सबसे प्राचीन तार वाला वाद्य यंत्र कौन सा है? - sabase praacheen taar vaala vaady yantr kaun sa hai?

Folk Instruments of Rajasthan - राजस्थान के लोक वाद्य यंत्र

तार वाद्य (तत् या वितत् वाद्य) :- 

भपंग, सारंगी, तंदूरा (चौतारा) , इकतारा, जंतर, चिकारा, रावण हत्था, कमायचा, सुरिन्दा।


फूँक (सुषिर) वाद्य :-
 

शहनाई, पूँगी, अलगोजा, बाँकिया, भूंगल या भेरी, मशक, तुरही, बाँसुरी।


खाल मढ़े वाद्य (अवनद्ध या आनद्ध वाद्य) :-

ढोलक, ढोल, नगाड़ा, बड़ा नगाड़ा (बम या टापक), ताशा, नौबत, धौंसा, मांदल, चंग (ढप), डैरूं, खंजरी, मृदंग।


अन्य वाद्य (घन वाद्य) :-

खड़ताल, नड़, मंजीरा, मोरचंग, झांझ, थाली (काँसे की) ।

1. इकतारा :-

सबसे प्राचीन तार वाला वाद्य यंत्र कौन सा है? - sabase praacheen taar vaala vaady yantr kaun sa hai?

एक प्राचीन वाद्य जिसमें तूंबे में एक बाँस फँसा दिया जाता है तथा तूंबे का ऊपरी हिस्सा काटकर उस पर चमड़ा मढ़ दिया जाता है। बाँस में छेद कर उसमें एक खूंटी लगाकर तार कस दिया जाता है। इस तार को उँगली से बजाया जाता है। इसे एक हाथ से ही बजाया जाता है। इसे कालबेलिया, नाथ साधु व सन्यासी आदि बजाते हैं।

2. रावण हत्था :-

सबसे प्राचीन तार वाला वाद्य यंत्र कौन सा है? - sabase praacheen taar vaala vaady yantr kaun sa hai?

यह भोपों का प्रमुख वाद्य, बनावट सरल लेकिन सुरीला। इसमें नारियल की कटोरी पर खाल मढ़ी होती है जो बाँस के साथ लगी होती है। बाँस में जगह जगह खूंटियां लगी होती है जिनमें तार बँधे होते हैं। इसमें लगे दो मुख्य तारों को रोड़ा एवं चढ़ाव कहते हैंदो मुख्य तारों में से एक घोड़े की पूँछ का बाल व एक लोहे या स्टील का तार होता है। साथ ही 3 से 15 तक अन्य सहायक तार भी ब्रिज के ऊपर लगे होते हैं जिन्हें मोरनी या मोरना कहा जाता है। यह वायलिन की तरह गज या कमान से बजाया जाता है। इसके गज में घोड़े के बाल लगे होते हैं। इसमें एक सिरे पर घुंघरू बँधे होते हैं। बजाते समय हाथ के ठुमके से घुंघरू भी बजते हैं। इसे पाबूजी के भोपे बजाते हैं।

रावण हत्था पर गायकी को यहाँ सुन सकते हैं....



3. गूजरी :-

यह रावण हत्था से छोटे आकार का वाद्य यंत्र जिसे बजाने के लिए पांच तार वाली छोटी अर्द्ध चंद्रकार गज का प्रयोग किया जाता है।

4. सारंगी :-

सबसे प्राचीन तार वाला वाद्य यंत्र कौन सा है? - sabase praacheen taar vaala vaady yantr kaun sa hai?

मारवाड़ के जोगी द्वारा गोपीचंद भृर्तहरि, निहालदे आदि के ख्याल गाते समय इसका प्रयोग किया जाता है। मिरासी, जोगी, लंगा, मांगणियार आदि कलाकार सारंगी के साथ गाते हैं। यह सागवान, तून, कैर या रोहिड़ा की लकड़ी से बनाई जाती है। इसमें 27 तार होते हैं व ऊपर की तांते बकरे की आँत के बने होते हैं व गज में घोड़े की पूँछ के बाल बँधे होते हैं। इसे बिरोजा पर घिस कर बजाने पर ही तारों से ध्वनि उत्पन्न होती है।

5. कमायचा :-

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यह भी सारंगी की तरह का एक वाद्य यंत्र है। यह लंगा, मांगणियार कलाकारों की पहचान हैं। यह रोहिड़े या आक की लकड़ी से बनाया जाता है। इसकी तबली चौड़ी व गोल होती है। इस तबली पर बकरे की खाल लगाई जाती है। इसमें तीन मुख्य तार लगे होते हैं जो पशुओं की आंत के होते हैं। साथ ही चार सहायक तार स्टील के तार ब्रिज के ऊपर लगे होते हैं। इसकी लकड़ी की गज या कमान भी घोड़े के बाल की बनती है। इसकी ध्वनि में भारीपन व गूँज होती है। इसका प्रयोग मुस्लिम शेख मांगणियार अधिक करते हैं।

 कमायचे को बजते हुए को यहाँ सुने....


