रोग क्या है इसके दो उदाहरण? - rog kya hai isake do udaaharan?

लक्षण (Symptoms) 

1. रोगी को लम्बे समय तक तेज बुखार रहता है। 

2. पूरे शरीर में दर्द रहता है। 

3. भूख नहीं लगती है तथा आँतों में परेशानियाँ होने लगती हैं। 

4. इसके साथ-साथ रोगी की नाड़ी धीमी हो जाती है तथा शरीर पर चमकीले छोटे-छोटे दाने निकल आते हैं। 

5. कभी – कभी रोगी की आँतों से रक्त स्रावित होने लगता है। सही समय पर उपचार न होने पर रोगग्रस्त व्यक्तियों में से 10% की मृत्यु हो जाती है। 

बचाव के उपाय (Measures of Prevention) 

1. खाद्य पदार्थों को हमेशा ढककर रखना चाहिए, जिससे मक्खियाँ जीवाणुओं को खाने तक न ला सकें। 

2. रोगी को हवादार तथा रोशनीयुक्त कमरे में रखना चाहिए। 

3. रोगी के मलमूत्र, थूक आदि को जलाकर नष्ट कर देना चाहिए। 

4. जल व अन्य पदार्थों को उबालकर प्रयोग में लेना चाहिए। 

5. बाजार के खुले खाद्य पदार्थों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। 

6. वातावरण को स्वच्छ रखना चाहिए तथा कीटनाशकों का नियमित छिड़काव करना चाहिए। 

7. TAB के टीके (TAB vaccine) लगवाने चाहिए।

रोग का उपचार (Treatment of Disease) 

1. इस रोग की जाँच विडाल टेस्ट (widal test) द्वारा की जाती है। 

2. इस रोग में क्लोरोमाइसिटीन, एपिसीलीन (ampicilline) व क्लोरेम्फेनिकोल (chloramphenicol) नामक दवाइयाँ लाभदायक होती हैं। 

3. अब रोगी के शरीर से पित्ताशय को निकालकर भी रोग का उपचार किया जाता है।

असंक्रामक रोग 

वे रोग जो एक व्यक्ति से दूसरे में संचारित नहीं होते हैं, असंक्रामक रोग कहलाते हैं। 

1. एलर्जी

कारक – हममें से कुछ लोग पर्यावरण में मौजूद कुछ कणों; जैसे-पराग, चिंचड़ी, कीट आदि के प्रति संवेदनशील होते हैं। इनके सम्पर्क में आने से ही हमारे शरीर में प्रतिक्रियास्वरूप खुजली आदि प्रारम्भ हो जाती है। यही एलर्जी है। 

लक्षण  

1. हमारे शरीर पर लाल दाने या चकते पड़ जाते हैं। 

2. शरीर में खुजली होती है। 

3. छींक आती है। 

4. नाक में से पानी बहता है।

रोकथाम के उपाय – हमें नये स्थान पर जाते समय वहाँ की भौगोलिक दशा के अनुरूप तैयारी करनी चाहिए अर्थात् यदि वहाँ धूल, पराग आदि अधिक होने की संभावना हो तो मुंह पर मास्क लगाकर निकलना चाहिए। शरीर को पूरा ढककर बाहर निकलना चाहिए तथा एलर्जी हो जाने पर प्रति हिस्टैमीन, एड्रीनेलिन और स्टीराइडों जैसी औषधियों का प्रयोग करना चाहिए। 

2. कैंसर 

कारक – सामान्य कोशिकाओं को कैंसरी कोशिकाओं में रूपान्तरण को प्रेरित करने वाले कारक भौतिक, रासायनिक अथवा जैविक हो सकते हैं। ये कारक कैंसरजन कहलाते हैं। एक्स किरणें, गामा किरणें, पराबैंगनी किरणें, तम्बाकू के धुएँ में मौजूद कैंसरजन आदि कैंसर उत्पन्न करने के प्रमुख कारण हैं।

लक्षण – कैंसर ग्रस्त रोगी के शरीर में गाँठे पड़ जाती हैं जो बढ़ती रहती हैं। रोकथाम के उपाय – कैंसरों के उपचार के लिए शल्यक्रिया, विकिरण चिकित्सा और प्रतिरक्षा चिकित्सा का प्रयोग किया जाता है। आजकल कीमोथैरेपी का प्रचलन बढ़ गया है क्योंकि इससे रोग के समाप्त होने की संभावना अधिक होती है।

