पैरों के नाखून काले क्यों पड़ जाते हैं? - pairon ke naakhoon kaale kyon pad jaate hain?

पैरों के नाखून काले क्यों पड़ जाते हैं? - pairon ke naakhoon kaale kyon pad jaate hain?

Black Toenails: आधुनिक समय में लोगों को कई तरह की परेशानियां हो रही हैं। इसका मुख्य कारण खराब लाइफस्टाइल और खानपान माना जाता है। खराब लाइफस्टाइल का असर आपके स्वास्थ्य, स्किन और बालों पर भी पड़ता है। कुछ स्थितियों में नाखूनों के रंग में भी बदलाव देखे जा सकते हैं। अगर आपके पैरों के नाखून काले नजर आ रहे है, तो इस स्थिति में आपको इसके कारणों के बारे में जानना जरूरी है। ताकि इसका समय पर इलाज किया जा सके। आज हम इस लेख में पैरों के नाखून काले क्यों होते के बारे में विस्तार से जानेंगे।

पैरों के नाखून काले क्यों पड़ जाते हैं? - pairon ke naakhoon kaale kyon pad jaate hain?
पैरों के नाखून काले क्यों पड़ जाते हैं? - pairon ke naakhoon kaale kyon pad jaate hain?

पैर के नाखून का काला होना

पैरों के नाखून काले होने के कई कारण हो सकते हैं। आइए जानते हैं इसके कारणों के बारे में-

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1. सही जूते न पहनना

गलत साइज और खराब पैड वाले जूते पहनने की वजह से पैरों के नाखून काले पड़ सकते हैं। खासतौर पर अगर आप काफी ज्यादा टाइट जूते पहनते हैं, तो आपके   नाखूनों का रंग काला पड़ सकता है। टाइट जूते पहनने के कारण वर्कआउट और रनिंग करने में परेशानी हो सकती है, जिससे नाखूनों पर दबाव पड़ता है और इनमें ब्लड सर्कुलेशन ठीक न होने के कारण इनका रंग काला हो सकता है। अगर आपके नाखून लंबे समय से काले हैं, तो आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। ।

2. पैर पर भारी चीज गिरने के कारण

कई बार पैरों पर भारी चीज गिर जाती है। इस स्थिति में खून जमने की वजह से भी पैरों के नाखून काले पड़ने लगते हैं। दरअसल, भारी चीज गिरने की वजह से पैरों के नाखून के नीचे की रक्त वाहिकाएं फट सकती हैं। ऐसे में पैरों के नाखून के नीचे खून जमा होने लगता है, जिसकी वजह से नाखून का रंग बदल जाता है। 

3. स्किन कैंसर की संभावना

स्किन कैंसर की वजह से भी पैरों के नाखून काले पड़ सकते हैं। दरअसल, स्किन कैंसर की वजह से नाखून के नीचे मेलेनोमा बढ़ने लगता है। इसकी वजह से स्किन में हाईपिगमेंटेशन की समस्या हो सकती है।  मेलानोमा बढ़ने की वजह से नाखून में कालेपन की परेशानी होने के साथ-साथ हल्का दर्द भी हो सकता है। इस स्थिति में आपको तुरंत एक्सपर्ट से सलाह लेने की जरूरत होती है।

4. फंगल टोनेल इंफेक्शन हो सकता है कारण

नाखून में फंगल इंफेक्शन की वजह से भी पैरों के नाखून काले पड़ सकते हैं। अगर आपको बिना वजह नाखून के रंग काले, नीले या भूरे नजर आ रहे हैं, तो इस स्थिति में तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। 

ध्यान रखें कि कुछ सामान्य कारणों से भी नाखून के रंग काले हो सकते हैं। हालांकि, लंबे समय तक नाखून का रंग काला होने की स्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें, ताकि इसकी वजह से होने वाली गंभीरता को कम किया जा सके।

