परागण क्या है यह कितने प्रकार का होता है - paraagan kya hai yah kitane prakaar ka hota hai

परागण क्या है परागण कितने प्रकार के होते हैं?

परागण के दो मुख्य भेद हैं : एक तो स्वपरागण (selfpollination), जिसमें किसी फूल में परागण उसी के पराग द्वारा होता है, और दूसरा परपरागण (cross pollination) अर्थात्‌ जब परागण उसी पौधे के दो फूलों, या उसी जाति के दो पौधों, के बीच होता है।

परागण क्या होता है इसके प्रकार क्या है और यह किस प्रकार से होता है?

परागण मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं। जब एक पुष्प परागकोण से निकला परागण उसी पुष्प के मादा भाग वर्तीकंग में पहुच जाता है। तव इस प्रकार के परागण को ही स्वायुग्मन (autogamy) कहते हैं। एक ही पौधे के दो अलग अलग पुष्पों के मध्य होने वाले परागण को सजात पुष्पी परागण (Gitonogamy) कहते हैं।

परपरागण क्या है उदाहरण सहित समझाइए?

परपरागण (cross pollination) : इस विधि के अंतर्गत किसी पुष्प के परागकणों का स्थानान्तरण उसी प्रजाति के दुसरे पौधों के वर्तिकाग्र पर हो जाता है। परपरागण की क्रिया को एलोगेमी (allogamy) भी कहते है। जब परपरागण एक ही प्रजाति के दो सदस्यों के पुष्पों के मध्य होता है तो इस क्रिया को परनिषेचन अथवा जीनोगेमी कहते है।

पराग से आप क्या समझते हैं?

पराग पौधे द्वारा संश्लेषित शर्करा युक्त तरल पदार्थ है। सामान्यतः इसका निर्माण फूल में होता है। ये हमिंगबर्ड, तितलियों तथा कई कीट पतंगो के खाद्य पदार्थ है। आर्थिक रूप से भी यह महत्वपूर्ण हैं क्योंकि मधुमक्खियां इसी से मधु का निर्माण करती हैं