नवजात शिशु को बार बार पॉटी क्यों आती है? - navajaat shishu ko baar baar potee kyon aatee hai?

हां, यह एकदम सामान्य है। कुछ शिशु हर बार दूध पीने के बाद मल कर देते हैं और वहीं कुछ शिशु दो से तीन दिन में मलत्याग करते हैं।

दूध पीने के बाद हर बार मलत्याग करना वास्तव में इस बात का अच्छा संकेत है कि आपका शिशु पर्याप्त दूध पी रहा है। जब आपके शिशु का पेट भर जाता है, तो दूध उसके पाचन तंत्र को उत्तेजित करता है। इससे शिशु को मल त्याग करने की तीव्र इच्छा होती है।

शुरुआती कुछ हफ्तों में, आपका शिशु हर बार दूध पीने के दौरान या इसके बाद मल त्याग कर सकता है। मगर, कुछ हफ्तों के बाद आप देखेंगी कि अब वह कम बार मल त्याग कर रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि उसका पेट अब बड़ा हो रहा है और उसकी मल प्रक्रिया भी एक दिनचर्या में व्यवस्थित हो रही है। वहीं दूसरी तरफ, यह संभव है कि वह अब भी हर बार दूध पीने के बाद मल त्यागना जारी रखे।

आप ध्यान रखें कि सभी शिशु एक-दूसरे से अलग होते हैं। शिशु चाहे कितने भी दिन में मलत्याग करे,  मगर यदि उसे मल त्यागने में कोई परेशानी नहीं हो रही और उसका वजन भी बढ़ रहा है, तो इसका मतलब है कि सब सामान्य है।

अगर, आपका शिशु स्तनपान करता है, तो फॉर्मूला दूध पीने वाले शिशुओं की तुलना में उसकी दूध पीने के बाद सीधे मलत्याग करने की संभावना ज्यादा होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि फॉर्मूला दूध को पचा पाना मुश्किल हो सकता है, इसलिए इसे शिशु के शरीर से बाहर निकलने में ज्यादा समय लग सकता है। इसके बावजूद भी, अगर शिशु हर बार फॉर्मूला दूध पीने के बाद मल त्याग करता है, तो भी कोई चिंता की बात नहीं है। खासकर कि शुरुआती कुछ हफ्तों में।

जब छह महीने की उम्र में आपका शिशु ठोस आहार खाना शुरु कर देता है, तो आप पाएंगी कि उसके मल की बनावट और बारंबारता में बदलाव आता है। फाइबर से भरपूर भोजन जैसे किशमिश, राजमा, लोबिया आदि शायद बिना पचे सीधे उसके मल के जरिये बाहर निकल सकते हैं। शिशु की लंगोट में शायद आपको ये साबुत या इनके टुकड़े दिखाई दे सकते हैं। जैसे-जैसे शिशु बड़ा होगा, इस स्थिति में बदलाव आएगा और वह फाइबर अधिक सक्षमता से पचा सकेगा।

हालांकि, यदि शिशु के मल में लगातार बिना पचा हुआ भोजन आए, तो इसकी जांच की जरुरत है। शिशु के डॉक्टर जांच करके यह सुनिश्चित करेंगे कि उसकी आंते भोजन और पोषक तत्वों को अवशोषित कर रही हैं या नहीं।

जब तक कि शिशु का मल मुलायम और आसानी से निकल पा रहा है, और शिशु स्वस्थ लग रहा है तो चिंता की कोई बात नहीं है, चाहे फिर वह दूध पीने के बाद हर बार मलत्याग करे। हालांकि, बार-बार मलत्याग करना कई बार दस्त (डायरिया) का संकेत हो सकता है। आपके शिशु को दस्त (डायरिया) हो सकता है, यदि:

  • उसका मल पानी की तरह पतला है और उसमें कोई गांठ नहीं है
  • वह सामान्य से अधिक बार या फिर सामान्य से ज्यादा मात्रा में मल त्याग कर रहा है
  • मल विस्फोटक तरह से या एकदम फूट के बाहर निकलता है और डायपर में से भी बाहर आ जाता है और उसकी टांगें भी मल से गंदी हो जाती हैं।

जब भी आपको लगे कि शिशु की तबियत ठीक नहीं है, तो हमेशा शिशु के डॉक्टर से बात करें। खासतौर पर अगर शिशु की उम्र छह महीने से कम है तो।