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पैर के अंगूठे के किसी एक हिस्से या पूरे नाखून का काला होना, स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या शुरू होने का एक अलार्म हो सकता है | अच्छी बात यह है कि नाखून काले होने के कारण आमतौर पर सीरियस नहीं होते | इनमे से दो मुख्य खारण है; नेलबेड में चोट लगना और पैर के अंगूठे का फंगल इन्फेक्शन | बहुत ही कम केसेस में, मेलेनोमा (एक तरह का स्किन कैंसर) नेलबेड में बढ़ने के कारण भी नाखून के अंदर काला स्पॉट या स्ट्रीक बन सकते हैं | अगर आप अपने पैर के नाखून के कालेपन का कारण नहीं जानते हैं तो सही डायग्नोसिस के लिए डॉक्टर को दिखाएँ और ट्रीटमेंट के बारे में जानकारी लें |[१]

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    पैर के नाखून में चोट लगने के चिन्हों पर नज़र रखें: ध्यान दें कि कहीं हाल ही में पैर के नाखून में चोट तो नहीं लगी थी | नेलबेड में चोट लगने के कारण नाखून के नादर खून जमा हो जाता है जिससे काला या डार्क ब्राउन डिसकलरेशन हो जाता है | इसे सबअंगुअल हीमेटोमा कहा जाता है | आपको नाखून के नादर दबाव या दर्द जैसे लक्षण भी अनुभव हो सकते हैं |[२]

    • कुछ केसेस में, चोट के कारण नाखून काला होना स्वाभाविक होता है जैसे, कोई भारी चीज़ पैर पर गिर जाना या पैर का नाखून दब जाना |
    • बार-बार एक ही नाखून पर चोट लगते रहने से भी पैर का नाखून काला हो सकता है जैसे, बहुत टाइट शूज का प्रेशर पड़ने या लगातार दौड़ने, हाईकिंग या स्पोर्ट्स के कारण पैर के पंजे के चोटिल होने पर |

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    घर पर नाखून का इलाज़ करने के लिए RICE प्रोटोकॉल का इस्तेमाल करें: अगर पैर में हीमेटोमा माइनर है और उससे बहुत ज्यादा दर्द नहीं हो रहा है तो बिना किसी मेडिकल हेल्प के इसे घर पर थोडा-बहुत ठीक किया जा सकता है | इसके लिए चोट लगने के तुरंत बाद सूजन और दर्द कम करने और पैर के नाखून को जल्दी हील करने के लिए रेस्ट, आइस, कम्प्रेशन और एलिवेशन (RICE) करें:[३]

    • रेस्ट: चोटिल पैर का इस्तेमाल कम से कम इस्तेमाल करके नाखून को रेस्ट दें | उदाहरण के लिए, चोट लगने के बाद कुछ सप्ताह तक रनिंग या हाईकिंग न करें |
    • आइस: एक आइस पैक को कपडे या प्लास्टिक व्रैप में लपेटकर चोटिल अंगूठे पर सेंक करें जिससे दर्द वाली जगह को सुन्न किया जा सके और सूजन कम हो सके | आप एक घंटे में एक बार एक समय में 20 से ३० मिनट तक आइस पैक को सुरक्षित रूप से इस्तेमाल कर सकते हैं |[४]
    • कंप्रेस: चोटिल अंगूठे के चारों ओर एक बैंडेज लपेटकर हल्का प्रेशर डालें | इससे नाखून के अंदर कम से कम ब्लड भरेगा |
    • एलिवेशन: जितना हो सके अपने पैरों को अपने हार्ट के लेवल से ऊपर उठाकर रखें जिससे सूजन कम हो सके | उदाहरण के लिए, आप अपने हाथों को आराम देते हुए उन पर पैरों को रखकर अपने सोफे पर लेट सकते हैं या बेड पर पैरों के नीचे कुछ तकिये लगाकर पैरों को ऊंचा रखते हुए लेट सकते हैं |

  3. पैरों के नाखून काले क्यों पड़ जाते हैं? - pairon ke naakhoon kaale kyon pad jaate hain?

