प्रदोष व्रत का उद्यापन कौन से महीने में करना चाहिए? - pradosh vrat ka udyaapan kaun se maheene mein karana chaahie?

प्रदोष व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए बहुत ही आसान व्रत है, तो आइये जानते है प्रदोष व्रत कब शुरू करें और कितने व्रत रखें, पूजा विधि, उद्यापन विधि, नियम, प्रदोष व्रत में क्या खाये क्या न खाये, प्रदोष व्रत के दिन क्या करें क्या ना करें (pradosh vrat in hindi, pradosh vrat kab se shuru kare, pradosh vrat vidhi, pradosh vrat benefits)

दोस्तों प्रदोष तिथि भगवान शिव शंकर को बेहद ही प्रिय है| हिंदू कैलेंडर के अनुसार तेहरवे दिन यानी त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है| त्रयोदशी तिथि हर महीने में दो बार आती है, पहली शुक्ल पक्ष में और दूसरी कृष्ण पक्ष में| त्रयोदशी यानी प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव शंकर की पूजा की जाती है| इस दिन शिव जी के साथ-साथ माता पार्वती की भी पूजा की जाती है | इसके अलावा आप भोलेनाथ के अर्धनारीश्वर रूप की पूजा भी कर सकते हैं| मान्यता है कि जो व्यक्ति भक्ति भाव से प्रदोष व्रत की पूजा करता है उसे मान सम्मान की प्राप्ति होती है साथ ही धन वैभव भी मिलता है | तो चलिए सबसे पहले जानते हैं कि किस वार के प्रदोष से क्या फल मिलता है ताकि आप अपनी मनोकामना के अनुसार प्रदोष व्रत कर सकें |

प्रदोष व्रत का उद्यापन कौन से महीने में करना चाहिए? - pradosh vrat ka udyaapan kaun se maheene mein karana chaahie?

Table of Contents

  • प्रदोष व्रत कितने होते है (Pradosh Vrat Type)
  • प्रदोष व्रत कब शुरू करें (When To Start Pradosh Vrat)
  • प्रदोष व्रत कितने रखने चाहिए (Pradosh Vrat Kitne Rakhne Chahiye)
  • प्रदोष काल क्या होता है (What is Pradosh Kaal)
  • प्रदोष व्रत पूजा विधि (Pradosh Vrat Vidhi)
  • प्रदोष व्रत के दिन क्या नहीं करना चाहिए (Pradosh Vrat Ke Din Kya Nahi Karna Chahiye)
  • प्रदोष व्रत में क्या खाना चाहिए क्या नहीं (Pradosh Vrat Me Kya Khana Chahiye Kya Nahi)
  • प्रदोष व्रत उद्यापन विधि (pradosh vrat udyapan vidhi)
  • FAQ

प्रदोष व्रत कितने होते है (Pradosh Vrat Type)

दोस्तों जो प्रदोष रविवार के दिन पड़ता है उसे भानु प्रदोष या रवि प्रदोष कहते है। इस दिन व्रत रखने से सुख शांति और लंबी आयु की प्राप्ति होती है साथ ही आरोग्य की भी प्राप्ति होती है।

सोमवार के दिन जब प्रदोष व्रत पड़ता है तो इसे सोम प्रदोष कहते हैं। इस दिन व्रत रखने से इच्छा के अनुसार फल की प्राप्ति होती है, हर मनोकामना पूरी होती है।

मंगलवार को पढ़ने वाले  प्रदोष को भौम प्रदोष कहते है। इस दिन व्रत रखने से रोगों से मुक्ति मिलती है और कर्ज से छुटकारा मिल जाता है। 

बुधवार को पड़ने वाले को प्रदोष को सौम्यवारा प्रदोष कहते हैं। और इस दिन व्रत रखने से शिक्षा एवं ज्ञान की प्राप्ति होती है, साथ ही सभी प्रकार की कामना सिद्ध होती हैं।

गुरुवार को पड़ने वाले प्रदोष को गुरुवारा प्रदोष कहते हैं। इस दिन व्रत करने से पितरो का आशीर्वाद मिलता है, और शत्रुओं का नाश भी होता है।

शुक्रवार को पड़ने वाले प्रदोष को शुक्र प्रदोष व्रत कहते हैं। इस दिन व्रत करने से धन, वैभव और सौभाग्य की प्राप्ति होती है और दांपत्य सुख भी बढ़ता है।

शनिवार को पड़ने वाले प्रदोष को शनि प्रदोष कहते हैं। इस दिन व्रत करने से पुत्र की प्राप्ति होती है, और नौकरी में पदोन्नति होती है साथ ही शनि का प्रकोप भी कम होता है। 

