सांवले सपनों की याद पाठ के माध्यम से बताइए कि पर्यावरण को कैसे बचाया जा सकता है? - saanvale sapanon kee yaad paath ke maadhyam se bataie ki paryaavaran ko kaise bachaaya ja sakata hai?

प्रस्तुत पाठ सलीम अली की पर्यावरण के प्रति चिंता को भी व्यक्त करता है। पर्यावरण को बचाने के लिए आप कैसे योगदान दे सकते हैं?


पर्यावरण को बचाने के लिए हम निम्नलिखित योगदान दे सकते हैं -
1. वायु को शुद्ध करने के लिए पेड़-पौधे लगाने चाहिए।
2. प्लास्टिक से बनी वस्तुओं का कम-से-कम प्रयोग करेंगे।
3. जल प्रदूषित नहीं होने देना चाहिए।
4. हमें आस पास के वातावरण को साफ़ सुथरा रखने के लिए कूड़ेदान का प्रयोग करना चाहिये।
5. हमें पेड़ों की कटाई को रोकना होगा।
6. फैक्ट्रियों से निकले दूषित पानी तथा कचरों का उचित तरीके से निपटारा करेंगे।  

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आशय स्पष्ट कीजिए-
कोई अपने जिस्म की हरारत और दिल की धड़कन देकर भी उसे लौटाना चाहे तो वह पक्षी अपने सपनों के गीत दोबारा कैसे गा सकेगा !


लेखक कहना चाहता है की सलीम अली की मृत्यु के बाद वैसा प्रकृति-प्रेमी और कोई नहीं हो सकता। सलीम अली रूपी पक्षी मौत की गोद में सो चुका है। अतः अब अगर कोई अपने दिल की धड़कन उसके दिल में भर भी दे और अपने शरीर की हलचल उसके शरीर में डाल भी दे, तो भी वह पक्षी फिर-से वैसा नहीं हो सकता कयोंकि उसके सपने अपने ही शरीर और अपनी ही धड़कन से उपजे थे। आशय यह है कि मृत व्यक्ति को कोई जीवित नहीं कर सकता। हम चाहे कुछ भी कर लें पर उसमें कोई हरकत नहीं ला सकते।

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किस घटना ने सालिम अली के जीवन की दिशा को बदल दिया और उन्हें पक्षी प्रेमी बना दिया? 


एक बार बचपन में सालिम अली की एयरगन से एक गौरैया घायल होकर गिर पड़ी । इस घटना ने सालिम अली के जीवन की दिशा को बदल दिया। सलिम ने मामा से जानकारी माँगनी चाही तो मामा ने उस नैचुरल हिस्ट्री सोसायटी (बी.एन.एच.एस) जाने के लिए कहा। वहाँ से उन्हें गौरैया की पूरी जानकारी मिली। वे गौरैया की देखभाल, सुरक्षा और खोजबीन में जुट गए। उसके बाद उनकी रूचि पूरे पक्षी-संसार की ओर मुड़ गयी। वे पक्षी-प्रेमी बन गए। पक्षी विज्ञान को ही अपना करीअर बना लिया।

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सालिम अली ने पूर्व प्रधानमंत्री के सामने पर्याबरण से संबंधित किन संभावित खतरों का चित्र खींचा होगा कि जिससे उनकी आँखें नम हो गई थीं?


एक दिन सालिम अली प्रधानमंत्री चौधरी चरणसिंह से मिले। सालिम अली ने पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरणसिंह के सामने केरल की साइलेंट-वैली संबन्धी खतरों की बात उठाई होगी। उस समय केरल पर रेगिस्तानी हवा के झोंको का खतरा मंडरा रहा था। वहाँ का पर्यावरण दूषित हो रहा था। प्रधानमन्त्री को वातावरण की सुरक्षा का ध्यान था। पर्यावरण के दूषित होने के खतरे के बारे में सोचकर उनकी आँखे नम हो गई।

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आशय स्पष्ट कीजिए-
वो लारेंस की तरह, नैसर्गिक जिंदगी का प्रतिरूप बन गए थे।


अंग्रेजी के कवि लारेंस प्रकृति के प्रेमी थे। लॉरेंस का जीवन बहुत सीधा-सादा था, प्रकृति के प्रति उनके मन में जिज्ञासा थीं। उन्हीं की भाँति सलीम अली भी स्वयं को प्रकृति के लिए समर्पित कर चुके थे। सलिम अली का व्यक्तित्व भी प्रकृति की तरह सहज-सरल ओर निश्छल हो चुका था।

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लॉरेंस की पत्नी फ्रीदा ने ऐसा क्यों कहा होगा की 'मेरी छत पर बैठने वाली गोरैया लॉरेंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती है?'


लॉरेंस की पत्नी फ्रीदा जानती थी की लॉरेंस को गोरैया से बहुत प्रेम था। वे अपना काफी समय गोरैया के साथ बिताते थे। गोरैया भी उनके साथ अन्तरंग साथी जैसा व्यवहार करती थी। उनके इसी पक्षी-प्रेम को उदघाटित करने के लिए उन्होंने यह वाक्य कहा।

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पर्यावरण को बचाने के लिए हम क्या कर सकते हैं?

पर्यावरण को बचाने के उपाय ऊर्जा बचाने वाले ट्यूब लाइट और बल्ब आदि उत्पादो का उपयोग करना। पेपर और लकड़ी का कम उपयोग करना जितना ज्यादे हो सके ई-बुक और ई-पेपर का इस्तेमाल करना। जीवाश्म ईंधन का उपयोग कम से कम करना कही आने-जाने के लिए पैदल, कार पूल या सार्वजनिक परिवाहन जैसे उपायो का उपयोग करना।

पर्यावरण को बचाने के लिए कैसे योगदान दे सकते हैं?

पर्यावरण को बचाने के लिए हम निम्नलिखित योगदान दे सकते हैं. 1) हम लोगों को पेड़ काटने से सबको रोकना होगा और पेड़ लगाने के लिए प्रेरित करना होगा. 2) वायु को शुद्ध करने के लिए हमें पेड़ पौधे लगाना चाहिए. 3) प्लास्टिक की बनी वस्तुओं का हमें कम से कम उपयोग करना चाहिए.

सालिम अली पर्यावरण के प्रति चिंतित रहते थे पर्यावरण को बचाने के लिए आप कैसे योगदान दे सकते हैं?

(1) वायु को शुद्ध रखने के लिए हमें पेड़-पौधे लगाने चाहिए। (2) हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि हमारे आसपास का स्थान साफ़-सुथरा रहे। इसके लिए हमें कूड़ेदान का प्रयोग करना चाहिए। (3) जल को प्रदूषित नहीं होने देना चाहिए।

सालिम अली ने पर्यावरण की सुरक्षा के लिए क्या कि या?

उत्तर: सालिम अली तत्कालीन प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के पास केरल की “साइलेंट वैली” को रेगिस्तानी हवा के झोंकों से बचाने का अनुरोध लेकर गए। उन्होंने प्रकृति और पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने, पक्षियों की रक्षा, वनों की अंधाधुंध कटाई आदि बातें उठाई होंगी।