पाइल्स की बीमारी - pails kee beemaaree

पाइल्स क्या है? इस बीमारी के कारणों के साथ जान लें लक्षण भी

मोबाइल फोन का दखल जिंदगी में इतना बढ़ गया है कि हम हर जगह फोन को लेकर पहुंच जाते हैं।रात को सोने के समय भी हम फोन का इस्तेमाल करते रहते हैं।ऐसे में मोबाइल की वजह से हम कई बीमारियों के शिकार हो रहे...

पाइल्स की बीमारी - pails kee beemaaree

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Pratima Jaiswalलाइव हिन्दुस्तान टीम ,नई दिल्ली Fri, 23 Jul 2021 10:17 AM

मोबाइल फोन का दखल जिंदगी में इतना बढ़ गया है कि हम हर जगह फोन को लेकर पहुंच जाते हैं।रात को सोने के समय भी हम फोन का इस्तेमाल करते रहते हैं।ऐसे में मोबाइल की वजह से हम कई बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। हम में से कई लोग मोबाइल फोन को टॉयलेट में भी लेकर जाते हैं। वहां टॉयलेट सीट पर बैठकर मोबाइल का इस्तेमाल करने से पाइल्स यानी बवासीर जैसी बीमारी का खतरा सबसे ज्यादा रहता है।

पाइल्स क्या है? 
पाइल्स एक ऐसी बीमारी है जिसमें पीड़ित व्यक्ति एनस के अंदर और बाहरी हिस्से में सूजन आ जाती है। जिसकी वजह से एनस अंदरूनी हिस्से या बाहर के हिस्से में स्किन जमाकर होकर मस्से जैसी बन जाती है और इसमें से कई बार खून निकलने के साथ ही दर्द भी होता है। मल त्याग के दौरान जोर लगाने पर ये मस्से बाहर आ जाते हैं। इस समस्या के कारण व्यक्ति को बैठने में भी दिक्कत होती है। चिकित्सकों के अनुसार, कई बार शर्मिंदगी के कारण लोग शुरुआत में इस पर ध्यान नहीं देते जिससे बाद में समस्या बढ़ जाती है।

पाइल्स के कारण
- कब्ज की समस्या। कब्ज के कारण पेट साफ नहीं होता है और मल त्याग में जोर लगाना पड़ता है जिसकी वजह से पाइल्स की समस्या हो जाती है।
- जो लोग ज़्यादा देर तक खड़े होकर काम करते हैं, उन्हें भी बवासीर की समस्या हो जाती है।
- पाइल्स का एक कारण मोटापा भी है।
- प्रेग्नेंसी के दौरान भी कई महिलाओं को पाइल्स की समस्या हो जाती है।
- डिलीवरी के बाद भी यह समस्या हो सकती है।
- यदि परिवार में किसी को बवासीर है, तो आपको इसे होने का खतरा बढ़ जाता है।

पाइल्स के लक्षण
- मल त्याग के समय दर्द होना और रक्त या म्यूकस आना।
- एनस के आसपास सूजन या गांठ जैसे होना।
- एनस के आसपास खुजली होना। 
- मल त्याग के बाद भी ऐसा लगना कि पेट साफ नहीं हुआ है।
- पाइल्स के मस्सों से सिर्फ खून आना।
 

ये सावधानियां भी जरूरी 
अपने घर के टॉइलट को भले ही हम अपने हिसाब से पूरी तरह साफ रखते हों लेकिन घर के बाहर ऑफिस में, मॉल में, ट्रेन में या फिर कहीं और पब्लिक टॉइलट यूज करते वक्त ज्यादातर लोगों के मन में जर्म्स, गंदगी और कीटाणु का डर रहता है। पब्लिक टॉइलट दिखने में भले ही साफ लेकिन हर तरह के लोग इसका इस्तेमाल करते हैं इसलिए गंदे पब्लिक टॉइलट यूज करने पर इंफेक्शन और बीमारियों का खतरा रहता ही है। हेपेटाइटिस ए संक्रमण गंदे शौचालयों से होने वाला मुख्य संक्रमण है।