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    दर्द को मैनेज करने के लिए बाज़ार में मिलने वाली दवाएं लें: अगर पैर के काले नाखून में दर्द हो तो आइबूप्रोफेन (मोट्रीन), नाप्रोक्सेन (एलेव), या एसीटामिनोफेन (टायलेनोल) जैसे NSAIDs (नॉन स्टेरॉयडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग) लें | इनसे दर्द में आराम मिल सकता है और सूजन और इंफ्लेमेशन कम हो जाती है |[५]

    • एस्पिरिन या एस्पिरिन युक्त प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से सलाह लें क्योंकि इनके कारण नाखून के अंदर ब्लीडिंग बढ़ सकती है |

  4. पैरों के नाखून काले क्यों पड़ जाते हैं? - pairon ke naakhoon kaale kyon pad jaate hain?

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    अगर लक्षण बहुत सीरियस हों तो डॉक्टर को दिखाएँ: कुछ केसेस में, सबअंगुअल हीमेटोमा के लिए घरेलू इलाज़ काफी नहीं होते | अगर आपको सवेरे या असहनीय दर्द, चोटिल स्थान से अनियंत्रित ब्लीडिंग, पैर के नाखून या अंगूठे में गहरा घाव या नाखून का बेस डैमेज होने जैसे लक्षण हों तो डॉक्टर से अपॉइंटमेंट लें |[६]

    • डॉक्टर पैर के नाखून में लेज़र या नीडल से एक छोटा सा पंक्चर कर सकते हैं जिससे नाखून के नादर भरे हुए ब्लड और अन्य तरल को ड्रेन किया जा सके | अगर नाखून की चोट काफी गंभीर हो या वहां इन्फेक्शन के कोई चिन्ह दिखाई दे रहे हों तो उन्हें पैर के अंगूठे के ख़राब नाखून को पूरा निकालना पड़ सकता है |
    • अगर आप किसी बाबी या छोटे बच्चे के पैर के घायल नाखून की केयर कर रहे हैं तो उनका खुद से इलाज़ करने की कोशिश करने की बजाय तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएँ |

  5. पैरों के नाखून काले क्यों पड़ जाते हैं? - pairon ke naakhoon kaale kyon pad jaate hain?

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    अगर इन्फेक्शन के कोई भी चिन्ह दिखाई दें तो तुरंत मेडिकल हेल्प लें: नाखून के अंदर से पस या अन्य तरल निकलने, घायल नाखून के आस-पास दर्द, रेडनेस और सूजन बढ़ने पर, नाखून के आस-पास की स्किन पर लाल धारियां बनने या बुखार आने जैसे लक्षणों पर नज़र रखें | नाखून के आस-पास का एरिया छूने पर गर्म अनुभव हो सकता है | अगर आपको इनमे से कोई भी लक्षण फील हों तो डॉक्टर को दिखाएँ या तुरंत इमरजेंसी रूम जाएँ |[७]

    • अगर पैर का नाखून बाहर निकलना शुरू हो जाता है जो सीवियर सबअंगुअल हीमेटोमा में बहुत कॉमन है, तो नाखून में इन्फेक्शन होने की संभावना बढ़ सकती है |

  6. पैरों के नाखून काले क्यों पड़ जाते हैं? - pairon ke naakhoon kaale kyon pad jaate hain?

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    नाखून को हील होने के लिए उसे और चोट न लगने दें: शुरूआती चोट लगने के बाद, नाखून को पूरी तरह से रिकवर होने में लम्बे समय और केयर की जरूरत होगी | ऐसे जूते पहनें जिनमें पैर की अंगुलियाँ बंद रहें और अँगुलियों के आस-पास काफी स्पेस हो जिससे चोटिल अंगुली दबने या उभरने से बची रहे | आप अपने पैर के अंगूठे को निम्नलिखित तरीकों से सुरक्षित और स्वस्थ रख सकते हैं:[८]

