Show आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की जीवनी, जन्म, जीवन परिचय, चरित्र चित्रण, जीवनी, निबंध, बाल्यकाल, यौनावस्था, प्रेम, विवाह, रचनाएँ, विशेषताएं, मृत्यु। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की जीवनी:आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का जन्म, जीवन परिचय, चरित्र चित्रण, जीवनी, निबंध, बाल्यकाल, यौनावस्था, प्रेम, विवाह, रचनाएँ, कृतियाँ, हिंदी क्षेत्र में शुक्ल जी का योगदान, साहित्यिक-परिचय, भारतेन्दु मंडल का हिस्सा, भाषा शैली, मृत्यु, विशेषताएं, आदि के बारे में सम्पूर्ण जानकारी। आचार्य रामचन्द्र शुक्लपरिवारक परिचय: राम चंद्र शुक्ल का विवाह सावित्री देवी से हुआ था और उनके दो बेटे, केशव चंद्र और गोकुल चंद्र, और तीन बेटियां, दुर्गावती, विद्या और कमला थीं। वह एक चित्रकार थे और उन्होंने अपना घर खुद डिजाइन किया था, जो 1941 में उनकी मृत्यु के समय अधूरा था। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की जीवनी-Ramchandra Shukla biography in Hindi
आचार्य रामचन्द्र शुक्लपरिवारक परिचय: राम चंद्र शुक्ल का विवाह सावित्री देवी से हुआ था और उनके दो बेटे, केशव चंद्र और गोकुल चंद्र, और तीन बेटियां, दुर्गावती, विद्या और कमला थीं। वह एक चित्रकार थे और उन्होंने अपना घर खुद डिजाइन किया था, जो 1941 में उनकी मृत्यु के समय अधूरा था। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल कौन थे? आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का जन्म: आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का जन्म 04 अक्टूबर, 1884 को ग्राम पोस्ट अगोना जिला बस्ती, उत्तर प्रदेश के साधारण परिवार में हुआ था। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की विशेषताएं: आचार्य रामचन्द्र शुक्ल एक प्रमुख साहित्यकार, लेखक, हिन्दी आलोचक, निबन्धकार, कोशकार, अनुवादक, कथाकार और प्रसिद्ध कवि थे। प्यार! कौन सी वस्तु प्यार है? मुझे बता दो। पृथ्वीतल पर भटक भटक समय
गँवाया! यों खो कर के अपना हृदय, पाया मैंने बहुत दुख। -पं० रामचन्द्रजी शुक्ल आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के माता-पिता कौन थे? आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के माता-पिता का परिचय: आचार्य रामचन्द्र शुक्ल जी के माता जी का नाम निवासी था तथा पिता का नाम पं॰ चंद्रबली शुक्ल था। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के पिता पं॰ चंद्रबली शुक्ल एक कानूनगो थे। सन 1892 ई० में इनके पिता की नियुक्ति मिर्जापुर सदर में कानूनगो के पद पर हुई, जिससे उनका पूरा परिवार मिर्ज़ापुर जिले में आकर रहने लगा। जिस समय रामचन्द्र शुक्ल 9 वर्ष के थे तभी इनकी माता का देहान्त हो गया। मातृ सुख के अभाव के साथ-साथ विमाता से मिलने वाले दुःख ने उनके व्यक्तित्व को अल्पायु में ही परिपक्व बना दिया। चन्द टरै, सूरज टरै, टरै जगत ब्यौहार। पै दृढ़ श्रीहरिचन्द को, टरै न सत्य विचार।। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की प्रारंभिक शिक्षा क्या है और कैसी रही? आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की प्रारंभिक शिक्षा: 4 वर्ष की उम्र में ये अपने पिता के साथ राठ जिला हमीरपुर चले गये, और वही पर इन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा आरम्भ की। अध्ययन के प्रति लग्नशीलता शुक्ल जी में बाल्यकाल से ही थी। किंतु इसके लिए उन्हें अनुकूल वातावरण न मिल सका। 1898 में आपने मिडिल की परीक्षा उत्तीर्ण की, मिर्जापुर के लंदन मिशन स्कूल से सन् 1901 में स्कूल फाइनल परीक्षा (FA) उत्तीर्ण की। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के पिता पं॰ चंद्रबली शुक्ल उन्हें वकालत पढ़ाना चाहते थे, जिसके लिए उन्होंने शुक्ल जी को इलाहाबाद भेजा पर उनकी रुचि वकालत में न होकर साहित्य में थी। जिसका परिणाम यह हुआ कि वे अनुत्तीर्ण हो गए। हिंदी आलोचना के वास्तविक प्रवर्त्तन का श्रेय शुक्ल जी को ही जाता है।आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का कार्यक्षेत्र एवं साहित्यिक-परिचय: शुक्ल जी हिन्दी के प्रसिद्ध निबंधकार के रूप में जाने जाते हैं, उन्होंने हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान दिया है, शुक्ल जी ने बहुत खोजपूर्ण “हिन्दी साहित्य इतिहास” लिखा। रामचन्द्र शुक्ल जी ने 1903 से 1908 तक ‘आनन्द कादम्बिनी’ के सहायक संपादक का कार्य किया। शुक्ला जी ने पहली नौकरी 1904 से 1908 तक मिशन स्कूल में ड्रांइग मास्टर के रूप में की। इसी समय से इनके लेख पत्र-पत्रिकाओं में छपने लगे और धीरे-धीरे इनकी कीर्ति चारों ओर फैल गयी। उनकी योग्यता से प्रभावित होकर 1908 में काशी “नागरी प्रचारिणी सभा’ ने उन्हें “हिन्दी शब्दसागर” के सहायक संपादक का पदभार सौंपा जिसे उन्होंने सफलतापूर्वक पूर्ण किया। शुक्ल जी ने “नागरी प्रचारिणी पत्रिका” के भी संपादक रहे। इन्होने 19 वर्ष तक “काशी नगरी प्रचारिणी पत्रिका” का संपादन किया। श्यामसुन्दरदास के अनुसार- ‘शब्दसागर’ की उपयुक्तता और सभी प्रकार से पूर्ण होने का श्रेय पं. रामचंद्र शुक्ल को ही जाता है। 1919 में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में अध्यापन करने लगे, जहाँ बाबू श्याम सुंदर दास की मृत्यु के बाद व 1937 में हिन्दी विभागाध्यक्ष बने, तथा 1941 तक विभागाध्यक्ष का पद सुशोभित रहे। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का मृत्यु:शुक्लजी हिन्दी साहित्य के महान इतिहासकार और आलोचक थे। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष के पद पर रहते हुए ही 2 फरवरी, सन् 1941 में हृदय गति रूकने से शुक्ल जी मृत्यु हो गई। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की कौन कौन सी रचनाएँ है? आचार्य रामचंद्र शुक्ल हिन्दी आलोचक, निबन्धकार, साहित्यिक इतिहासकार, कोशकार, अनुवादक, कहानीकार और कवि थे। उनके द्वारा लिखी गई सबसे महत्वपूर्ण पुस्तक हिंदी साहित्य का इतिहास है, जिसके द्वारा आज भी काल निर्धारण एवं पाठ्यक्रम तैयार करने में मदद ली जाती है। हिंदी में आलोचना उन्हीं के द्वारा शुरू की गई थी। हिन्दी निबंध के क्षेत्र में भी शुक्ल जी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। शुक्ल जी ने इतिहास लेखन में लेखक के जीवन और पाठों को समान महत्व दिया है। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की रचनाएँ: शुक्लजी एक उच्चकोटि के निबन्धकार ही नहीं, अपितु युग-प्रवर्तक आलोचक भी रहे हैं। शुक्ल जी की कृतित्व तीन प्रकार की हैं:- (1) आचार्य रामचन्द्र शुक्ल कीमौलिक कृतियाँ: शुक्ल जी की मौलिककृतित्व भी तीन प्रकार की हैं:- आलोचनात्मक ग्रंथ: मौलिक रचना- कविताएँ
निबंधात्मक ग्रंथ:उनके निबंध चिंतामणि नामक पुस्तक के दो भागों में संग्रहीत हैं। चिंतामणि के निबंधों के अतिरिक्त शुक्ल जी ने कुछ अन्य निबंध भी लिखे हैं जिनमें मित्रता, अध्ययन आदि निबन्ध सामान्य विषयों पर लिखे गये निबन्ध हैं। मित्रता निबन्ध जीवनोपयोगी विषय पर लिखा गया उच्चकोटि का निबन्ध है जिसमें शुक्लजी की लेखन शैली गत विशेषतायें झलकती हैं। क्रोध निबंध में उन्होंने सामाजिक जीवन में क्रोध का क्या महत्व है, क्रोध की मानसिकता क्या है, जैसे संबंधित पहलुओं का विश्लेषण किया है। निबंध संग्रह:
आचार्य रामचंद्र शुक्ल के निबंध
ऐतिहासिक ग्रंथ: हिंदी साहित्य का इतिहास उनकी अनूठी ऐतिहासिक पुस्तक है।
(2) आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की अनूदित गद्य कृतियाँ:
Note: आनन्द कुमार शुक्ल द्वारा “आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का अनुवाद कर्म” नाम से रचित एक ग्रन्थ में उनके अनुवाद कार्यों का विस्तृत विवरण दिया गया है। (3) आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की सम्पादित कृतियाँ:
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की भाषा:
