होम -> समाज | 3-मिनट में पढ़ें | Show कहते हैं An Apple a day keeps the doctor away (हर रोज़ एक सेब खाने से बीमारियों से बचा जा सकता है). मगर आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में कोई सेब खाने से बीमारी से नहीं बच पाता है. बीमारियों के प्रकार भी बदल गए हैं और कई बार तो किसी बड़ी बीमारी के बारे में बहुत बाद में पता चलता है. ऐसी ही एक बीमारी है जो भारत में हर साल 10 लाख लोगों को अपनी चपेट में ले रही है. सेप्सिस (Sepsis) यानि एक ऐसी बीमारी जिसमें खून में इन्फेक्शन मिल जाता है. इस बीमारी से लक्षण शरीर में पहले से ही दिखने लगते हैं. इसके तीन स्टेज होते हैं. सेप्सिस, सीवियर सेप्सिस और सेप्टिक शॉक. जितनी जल्दी इसके लक्षण समझ आते हैं उतनी ही जल्दी ठीक होने की गुंजाइश भी होती है. 1. स्किन की समस्या.. अगर सेप्सिस बहुत ज्यादा बढ़ जाता है तो स्किन का रंग बदलने लगता है, लेकिन अगर कम है तो भी स्किन पर लाल चकत्ते पड़ जाते हैं, दाने होने लगते हैं और खुजली भी शुरू हो जाती है. हाथ-पैर में ये ज्यादा होता है. 2. दिल की धड़कन... हार्टबीट या दिल की धड़कन लगातार तेज या एकदम कम होती रहती है. ये इसलिए होता है क्योंकि ब्लड इन्फेक्शन के कारण ऑक्सीजन का प्रवाह दिल और शरीर के बाकी हिस्सों तक ठीक से नहीं पहुंच पाता है. अगर कई दिनों से लगातार ऐसा हो रहा है तो एक बार चिकित्सक से सलाह लेना सही होगा. 3. यूरिन में समस्या.. यहां यूरिन इन्फेक्शन की तरह जलन आदि नहीं होती, बल्कि यूरिन कम उत्पन्न होती है. ये इसलिए होता है क्योंकि ब्लड इन्फेक्शन के कारण लिवर भी ठीक से काम नहीं करता. 4. चिड़चिड़ाहट... ये ब्लड इन्फेक्शन का कोई ठोस कारण नहीं है, लेकिन अगर बाकी सारे लक्षणों के साथ चिड़चिड़ाहट हो रही है तो यकीनन एक बार डॉक्टर के पास जाना बेहतर साबित हो सकता है. 5. मानसिक तनाव.. सेप्सिस जब भी होता है तो खून में इन्फेक्शन फैल जाता है और इसके कारण शरीर से कई तरह के कैमिकल रिलीज होते हैं. ऐसे में मानसिक तनाव होना, ठीक तरह से ध्यान नहीं लगा पाना आदि समस्या आम है. ये इसलिए होता है क्योंकि शरीर में न्यूट्रीशन और ऑक्सीजन सही मात्रा में नहीं पहुंच पाते हैं. 6. चक्कर आना.. क्योंकि दिमाग में ठीक से ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाता है तो अक्सर किसी भी कारण से चक्कर आना आम हो जाता है. इन्सॉम्निया (Insomnia - नींद न आने की बीमारी) होना भी बहुत आम है. 7. बढ़ी हुई नब्ज.. सिर्फ दिल की धड़कन ही नहीं नब्ज भी काफी बढ़ जाती है. साथ ही साथ ब्लड प्रेशर भी ऊपर नीचे होने लगता है. 8. उल्टी और घबराहट.. अगर खून में कोई समस्या हो रही है तो आसानी उल्टी और दस्त के साथ-साथ घबराहट हो सकती है. ये एक आध बार होना आम है, लेकिन अगर लगातार हो रहा है तो यकीनन चिंता की बात है. 9. बुखार.. अक्सर ब्लड इन्फेक्शन के समय तेज बुखार आ जाता है. इसी के साथ शरीर में कपकपी भी होती है. बुखार लगातार बना रहता है और दवा से कंट्रोल नहीं आता. 10. शरीर में नील पड़ जाना... शरीर में नील पड़ना किसी भी हिसाब से अच्छा नहीं माना जाता. लिवर की बीमारी से लेकर खून के इन्फेक्शन तक हर तरह की बीमारी का एक लक्षण शरीर में नील पड़ना भी होता है. अगर बिना किसी वजह लगातार शरीर के किसी न किसी हिस्से पर नील दिख रहे हैं तो एक बार डॉक्टर के पास जाना सही कदम होगा. ये भी पढ़ें- स्वास्थ्य सेवाओं की खामियों की चिंता दो घंटे के ट्विटर ट्रेंड से ज्यादा कुछ नहीं... एक लड़की ही समझ सकती है पीरियड से जुड़ी इन 10 समस्याओं को... लेखक
इंडिया टुडे ग्रुप का ऑनलाइन ओपिनियन प्लेटफॉर्म. खून में इन्फेक्शन होने से कौन सी बीमारी होती है?रक्त विषाक्तता क्या हैं? (What is blood poisoning?)
सेप्सिस (Sepsis) एक जानलेवा बीमारी है जो शरीर में संक्रमण होने के कारण होती है। शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली का कार्यस्तर कम हो जाता है, रिएक्शन होने पर सूजन हो जाती है और रक्त के थक्के जम जाते हैं।
ब्लड इंफेक्शन का कैसे पता चलता है?ठंड लगना, मध्यम या तेज बुखार, कमजोरी, तेजी से सांस लेना, दिल की धड़कन बढ़ना, त्वचा का पीलापन आदि ऐसे कुछ संकेत और लक्षण हैं जिनसे पता चलता है कि आपके खून में इन्फेक्शन हो गया है।
ब्लड में इन्फेक्शन क्यों होता है?कई बीमारियां बॉडी में हुए ब्लड इन्फेक्शन की वजह से होती हैं, ब्लड इन्फेक्शन कई तरह का हो सकता है, ये बैक्टीरियल, फंगल और वाइरल हो सकता है, कुछ तो कॉमन होते हैं जो आप जानते हैं और जो हर समय होते रहते हैं पर इनसे ज्यादा खतरा नहीं होता और ये खतरनाक नहीं होते पर कुछ ब्लड इन्फेक्शन बहुत खतरनाक हो सकते हैं, इस पर अगर ध्यान ...
ब्लड इंफेक्शन के लिए कौन सा टेस्ट होता है?ब्लड कल्चर टेस्ट कब और क्यों किया जाता है
यदि आपका डॉक्टर इस टेस्ट के लिए कहता है, तो ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्हें लगता है कि आपको एक सिस्टेमिक इन्फेक्शन हो सकता है और वे आपके खून में कुछ प्रकार के कीटाणुओं की जांच करना चाहते हैं। इससे उन्हें बेहतर इलाज में मिल सकती है।
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