प्रदोष व्रत कब शुरू करें (When To Start Pradosh Vrat)

दोस्तों सबसे पहले आप ये देखें कि आपकी क्या मनोकामना है तो उसी दिन के प्रदोष से आप अपने व्रत की शुरुआत करें। हो सके तो शुक्ल पक्ष से ही प्रदोष व्रत शुरू करें और ध्यान रखें कि व्रत शुरू करने के बाद आप लगातार पड़ने वाले हर प्रदोष का व्रत रखना है करना है ये नहीं कि जब वार के हिसाब से प्रदोष व्रत पड़े तभी व्रत करना है आपको सिर्फ व्रत की शुरुआत अपनी मनोकामना वाले व्रत से करनी है।

दोस्तों एक बात बताना चाहूंगी कि रविवार प्रदोष, सोम प्रदोष व शनि प्रदोष के व्रत को पूर्ण करने से अतिशीघ्र कार्य सिद्धि होकर मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और अगर आप सावन के महीने से प्रदोष व्रत की शुरुआत करते हैं तो यह सबसे अच्छा रहेगा अन्यथा आप किसी भी महीने में पड़ने वाले प्रदोष से भी व्रत की शुरू कर सकते हैं।

प्रदोष व्रत कितने रखने चाहिए (Pradosh Vrat Kitne Rakhne Chahiye)

प्रदोष व्रत आप लगातार 11 या 1 वर्ष तक के करके व्रत का उद्यापन कर सकते हैं। अगर कोई व्यक्ति लगातार 11 या 1 वर्ष तक त्रयोदशी का व्रत करता है तो भोलेनाथ उसकी सभी मनोकामनाएं अवश्य ही पूरी करते है।

प्रदोष काल क्या होता है (What is Pradosh Kaal)

आपको बता दें कि प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में ही की जाती है प्रदोष काल का समय होता है जब दिन और रात का मिलन होता है यानी संध्या का समय ऐसा माना जाता है कि इस समय शिवजी बहुत ही प्रसन्न मुद्रा में होते हैं। दोस्तों सूर्यास्त से 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक का समय प्रदोष काल होता है। सूर्यास्त से लेकर रात्रि आरंभ तक के मध्य की अवधि प्रदोष काल कहलाती है इसलिए आप प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में ही करें।

प्रदोष व्रत पूजा विधि (Pradosh Vrat Vidhi)

दोस्तों प्रदोष व्रत की पूजा सुबह और प्रदोष काल में ही करनी चाहिए। आप प्रदोष व्रत की पूजा अपने घर पर या शिव मंदिर में भी कर सकते है। आप अपनी सुविधा के अनुसार घर या मंदिर में पूजा कर सकते हैं। प्रदोष व्रत वाले दिन प्रातः काल जल्दी उठकर स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें हो सके तो इस दिन सफेद रंग के वस्त्र पहने

फिर इसके बाद पूजा स्थल पर जाकर अपने दाहिने हाथ में शुद्ध जल, अक्षत और पुष्प लेकर का व्रत का संकल्प लें और भोलेनाथ से प्रार्थना करें कि हे भगवान मैं आपके 11 या 1 साल तक प्रदोष व्रत का संकल्प करता हूं या करती हूं आप मेरी यह मनोकामना शीघ्र पूरी करें आपकी जो भी मनोकामना हो उसे भोलेनाथ से अवश्य कहे और जो जल, अक्षत, पुष्प हैं उसे भोलेनाथ को चढ़ा दें।

इसके बाद आप शिवजी की पूजा करें भोग लगाएं धूप दीप जलाकर आरती करें फिर इसके बाद आप दोबारा प्रदोष काल के समय स्नान करके विधिवत भोलेनाथ की पूजा करें | आप सबसे पहले पूजा स्थल को गंगाजल छिड़क कर शुद्ध करें और उत्तर या पूर्व की तरफ मुख करके बैठ जाएं |

अब एक लकड़ी की चौकी पर सफेद वस्त्र बिछाकर उस पर शिवजी की प्रतिमा स्थापित करें और यदि आपके पास घर पर शिवलिंग हो तो उसे किसी तांबे या पीतल की गहरी प्लेट में स्थापित करें फिर आप शिवलिंग का अभिषेक करें, आप पंचामृत यानी दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से शिवजी का अभिषेक करें, फिर गंगाजल और शुद्ध जल से स्नान कराने के बाद शिवजी को सफेद चंदन से तिलक करके अक्षत अर्पित करें।

