नीलकंठ ने खरगोश के बच्चे को साप से कैसे बचाया? - neelakanth ne kharagosh ke bachche ko saap se kaise bachaaya?

नीलकंठ ने खरगोश के बच्चे को साँप से किस तरह बचाया? इस घटना के आधार पर नीलकंठ के स्वभाव की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

एक दिन जब खरगोश के शावक साथ-खेल करते हुए उछलकूद कर रहे थे तो जाली के भीतर कहीं से एक साँप घुस आया। उसको देखकर सब पशु-पक्षी तो भाग गए पर सिर्फ़ एक खरगोश का शावक न भाग पाया और साँप उसे निगलने का प्रयास करने लगा। खरगोश का शावक उसकी कैद से छूटने के प्रयास में क्रंदन करने लगा। नीलकंठ ने जैसे ही उस क्रंदन को सुना वह पेड़ की शाखा से कूदकर साँप के समक्ष आ खड़ा हुआ और अपने पंजों से साँप के फन को दबाया और चोंच के प्रहार से दो ही पल में उसके दो टुकड़े कर दिए। इस तरह उसने शावक को साँप की पकड़ से बचा लिया।

(1) नीलकंठ स्वभाव से दयालु प्रवृति का पक्षी था। तभी तो खरगोश के बच्चे को  लेकर सारी रात बैठकर उसको ऊष्मा देता रहा।

(2) नीलकंठ एक सजग व सचेत मुखिया था। जिस तरह घर का एक  मुखिया अपने कर्त्तव्यों के प्रति सचेत व सजग रहता है। उसी तरह नीलकंठ अपने जालीघर के जीव-जंतुओं के लिए था।

(3) नीलकंठ एक साहसी मोर था। नीलकंठ के साहस के कारण ही उसने खरगोश को साँप से बचा लिया था। अगर वह साहस न दिखाता तो खरगोश ना बच पाता।

Concept: गद्य (Prose) (Class 7)

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नीलकंठ ने खरगोश के बच्चे को सांप से कैसे बचाया?

यह सुनकर झूले पर बैठा नीलकंठ नीचे साँप के पास आया। और उसने अपनी चोंच से उस पर इतने प्रहार किए कि वह अधमरा हो गया। फन की पकड़ ढीली होते ही खरगोश का बच्चा मुख से निकल गया। इस प्रकार नीलकंठ ने खरगोश के बच्चे को साँप से बचाया

नीलकंठ खरगोश के बच्चों के कान चोंच से पकड़ कर दंडित क्यों करता था?

Answer: (d) जब तक वे आर्त क्रंदन न करने लगे। नीलकंठ किसके बच्चों को कान से पकड़ कर कैसे उठा लेता था *? इसे सुनेंरोकेंनीलकंठ खरगोश के बच्चों को उनके कान चोंच से पकड़कर उसकी बात न मानने पर दंडित करता था

माली के अनुसार खरगोश पर किसकी छाया थी जिसके कारण वह साँप के टुकड़े टुकड़े कर देता है *?

मेरे माली का आज भी निश्चित मत है कि उस खरगोश पर पहलवान जी की छाया थी, नहीं तो भला कोई खरगोश सांप से लड़कर उसके टुकड़े कर सकता है! पहलवान की समाधि कहीं पास ही है और उनकी शक्ति की इतनी ख्याति है कि दूर-दूर से ग्रामवासी मनौतियां मनाने आते हैं.

लेखिका को नीलकंठ की कौन कौन सी टेस्ट है बहुत बाती थी?

Answer: लेखिका को नीलकंठ का गरदन ऊँची कर देखना, मेघों की साँवली छाया में अपने इंद्रधनुष के गुच्छे जैसे पंखों को मंडलाकार बनाकर नाचना, विशेष भंगिमा के साथ उसे नीची कर दाना चुगना और पानी-पीना तथा गरदन टेढ़ी कर शब्द सुनना आदि चेष्टाएँ बहुत भाती थीं।