैं. पूर्वजन्म के संस्कारों से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव की पूजा करने के साथ उनके मंत्रों का जाप करना चाहिए. इसके अलावा मनुष्य को पूर्व जन्म के कर्मों से मुक्ति प्राप्त करने के लिए श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करना चाहिए और दान-पुण्य जैसे परोपकारी कार्यों में लगना चाहिए.

जन्‍मकुंडली के ये योग बताते हैं कि पूर्वजन्‍म में क्‍या थे आप?

हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार प्राणी का केवल शरीर नष्ट होता है, आत्मा अमर है. आत्मा एक शरीर के नष्ट हो जाने पर दूसरे शरीर में प्रवेश करती है, इसे ही पुनर्जन्म कहते हैं.

पुनर्जन्म के सिद्धांत को लेकर सभी के मन में ये जानने की जिज्ञासा अवश्य ही रहती है कि पूर्व जन्म में वे क्या थे? साथ ही वे ये भी जानना चाहते हैं कि वर्तमान शरीर की मृत्यु हो जाने पर इस आत्मा का क्या होगा?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, किसी भी व्यक्ति की कुंडली देखकर उसके पूर्व जन्म और मृत्यु के बाद आत्मा की गति के बारे में जाना जा सकता है.

दरअसल, शिशु जिस समय जन्म लेता है, वह समय, स्थान व तिथि को देखकर उसकी जन्म कुंडली बनाई जाती है. उस समय के ग्रहों की स्थिति के अध्ययन कर यह जाना जा सकता है कि वह किस योनि से आया है और मृत्यु के बाद उसकी क्या गति होगी.

आइये जानते हैं कि जन्म कुंडली के अनुसार आप पूर्व जन्म में क्या थे और कौन थे?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिसकी कुंडली में चार या इससे अधिक ग्रह उच्च राशि के अथवा स्वराशि के रहते हैं तो माना जाता है कि उसने उत्तम योनि भोगकर जन्म लिया है.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, लग्न में उच्च राशि का चंद्रमा हो तो माना जाता है कि ऐसा व्यक्ति पूर्वजन्म में योग्य वणिक था.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, लग्नस्थ गुरु इस बात का संकेत देता है कि जन्म लेने वाला पूर्वजन्म में वेदपाठी ब्राह्मण था.
अगर जन्मकुंडली में कहीं भी उच्च का गुरु होकर लग्न को देख रहा है तो वह पूर्वजन्म में धर्मात्मा, सद्गुणी व विवेकशील साधु अथवा तपस्वी था.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यदि जन्म कुंडली में सूर्य छठे, आठवें या बारहवें भाव में हो या तुला राशि का हो तो व्यक्ति पूर्वजन्म में भ्रष्ट जीवन व्यतीत करना वाला था.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, लग्न या सप्तम भाव में यदि शुक्र हो तो जातक पूर्वजन्म में राजा अथवा सेठ था और जीवन के सभी सुख भोगने वाला था.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, लग्न, एकादश, सप्तम या चौथे भाव में शनि इस बात का संकेत है कि व्यक्ति पूर्वजन्म में शुद्र परिवार से संबंधित था एवं पापपूर्ण कार्यों में लिप्त था.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यदि लग्न या सप्तम भाव में राहु हो तो व्यक्ति की पूर्व मृत्यु स्वभाविक रूप से नहीं हुई.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, चार या इससे अधिक ग्रह जन्म कुंडली में नीच राशि के हो तो ऐसे व्यक्ति ने पूर्वजन्म में निश्चय ही आत्महत्या की होगी.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली में स्थित लग्नस्थ बुध स्पष्ट करता है कि व्यक्ति पूर्वजन्म में वणिक पुत्र था और कई क्लेशों से ग्रस्त रहता था.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सप्तम भाव, छठे भाव या दशम भाव में मंगल की उपस्थिति यह स्पष्ट करती है कि यह व्यक्ति पूर्वजन्म में क्रोधी स्वभाव का था तथा कई लोग इससे पीड़ित रहते थे.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, गुरु शुभ ग्रहों से दृष्ट हो या पंचम या नवम भाव में हो तो जातक पूर्वजन्म में संन्यासी था.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली के ग्यारहवें भाव में सूर्य, पांचवे में गुरु और बारहवें में शुक्र इस बात का संकेत देता है कि यह व्यक्ति पूर्वजन्म में धर्मात्मा प्रवृत्ति का था और लोगों की मदद करने वाला था.
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Source : palpalindia

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पिछले जन्म में आप क्या थे जानिए 10 संकेत?

लग्नस्थ बुध है तो वणिक पुत्र होकर विविध क्लेशों से ग्रस्त था। 2. किसी जातक की कुंडली के लग्न स्थान में मंगल उच्च राशि या स्वराशि में स्थित हो तो इसका अर्थ है कि वह पूर्व जन्म में योद्धा था। यदि मंगल षष्ठ, सप्तम या दशम भाव में है तो यह माना जाता है कि जातक पूर्वजन्म में बहुत क्रोधी स्वभाव का था।

पिछले जन्म में मृत्यु कैसे हुई?

सामान्यतः व्यक्ति घूम-फिरकर अपने परिवार में ही जन्म लेता है और उसकी मूल आदतें वैसी की वैसी रहती हैं. लेकिन जब किसी भावना या इच्छा को मन में लेकर किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो उसी भावना या इच्छा को पूर्ण करने के लिए उसका पुनर्जन्म होता है.