प्रदोष व्रत में क्या खाना चाहिए क्या नहीं खाना चाहिए? - pradosh vrat mein kya khaana chaahie kya nahin khaana chaahie?

bhaum pradosh vrat upaye 2022 : भगवान शिव शंकर प्रिय व्रतों में से एक प्रदोष व्रत (pradosh vrat) इस बार 15 मार्च यानी मंगलवार के दिन पड़ रहा है. बता दें कि मंगलवार होने के कारण इसे भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat 2022) के नाम से जाना जाएगा. वैसे हर माह के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है. भक्तों फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष का व्रत 15 मार्च को है इस बार. मान्यता है कि अगर भक्त इस दिन सच्चे मन से भगवान शिव और मां पार्वती मां की उपासना करते हैं, तो उनके हर कष्ट दूर हो जाते हैं. इसलिए जरूरी है कि भक्त इस दिन व्रत रखते हुए सारे विधि विधान का पालन करें. 

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वैसे धार्मिक मान्यता है कि भौम प्रदोष व्रत रखने से पद-प्रतिष्ठा और मान-सम्मान में वृद्धि होती है, अगर भक्त सच्चे मन से पूजा करते हैं. चूंकि प्रदोष व्रत (pradosh vrat) इस बार मंगलवार के दिन है ऐसे में भगवान शिव के साथ हनुमान भगवान का भी आशीर्वाद भक्तों को प्राप्त होगा.  माना जाता है कि भगवान शिव के साथ बजरंग बली की अराधना करने से व्यक्ति के कुंडली में मंगल मजबूत होता है. यही नहीं, इस दिन मंगल दोष दूर करने के लिए कुछ उपाय भी किए जाते हैं. वहीं, भौम प्रदोष व्रत संतान प्राप्ति स्तुति के लिए भी किया जाता है.  

भक्तों आपको बता दें कि प्रदोष व्रत (pradosh vrat) का फल तभी मिलता है, जब उसके नियमों को सही से अनुसरण किया जाए. चलिए आपको बताते हैं इस दिन व्रतधारी को क्या खाना चाहिए और क्या नहीं. 

प्रदोष व्रत में क्या खाना चाहिए क्या नहीं खाना चाहिए? - pradosh vrat mein kya khaana chaahie kya nahin khaana chaahie?

भक्त भौम प्रदोष व्रत में ये खाएं  | bhaum pradosh vrat what to eat

ज्योतिषियों के मुताबिक अगर निर्जला प्रदोष व्रत रखा जाए तो ये सबसे उत्तम फलदायक होता है. लेकिन सामर्थ्य अनुसार ही भक्त प्रदोष व्रत फलाहार भी रख सकते हैं. व्रत रखने वाले भक्त सुबह उठकर स्नान वगैरह से निर्वित होने के पश्चात व्रत का संकल्प लें. इसके बाद भगवान शिव की उपासना और पूजा करें. वैसे मान्यता के अनुसार भक्त व्रत के दौरान दूध ग्रहण किया जा सकता है. इसके पश्चात पूरे दिन व्रत का पालन करते हुए शाम के वक्त प्रदोष काल में पुनः शिवशंकर और माता पार्वती की विधि-विधान पूर्वक पूजा उपासना करें. वैसे कहते हैं प्रदोष काल में पूजन से पहले एक बार पुनः स्नान कर लेना चाहिए. फिर पूजन के बाद ही भोजन ग्रहण करें.

अगर भक्तों शरीर से कमजरो या रोगी लोग व्रत के दौरान एक बार फलाहार कर सकते हैं. माना जाता है कि बार-बार फलाहार करके मुंह झूठा नहीं करना चाहिए. ऐसा करने से व्रत भंग हो सकता है. मान्यता है कि प्रदोष काल में उपवास में भक्त सिर्फ हरे मूंग का ही सेवन करें, क्योंकि हरा मूंग पृथ्‍वी तत्व है और यह मंदाग्नि को शांत रखता है.

प्रदोष व्रत में क्या खाना चाहिए क्या नहीं खाना चाहिए? - pradosh vrat mein kya khaana chaahie kya nahin khaana chaahie?

भक्त भौम प्रदोष व्रत में ये ना खाएं  | bhaum pradosh vrat what do not eat

भक्तों मान्यता है कि प्रदोष व्रत में लाल मिर्च, अन्न, चावल और सादा नमक नहीं खाने चाहिए. माना जाता है कि ऐसा करने से व्रत का फल नहीं मिलता है.