इसके बाद शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, आंकड़े का फूल, भांग, भस्म आदि अर्पित करें और सफेद पुष्पों की माला चढ़ाए | अब शिवजी को सफेद वस्त्र या जनेऊ चढ़ाए, इसके बाद भोलेनाथ के भोग अर्पित करें आप फल या सफेद मिठाई का भोग लगाए, आप पूजा के समय शिव जी के मंत्रो का जाप करते हैं आप ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करते रहे हैं, तत्पश्चात धूप दीप जलाकर प्रदोष व्रत की कथा पढ़े और भोलेनाथ की आरती करके पूजा को संपन्न करें |

प्रदोष व्रत के दिन क्या नहीं करना चाहिए (Pradosh Vrat Ke Din Kya Nahi Karna Chahiye)

आपको बता दें कि व्रत वाले दिन व्रती को पूर्ण संयम के साथ अपने मन को शांत रखना चाहिए क्रोध नहीं करना चाहिए | इस दिन किसी की बुराई ना करें, लड़ाई झगड़ा ना करें, किसी तरह का नशा ना करें चोरी या हिंसा ना करे साथ ही इस दिन पूर्णतया ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए |

प्रदोष व्रत में क्या खाना चाहिए क्या नहीं (Pradosh Vrat Me Kya Khana Chahiye Kya Nahi)

आपको बता दें कि यह व्रत सूर्योदय से लेकर अगले दिन सूर्योदय तक चलता है | वैसे हो सके तो प्रदोष व्रत निर्जला रखे अन्यथा आप इस व्रत को फलाहारी भी कर सकते हैं यह आपके ऊपर डिपेंड करता है कि आप ये व्रत किस तरह से रखना चाहते हैं | आप इस व्रत को मीठा या नमक के साथ भी रख सकते हैं कुछ लोग इस व्रत में सिर्फ मीठा ही खाते हैं नमक का इस्तेमाल नहीं करते है तो ये भी आपको ही डिसाइड करना है कि आप यह व्रत मीठा रखेंगे या व्रत वाले नमक का इस्तेमाल करेंगे |

आप प्रदोष व्रत वाले दिन सुबह पूजा के बाद फलाहार कर सकते हैं | आप चाय, दूध, फल आदि का सेवन कर सकते हैं। इसके बाद प्रदोष काल की पूजा के बाद आप एक समय सात्विक भोजन भी कर सकते हैं | आप इस भोजन में कोई एक अन्न ले सकते हैं जैसे पूड़ी या पराठा ले सकते हैं या चावल सब्जी के साथ भी ले सकते हैं लेकिन अगर आवश्यकता ना हो तो आप रात में भी फलाहारी भोजन करें आप कुट्टू या सिंघाड़े की पूरी, आलू की सब्जी या साबूदाना की खिचड़ी खा सकते हैं और अगले दिन ही अन्न ग्रहण कर सकते हैं यह टोटली आपके ऊपर ही डिपेंड करता है कि आप यह व्रत किस प्रकार से पूरा कर सकते हैं | 

प्रदोष व्रत उद्यापन विधि (pradosh vrat udyapan vidhi)

दोस्तों प्रदोष व्रत का उद्यापन त्रयोदशी तिथि पर ही करना चाहिए। अगर आपने 1 वर्ष या 26 प्रदोष व्रत का संकल्प लिया है तो 27वें त्रयोदशी व्रत में आपको उद्यापन करना चाहिए, इस दिन प्रातः काल उठकर स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें फिर जैसे आपने हर प्रदोष व्रत में शिवजी की पूजा करी है वैसे ही शिवजी की विधिवत पूजा करें और हवन करें।

आप ॐ उमा सहित शिवाय नमः मंत्र का एक माला यानी 108 बार जाप करते हुए हवन करें और हवन में आहूति के लिए खीर का प्रयोग करें फिर शिवजी की आरती करें या आप चाहे तो किसी योग्य ब्राह्मण से भी प्रदोष व्रत का उद्यापन करवा सकते हैं। तत्पश्चात आप किसी पंडित को भोजन करवा कर दान दक्षिणा जरूर दें, आप दान में सफेद चीजों का दान करें आप दूध, चावल, चीनी, सफ़ेद वस्त्र, कपूर, चांदी, मोती, दही और दक्षिणा का दान करें इसके बाद पूरे परिवार में प्रसाद वितरित करके स्वयं प्रसाद ग्रहण करें फिर इसके बाद आप भोजन ग्रहण करें।

तो दोस्तों इस प्रकार आप विधि पूर्वक प्रदोष व्रत करके भोलेनाथ से अपनी मुंहमांगी मुराद पा सकते हैं तो बोलो भोलेनाथ की जय। 

FAQ

Q – प्रदोष व्रत कब से शुरू करना चाहिए?