बुखार, उल्टी और पेट में ऐंठन आदि इसके लक्षण हैं। ये संक्रमित लोगों के मल से फैलता है। एक ही बाल्टी या मग इस्तेमाल करने से भी ये फैलता है। वहीं, मोबाइल फोन का इस्तेमाल टॉयलेट में करने से न सिर्फ आपका समय भी खराब होता है बल्कि आपके मोबाइल में भी कई तरह के वायरस आ जाते हैं, जिससे इंफेक्शन फैलने का खतरा रहता है।

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पाइल्स की बीमारी - pails kee beemaaree

बवासीर को Piles या Hemorrhoids भी कहा जाता है। बवासीर एक ऐसी बीमारी है, जो बेहद तकलीफदेह होती है। इसमें गुदा (Anus) के अंदर और बाहर तथा मलाशय (Rectum) के निचले हिस्से में सूजन आ जाती है। इसकी वजह से गुदा के अन्दर और बाहर, या किसी एक जगह पर मस्से बन जाते हैं। मस्से कभी अन्दर रहते हैं, तो कभी बाहर आ जाते हैं। करीब 60 फीसदी लोगों को उम्र के किसी न किसी पड़ाव में बवासीर की समस्या होती है। रोगी को सही समय पर पाइल्स का इलाज (Piles Treatment) कराना बेहद ज़रूरी होता है। समय पर बवासीर का उपचार नहीं कराया गया तो तकलीफ काफी बढ़ जाती है। 

पाइल्स की बीमारी - pails kee beemaaree

यह एक अनुवांशिक समस्या भी है। यदि परिवार में किसी को यह समस्या रही हो, तो इससे दूसरे व्यक्ति को होने की आशंका रहती है। बहुत पुराना होने पर यह भगन्दर का रूप धारण कर लेता है जिसे फिस्टुला (Fistula) भी कहते हैं। इसमें असहाय जलन एवं पीड़ा होती है।

Contents

  • 1 बवासीर के प्रकार (Piles (Hemorrhoids) Types)
    • 1.1 खूनी बवासीर
    • 1.2 बादी बवासीर
  • 2 बवासीर होने के लक्षण (Piles or Hemorrhoids Symptoms)
  • 3 बवासीर होने के कारण (Piles or Hemorrhoids Causes)
  • 4 बवासीर और भगन्दर में अन्तर (Difference between Piles and Fistula)
  • 5 बवासीर के इलाज के लिए घरेलू नुस्खे (Home Remedy for Piles (Hemorrhoids) Treatment)
    • 5.1 एलोवेरा के प्रयोग से बवासीर का इलाज (Use Aloe vera for Piles Treatment in Hindi)
    • 5.2 बवासीर में फायदेमंद सेब का सिरका (Use Apple Vinegar for Piles Treatment in Hindi)
    • 5.3 बवासीर के उपचार के लिए जैतून के तेल का इस्तेमाल (Olive Oils : Home Remedy for Piles Treatment in Hindi)
    • 5.4 बवासीर में लाभदायक बादाम का तेल (Badam oil : Home Remedies for Hemorrhoids Treatment in Hindi)
    • 5.5 नारियल का उपयोग कर बवासीर में लाभ (Coconut : Home Remedy for Hemorrhoids Treatment in Hindi)
    • 5.6 अंजीर खाने से बवासीर रोग में लाभ (Ajneer : Home Remedies to Cure Hemorrhoids in Hindi)
    • 5.7 बवासीर के घरेलू उपचार के लिए जीरे का प्रयोग (Jeera : Home Remedies to Cure Hemorrhoids in Hindi)
    • 5.8 नींबू के इस्तेमाल से पाइल्स का घरेलू इलाज (Use of Lemon to Cure Piles in Hindi)
    • 5.9 मट्ठा और अजवायन के सेवन से पाइल्स का इलाज (Whey and Oregano : Home Remedies for  Treatment of Hemorrhoids in Hindi)
    • 5.10 पाइल्स का घरेलू उपचार पपीते से (Benefits of Papaya in Piles Disease in Hindi)
    • 5.11 बवासीर रोग का घरेलू उपचार करने के लिए खाएं पका केला (Kela se Kare Piles ka Ilaj in Hindi)
    • 5.12 गर्म पानी का प्रयोग दिलाता है बवासीर के दर्द में तुरंत राहत (Uses of Hot Water in Piles Treatment in Hindi)
  • 6 बवासीर की बीमारी के दौरान आपका खान-पान  (Your Diet in Piles or Hemorrhoids)
  • 7 बवासीर की बीमारी के दौरान जीवनशैली (Your Lifestyle in Piles or Hemorrhoids)
  • 8 बवासीर में परहेज (Avoid These in Piles or Hemorrhoids)
  • 9 बवासीर से संबंधित सवाल और जवाब (FAQ Related Piles or Hemorrhoids)

