पेट में बच्चा कैसे खराब होता है - pet mein bachcha kaise kharaab hota hai

गर्भावस्था की पहली तिमाही में मिसकैरेज का खतरा ज्यादा रहता है और गर्भपात होने का दुख भी असहनीय होता है लेकिन कुछ मामलों में पहले तीन महीने से लेकर गर्भावस्था के आखिरी तीन महीने तक अच्छे गुजर जाते हैं लेकिन डिलीवरी के समय बच्चा मरा हुआ पैदा होता है। इस स्थिति को स्टिलबर्थ कहा जाता है।

गर्भावस्‍था के 20वें हफ्ते के बीच शिशु का मर जाना स्टिल बर्थ होता है। 20वें हफ्ते से पहले गर्भ गिरने को आमतौर पर मिसकैरेज कहते हैं। गर्भावस्‍था की अवधि के आधार पर स्टिल बर्थ को तीन तरह से विभाजित किया गया है :
20 से 27वें हफ्ते में : शीघ्र या जल्‍दी स्टिलबर्थ, 28 से 36वें हफ्ते में : लेट स्टिलबर्थ और 37वें हफ्ते के बाद : टर्म स्टिलबर्थ

​पेट में बच्चा मरने के कारण

पेट में बच्चा कैसे खराब होता है - pet mein bachcha kaise kharaab hota hai

पेट में बच्चा मर जाए तो इसके तीन प्रमुख कारण होते हैं, जैसे कि :

प्‍लेसेंटा और/या गर्भनाल से संबंधित समस्‍या के कारण स्टिलबर्थ हो सकता है। इन दोनों से शिशु को खून, ऑक्‍सीजन और पोषक तत्‍व मिलते हैं। इसलिए अगर इसमें कोई गड़बड़ आए तो शिशु का विकास प्रभावित होता है।

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यदि प्रेगनेंट महिला को कोई बीमारी हो या किसी बीमारी का इलाज चल रहा हो तो भी कभी-कभी पेट में बच्‍चा मर जाता है। हाई ब्‍लड प्रेशर, प्रीक्‍लैंप्‍सिया (हाई बीपी और सूजन, अक्‍सर प्रेग्‍नेंसी के आखिरी महीनों में), डायबिटीज, लुपस, थायराइड, कुछ वायरल या बैक्‍टीरियल इंफेक्‍शन, अधिक उम्र में मां बनने पर इन स्थितियों के साथ-साथ स्टिल बर्थ का खतरा बढ़ जाता है।

​पेट में बच्चा कैसे मर जाता है

पेट में बच्चा कैसे खराब होता है - pet mein bachcha kaise kharaab hota hai

पहले बताए गए कारणों के अलावा प्रेगनेंट महिलाओं के धूम्रपान करने, शराब पीने और गर्भावस्‍था के दौरान रिक्रिएशनल दवाएं लेने से स्टिल बर्थ का खतरा बढ़ जाता है।

स्टिलबर्थ के एक चौथाई मामलों में शिशु में एक या इससे ज्‍यादा जन्‍म विकार होने पर मृत्‍यु का खतरा बना रहता है। गर्भस्‍थ शिशु की जांच और ऑटोप्‍सी के बाद ही इसका पता चलता है।

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​किसे होता है स्टिलबर्थ का खतरा

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अगर इससे पहले वाली प्रेग्‍नेंसी में भी स्टिलबर्थ हुआ हो, शराब या दवा के सेवन, धूम्रपान, मोटापे और 15 से कम या 35 से अधिक उम्र की महिलाओं में स्टिलबर्थ का खतरा अधिक रहता है।

​स्टिलबर्थ के संकेत

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स्टिलबर्थ की शुरुआत में हो सकता है कि आपको कोई संकेत या लक्षण न दिखें। इसके कुछ संकेतों और लक्षणों में ऐंठन, दर्द या योनि से ब्‍लीडिंग होना शामिल है। इसके अन्‍य लक्षण में शिशु का मूवमेंट करना बंद कर देना है।

26वें से 28वें हफ्ते में पहुंचने तक बच्‍चा रोज किक मारना शुरू कर सकता है। बाईं करवट लेटकर बच्‍चे की किक काउंट करें। नोट करें कि बच्‍चा कितने मिनट में 10 बार मूव करता है।

आपको ऐसा रोज करना है। यदि दो घंटे बीत जाने पर भी शिशु 10 बार मूव नहीं करता है या अचानक से शिशु की मूवमेंट में कमी आ जाती है तो तुरंत डॉक्‍टर से बात करें।

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​पेट में बच्‍चा मर जाए तो क्‍या करें

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यदि पेट में बच्‍चा मर जाता है तो इसके कुछ हफ्ते बाद ही आपको नैचुरल लेबर पेन शुरू होगा जिसके बाद मृत शिशु बाहर आ जाएगा। इसके अलावा अगर कोई स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या हो तो तुरंत प्रसव के विकल्‍पों पर गौर किया जाता है। सिजेरियन डिलीवरी के बारे में भी सोच सकती हैं।

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मिसकैरेज, ये आपके लिए सिर्फ एक शब्‍द होगा लेकिन एक औरत के लिए इसमें हजारों पीड़ाओं का दर्द छिपा है। अपने बच्‍चे के आने के सपने संजो रही औरत के लिए उसके बच्‍चे का पैदा होने से पहले ही मर जाना कितना दुखद होता है, इसे शब्‍दों में बयां नहीं किया जा सकता है।