पानी जैसा पतला मल आने पर हमेशा डॉक्टर को बताएं। अगर शिशु को साथ में उल्टी भी आ रही हो, तो डॉक्टर को बताना और भी जरुरी हो जाता है। डायरिया में तरल का ह्रास सबसे बड़ी चिंता की बात होती है। इसलिए यदि शिशु में डायरिया के लक्षण दिखाई दें तो डॉक्टरी सलाह लेने में देरी न करें।

इस बीच, आप सुनिश्चित करें कि शिशु पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन करे ताकि उसके लक्षणों में आराम मिले और निर्जलीकरण (डिहाइड्रेशन) से बचाव हो। इस बात पर भी नजर रखें कि शिशु कितनी मात्रा में पेशाब कर रहा है। कम मात्रा में पेशाब या कम गीली लंगोट का मतलब है कि शिशु को पर्याप्त तरल नहीं मिल रहा है।

यदि आपका शिशु स्तनदूध या फॉर्मूला दूध अच्छे से पी रहा है, तो इसे जारी रखें। आप उसे एक घंटे में कुछ बार ओरल ​रीहाइड्रेशन सोल्यूशन (ओआरएस) भी दे सकती हैं। डायरिया की वजह से शिशु के शरीर से जो तरल ह्रास होता है, ओआरएस का घोल उसकी पूर्ति करने में मदद करता है। साथ ही, जब भी शिशु उल्टी करे या मल या मूत्र त्याग करे तो उसे ओआरएस के घोल की कुछ घूंट पिला दें।

यदि आपको लगे कि शिशु की स्थिति में सुधार नहीं आ रहा है और वह निर्जलीकृत हो रहा है, तो जल्द से जल्द उसे डॉक्टर के पास ले जाएं।

यदि शिशु ठीक से खा-पी नहीं रहा है और उसे बुखार है या मल में श्लेम या खून आ रहा है, तो इस बारे में भी डॉक्टर को बताएं।

यह बात अजीब लग सकती है, मगर बहुत ज्यादा पतला मल कब्ज का संकेत भी हो सकता है। निचली आंत में फंसे ठोस मल के बीच से पतला मल बाहर निकल सकता है। इसलिए यदि शिशु पतला मल त्याग करे तो इसे डायरिया न मानें - यह कब्ज की वजह से भी हो सकता है।

अंग्रेजी के इस लेख से अनुवादित: Is it normal for my baby to poo after every feed?

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नवजात शिशु को बार बार पॉटी क्यों आती है? - navajaat shishu ko baar baar potee kyon aatee hai?

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नवजात शिशु अगर बार बार पॉटी करे तो क्या करना चाहिए?

बच्चे के दस्त ठीक करने के अन्य घरेलू उपाय इससे त्वचा हाइड्रेट रहती है और बच्चे के दस्त को रोकने में भी काफी मदद मिलती है. चावल का पानी पिलाने शिशु को बार-बार पॉटी नहीं आती. बच्चे को आप मसूर की दाल का सूप (Masoor Dal Soup) भी दे सकते हैं. मसूर की दाल का पानी या सूप पीने से बच्चे की दस्त की समस्या जल्दी ठीक हो जाती है.

नवजात शिशु को दिन में कितनी बार पॉटी करनी चाहिए?

अगर बच्चा पूरी तरह से सिर्फ मां का दूध पीता है तो वह 1 दिन में 3 बार या फिर ज्यादा से ज्यादा 8 बार भी पॉटी कर सकता है। इसे सामान्य की कैटिगरी में रखा जा सकता है। औसतन बात करें तो सिर्फ ब्रेस्टफीडिंग करने वाला एक बच्चा एक दिन में करीब 4 बार मलत्याग करता है।

Baby दूध पीने के बाद पॉटी क्यों करता है?

दूध पीने के बाद हर बार मलत्याग करना वास्तव में इस बात का अच्छा संकेत है कि आपका शिशु पर्याप्त दूध पी रहा है। जब आपके शिशु का पेट भर जाता है, तो दूध उसके पाचन तंत्र को उत्तेजित करता है। इससे शिशु को मल त्याग करने की तीव्र इच्छा होती है।

1 महीने का बच्चा दिन में कितनी बार पॉटी करता है?

नवजात शिशु को बड़े बच्‍चों की तुलना में डायपर की ज्‍यादा जरूरत होती है। एक महीने से छोटे शिशु को एक दिन में कम से कम 6 से 10 डायपर की जरूरत होती है। इस उम्र में बच्‍चे लगभग तीन से चार बार पॉटी और लगभग हर घंटे में पेशाब करते हैं, इसलिए शुरुआती महीने में आपको डायपर की बहुत जरूरत पड़ती है।