    • नाखूनों को साफ़ रखें, ट्रिम करते रहें, और हीलिंग के संत नेल पॉलिश न लगायें | नेल पॉलिश या नकली नाखून हीलिंग प्रोसेस को धीमा कर सकते हैं और इन्फेक्शन या चोट के स्पॉट चिन्हों को पहचानना मुश्किल हो जाता है |
    • विशेषरूप से दौड़ते समय आरामदायक और वेल-फिटेड जूते पहनें | अगर आप दौड़ते हैं तो रेगुलर शूज की तुलना में ½ a बड़ा साइज़ पहनें और लेस कसकर बांधें जिससे पैर से खिसके नहीं |
    • पैर को सूखा और गद्देदार बनाये रखने के लिए मोटे, पसीना सोखने वाले मोज़े पहनें |
    • रनिंग या हाईकिंग करते समय प्रोटेक्टिव टो (toe) कैप्स या प्रभावित अंगूठे के नाखून पर टेप पहनें |

  7. पैरों के नाखून काले क्यों पड़ जाते हैं? - pairon ke naakhoon kaale kyon pad jaate hain?

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    नाखून को पूरी तरह से हील होने में कई महीनों का समय लग सकता है: पुराना नाखून सभी जगह से बाहर न आने तक नाखून का डिसकलरेशन गायब नहीं होगा | अधिकतर लोगों में, इस प्रोसेस में 6 से 9 महीने लगते हैं |[९]

    • अगर डॉक्टर सर्जरी से नाखून नहीं न निकालें तब भी संभावना है कि नाखून अपने आप निकल जायेगा | आमतौर पर, नया नाखून कई महीनों के बाद बढ़ पायेगा |
    • अगर नेलबेड बहुत गंभीर रूप से डैमेज हो जाये तो सम्भावना है कि नाखून फिर से न बढे या गलत ढंग से बढे |

  1. पैरों के नाखून काले क्यों पड़ जाते हैं? - pairon ke naakhoon kaale kyon pad jaate hain?

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    फंगल इन्फेक्शन के लक्षण चेक करें: अगर आपके पैर के अंगूठे के नाखून में फंगल इन्फेक्शन है तो नाखून के अंदर डेब्रिस डेवलप हो सकती है जिसके कारण डार्क डिसकलरेशन हो सकता है | फंगल इन्फेक्शन के अतिरिक्त एविडेंस पर नज़र रखें जैसे;[१०]

    • नाखून मोटा होना या मुड़ना
    • सफ़ेद या पीला-भूरा डिसकलरेशन
    • नाखून टूटना या भंगुर होना
    • गन्दी बदबू आना

  2. पैरों के नाखून काले क्यों पड़ जाते हैं? - pairon ke naakhoon kaale kyon pad jaate hain?

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    सही डायग्नोसिस के लिए डॉक्टर को दिखायें: चूँकि पैर के अंगूठे में फंगल इन्फेक्शन होने पर कई अन्य कंडीशन्स के लक्षण होने का धोखा हो सकता है इसलिए डॉक्टर से सही डायग्नोसिस कराना जरुरी होता है जिससे प्रॉब्लम को असरदार तरीके से ठीक किया जा सके | डॉक्टर को दिखाने जाएँ जिससे वे आपके नाखून को एक्सामिन कर सकें और फंगल इन्फेक्शन का पता लगा सकें या कन्फर्मेशन के लिए लैब टेस्ट करा सकें |[११]

    • डॉक्टर लैब टेस्टिंग के लिए आपके नाखून से थोड़ी क्लिपिंग्स ले सकते हैं या स्क्रेपर से नाखून के नादर से डेब्रिस कलेक्ट कर सकते हैं |
    • आपको अनुभव हो रहे सभी लक्षण और पहले से इस्तेमाल की जा रही दवाओं या अपने अन्य हेल्थ इशू के बारे में डॉक्टर को बताएं |

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    बाज़ार में मिलने वाली एंटीफंगल दवाओं का इस्तेमाल करें: बहुत ज्यादा एग्रेसिव एप्रोच आजमाने से पहले आपके इन्फेक्टेड नाखून के लिए डॉक्टर के द्वारा सिफारिश की गयी बाज़ार में मिलने वाली दवाओं का इस्तेमाल करें | एंटीफंगल नेल क्रीम या ऑइंटमेंट खरीदें, जैसे Dr. Scholl’s फंगल नेल ट्रीटमेंट या लोट्रिमन AF (Lotrimin AF) और पैकेज पर दिए गये निर्देशों के अनुसार लगायें |[१२]

