प्रेगनेंसी में पेट पर हाथ फेरने से क्या होता है? - preganensee mein pet par haath pherane se kya hota hai?

अगर आप अचानक गिर जाएं या पेट पर आघात लगे तो शिशु को नुकसान पहुंच सकता है। हालांकि, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप कितनी तेजी से गिरीं हैं या फिर पेट पर कितना प्रबल आघात लगा है। यदि आप घरेलू हिंसा की शिकार हैं, तो इससे न केवल आपको मगर आपके शिशु को भी चोट पहुंच सकती है।

ऐसी स्थिति में तुरंत अपनी डॉक्टर से संपर्क करें। वे आपको व आपके शिशु को जरुरी देखभाल उपलब्ध करा सकेंगी।

पहली तिमाही में आपका​ शिशु पूरी तरह सुरक्षित होता है क्योंकि आपका गर्भाशय श्रोणी में सिमटा हुआ रहता है। गर्भाशय में मजबूत, मांसपेशीय दीवार होती है और साथ ही एमनियोटिक द्रव भी होता है, जो शिशु को भीतर नुकसान पहुंचने से बचाता है।

हो सकता है आपके पेट पर चोट लगी हो और आपको अंदर रक्तस्त्राव हो रहा हो। हालांकि, संभावना यही रहती है कि आपका शिशु ठीक-ठाक होगा, मगर दुर्भाग्यवश यह पहली तिमाही में गर्भपात होने या फिर गर्भावस्था में आगे चलकर समय से पहले प्रसव जैसी समस्याओं का खतरा बढ़ा देता है। इसलिए जरुरी है कि आप तुरंत डॉक्टर से चेक-अप कराएं। अगर, आपको रक्तस्त्राव या फिर पेट में मरोड़ उठ रहे हैं, तो भी तुरंत अपनी डॉक्टर को दिखाएं।

डॉक्टर से मदद लेना तब भी जरुरी है अगर आपका ब्लड ग्रुप रीसस नेगेटिव है, तो रक्तस्त्राव रोकने के लिए आपको एंटी-डी इंजेक्शन लगवाने की जरुरत हो सकती है। यदि रक्तस्त्राव की वजह से आपका और शिशु का खून आपस में मिल जाए, तो स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। मगर, यह इंजेक्शन इससे बचाव करता है।

माना जाता है कि 10 में से तीन भारतीय महिलाओं ने गर्भावस्था में अपने अंतरंग साथी के हाथों हिंसा को सहा है और गर्भावस्था में उन्हें आसानी से आघात पहुंच सकता है। हिंसा करने वाले कुछ लोगों के लिए गर्भावस्था एकदम उचित समय होता है, क्योंकि उन्हें लगता है कि गर्भवती होने पर पत्नी उन्हें छोड़कर नहीं जाएगी। कुछ रिश्तों में गर्भावस्था घरेलू हिंसा का कारण और एक बड़ा जोखिम बन जाती है।

आपको ध्यान देना होगा कि आपके, आपके अन्य बच्चों और गर्भस्थ शिशु के लिए सबसे सुरक्षित क्या है। जरुरी है कि आप आगे कि सोचें क्योंकि यदि आपके साथ दोबारा हिंसा होती है, तो इस बार यह और गंभीर हो सकती है, विशेषकर कि गर्भावस्था के अंतिम चरण में।

इस बात का भी खतरा रहता है कि यदि आपके पति दोबारा पेट पर ही आघात करें तो इससे अपरा (प्लेसेंटा) गर्भाशय से अलग हो सकती है (प्लेसेंटल एबरप्शन) या फिर गर्भाशय को गंभीर क्षति पहुंच सकती है।

एक और बेहद गंभीर खतरा यह भी रहता है कि यदि आघात बहुत ज्यादा तेज हो तो एमनियोटिक द्रव आपकी रक्त वाहिकाओं में रिस सकता है (एमनियोटिक द्रव एम्बोलिज्म)। ऐसा होना काफी दुर्लभ है, मगर यह आपके और गर्भस्थ शिशु के लिए जानलेवा साबित हो सकता है।