बवासीर के प्रकार (Piles (Hemorrhoids) Types)

बवासीर दो प्रकार की होती हैं, जो ये हैंः-

खूनी बवासीर

खूनी बवासीर में किसी प्रकार की पीड़ा नहीं होती है। इसमें मलत्याग करते समय खून आता है। इसमें गुदा के अन्दर मस्से हो जाते हैं। मलत्याग के समय खून मल के साथ थोड़ा-थोड़ा टपकता है, या पिचकारी के रूप में आने लगता है।

मल त्यागने के बाद मस्से अपने से ही अन्दर चले जाते हैं। गंभीर अवस्था में यह हाथ से दबाने पर भी अन्दर नहीं जाते। इस तरह के बवासीर का तुरंत उपचार कराएं। 

बादी बवासीर

बादी बवासीर में पेट की समस्या अधिक रहती है। कब्ज एवं गैस की समस्या बनी ही रहती है। इसके मस्सों में रक्तस्राव नहीं होता। यह मस्से बाहर आसानी से देखे जा सकते हैं। इनमें बार-बार खुजली एवं जलन होती है। शुरुआती अवस्था में यह तकलीफ नहीं देते, लेकिन लगातार अस्वस्थ खान-पान और कब्ज रहने से यह फूल जाते हैं। इनमें खून जमा हो जाता है, और सूजन हो जाती है।

इसमें भी असहनीय पीड़ा होती है, और रोगी दर्द से छटपटाने लगता है। मलत्याग करते समय, और उसके बाद भी रोगी को दर्द बना रहता है। वह स्वस्थ तरह से चल-फिर नहीं पाता, और बैठने में भी तकलीफ महसूस करता है। इलाज कराने से यह समस्या ठीक हो जाती है। 

बवासीर होने के लक्षण (Piles or Hemorrhoids Symptoms)

कई बार बवासीर यदि गंभीर अवस्था में ना पहुंचा हो तो यह 4-5 दिनों में अपने आप ही ठीक हो जाता है, लेकिन रोग बढ़ने पर ये लक्षण देखे जा सकते हैंः-

  • गुदा के आस-पास कठोर गांठ जैसी महसूस होती है। इसमें दर्द रहता है, तथा खून भी आ सकता है।
  • शौच के बाद भी पेट साफ ना हेने का आभास होना।
  • शौच के वक्त जलन के साथ लाल चमकदार खून का आना।
  • शौच के वक्त अत्यधिक पीड़ा होना।
  • गुदा के आस-पास खुजली, एवं लालीपन, व सूजन रहना।
  • शौच के वक्त म्यूकस का आना।
  • बार-बार मल त्यागने की इच्छा होना, लेकिन त्यागते समय मल न निकलना।

इन लक्षणों को बिल्कुल भी नजरंदाज ना करें। जल्द से जल्द डॉक्टर के पास जाकर पाइल्स का इलाज  कराएं।

बवासीर होने के कारण (Piles or Hemorrhoids Causes)

आयुर्वेद में बवासीर को ‘अर्श’ कहा गया है। यह वात, पित्त एवं कफ तीनों दोषों के दूषित होने से होता है। इसलिए इसे त्रिदोषज रोग कहा गया है।  जिस बवासीर में वात या कफ की प्रधानता होती है, वे अर्श शुष्क होते हैं। इसलिए मांसांकुरों में से स्राव नहीं होता है। जिस अर्श में रक्त या पित्त या रक्तपित्त की प्रधानता होती है, वे आर्द्र अर्श होते है। इसमें रक्तस्राव होता है। शुष्क अर्श में पीड़ा अधिक होती है।

कुछ लोगों में यह रोग पीढ़ी दर पीढ़ी देखा जाता है, लेकिन कुछ में अन्य कारणों से भी होता है, जो ये हैंः-