ब्रिटेन के शाही घराने की बहू और प्रिंस हैरी की पत्‍नी मेगन मार्कल भी मिसकैरेज का दर्द झेल चुकी हैं। उनका कहना है कि शायद इस दर्द से ज्‍यादा तकलीफदेह और कुछ नहीं होता है। आइए जानते हैं मेगन मार्कल का मिसकैरेज कैसा हुआ और इसके बाद महिलाएं कैसा फील करती हैं।

​मिसकैरेज का दर्द बताया

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अपने मिसकैरेज को लेकर मेगन ने कहा कि अपना बच्‍चा खोने का मतलब है इस दुनिया का सबसे बड़ा और असहनीय दुख। इस दर्द से कई महिलाएं गुजरती हैं, लेकिन इसके ऊपर बहुत कम ही औरतें बात कर पाती हैं।

मगन ने बताया कि वो जिस कमरे में थीं वहां लगभग 100 महिलाएं होंगीं और उनमें से 10 से 20 औरतों का मिसकैरेज हो गया था।

ये तो था शाही घराने की बहू मेगन मार्कल का एक्‍सीपीरियंस, अब जान लेते हैं कि मिसकैरेज होने पर महिलाएं किस तरह इस दर्द से बाहर निकल सकती हैं।

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​अपनी भावनाओं को व्‍यक्‍त करें

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मिसकैरेज में आप अपनी सबसे प्‍यारी चीज खो देती हैं जिसके बाद इमोशनली बहुत कुछ सहना पड़ता है। इसमें आपको गुस्‍सा भी आ सकता है। आपके मन में जो भी भावना या बात आ रही है, उसे अपने पार्टनर से शेयर करें।

इस तरह महसूस करना नॉर्मल बात है और दुख से बाहर निकलने के लिए आपको अपने करीबियों से अपनी तकलीफ को शेयर करना होगा। कहते हैं कि दुख बांटने से तकलीफ कम हो जाती है।

​अपनों की मदद लें

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मिसकैरेज होने के बाद कुछ दिन तक अपनी नॉर्मल लाइफ से दूर हो सकती हैं। ऐसे में घर के कामों या परिवार की देखभाल के लिए आप अपने पार्टनर या दोस्‍त या किसी सदस्‍य की मदद ले सकती हैं। अपनों की मदद लेने में कोई बुराई या शर्म नहीं है।

​मेडिटेशन और योग

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मिसकैरेज के बाद आप स्‍ट्रेस में आ सकती हैं और आपके मन में नेगेटिव भावनाएं घर कर सकती हैं। इसे दूर करने के लिए आप मेडिटेशन और योग की मदद ले सकती हैं।

योग करने के बाद शरीर और दिमाग में पॉजिटिविटी आती है और अच्‍छा महसूस करवाने वाले हार्मोंस भी रिलीज होते हैं। आप चाहें तो किसी थेरेपिस्‍ट की मदद भी ले सकती हैं।

मेडिटेशन मानसिक रूप से शांत करता है और धीरे-धीरे आपकी तकलीफ को भी कम करने में मदद करता है। मिसकैरेज के दर्द से निकलने के लिए योग और मेडिटेशन नैचुरल थेरेपी का काम कर सकते हैं।

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पेट में बच्चा खराब होने का क्या कारण है?

प्‍लेसेंटा और/या गर्भनाल से संबंधित समस्‍या के कारण स्टिलबर्थ हो सकता है। इन दोनों से शिशु को खून, ऑक्‍सीजन और पोषक तत्‍व मिलते हैं। इसलिए अगर इसमें कोई गड़बड़ आए तो शिशु का विकास प्रभावित होता है। यदि प्रेगनेंट महिला को कोई बीमारी हो या किसी बीमारी का इलाज चल रहा हो तो भी कभी-कभी पेट में बच्‍चा मर जाता है।

बार बार बच्चा क्यों गिर जाता है?

​मिसकैरेज के कारण पेट में विकसित हो रहे भ्रूण में क्रोमोसोमल असामान्‍यता के कारण सबसे ज्‍यादा गर्भपात होते हैं। अनियंत्रित डायबिटीज या गर्भाशय ग्रीवा या गर्भाशय में कोई दिक्‍कत होने पर भी मिसकैरेज हो सकता है। आमतौर पर महिलाओं का एक बार ही गर्भपात होता है और इसके बाद वो आसानी से कंसीव कर लेती हैं।

गर्भ में बच्चे के अंदर कितने महीने में जान आती है?

प्रेगनेंसी के पांचवे हफ्ते के आसपास शिशु का दिल धड़कन शुरू कर देता है। प्रेगनेंसी की पहली तिमाही के अंत में इलेक्ट्रॉनिक फीटल मॉनिटरिंग से आसानी से बच्‍चे की धड़कन महसूस कर सकती हैं।

2 महीने का गर्भ में बच्चा कितना बड़ा होता है?

दो महीने के आखिर में आपके बच्‍चे का साइज एक जामुन के बराबर हो जाता है। उसका वजन लगभग 1.13 ग्राम के आसपास होगा। देखने में वह थोड़ा अजीब सा होगा, मतलब अगर आप उसे अभी देख पाएं तो यह नहीं कह पाएंगे कि वह बड़ा होकर इंसानों जैसे नाक-नक्‍श वाला होगा।