वर्तमान भारतीय सांस्कृतिक व सामाजिक व्यवस्था में, इस समस्या के खिलाफ आवाज उठाना और मदद मांगना अक्सर मुश्किल हो जाता है। आप इस स्थिति से बाहर निकलने के लिए अपने परिवार के किसी विश्वासपात्र सदस्य या दोस्त से बात करने का प्रयास कर सकती हैं।

आप डॉक्टर की मदद भी ले सकती हैं। डॉक्टर से बात करने में संकोच न करें, क्योंकि ऐसा करने वाली आप शायद पहली महिला नहीं होंगी। डॉक्टर इस मामले में पूरी गोपनीयता बरतेंगी और जरुरी हुआ तो वह आपको कुछ ऐसे स्थानीय लोगों के नंबर दे सकती हैं, जो आगे आपकी मदद कर सकते हैं।

ऐसी बहुत सी संस्थाएं हैं, जो घरेलू हिंसा और दुर्व्यवहार से पीड़ित महिलाओं की मदद के लिए काम करती हैं। तत्काल मदद या मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए आप टोल फ्री नंबरों पर फोन भी कर सकती हैं:
  • 100 (पुलिस हॉटलाइन)
  • 1091 (महिला हेल्पलाइन)

इन संगठनों की वेबसाइट पर आपको उपयोगी सूचनाएं और हेल्पलाइन के नंबर भी मिलेंगे।

राष्ट्रीय महिला आयोग
वेबसाइट: ncw.nic.in/frmhelpline.aspx

बेल बजाओ (रिंग द बेल)
वेबसाइट: www.bellbajao.org

हॉट पीच पेजेज
(घरेलू हिंसा और दुर्व्यवहार पर काम करने वाली एजेंसियों की अंतरराष्ट्रीय सूची) वेबसाइट: www.hotpeachpages.net

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अंग्रेजी के इस लेख से अनुवादित: Can a fall or blow to my stomach harm my unborn baby?

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  • गर्भावस्था के इन लक्षणों को न करें अनदेखा
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References

Babu BV, Kar SK. 2012. Abuse against women in pregnancy: a population-based study from Eastern India. WHO South-East Asia Journal of Public Health 1(2):133-143

Bagcchi S.2015. A third of Indian women who experience violence during pregnancy have complications. BMJ. 350:h2659.

Kalokhe AS, Potdar RR, Stephenson R, et al. 2015. How well does the World Health Organization definition of domestic violence work for India? PloS one. 26;10(3):e0120909.



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गर्भ के अंदर बच्चे को कैसा लगता है जब माँ अपने पेट पर यह हाथ फेरती है या पेट के चारों ओर घुमाती है। क्या शिशु को यह पसंद आता है , क्या यह बच्चे के लिए अच्छा है। गर्भावस्था के किस महीने से गर्भवती महिला को यह करना चाहिए हम इस लेख में समझेंगे।

शिशु का माँ का हाथ फेरना किस महीने से समझ आने लगता है :

जब गर्भवती महिला अपने पेट पर हाथ फेरती हैं , तो यह बच्चे के लिए एक तरह की स्पर्श चिकित्सा होती है. लगभग ५ से ६ महीने में शिशु में संवेदनशीलता विकसित हो चुकी होती है और उसका मस्तिष्क ठीक से काम कर रहा होता है. गर्भ में शिशु उन ध्वनियों को सुनने में सक्षम हो जाता है जो गर्भ के बाहर से आ रही होती हैं। इस समय तक शिशु पेट पर पड़ने वाले दबावों पर भी प्रतिक्रिया कर सकता है.