  • कुछ व्यक्तियों को अपने रोजगार की वजह से घंटे खड़े रहना पड़ता है, जैसे- बस कंडक्टर, ट्रॉफिक पुलिस इत्यादि। इसके साथ ही जिन्हें भारी वजन उठाना पड़ता है। इन लोगों को बवासीर से पीड़ित होने की अधिक संभावना रहती है। 
  • कब्ज भी बवासीर का एक प्रमुख कारण है। कब्ज में मल सूखा एवं कठोर होता है, जिसकी वजह से व्यक्ति को मलत्याग करने में कठिनाई होती है। काफी देर तक उकड़ू बैठे रहना पड़ता है। इस कारण से वहां की रक्तवाहिनियों पर जोर पड़ता है, और वह फूलकर लटक जाती है, जिन्हें मस्सा कहा जाता है।
  • अधिक तला एवं मिर्च-मसाले युक्त भोजन करना।
  • शौच ठीक से ना होना।
  • फाइबर युक्त भोजन का सेवन न करना।
  • महिलाओं में प्रसव के दौरान गुदा क्षेत्र पर दबाव पड़ने से बवासीर होने का खतरा रहता है।
  • आलस्य या शारीरिक गतिविधि कम करना।
  • धूम्रपान और शराब का सेवन।
  • अवसाद

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बवासीर और भगन्दर में अन्तर (Difference between Piles and Fistula)

  • बवासीर में गुदा एवं मलाशय के निचले भाग की रक्तवाहिनियों में सूजन आ जाती है। ऐसा लम्बे समय तक कब्ज और शौच में अत्यधिक समय तक बैठे रहने से होता है।
  • इसके अलावा मोटापा या गर्भवती महिलाओं में भी यह होने का खतरा रहता है। इसमें गुदा या मलाशय में मस्से बन जाते हैं, जिनके फूटने पर इनसे खून निकलता है, और दर्द होता है।
  • भगन्दर में मस्से नहीं होते हैं। भगन्दर में एक घावयुक्त नली बन जाती है, जो गुदा नलिका (internal opening) तथा गुदा के बाहर
  • (external opening) की त्वचा में होती है।
  • भगन्दर उन लोगों में होता है, जिनके मलद्वार के पास कोई फोड़ा हो जाता है। फोड़े में कई मुंह बन जाते है। ऐसे में यदि रोगी व्यक्ति उससे छेड़छाड़ करता है तो भगन्दर हो जाता है।
  • इसमें से खून और मवाद लगातार निकलता रहता है। शुरुआती अवस्था में इसमें मवाद और खून की मात्रा कम होती है। इसलिए इससे रोगी के वस्त्रों में केवल दाग मात्र लगता है। धीरे-धीरे रिसाव बढ़ता जाता है, और रोगी को खुजली, बेचैनी और दर्द होने लगता है। 

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बवासीर के इलाज के लिए घरेलू नुस्खे (Home Remedy for Piles (Hemorrhoids) Treatment)

आप बवासीर (पाइल्स) के घरेलू इलाज (Bavasir ka upchar) के लिए ये उपाय कर सकते हैंः-

एलोवेरा के प्रयोग से बवासीर का इलाज (Use Aloe vera for Piles Treatment in Hindi)

एलोवेरा के सूजनरोधक और चिकित्सकीय गुणों से बवासीर की जलन कम हो जाती है, और कब्ज की समस्या नहीं होती। यह आंतरिक और बाह्य दोनों प्रकार के पाइल्स के इलाज में लाभदायक है। गुदा के बाहर के मस्सों में एलोवेरा जेल लगाएं। यह जलन और खुजली को शांत करता है। एलोवेरा के 200-250 ग्राम गूदे को खाएं। इससे कब्ज नहीं (Bavasir ka upchar) होगी और मलत्यागने में आसानी होगी।

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बवासीर में फायदेमंद सेब का सिरका (Use Apple Vinegar for Piles Treatment in Hindi)

सेब का सिरका अपने कषाय गुणों के कारण रक्तवाहिनियों को सिकोड़ने में मदद करता है। खूनी बवासीर में एक गिलास पानी में सेब के सिरके का एक चम्मच डालकर दिन में दो बार पिएं। बादी बवासीर में सेब के सिरके में रुई भिगाकर गुदा में रखें। इससे जलन और खुजली से राहत मिलेगी।

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बवासीर के उपचार के लिए जैतून के तेल का इस्तेमाल (Olive Oils : Home Remedy for Piles Treatment in Hindi)