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की शैली:शुक्ला जी अपनी शैली के स्वयं निर्माता थे। आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने अपनी शैली के रूप में समीक्षात्मक शैली, गवेषणात्मक शैली, भावात्मक शैली एवं हास्य विनोद एवं व्यंग प्रधान शैली को अपनाया है। आचार्य रामचंद्र शुक्ल अपने शैलियों में हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू तथा संस्कृत भाषा का प्रयोग किया है। “काजल की कोठरी में कैसो हू सयानो जाय, आलोचनात्मक शैली: शुक्ल जी ने अपने आलोचनात्मक निबंध इसी शैली में लिखे हैं। इस शैली की भाषा गंभीर है। उनमें संस्कृत के तत्सम शब्दों की अधिकता है। वाक्य छोटे-छोटे,
संयत और मार्मिक हैं। भावों को इस तरह से व्यक्त किया गया है कि उन्हें समझने में कोई कठिनाई नहीं होती है। आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी का साहित्य में स्थान: आधुनिक निबन्ध साहित्य में शुक्ल जी युग प्रवर्तक साहित्यकार हैं। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के बारे में प्रश्न उत्तर प्रश्न: आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की जन्म तिथि क्या है? उत्तर: आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की जन्म तिथि 4 अक्टूबर, 1884 है। प्रश्नः आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की मृत्यु तिथि क्या है? उत्तर आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की मृत्यु तिथि 2 फरवरी, 1941 है। प्रश्न: आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का जन्म स्थान कहाँ है? उत्तर: आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का जन्म स्थान उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के अगोना गांव में है। प्रश्न: आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के पिता कौन थे? उत्तर आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के पिता पंडित चंद्रबली शुक्ल थे ? प्रश्न: आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की माता कौन थी ? उत्तर आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की माता निवासी शुक्ला थी ? प्रश्न: आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की कौन-सी कृतियाँ हैं? उत्तर: आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की प्रसिद्ध साहित्यिक कृतियाँ रसमीमांसा, चिंतामणि, विचारवीथी, त्रिवेणी, मित्रताहिंदी साहित्य का इतिहास (इतिहास), हिन्दी काव्य में रहस्यवाद (समालोचना) आदि बहुत सी थीं। प्रश्न: आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की भाषा शैली क्या है? उत्तर: आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की भाषा शैली क्लिष्ट और जटिल, सरल और व्यवहारिक है। प्रश्न: शुक्ला जी ने किस पत्रिका का संपादन किया ? उत्तर: शुक्ला जी ने नागरी प्रचारिणी पत्रिका का संपादन किया। प्रश्न: रामचंद्र शुक्ल जी की शिक्षा कहां तक हुई ? उत्तर: अध्ययन के प्रति लगनशीलता शुक्ल जी में बाल्यकाल से ही थी। किंतु इसके लिए उन्हें अनुकूल वातावरण ना मिल सका। मिर्जापुर के लंदन मिशन स्कूल से स्थान 1901 में स्कूल फाइनल परीक्षा उत्तरण की। आचार्य रामचंद्र शुक्ल जीवन परिचय परीक्षा प्रश्न आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी का साहित्यिक परिचय लिखिए? रामचन्द्र शुक्ल के पिता का नाम क्या?पं. चंद्रबली शुक्लआचार्य रामचन्द्र शुक्ल / पिताnull
रामचन्द्र शुक्ल का जन्म कब और कहां हुआ था?4 अक्तूबर 1884, बस्ती, भारतआचार्य रामचन्द्र शुक्ल / जन्म की तारीख और समयnull
रामचंद्र शुक्ल के इतिहास का क्या नाम है?हिन्दी साहित्य के अब तक लिखे गए इतिहासों में आचार्य रामचन्द्र शुक्ल द्वारा लिखे गए हिन्दी साहित्य का इतिहास को सबसे प्रामाणिक तथा व्यवस्थित इतिहास माना जाता है।
अचार रामचंद्र शुक्ल की मृत्यु कब हुई थी?प्रश्न -- आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी की मृत्यु कब हुई थी? उत्तर -- आचार्य रामचंद्र शुक्ल की मृत्यु वाराणसी में 2 फ़रवरी 1941 में हुई थी।
|