नवाब साहब द्वारा सेकंड क्लास में यात्रा करने के क्या कारण हो सकते हैं? - navaab saahab dvaara sekand klaas mein yaatra karane ke kya kaaran ho sakate hain?

लेखक ने नबाब की असुविधा और संकोच के लिए क्या अनुमान लगाया?


लेखक जिस डिब्बे में चढ़ा वहाँ पहले से ही एक सज्जन पालथी लगाए बैठे थे। उनके सामने दो खीरे रखे थे। लेखक को देखकर उन्हें असुविधा और संकोच हो रहा था। लेखक ने उनकी असुविधा और संकोच के कारण का अनुमान लगाया कि नवाब साहब यह नहीं चाहते होंगे कि कोई उन्हें सेकंड क्लास में यात्रा करते देखें। यह उनकी रईसी के विरुद्ध था। नवाब साहब ने आम लोगों द्वारा खाए जाने वाले खीरे खरीद रखे थे। अब उन खीरों को लेखक के सामने खाने में संकोच आ रहा था। सेकंड क्लास में यात्रा करना और खीरे खाना उनके लिए असुविधा और संकोच का कारण बन रहा था।

496 Views


लेखक को खीरे खाने से इंकार करने पर अफसोस क्यों हो रहा था?


नवाब साहब ने साधारण से खीरों को इस तरह से संवारा कि वे खास हो गए थे। खीरों की सजावट ने लेखक के मुँह में पानी ला दिया था परंतु वे पहले ही खीरा खाने से इंकार कर चुके थे। अब उन्हें अपना भी आत्म-सम्मान बचाना था। इसीलिए नवाब साहब के दुबारा पूछने पर उन्होंने मैदा (अमाशय) कमजोर होने का बहाना बनाया।

261 Views


लेखक को नवाब साहब के किन हाव-भावों से महसूस हुआ कि वे उनसे बातचीत करने के लिए तनिक भी उत्सुक नहीं हैं?


लेखक ने डिब्बे में प्रवेश किया तो वहाँ पहले से ही एक सज्जन पुरुष पालथी लगाए सीट पर बैठे थे। उनके सामने खीरे रखे थे। लेखक को देखते ही उनके चेहरे के भाव ऐसे हो गए जैसे लेखक का आना अच्छा नहीं लगा। ऐसा लग रहा था जैसे लेखक ने उनके एकांत चिंतन में विघ्न डाल दिया था। इसीलिए वे परेशान हो जाते हैं। परेशानी की स्थिति में कभी खिड़की के बाहर देखते हैं और कभी खीरों को देखते हैं। उनकी असुविधा और संकोच वाली स्थिति से लेखक को लगा कि नवाब उनसे बातचीत करने में उत्सुक नहीं है।

700 Views


लेखक के सामने नवाब साहब ने खीरा खाने का कौन-सा खानदानी रईसी तरीका अपनाया?


नवाब साहब दूसरों के सामने साधारण-सा खाद्‌य पदार्थ खीरा खाना नहीं चाहते थे। इसलिए उन्होंने खीरे को किसी कीमती वस्तु की तरह तैयार किया। उस लजीज खीरे को देखकर लेखक के मुँह में पानी आ गया था। अब नवाब साहब की इज्जत का सवाल था इसलिए उन्होंने खीरे की फाँक को उठाया नाक तक ले जाकर सूंघा। खीरे की महक से उनके मुँह में पानी आ गया। उन्होंने उस पानी को गटका और खीरे की फाँक को खिड़की से बाहर फेंक दिया। इस तरह उन्होंने सारा खीरा बाहर फेंक दिया। सारा खीरा फेंक कर लेखक को गर्व से देखा। उनके चेहरे से ऐसा लग रहा था जैसे वह लेखक से कह रहे हों कि नवाबों के खीरा खाने का यह खानदानी रईसी तरीका है।

340 Views


लेखक सेकंड क्लास के डिब्बे में यात्रा क्यों कर रहा था?


सेकंड क्लास का किराया अधिक था। इसीलिए उसमें ज़्यादा भीड़ नहीं होती। लेखक को नई कहानी के सोच-विचार के लिए एकांत चाहिए था। साथ में प्राकृतिक दृश्य देखते हुए किसी भी तरह की बाधा उत्पन्न नहीं होती। एकांत की इच्छा के कारण लेखक ने सेकंड क्लास का टिकट खरीदा।

636 Views


नवाब साहब द्वारा सेकंड क्लास में यात्रा के क्या कारण हो सकते हैं?

नवाब साहब क्योंकि नवाब साहब थे, भले ही वह वर्तमान में नवाब नहीं हो लेकिन उनमें नवाबी ठसक बाकी थी। इसलिए वह दिखावे करने के लिए सेकंड क्लास में यात्रा कर रहे हों। नवाब साहब को शायद भीड़ से राहत पाना हो और वह मानसिक शांति में सुकून से यात्रा करना चाहते हों, इसलिए उन्होंने सेकंड क्लास की यात्रा की हो

नवाब साहब ने टिकट सेकंड क्लास का क्यों लिया *?

उन्हें अधिक दूरी की यात्रा नहीं करनी थी। वे भीड़ से बचकर एकांत में यात्रा करते हुए नई कहानी के बारे में सोचना चाहते थे। वे खिड़की के पास बैठकर प्राकृतिक दृश्य का आनंद उठाना चाहते थे। सेकंड क्लास का कम दूरी का टिकट बहुत महँगा न था।

सेकंड क्लास के डिब्बे के बारे में लेखक के क्या विचार थे?

Solution : (क) लेखक सेकंड क्लास के डिब्बे में यह सोचकर चढ़ा था कि डिब्बा पूरी तरह खाली होगा। उसमें कोई यात्री नहीं होगा। अत: वह आराम से बैठकर नई कहानी के बारे में सोच सकेगा। साथ ही खिड़की के पास बैठकर प्राकृतिक दृश्य भी देख सकेगा।

लेखक को नवाब साहब का कौन सा भाव परिवर्तन अच्छा नहीं लगा?

उत्तरः लेखक को डिब्बे में आया देखकर नवाब साहब ने असंतोष, संकोच तथा बेरुखी दिखाई, लेकिन थोड़ी देर बाद उन्हें अभिवादन कर खीरा खाने के लिए आमंत्रित किया। लेखक को उनका यही भाव परिवर्तन अच्छालगा, क्योकि अभिवादन सदा मिलते ही होता है। पहले अरुचि का प्रदर्शन और कुछ समय बाद अभिवादन, कोई औचित्य नहीं