6. चिकारा :-

यह भी सारंगी की तरह का एक तत् वाद्य है जो कैर की लकड़ी से बनाया जाता है।

7. भपंग :-

सबसे प्राचीन तार वाला वाद्य यंत्र कौन सा है? - sabase praacheen taar vaala vaady yantr kaun sa hai?

यह तत् वाद्य अलवर या मेवात क्षेत्र में बहुत प्रचलित है। यह डमरूनुमा आकार का कटे हुए तूंबे से बना होता है जिसके एक सिरे पर चमड़ा मढ़ा होता है। चमड़े मेँ छेद निकाल कर उसमें जानवर की आँत का तार या प्लास्टिक की डोरी डालकर उसके सिरे पर लकड़ी का टुकड़ा बाँध दिया जाता है। वादक इस वाद्य के कांख में दबा कर डोर या तांत को खींच कर दूसरे साथ से उस पर लकड़ी के टुकड़े से आघात करता है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त कलाकार जहुर खाँ इसके वादक हैं।

8. तंदूरा :-

इस तत् वाद्य में चार तार होते हैं इस कारण इसे कहीं कहीं चौतारा भी कहते हैं। यह पूरा लकड़ी का बना होता है। रामदेवजी के भोपे कामड़ जाति के लोग तानपूरे से मिलते जुलते इस वाद्य यंत्र को ही अधिक बजाते हैं।

9. जंतर :-

सबसे प्राचीन तार वाला वाद्य यंत्र कौन सा है? - sabase praacheen taar vaala vaady yantr kaun sa hai?

जंतर को वीणा का प्रांरभिक रूप माना जाता है। यह मेवाड़ में अधिक प्रचलित है। यह 'गुर्जर भोपों' ( देवनारायण के भोपो) का प्रचलित वाद्य है जिसे वे बगडावतो की कथा व देवनारायण की फड़ बाँचते समय बजाते हैं। यह तत् वाद्य वीणा की तरह ही होता है। वादक इसे गले में लटका कर खड़े खड़े ही बजाता है। इसमें भी वीणा की तरह दो तूंबे होते हैं जिनके बीच बाँस की एक लंबी नली या डांड लगी होती है जिसमे मगर की खाल के 22 पर्दे मोम से चिपकाते हैं। इसमें कुल चार, पाँच या छः तार होते हैं जिन्हें हाथ की उँगली या अँगूठे से बजाते हैं।

10. रवाज :-

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सबसे प्राचीन वाद्ययंत्र कौन सा है?

वीणा सुर ध्वनिओं के लिये भारतीय संगीत में प्रयुक्त सबसे प्राचीन वाद्ययंत्र है। समय के साथ इसके कई प्रकार विकसित हुए हैं (रुद्रवीणा, विचित्रवीणा इत्यादि)। किन्तु इसका प्राचीनतम रूप एक-तन्त्री वीणा है।

कौन सा वाद्य यंत्र एक तार वाला वाद्य यंत्र है?

एकतारा अथवा इकतारा भारतीय संगीत का लोकप्रिय तंतवाद्य यंत्र है जिसका प्रयोग भजन या सुगम संगीत में किया जाता है। इसमें aake तार लगे होते हैं। भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान और मिस्र के पारंपरिक संगीत में इसका प्रयोग होता है।

राजस्थान का सबसे प्राचीन वाद्य यंत्र कौन सा है?

🔺 मारवाड़ के जोगियों द्वारा गोपीचंद , भर्तहरि , निहालदे आदि के ख्याल गाते समय सारंगी का प्रयोग करते हैं । 🔺 यह राजस्थान का सबसे प्राचीन वाद्य यंत्र है ।

रावण हत्था में कितने तार होते हैं?

रावण हत्था :- इसमें लगे दो मुख्य तारों को रोड़ा एवं चढ़ाव कहते हैं। दो मुख्य तारों में से एक घोड़े की पूँछ का बाल व एक लोहे या स्टील का तार होता है। यह वायलिन की तरह गज या कमान से बजाया जाता है।