परिमल में सभी सदस्य एक पारिवारिक रिश्ते में बंधे थे जिसके बड़े फादर बुल्के थे। विनोद, हास-परिहास के साथ वे साहित्यिक गोष्ठियों में बेबाक राय देते तथा सभी परिवारों के संस्कारों में बड़े भाई और पुरोहित की भाँति खड़े
रहकर सबको अपने आशीर्वाद से भर देते। पाठ पर आधारित लघु-उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. ”फ़ादर को जहरबाद से नहीं मारना चाहिये था।“ लेखक ने ऐसा क्यों कहा है ? प्रश्न 2. ‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ पाठ के आधार पर फ़ादर कामिल बुल्के की जो छवि उभरती है उसे अपने शब्दों में लिखिये। प्रश्न 3. ‘परिमल’ की गोष्ठियों में फ़ादर की क्या स्थिति थी ? लेखक तथा अन्य प्रतिभागियों के साथ उनके संबंध कैसे थे ? प्रश्न 4. फ़ादर बुल्के की उपस्थिति देवदारु की छाया जैसी क्यों लगती थी ? प्रश्न 5. लेखक ने फ़ादर के प्रभाव को दर्शाने के लिए किन-किन उपमानों का प्रयोग किया है ? ‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ पाठ के आधार पर लिखिए। प्रश्न
6. फ़ादर बुल्के की जन्मभूमि और कर्मभूमि कौन-कौनसी थीं ? कर्मभूमि की किन विशेषताओं से वे प्रभावित थे ? प्रश्न 7. फ़ादर कामिल बुल्के के अभिन्न भारतीय मित्र का नाम पठित पाठ के आधार पर लिखिये तथा बताइये कि उनकी परस्पर अभिन्नता का कौन-सा तथ्य प्रस्तुत पाठ में परिलक्षित हुआ है? प्रश्न 8. फ़ादर कामिल बुल्के ने संन्यासी की परम्परागत छवि से अलग एक नई छवि प्रस्तुत की है, कैसे?उत्तरः ईसाई धर्माचार में ही अपना समय व्यतीत
करते है लेकिन संन्यासी होते हुए भी अपने परिचितों के साथ गहरा लगाव रखते थे वे उनसे मिलने के लिए सदा आतुर रहते थे। अन्य धर्म वालों के उत्सवों संस्कारों में भी घर के बड़े बुजुर्ग की भाँति शामिल होते थे। प्रश्न 9. फ़ादर कामिल बुल्के के बचपन में उनकी माँ ने उनके विषय में क्या भविष्यवाणी की थी ? वह सत्य सिद्ध कैसे हुई ? ‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ पाठ के आधार पर लिखिए। प्रश्न 10. फादर कामिल बुल्के कितने समय तक भारत में रहे और कितनी उम्र में हम सभी को छोड़कर
विदा हो गए? उन्होंने भारत में कहाँ पर रहकर अपना प्रसिद्ध ‘अंग्रेजी-हिन्दी-कोश’ तैयार किया था?उत्तरः 47 वर्ष, 73 वर्ष की उम्र में निधन। राँची के काॅलेज में विभागाध्यक्ष के रूप में कार्य करते हुए उन्होंने अंगे्रज़ी-हिन्दी कोश की रचना की। प्रश्न 11. फादर कामिल बुल्के की किस भाषा में विशेष रुचि एवं लगाव था? उस भाषा में उन्होंने कौन से कालजयी कार्य किये? प्रश्न 12. फ़ादर जैसे सौम्य तथा स्नेहिल स्वभाव के व्यक्ति किस सवाल पर झुँझला उठते थे और क्यों ? ‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए। प्रश्न 13. फ़ादर बुल्के को भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग किस आधार पर कहा गया है ? प्रश्न 14. फ़ादर बुल्के भारतीयता में पूरी तरह रच-बस गए। ऐसा उनके जीवन में कैसे सम्भव हुआ होगा ? अपने विचार लिखिए। प्रश्न 15. फादर कामिल बुल्के का देहांत कब हुआ और
उन्हें कहाँ दफनाया गया? उनकी अंतिम यात्रा के समय उपस्थित गणमान्य विद्वानों की उपस्थिति किस बात का प्रमाण है ? प्रश्न 16. लेखक की दृष्टि में फादर का जीवन किस प्रकार का था ? प्रश्न 17. लेखक ने फ़ादर बुल्के को ‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ क्यों कहा है ? प्रश्न 18. ”मानवीय करुणा की दिव्य चमक“ शीर्षक की सार्थकता पर प्रकाश
डालिए। व्याख्यात्मक हल: फादर कामिल बुल्के मानवीय करुणा के प्रतीक थे। इनका हृदय पीड़ित व्यक्तियों के लिए करुणा से परिपूर्ण रहता। प्रभु में उन्हें गहरी आस्था थी। वे दुःखी व्यक्ति को अपार ममता व शांति प्रदान करते थे। दृढ़ संकल्प से युक्त फादर अपने सहज मानवीय गुणों से शीर्षक को सार्थकता प्रदान करते हैं। परिमल की गोष्ठियों में फादर की क्या स्थिति थी लेखक तथा अन्य प्रतिभागियों के साथ उनके सम्बन्ध कैसे थे?प्रश्न 3. 'परिमल' की गोष्ठियों में फ़ादर की क्या स्थिति थी ? लेखक तथा अन्य प्रतिभागियों के साथ उनके संबंध कैसे थे ? उत्तरः फ़ादर की स्मृति की विशेषता बताने के लिये पारिवारिक रिश्ते में सभी बंधे थे जिसमें फ़ादर बड़े थे।
परिमल की गोष्ठियों में गंभीर बहस कौन करते थे?Answer: 'परिमल' एक साहित्यिक संस्था है जो लेखक, फ़ादर बुल्के और उनके साथियों ने मिलकर बनाई थी। फ़ादर 'परिमल' के गोष्ठियों में गंभीर बहस करते थे तथा लेखक और उसके साथियों के रचनाओं पर अपनी स्पष्ट राय व्याक्त करते थे।
परिमल के बारे में आप क्या जानते हैं?'परिमल' इलाहाबाद की एक साहित्यिक संस्था है, जिसमें युवा और प्रसिद्ध साहित्य प्रेमी अपनी रचनाएँ और विचार एक-दूसरे के समक्ष रखते थे। लेखक को परिमल के दिन इसलिए याद आते हैं, क्योंकि फ़ादर भी 'परिमल' से जुड़े।
परिमल संस्था के बड़े कौन थे?इलाहाबाद में लेखक सर्वेश्वर दयाल सक्सेना, डॉ, रघुवंश, फादर कामिल बुल्के और अन्य बड़े साहित्यकार इसमें भाग लिया करते थे। डॉ. बुल्के ने .
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