    • अगर इस दवाओं को लगाने से पहले आप नाखून को पतला और सॉफ्ट कर लेते हैं तो ये ट्रीटमेंट काफी असरदार साबित हो सकते हैं | प्रभावित नाखून को ट्रिम कर लें और सभी मोटे स्पॉट्स को धीरे-धीरे फाइल करें, लेकिन ध्यान रखें कि नाखून फाइल न हो पाए |
    • आप यूरिया 40+ या यूरिया केयर जैसी यूरिया-बेस्ड क्रीम को पहले ही नाखून पर लगाकर मेडिसिन को नाखून की गहराई तक ले जाने में मदद कर सकते हैं |

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    डॉक्टर से टॉपिकल एंटीफंगल मेडिकेशन के प्रिस्क्रिप्शन देने के बारे में पूछें: अगर बाज़ार में मिलने वाले ट्रीटमेंट से इन्फेक्शन ख़त्म न हो रहा हो तो डॉक्टर टॉपिकल एंटीफंगल क्रीम, ऑइंटमेंट या नेल पॉलिश लिख सकते हैं | इन दवाओं का इस्तेमाल मुश्किल से ठीक होने वाले इन्फेक्शन में ओरल एंटीफंगल ट्रीटमेंट के साथ किया जा सकता है | डॉक्टर के निर्देशों का सावधानीपूर्वक पालन करें |[१३]

    • डॉक्टर के द्वारा सामान्य तौर लिखी जाने वाली दवाओं में शामिल हैं; एमोरोलफाइन (amorolfine), सिक्लोपिरोक्स (ciclopirox), एफिनाकोनाजोल (Efinaconazole) और टेवाबोरोल (Tavaborole) |
    • कुछ एंटीफंगल ऑइंटमेंट हर दिन लगाने पड़ते हैं जबकि अन्य सप्ताह में केवल एक बार | दवाओं के असर के लिए आपको कई सप्ताह तक ट्रीटमेंट लेना होगा |
    • कुछ एंटीफंगल मेडिकेशन मेडिकेटिड नेल पॉलिश (Penlac (पेन्लाक) के रूप में मिलते हैं जिन्हें प्रभावित नाखून पर रोज़ लगाना पड़ता है |[१४]

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    ओरल एंटीफंगल लेने के बारे में डॉक्टर से सलाह लें: अगर बाज़ार में मिलने वाली या डॉक्टर द्वारा लिखी टॉपकल दवाओं से कोई लाभ न हो तो डॉक्टर को दिखाए | वे आपको स्ट्रोंग ओरल एंटीफंगल दवाएं दे सकते हैं | इनके कॉमन ऑप्शन हैं; लेमिसिल (Lamisil) और स्पोरानोक्स (Sporanox) | ये दवाएं फंगस को मारने और इन्फेक्टेड नाखून की जगह पर नए हेल्दी नाखून को बढाने में मदद करती हैं |[१५]

    • आपको ये मेडिसिन इन्फेक्शन ख़त्म होने के पहले 6 से 12 सप्ताह तक लेनी पड़ेंगी | डैमेज नाखून को पूरी तरह से बढ़ने में कई महीने लग सकते हैं इसलिए अगर आपको तुरंत कोई ख़ास सुधार न दिखाई दे तो हताश न हों |
    • ओरल एंटीफंगल मेडिकेशन लेने से सीरियस साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं | इसलिए डॉक्टर से बार-बार चेक कराते रहें और सुनिश्चित करें कि आप इन दवाओं को अच्छी तरह सहन कर सकते हैं | डॉक्टर को अपनी अन्य हेल्थ प्रॉब्लम्स के लिए ली जा रही दवाओं की भी जानकारी दें |