जैतून के तेल में सूजन ठीक करने वाले गुण होते हैं। यह रक्तवाहिकाओं में आई सूजन को कम करता है। जैतून के तेल को बादी बवासीर के मस्सों पर लगाएं।

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और पढ़ेंः जैतून के तेल के अनेक फायदे

बवासीर में लाभदायक बादाम का तेल (Badam oil : Home Remedies for Hemorrhoids Treatment in Hindi)

शुद्ध बादाम के तेल में रुई को डुबोएं, तथा बादी बवासीर में मस्सों पर लगाएं। यह सूजन और जलन को कम करता है।

और पढ़ेंः बादाम के फायदे

नारियल का उपयोग कर बवासीर में लाभ (Coconut : Home Remedy for Hemorrhoids Treatment in Hindi)

नारियल की जटाओं को जलाकर राख या भस्म बना लें। इसे ताजे मट्ठे में मिलाकर सुबह खाली पेट नियमित रूप से पिएं।

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और पढ़ेंः नारियल के अनेक फायदे

अंजीर खाने से बवासीर रोग में लाभ (Ajneer : Home Remedies to Cure Hemorrhoids in Hindi)

तीन अंजीर एक गिलास पानी में भिगों दें। सुबह खाली पेट इसका सेवन कर, इस पानी को भी पिएं।

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और पढ़ेंः अंजीर के अनेक फायदे

बवासीर के घरेलू उपचार के लिए जीरे का प्रयोग (Jeera : Home Remedies to Cure Hemorrhoids in Hindi)

  • बादी बवासीर में दर्द और जलन होने पर जीरे के दानों को पानी के साथ पीसकर लेप बना लें। इसे मस्सों वाली जगह पर लगाएं।
  • खूनी बवासीर में जीरे को भूनकर मिश्री के साथ पीस लें। इसे दिन में 2-3 बार 1-2 ग्राम की मात्रा में मट्ठे के साथ लें।

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और पढ़ेंः जीरा के फायदे और नुकसान

नींबू के इस्तेमाल से पाइल्स का घरेलू इलाज (Use of Lemon to Cure Piles in Hindi)

नींबू के रस में अदरक और शहद मिलाकर सेवन करें। इससे पाइल्स में फायदा पहुँचता है।

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और पढ़ेंः नींबू के अनेक फायदे

मट्ठा और अजवायन के सेवन से पाइल्स का इलाज (Whey and Oregano : Home Remedies for  Treatment of Hemorrhoids in Hindi)

मट्ठा बवासीर रोग में अमृत के समान है। एक गिलास छाछ में एक चौथाई अजवायन पाउडर, और एक चम्मच काला नमक मिलाकर रोजाना दोपहर के खाने में सेवन करें। यह बवासीर से आराम पाने का सबसे अच्छा घरेलू उपचार (Bavasir ka upchar) है। 

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और पढ़ेंः अजवायन के फायदे और नुकसान

पाइल्स का घरेलू उपचार पपीते से (Benefits of Papaya in Piles Disease in Hindi)

रात के भोजन में पपीता खाएं। इससे कब्ज नहीं होगी। इससे मल त्याने के समय होने वाली पीड़ा नहीं होगी।

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और पढ़ेंः पपीता के अनेक फायदे

बवासीर रोग का घरेलू उपचार करने के लिए खाएं पका केला (Kela se Kare Piles ka Ilaj in Hindi)

पके केला को उबालें, और दिन में दो बार सेवन करें। यह फायदा देता है।

और पढ़ेंः केला से होने वाले अनेक लाभ

गर्म पानी का प्रयोग दिलाता है बवासीर के दर्द में तुरंत राहत (Uses of Hot Water in Piles Treatment in Hindi)

बाथ टब (Sitz bath) में गर्म पानी डालकर 10-15 मिनट तक बैठें। यह बवासीर के दर्द, और जलन से आराम पाने का सबसे अच्छा इलाज है

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बवासीर की बीमारी के दौरान आपका खान-पान  (Your Diet in Piles or Hemorrhoids)

अधिक फाइबरयुक्त आहार का सेवन करें, जैसे- रेशेदार फल एवं सब्जियाँ।

  • रोजाना 7-8 गिलास पानी पिएं।
  • भोजन में नियमित रूप से छाछ का सेवन करें।

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बवासीर की बीमारी के दौरान जीवनशैली (Your Lifestyle in Piles or Hemorrhoids)