संक्रामक रोग का तात्पर्य ऐसे रोगों से है जो एक इंसान या जीव से दूसरे इंसान या जीव में फैलते हैं. इस प्रकार के रोग किसी ना किसी रोगजनित कारकों (रोगाणुओं) जैसे प्रोटोज़ोआ, यीस्ट, बैक्टीरिया, वाइरस इत्यादि के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलकर उसे संक्रमित कर सकते हैं. मलेरिया, टायफायड, चेचक, इन्फ्लुएन्जा इत्यादि संक्रामक रोगों के उदाहरण हैं. मेडिकल साइंस जैसे-जैसे तरक्की कर रही है वैसे-वैसे ही इंसानी जीवन में नए- नए वायरस सामने आ रहे हैं.

संक्रामक बीमारियां निरंतर इंसानी जिंदगी के लिए खतरा बनी हुई हैं और विज्ञान के सामने इनसे पार पाने की चुनौतियां भी बढ़ रही हैं. आइए जानने का कोशिश करते हैं वर्तमान समय के सबसे खतरनाक संक्रामक रोगों के बार में और साथ ही यह भी जानेंगे की कौन से बीमारी ने सबसे ज्यादा इंसानी जीवन के लिए खतरनाक है. इस लेख के माध्यम से हम संक्रामक रोगों के प्रकारों के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे.