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    मुश्किल से ठीक होने वाले इन्फेक्शन के लिए नाखून निकलवाने के बारे में पूछें: अगर दवाओं से कोई आराम न आ रहा हो या इन्फेक्शन बहुत सीवियर हो तो डॉक्टर नाखून निकलवाने की सिफारिश कर सकते हैं जिससे डायरेक्ट नेलबेड का इलाज़ किया जा सके | इसके लिए वे एक केमिकल लगाते हैं जिससे नाखून निकल जाता है या फिर नाखून को सर्जरी से हटाना पड़ता है |[१६]

    • अधिकतर केसेस में, ट्रीटमेंट के बाद नाखून धीरे-धीरे बढ़ने लगता है | इसमें कुछ महीनों से लेकर एक साल तक लग सकता है |
    • अगर फंगल इन्फेक्शन वापस आ जाए और ट्रीटमेंट से फायदा न हो तो डॉक्टर या डर्मेटोलॉजिस्ट को नाखून को स्थायी रूप से हटाने के लिए सर्जिकल प्रोसीजर करना पड़ती है |

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    नाखून पर मेलेनोमा के लक्षणों को एक्सामिन करें: पैर के नाखून के अंदर होने वाला मेलेनोमा (जिसे सबअंगुअल हीमेटोमा कहा जाता है) ऐसे गहरे नील की तरह दिखाई देता है जो नाखून में चोट लगने पर बनता है | अगर आपको भी नाखून के अंदर डार्क स्पॉट दिखाई दे लेकिन अंगूठे में कोई चोट न लगी हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएँ | सबअंगुअल मेलेनोमा के अन्य चिन्ह और लक्षण हैं:[१७]

    • नाखून के अंदर ब्राउन या ब्लैक स्ट्रीक बनना जो समय के साथ बढती जाए, विशेषरूप से ऐसी स्ट्रीक या धारी जो नाखून की टिप से नेल बेड के बसे एक फैली हो |
    • नाखून के अंदर ऐसा डार्क स्पॉट या नील होना जो नाखून बढ़ने पर भी ऊपर न आये या गायब न हो |
    • नखों और नेलबेड अलग-अलग होने लगें
    • नाखून के आस-पास की स्किन डार्क होती जाए
    • नाखून क्रैक, पतला होने लगे या मुड़ने लगे
    • नाखून के अंदर ब्लीडिंग होना

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    डायग्नोसिस के लिए तुरंत डॉक्टर को दिखाएँ: अगर आपको पैर के नाखून के अंदर मेलेनोमा होने की आशंका हो तो देर न करें, तुरंत डॉक्टर को दिखाएँ | अगर शुरुआत में ही पता चल जाए तो मेलेनोमा को बहुत आसानी से ट्रीट किया जा सकता है |[१८]

    • डॉक्टर बायोप्सी कराने के निर्देश देंगे जिसमें नेलबेड से एक छोटा सा टिश्यू लिया जाता है और कैंसरसेल्स के लिए एक्सामिन किया जाता है |
    • अगर टिश्यू टेस्ट में मेलेनोमा पॉजिटिव आये और डॉक्टर के अनुसार कैंसर फैलने की आशंका हो तो डॉक्टर नज़दीकी लिम्फनोड्स के कुछ हिस्सों की बायोप्सी भी करा सकते हैं |[१९]

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    मेलेनोमा को सर्जिकली रिमूव कराएँ: मेलेनोमा का बेस्ट ट्रीटमेंट है- कैंसरस टिश्यू को रिमूव कराना | मेलेनोमा की मोटाई और फैलाव के आधार पर डॉक्टर प्रभावित नाखून के कुछ हिस्से या पूरे नाखून को हटाने की सिफारिश कर सकते हैं |[२०]

    • अगर मेलेनोमा आस-पास के टिश्यू या लिम्फनोड्स तक फ़ैल गया हो तो कीमोथेरेपी या रेडिएशन थेरपी के साथ सप्लीमेंट सर्जरी कराना जरुरी हो सकता है
    • भले ही मेलेनोमा का फैलाव तुलनात्मक रूप से काफी कम हो तो भी डॉक्टर्स एडिशनल थेरपी लेने की सिफारिश कर सकते हैं जिससे फिर से मेलेनोमा होने से रोका जा सके या बंकि बची हुई कैंसर सेल्स को नष्ट किया जा सके |
    • ट्रीटमेंट के बाद डॉक्टर से रेगुलर फोलोअप लेते रहें और मेलेनोमा फिर से होने के केस में रूटीन सेल्फ-चेक करते रहें |