  • नियमित रूप से व्यायाम एवं प्राणायाम करें।
  • अधिक देर तक एक ही जगह पर बैठे ना रहें।

बवासीर में परहेज (Avoid These in Piles or Hemorrhoids)

अगर आप पाइल्स का इलाज करवा करें हैं या बवासीर से पीड़ित हैं तो इन चीजों का परहेज करना बहुत जरूरी हैः-

  • जंक-फूड
  • तला-भुना एवं मिर्च-मसाले युक्त भोजन का सेवन बिल्कुल न करें।

बवासीर को लेकर आप अक्सर ये सवाल पूछते हैंः-

क्या बवासीर का इलाज केवल सर्जरी से संभव है?

बवासीर का इलाज केवल सर्जरी ही है, लेकिन यह सच नहीं है। समय पर किए गए उपचार, एवं बेहतर जीवनशैली से इस रोग को ठीक (Bavasir ka upchar) किया जा सकता है।

बवासीर के कारण होने वाली क्या दूसरी बीमारियां होती हैं?

बवासीर में अत्यधिक खून बहने के कारण शरीर में खून की कमी हो सकती है। व्यक्ति कमजोरी महसूस करने लगता है। लम्बे समय तक बीमारी के बने रहने, और इलाज की कमी के कारण यह कोलोरेक्टल कैंसर (Colorectal Cancer) का कारण भी बन सकता है। इसलिए लक्षण दिखते ही बवासीर का उपचार (Bavasir ka upchar) कराएं।

सर्जरी के बाद बवासीर दोबारा हो सकता है?

आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में सर्जरी ही इसका एकमात्र समाधान है, और सर्जरी के बाद भी यह रोग दोबारा हो जाता है। इसलिए घरेलू उपचार और बेहतर जीवनशैली अपनाना चाहिए। इससे बवासीर के दोबारा होने की संभावना बहुत कम हो जाती है।

और पढ़ें – मस्सा के इलाज में काकोदुम्बर फायदेमंद

पाइल्स होने के क्या कारण है?

कब्ज में मल सूखा और कठोर हो जाता है, जिसके कारण व्यक्ति को मल त्यागने में दिक्कत होती है. काफी देर तक उकड़ू बैठे रहने के कारण वहां की रक्तवाहिनियों पर जोर पड़ता है. जिसके कारण वह फूलकर लटक जाती हैं और उन्हें ही बवासीर का मस्सा कहा जाता है. ज्यादा तला-भुना और मिर्च मसाले युक्त भोजन भी बवासीर का कारण बनता है.

पाइल्स की शुरुआत कैसे होती है?

पाइल्स एक ऐसी बीमारी है जिसमें पीड़ित व्यक्ति एनस के अंदर और बाहरी हिस्से में सूजन आ जाती है। जिसकी वजह से एनस अंदरूनी हिस्से या बाहर के हिस्से में स्किन जमाकर होकर मस्से जैसी बन जाती है और इसमें से कई बार खून निकलने के साथ ही दर्द भी होता है। मल त्याग के दौरान जोर लगाने पर ये मस्से बाहर आ जाते हैं।

पाइल्स में क्या क्या खाना चाहिए?

बवासीर में क्या खाना चाहिए.
पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से बवासीर में मदद मिलती है ... .
साबुत अनाज बवासीर में फायदेमंद होते हैं ... .
फलों का सेवन बवासीर में अच्छा माना जाता है ... .
बवासीर में हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन फायदेमंद होता है ... .
छाछ का सेवन बवासीर के लक्षणों को कम करता है ... .
बवासीर में हर्बल चाय का सेवन प्रभावशाली होता है.

बवासीर को जड़ से खत्म कैसे करें?

एलोवेरा का करें इस्तेमाल एलोवेरा आंतरिक और बाहरी दोनों प्रकार के बवासीर को ठीक करने में लाभकारी होता है। गुदा के बाहर के मस्सों में एलोवेरा जेल को लगाएं और इससे आपको जलन एवं दर्द की समस्या से निजात मिल सकती है। प्रतिदिन 200 से 250 ग्राम तक एलोवेरा के पौधे को खाएं ऐसा करने से कब्ज की समस्या कभी नहीं होगी।