संक्रामक बीमारियाँ - Sankramak Rog Kise Kehte Hai

  • एचआईवी/एड्स-
    ह्यूमन इम्यूनोडेफिशियंसी हमारे बॉडी के इम्यून सिस्टम के विफलता के कारण होती है. इससे इंसान को हर छोटी-बड़ी बीमारी प्रभावित करने लगती है. अगर इस बीमारी का इलाज समय पर नहीं किया जाए तो एचआईवी इन्फेक्शन एड्स में तब्दील हो सकता है. इम्यून सिस्टम में कमजोरी के कारण बॉडी को कई इन्फेक्शन और बीमारियां होने का खतरा होता है. एचआईवी बॉडी में ब्लड, स्पर्म और यौनिक द्रव्य और ब्रैस्ट मिल्क के माध्यम से फैलता है.
  • डेंगू-
    डेंगू फैलने का मुख्य कारण वायरस होता है. यह वायरस मच्छरों में पाए जाते है. किसी भी व्यक्ति को डेंगू तभी हो सकता है, जब उसका संपर्क डेंगू वायरस से होता है. इसके लक्षणों में तेज बुखार और जोड़ों में दर्द का अनुभव किया जाता है. इसके साथ ही डेंगू के कारण होने वाले बुखार का अगर इलाज नहीं किया जाए, तो यह जानलेवा भी हो सकता है.
  • मलेरिया-
    मलेरिया एक घातक बीमारी है. यह बीमारी बैक्टीरिया के माध्यम से फैलता है. इस मच्छर का वायरस पारासाइट के लिए एनोफेलस मच्छर संचार का काम करता है. इसके लक्षणों में तेज बुखार और ठंड लगना शामिल हैं. इसके साथ ही इसमें रेड ब्लड सेल्स काउंट कम होती जाती है. यह ट्रॉपिकल इलाकों में अधिक देखी जाती है.
  • कोलरा-
    यह छोटी इंटेस्टाइन में होने वाली बीमारी है. यह रोग दूषित पानी के कारण होती है. जब आप दूषित पानी पीते है तो इसके कारण उल्टी, डायरिया और गंभीर स्थिति में मौत भी हो सकती है. एक अनुमान के अनुसार, दुनिया भर में इस बीमारी से हर साल 30 से 50 लाख लोग इसके चपेट में आ सकते हैं और लगभग एक लाख लोगों की की जान जाती है. इसके उपचार में ओरल रिहाइड्रेशन थेरेपी और एंटीबैक्टीरियल दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है.
  • इबोला वायरस डिजीज-
    इबोला फीवर यह संक्रमित और घातक बीमारी है. इसमें फीवर और इंटरनल ब्लीडिंग की समस्या हो सकती है. यह बीमारी बॉडी के संक्रमित तरल पदार्थों से संपर्क के कारण होता है. इस बीमारी के चपेट में आने से लगभग 90 फीसदी मामलों में मृत्यु का जोखिम होता है. आमतौर पर, यह बीमारी अफ्रीका के सहारा क्षेत्र में देखने को मिलती है. दुर्भाग्य से इस बीमारी का इलाज अभी तक नहीं ढूंढा जा सका है.
  • मर्स-
    मिडिल ईस्ट रेस्प‍िरेटरी सिंड्रोम एक वायरस से फैलने वाली बीमारी है. यह बीमारी स्तनधारियों में सांस संबंधी समस्या पैदा करती है. इस बीमारी का पता तब चला जब एक व्यक्ति की सॉर्स जैसी बीमारी के कारण मौत हो गई. मर्स में निमोनिया और किडनी फैल्योर जैसे प्राणघातक असर हो सकते हैं. इस बीमारी के 60
    फीसदी मरीज जान गवां देते हैं. मर्स अब तक सामने आए अन्य कोरोनवायरस से ज्यादा खतरनाक है.
  • सॉर्स-
    सवेयर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम यानी सॉर्स सांस से संबंधित बीमारी है. यह सॉर्स कोरोनावायरस से फैलती है. यह सामान्य निमोनिया से लेकर गंभीर रूप ले सकती है. इसकी उत्पत्ति चीन से वर्ष 2002 में शुरू हुआ और वहां से हॉन्गकॉन्ग में फैल गया. इसके बाद 2003 तक यह 37 देशों में फैल चुका था.
  • स्वाइन फ्लू-
    स्वाइन फ्लू एक प्रकार का इंफ्लूएंजा है जो सुअरों को प्रभावित करता है. वर्ष 2009 में पहली बार एच1एन1 वायरस का नाम सामने आया था. इस बीमारी को सुअरों से इंसानों में फैलना सामान्य तौर पर नहीं लिया गया. हालाँकि निरंतर सुअरों के संपर्क में रहने वाले लोगों में इस बीमारी से संक्रमित होने का जोखिम बहुत अधिक रहा. 2010 में वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन ने आधि‍कारिक तौर पर इस बीमारी के खत्म होने की घोषणा कर दी है.
  • बर्ड फ्लू-
    बर्ड फ्लू एक रोग है, जो पक्ष‍ियों को प्रभावित करता है, विशेष तौर पर पॉल्ट्री फॉर्म में रहने वाली मुर्गियों को ज्यादा प्रभावित करती है. यह एक घातक बीमारी है जो इंसानों को भी हो सकता है. एच5एन1 वायरस एशिया में 2003 में फैलना शुरू हुआ जिसके बाद से यह बीमारी 2006 में यूरोप, मध्य एशिया और अफ्रीका में फैली.
  • मेड काऊ डिजीज-
    बोविन स्पोनगिफॉर्म एन्सेफालॉपैथी को मेड काउ डिजीज भी कहा जाता है. यह मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में स्पॉन्जी अध:पतन के कारण होता है. यह एक बहुत ही जानलेवा बीमारी है. केवल यूके में इस बीमारी ने 1 लाख 80 हजार से ज्यादा जानवर संक्रमित हुए. इस बीमारी के कारण 44 लाख जानवर को मरना पड़ा है. यह बीमारी आसानी से मनुष्यों को भी प्रभावित कर सकती है. यदि कोई मनुष्य संक्रमित भोजन का सेवन कर ले, तो उसमें में इसके जीवाणु प्रवेश कर सकते हैं.
    1. छोटी माता
    2. चेचक
    3. हैजा
    4. डेंगू ज्वर
    5. सूजाक
    6. हेपेटाइटिस ए
    7. हेपेटाइटिस बी
    8. हेपेटाइटिस सी
    9. हेपेटाइटिस डी
    10. हेपेटाइटिस ई
    11. इनफ्लुएंजा
    12. कुष्ट रोग
    13. मलेरिया
    14. खसरा
    15. तानिकाशोथ
    16. प्लेग
    17. उपदंश
    18. टेटनस
    19. क्षय
    20. पीत ज्वर

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