जब माँ पेट पर हाथ फेरती है तो शिशु को कैसा लगता है :

गर्भ के अंदर बच्चा लगभग 5.5 महीने से हिलना शुरू कर देता है यानी लगभग पांचवे से छठे महीने के बीच बच्चा गर्भ में घूमना शुरू कर देता है। इस समय जब बच्चा इधर-उधर घूम रहा होता है और माँ अपने पेट पे हाथ फेरती है तो शिशु को सुरक्षित होने का एहसास होता है। शिशु को यह महसूस होने लगता है कि वहाँ उसके अलावा किसी और की उपस्थिति भी है और शिशु सहज महसूस करता है। इसलिए यह एक बहुत अच्छा अभ्यास है जो होने वाली माताओं और उनके शिशु के बीच एक बंधन और संबंध बनाना शुरू कर देता है।

पेट पर हाथ फेरने के अलावा भी करें यह काम :

इसके अलावा बच्चा आपकी आवाज सुन रहा होता है, आपके बच्चे के साथ संवाद करने से, डिलीवरी से पहले ही, आपको बच्चे के साथ एक बंधन बनाने में मदद मिलेगी। आप अच्छा संगीत भी सुन सकते हैं या फिर आप अच्छी पुस्तकें भी पढ़ सकते हैं। गर्भावस्था में आपकी मानसिक दशा शिशु के ऊपर समान प्रभाव डालती है।अच्छी पुस्तके, अच्छा संगीत आपको सकारात्मक बनाएंगी और बच्चे के ऊपर भी वैसा ही प्रभाव पड़ेगा। गर्भ संस्कार के अनुसार, गर्भ में बच्चे को आप बहुत सी चीजें सिखा सकते हैं। यदि आप कुछ अच्छा पढ़ रहे हैं तो बच्चा अच्छी चीजें सीख रहा होता है। यदि आप खुद को व्यस्त रखती हैं ऐसी गतिविधियों में जो आपको आपके आईक्यू को चुनौती देना का अवसर देते हैं , तो गर्भ में शिशु की मानसिक ताकत भी बढ़ती है, उसका आईक्यू लेवल को अच्छा कर सकती हैं।

जितना समय मिले आप अपने शिशु से बात करने की कोशिश करें, पेट पर हाथ फेरें और पूरी गर्भावस्था में सकारात्मक रहे और निराशा को अपने पास न आने दें।

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गर्भ में लड़का होने की क्या पहचान है?

​बालों और त्‍वचा में बदलाव भ्रम : कहते हैं कि अगर पेट में लड़का हो तो स्किन पर दाने नहीं आते जबकि लड़की होने पर मां की स्किन खराब हो जाती है। वहीं लड़का होने पर बाल भी घने और सुंदर रहते हैं। तथ्‍य : हार्मोन के स्‍तर में बदलाव के कारण त्‍वचा और बालों में बदलाव आता है।

प्रेगनेंसी में पेट पर दबाव डालने से क्या होता है?

इसकी वजह से पाचन क्रिया और धीमी हो सकती है। साथ ही शिशु द्वारा पेट पर दबाव डालने की वजह से आपको खाना खाने के बाद और ज्यादा फुलावट महसूस हो सकती है। ऐसा खासतौर पर भारी भोजन करने के बाद हो सकता है। आपको गर्भावस्था के दौरान एसिडिटी और हार्टबर्न या कब्ज भी हो सकता है, फिर चाहे यह पहले आपको कभी न हुआ हो।

गर्भ में ज्यादा हलचल कौन करता है?

कई गर्भवती महिलाओं का कहना है कि उनका शिशु रात के समय ज्‍यादा किक और मूवमेंट करता है। अधिकतर महिलाओं को सबसे पहले शिशु की मूवमेंट प्रेग्‍नेंसी के 14वें हफ्ते से गर्भावस्‍था के 26वें हफ्ते के बीच महसूस होती है लेकिन 18वें हफ्ते से 22वें हफ्ते में इसके होने की संभावना अधिक होती है।

प्रेगनेंसी में झुकने से क्या होता है?

गर्भावस्‍था में महिलाओं को झुकने से मना किया जाता है। माना जाता है कि प्रेग्‍नेंसी में झुकने से शरीर और शिशु पर दबाव पड़ता है। गर्भ में एम्‍नियोटिक फ्लूइड भ्रूण के आसपास होता है जो उसे सुरक्षा प्रदान करता है। हालांकि, प्रेग्‍नेंसी बढ़ने के साथ-साथ बेबी बंप के कारण प्रेगनेंट महिला को झुकने में दिक्‍कत हो सकती है।