Ans – यदि सावन के महीने से प्रदोष व्रत की शुरुआत की जाये तो यह सबसे अच्छा रहेगा अन्यथा आप किसी भी महीने में पड़ने वाले प्रदोष से भी व्रत की शुरू कर सकते हैं।

Q – प्रदोष व्रत कितने रखने चाहिए?

Ans – प्रदोष व्रत को लगातार 11 या 1 वर्ष तक करना चाहिए।

Q – प्रदोष व्रत के दिन क्या खाना चाहिए?

Ans – प्रदोष व्रत आप निर्जला या फलाहार करके रख सकते है। फलाहार में दूध, चाय, घी, फल, ड्राई फ्रूट्स, कुट्टू या सिंघाड़े के आटे का इस्तेमाल कर सकते है। प्रदोष व्रत में लाल मिर्च, अन्न, चावल और सादा नमक आदि चीजें खाना वर्जित है।

Q – प्रदोष व्रत रखने से क्या लाभ होता है?

Ans – प्रदोष व्रत रखने से व्यक्ति के हर प्रकार का दोष मिट जाता है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही इस व्रत को करने से कुंडली में चंद्र की स्थिति भी मजबूत होती है।

Q – प्रदोष व्रत का उद्यापन कब करना चाहिए?

Ans – प्रदोष व्रत को 11 या फिर 26 त्रयोदशियों तक रखने के बाद 27वें त्रयोदशी व्रत में उद्यापन करना चाहिए।

Q – प्रदोष काल कितने बजे से लगता है?

Ans – शास्त्रों के अनुसार, सूर्यास्त से 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक का समय प्रदोष काल कहा जाता है।

दोस्तों, मैं आशा करती हूँ कि आपको प्रदोष व्रत (pradosh vrat, pradosh vrat kab se shuru kare, pradosh vrat vidhi, pradosh vrat benefits, pradosh vrat udyapan vidhi) का यह पोस्ट अच्छा लगा होगा। अगर ये जानकारी आपको अच्छी लगी हो तो अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें साथ ही आप अपने विचार हमें नीचे कमेंट बॉक्स में लिख कर जरूर बताये।

प्रदोष का उद्यापन कौन से महीने में करना चाहिए?

इस व्रत को ग्यारह या फिर 26 त्रयोदशियों तक रखने के बाद व्रत का उद्यापन करना चाहिए. – व्रत का उद्यापन त्रयोदशी तिथि पर ही करना चाहिए. – उद्यापन से एक दिन पूर्व श्री गणेश का पूजन किया जाता है. पूर्व रात्रि में कीर्तन करते हुए जागरण किया जाता है.

प्रदोष व्रत का उद्यापन कब करना चाहिए 2022?

जो स्त्री पुरुष जिस कामना के साथ इस व्रत को करते हैं उनकी सभी कामनाएं भगवान शिव पूरी करते हैं। मान्यता है कि जो व्यक्ति प्रदोष व्रत रखता है उसे सौ गौ दान करने का फल प्राप्त होता है। जो लोग भी इस व्रत को करते हैं उन्हें या तो 11 त्रयोदशी या पूरा साल की त्रयोदशी को पूरा कर उद्यापन करना चाहिए

उद्यापन कब करना चाहिए?

एकादशी माह में दो बार आती है कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष. इस तरह वर्ष में 24 एकादशियां आती हैं. इसका उद्यापन देवताओं के प्रबोध समय में ही एकादशी के व्रत का उद्यापन करें, विशेष कर मार्गशीर्ष के महीने में, माघ माह में या भीम तिथि (माघ शुक्ल एकादशी) के दिन ही इस व्रत का उद्यापन करना चाहिए.

व्रत का उद्यापन कैसे किया जाता है?

जिस दिन सोमवार के व्रत का उद्यापन करना हो उस दिन प्रात काल उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर सफेद वस्त्र धारण करने चाहिए. इसके बाद पूजा स्थल को गंगाजल से अच्छी तरह शुद्ध कर लें, इसके बाद पूजा स्थल पर केले के 4 पत्ते खंबे के रूप में लगाकर चौकोर मंडप स्थापित करें. चारों तरफ फूल और आम के पत्तों से मंडप को सजाएं.