सलाह

  • पैर के नाखून के डिसकलरेशन के होने के स्किन पिगमेंटेशन में स्वाभाविक बदलाव जैसे कई अन्य कारण हो सकते हैं | इसका सम्बन्ध कई तरह की मेडिकल कंडीशन से हो सकता है जैसे डायबिटीज, किडनी डिजीज, हार्ट डिजीज या एनीमिया होने पर |[२१] अपने डॉक्टर से जानें कि क्या शरीर में चल रही इस तरह की कंडीशन के कारण नाखून काला हुआ है |

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पैर के नाखूनों का काला होने का क्या कारण है?

जानिए आखिर पैर के नाखून काले क्यों होते है। कई बार होता है कि हमारे पैर में कोई भारी चीज गिर जाने के कारण नाखून के नीचे की रक्त वाहिकाएं फट सकती हैं और वहां खून जमा हो सकता है जिससे नाखून का रंग बदल सकता है। खून जमा होने से आपको तेज दर्द भी हो सकता है। नाखूनों का काला होने का कारण स्किन कैंसर भी हो सकता है।

नाखून काले होने से क्या होता है?

नाखूनों का ग्रीन या ब्लैक हो जाना ऐसा किसी बैक्टीरिया के कारण हो सकता है। ये नाखून में इन्फेक्शन या किसी बैक्टीरिया के कारण हो सकता है। अगर सही समय पर ट्रीटमेंट न किया जाए तो नाखूनों का इन्फेक्शन और ज्यादा खराब हो सकता है।

काले नाखून को साफ कैसे करें?

अगर नाखूनों के आसपास की स्किन कहीं से कटी-फटी ना हो तो नींबू के रस में कुछ देर नाखून डुबाए रखें और फिर ब्रश से हल्का रगड़कर धो लें. नाखून चमक जाएंगे. नींबू (Lemon) और बेकिंग सोडा को साथ में मिलाकर उसका पेस्ट लगाने से भी नाखून साफ हो जाते हैं. सफेद सिरका नाखूनों से पीलेपन को हटा देता है.

नाखूनों से बीमारी का कैसे पता चलता है?

सफेद नाखून के ऊपरी हिस्से में गुलाबी लाइन : अगर आपके नाखून के ऊपरी हिस्से में गुलाबी लाइन दिखें, तो यह शरीर की किसी गंभीर बीमारी, हृदय रोग, गंभीर इंफेक्शन आदि का संकेत देता है. नाखून में धारियां – यह विटामिन-बी, बी-12, जिंक की कमी कमी का दर्शाता है. नीले नाखून – दिल, फेफड़ों में ऑक्सीजन की कमी होने के संकेत हैं.

नाखून नीले क्यों पड़ते हैं?

कुछ स्थितियों में नाखून का रंग नीला पड़ने के लिए सायनोसिस नामक समस्या को मुख्य कारण के तौर पर देखा जाता है। सायनोसिस, रक्त में ऑक्सीजन की कमी के कारण होने वाली समस्या है। नाखूनों के अलावा, सायनोसिस आमतौर पर हाथों, पैरों के तलवों और मुंह को भी प्रभावित करता है।

नाखूनों में कौन कौन सी बीमारी होती है?

खून की कमी के अलावा आनुवंशिक रोग, दिल की बीमारी, थायरॉइड की समस्या और ट्रॉमा की स्थिति आदि में ऐसा होता है. शरीर में ऑक्सीजन का संचार ठीक प्रकार से न होने पर नाखूनों का रंग नीला होने लगता है. यह फेफड़ों में संक्रमण, निमोनिया या दिल के रोगों की ओर भी संकेत करता है. इसलिए नीले नाखून दिखने के बाद आपको सचेत हो जाना चाहिए.