हनुमान जी के आध्यात्मिक गुरु कौन थे? - hanumaan jee ke aadhyaatmik guru kaun the?

शिव, पवनदेव और अन्य देवताओं के अलावा मतंग ऋषि के शिष्य थे हनुमानजी। हनुमानजी ने कई लोगों से शिक्षा ली थी। सूर्य, नारद के अलावा एक मान्यता अनुसार हनुमानजी के गुरु मातंग ऋषि भी थे। मतंग ऋषि शबरी के गुरु भी थे। कहते हैं कि मतंग ऋषि के आश्रम में ही हनुमानजी का जन्म हआ था।


मतंग ऋषि के यहां माता दुर्गा के आशीर्वाद से जिस कन्या का जन्म हुआ था वह मातंगी देवी थी। दस महाविद्याओं में से नौवीं महाविद्या देवी मातंगी ही है। यह देवी भारत के आदिवासियों की देवी है। दस महाविद्याओं में से एक तारा और मातंग देवी की आराधना बौद्ध धर्म में भी की जाती हैं। बौद्ध धर्म में मातंगी को मातागिरी कहते हैं।

भारत के गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल आदि राज्यों में मातंग समाज के लोग आज भी विद्यमान है। मान्यता अनुसार मातंग समाज, मेघवाल समाज और किरात समाज के लोगों के पूर्वज मातंग ऋषि ही थे। श्रीलंका में ये आदिवासी समूह के रूप में विद्यमान है। कुछ विद्वानों अनुसार मेघवाल समाज भी मातंग ऋषि से संबंधित है। ये सभी मेघवंशी हैं।

सेतु एशिया नामक एक वेबसाइट ने दावा किया है कि श्रीलंका के जंगलों में एक आदिवासी समूह से हनुमानजी प्रत्येक 41 साल बाद मिलने आते हैं। सेतु के शोधानुसार श्रीलंका के जंगलों में एक ऐसा कबीलाई समूह रहता है जोकि पूर्णत: बाहरी समाज से कटा हुआ है। इसका संबंध मातंग समाज से है जो आज भी अपने मूल रूप में है। उनका रहन-सहन और पहनावा भी अलग है। उनकी भाषा भी प्रचलित भाषा से अलग है। हालांकि इस बात में कितनी सचाई है यह कोई नहीं जानता।

उल्लेखनीय है कि कर्नाटक में पंपा सरोवर के पास मतंग ऋषि का आश्रम है जहां हनुमानजी का जन्म हुआ था। इस समूह का कहीं न कहीं यहां से संबंध हो सकता है। श्रीलंका के पिदुरु पर्वत के जंगलों में रहने वाले मातंग कबीले के लोग संख्या में बहुत कम हैं और श्रीलंका के अन्य कबीलों से काफी अलग हैं।

Hanuman ji ke guru kaun the हनुमान जी महाराज बहुत ही बड़े राम भक्त हैं यह ऐसे देव हैं जो भक्त में भी बड़े हैं और योद्धाओं में भी बड़े हैं भगवान हनुमान जी महाराज बाल ब्रह्मचारी है

यह बचपन में बड़े चंचल हुआ करते थे इसलिए इनको शिक्षा के लिए सभी देवों ने विचार किया कि किसे इनका गुरु मनाए ताकि वह हनुमान जी को शिक्षित कर सकें क्योंकि भविष्य में हनुमान जी महाराज से बहुत बड़े कार्य होने वाले थे

हनुमान जी के आध्यात्मिक गुरु कौन थे? - hanumaan jee ke aadhyaatmik guru kaun the?
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hanuman ji ke guru kaun the

हनुमान जी के गुरु कौन थे

इसलिए इनके गुरु को भी महान होना चाहिए इसी कारणवश सूर्य देव को हनुमान जी महाराज का गुरु बनाया गया जबकि सूर्य कहीं भी रुक नहीं सकते उन्हें गतिमान रहना होता है

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क्योंकि अगर वह रुक गए तो पृथ्वी पर रात दिन का अंतर मिट जाएगा इसलिए सूर्य जितनी तेज गति से आगे की ओर चलता है इतनी तेज गति से हनुमान जी महाराज पीछे की ओर उड़कर सूर्य से शिक्षा ग्रहण की थी इसलिए हनुमान जी के गुरु सूर्य देव है

वैसे हनुमान के पिता पवन देव हैं हनुमान जी को पवन पुत्र भी कहा जाता है आपको हनुमान जी महाराज के कार्यों का तो पता ही होगा हनुमान जी ने राम की सहायता करने के लिए माता सीता की खोज की और राम और रावण के युद्ध में राम जी का सहयोग किया

और सीता माता की खोज की इससे राम ने खुश होकर उन्हें गले से लगाया और हनुमान जी महाराज ने रावण की लंका को एक पल में जला दिया और सीता माता से हनुमान जी को अजर और अमर रहने का वरदान प्राप्त है

हनुमान जी की माता का नाम अंजना है राम रावण युद्ध में लक्ष्ण को सक्ति लगने से लखन को मूर्छा आ गई अगर रात भर में उन्हें संजीवनी बुनटी नही दी जाती तो वे मर भी सकते थे

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तो हनुमानजी ने ही संजीवनी बूंटी लाकर दी और अहिरावण से भी हनुमानजी ने राम और लखन को छुड़ाकर लाये रामभक्त हनुमान के कार्यो का वर्णन कम है

hanuman ji ke guru kaun the आज का पोस्ट इतना ही अगर आपको हमारी दी गई जानकारी पसंद आई तो आप हमें कमेंट में यह चिराग लिखें जय श्री राम लिखें और आपको कुछ और जानना हो तो आप हमें कमेंट कर सकते हैं राम जी राम

हनुमान जी के आध्यात्मिक गुरु कौन थे? - hanumaan jee ke aadhyaatmik guru kaun the?
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हनुमान जी के गुरु का क्या नाम था?

हनुमान जी ने सूर्यदेव को अपना गुरु बनाया था। जब हनुमान जी थोड़े बड़े हुए और शिक्षा ग्रहण करने के योग्य हुए तो उनके माता-पिता ने उन्हें सूर्यदेव के पास शिक्षा ग्रहण करने के लिए भेजा। हनुमानजी ने सूर्यदेव से गुरु बनने की प्रार्थना की, लेकिन सूर्य ने कहा, 'मैं तो एक पल के लिए रुकता नहीं हूं, न ही मैं रथ से उतरता हूं।

हनुमान जी के आध्यात्मिक गुरु कौन है?

आध्यात्मिक गुरु लोक मान्यताओं के अनुसार सूर्य देव को हनुमान जी का गुरु माना गया है, परन्तु सच्चाई यह है ऋषि मनिन्दर जी उनके वास्तविक गुरु हैं जो त्रेता युग में हनुमान जी को तब मिले थे जब वह लंका से माता सीता की खोज कर वापस लौट रहे थे।

हनुमान जी के परम भक्त कौन थे?

माधवाचार्यजी- माधवाचार्यजी का जन्म 1238 ई. में हुआ था। माधवाचार्यजी प्रभु श्रीराम और हनुमानजी के परम भक्त थे

हनुमान जी के सबसे बड़े भक्त कौन थे?

हनुमान जी राम जी को सुप्रीम मानकर भक्ति करते है, जीवन के अंतिम क्षणों में उन्हें आदिराम के बारे में पता चला तब गुरू शरण में जाकर भक्ति की और कल्याण कराया।