प्रदोष व्रत में क्या खाना चाहिए क्या नहीं खाना चाहिए? - pradosh vrat mein kya khaana chaahie kya nahin khaana chaahie?

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

faithpradosh vratPradosh Vrat 2022 List In Hindi

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Sawan Pradosh Vrat 2021 : हिंदी पंचांग के अनुसार सावन मास समाप्त होने वाला है। आज सावन मास का आखिरी प्रदोष व्रत है। प्रदोष व्रत प्रत्येक महीने के दोनों पक्षो की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। हालांकि साल में 24 से प्रदोष पड़ते हैं। प्रदोष भगवान शिव को बहुत प्रिय होता है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सावन प्रदोष उत्तम माना जाता है। इस व्रत को श्रद्धा-भाव से रखने और पूजा करने से व्यक्ति के सभी दोषों दूर हो जाते हैं। हालांकि प्रदोष व्रत के नियमों का पालन करना बहुत जरूरी है। इस दिन विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए कि क्या खाना है और क्या नहीं खाने की सख्त मनाही है। आइये इस बात को विस्तार से जानते हैं।

प्रदोष व्रत में क्या खाना चाहिए

हिंदू धर्म के अनुसार प्रदोष भगवान शिव को बहुत प्रिय होता है। इसीलिए शिव को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष के नियमानुसार खाने का चयन करें। प्रदोष व्रत तो वैसे निर्जला रखना चाहिए हालांकि संभव न हो तो कोई बाध्यता नहीं है। इस व्रत में फलाहार सेवन को विशेष महत्व दिया गया है। हालांकि संकल्प लेने के बाद दूध का सेवन करके पूरे दिन व्रत धारण करना चाहिए। प्रदोष व्रत के सभी नियमों का पालन विधिपूर्वक करना चाहिए। 

प्रदोष व्रत में क्या-क्या नहीं खाना चाहिए

प्रदोष भगवान शिव को अत्यधिक प्रिय है। इसीलिए इस दिन कुछ भी ऐसा नहीं करना चाहिए कि उनके क्रोध का सामना करना पड़े। प्रदोष काल वह कार्य न करें जिसकी मनाही है इसी तरह इस दिन खाने को लेकर विशेष ध्यान रखना चाहिए। प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा के बाद ही भोजन ग्रहण करना चाहिए। प्रदोष काल में लाल मिर्च, अन्न, चावल और सादा नमक आदि खाने की सख्त मनाही है। वैसे तो इस दिन कुछ भी खाने से बचना चाहिए लेकिन शारीरिक रूप से कमजोर व्यक्ति फलाहार कर सकता है। 

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'

प्रदोष में शाम को क्या खाना चाहिए?

प्रदोष व्रत में क्या खाएं और क्या नहीं प्रदोष काल में उपवास में सिर्फ हरे मूंग का सेवन करना चाहिए, क्योंकि हरा मूंग पृथ्‍वी तत्व है और मंदाग्नि को शांत रखता है। प्रदोष व्रत में लाल मिर्च, अन्न, चावल और सादा नमक नहीं खाना चाहिए। हालांकि आप पूर्ण उपवास या फलाहार भी कर सकते हैं।

प्रदोष व्रत में भोजन कब करना चाहिए?

कहते हैं प्रदोष काल में पूजन से पहले एक बार पुनः स्नान कर लेना चाहिए. पूजन के बाद ही भोजन ग्रहण करें. शरीर से कमजरो या रोगी लोग व्रत के दौरान एक बार फलाहार कर सकते हैं. बार-बार फलाहार करके मुंह झूठा नहीं करना चाहिए.

प्रदोष व्रत में सेंधा नमक खा सकते हैं क्या?

प्रदोष काल में शिव जी पूजा करने बाद फलाहार कर सकते हैं। | इसमे आप नमक न खाएं। सिर्फ फल खा सकते हैं। वैसे तो सेंधा नमक खाया जा सकता है पर अगर मेरी मानें तो आप इस दिन यह ना ही खाएं तो ज्यादा बेहतर होगा ।।

प्रदोष व्रत के नियम क्या है?

प्रदोष व्रत के नियम और विधि - स्नान आदि करने के बाद आप साफ़ वस्त्र पहन लें. - उसके बाद आप बेलपत्र, अक्षत, दीप, धूप, गंगाजल आदि से भगवान शिव की पूजा करें. - इस व्रत में भोजन ग्रहण नहीं किया जाता है. - पूरे दिन का उपवास रखने के बाद सूर्यास्त से कुछ देर पहले दोबारा स्नान कर लें और सफ़ेद रंग का वस्त्र धारण करें.