नाइट्रोजन का पता लगाने के लिए किस तत्व का उपयोग किया जाता है? - naitrojan ka pata lagaane ke lie kis tatv ka upayog kiya jaata hai?

नाइट्रोजन का पता लगाने के लिए किस तत्व का उपयोग किया जाता है? - naitrojan ka pata lagaane ke lie kis tatv ka upayog kiya jaata hai?

आम

लक्षण

लक्षण पहले पुरानी पत्तियों में दिखाई देते हैं और फिर ऊपर की तरफ़ बढ़ते हुए नई पत्तियों में फैल जाते हैं। हल्के मामलों में, पुरानी पत्तियां हल्की हरी रह जाती हैं। यदि उपचार न किया जाए, तो समय के साथ इन पत्तियों पर पर्णहरित हीनता फैल जाती है और साथ में डंठल और शिराओं पर एक हल्का लाल बदरंगपन आ जाता है।जैसे-जैसे कमी बढ़ती है, ये पत्तियां अंत में, शिराओं सहित, पीली-सफ़ेद हो जाती हैं और या तो मुड़ सकती हैं या विकृत रूप से विकास करती हैं। नई पत्तियां हल्की हरी रहती हैं, लेकिन आकार में सामान्य से कम रह जाती हैं। शाखाओं की कमी के कारण पौधे लंबे और पतले दिखते हैं, लेकिन उनकी ऊंचाई आमतौर पर सामान्य रहती है। पौधे पानी की कमी के प्रभाव के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं और पत्तियों का मुरझाना आम होता है। पत्तियों समय से पहले मर सकती हैं और झड़ सकती हैं, जिसके कारण उपज में भारी कमी आती है। नाइट्रोजन को उर्वरक के रूप में लगाने से कुछ ही दिनों में ये ठीक होने लगती हैं।

में भी पाया जा सकता है

यह किससे हुआ

पौधे के वानस्पतिक विकास के दौरान नाइट्रोजन की उच्च मात्रा की ज़रूरत होती है। अनुकूल मौसम के दौरान, यह ज़रूरी है कि तेज़ी से बढ़ रही फ़सलों को नाइट्रोजन अच्छी मात्रा में प्रदान किया जाए, ताकि वे अपनी अधिकतम वानस्पतिक और फल/अनाज उत्पादन संभावना को प्राप्त कर सकें। नाइट्रोजन की कमी कम जैविक पदार्थ वाली रेतीली, अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में पाई जाती है क्योंकि इनमें पोषक तत्वों के बह जाने की अधिक संभावना होती है। बार-बार बारिश, पानी भरना या भारी सिंचाई से भी नाइट्रोजन मिट्टी में बह जाता है और इसके कारण कमी हो सकती है। सूखे के दबाव से पानी और पोषक तत्वों का अवशोषण बाधित होता है, जिससे पोषक तत्वों की आपूर्ति असंतुलित हो जाती है। अंत में, मिट्टी का पीएच स्तर भी पौधे के लिए नाइट्रोजन उपलब्धता में भूमिका निभाता है। मिट्टी का कम या ज़्यादा पीएच स्तर पौधे द्वारा नाइट्रोजन के अवशोषण को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।

जैविक नियंत्रण

मिट्टी में जैविक पदार्थ की उच्च मात्रा मिट्टी की संरचना को सुधार सकती है और पानी और पोषक तत्वों को बनाए रखने की मिट्टी की क्षमता को बेहतर कर सकती है। जैविक पदार्थ को मिट्टी में पशु खाद, कम्पोस्ट, पांस के रूप में जोड़ा जा सकता है, या केवल नेटल स्लैग, पक्षियों की बीट, हॉर्न मील (मवेशियों के खुर और सींग से बना उर्वरक) या नाइट्रोलाइम का इस्तेमाल करके भी डाला जा सकता है। नेटल स्लैग को सीधे पत्तियों पर भी छिड़का जा सकता है।

रासायनिक नियंत्रण

- नाइट्रोजन (N) युक्त उर्वरकों का प्रयोग करें। - उदाहरण: यूरिया, NPK, अमोनियम नाइट्रेट। - अपनी मिट्टी और फसल के लिए सबसे अच्छे उत्पाद और खुराक के बारे में जानने के लिए अपने कृषि सलाहकार से परामर्श करें। अतिरिक्त सुझाव: - फसल उत्पादन को बेहतर करने के लिए फसल के मौसम की शुरुआत से पहले मिट्टी का परीक्षण करने की सलाह दी जाती है। - पूरे मौसम के दौरान नाइट्रोजन की कुल मात्रा को कई खुराकों में बांटकर डालना सबसे अच्छा रहता है। - अगर कटाई का समय करीब है, तो इसका इस्तेमाल न करें।

निवारक उपाय

  • आपकी फसल के अधिकतम उत्पादन के लिए फसल के मौसम के आरंभ से पहले मिट्टी की पीएच की जांच करें, और सही सीमा प्राप्त करने के लिए, चूने का इस्तेमाल करें.
  • खेतों में अच्छी जल निकासी का प्रबंध करें और अधिक पानी न दें.
  • उर्वरकों के अत्यधिक या असंतुलित उपयोग के कारण कुछ सूक्ष्म पोषक तत्व पौधों को अनुपलब्ध रह जाते हैं.
  • सूखे की अवधि में पौधों को नियमित रूप से पानी देना याद रखें.
  • कम्पोस्ट, पशु खाद या पलवार के ज़रिए जैविक पदार्थ डालना सुनिश्चित करें.
  • डंठलों के विश्लेषण से किसानों को फसल में नाइट्रोजन की कमी के बारे पता लग सकता है।.

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मिट्‌टी में नाइट्रोजन की मात्रा घटी, धान की पैदावार में कमी

कृषि विभाग ने वित्तीय वर्ष 2015-16 के तहत लक्ष्य को पूरा करते हुए जिले के 14 हजार 500 मिट्‌टी के सैंपल परीक्षण के लिए धमतरी भेज दिए है। पिछले साल की अपेक्षा इस साल मिट्‌टी परीक्षण कराने वाले किसानों की संख्या में इजाफा हो हुआ है।

हालांकि विभाग किसानों की संख्या के बारे में जानकारी नहीं दे रहा है। धमतरी से रिपोर्ट आने के बाद किसानों को कार्ड वितरित किए जाने की बात अधिकारी कर रहे हैं। दिसंबर 2015 में जारी रिपोर्ट में जिले की मिट्टी में नाइट्रोजन की कमी पाई गई है। इससे धान की फसल का उत्पादन घट रहा है। खेत की मिट्टी में नाइट्रोजन की निम्न व उच्च मात्रा फसलों के उत्पादन को प्रभावित करती है।

खेतों की मिट्टी पहले जैसे स्थिति में लाने के फसल चक्रीकरण किया जाना चाहिए। गर्मी में चना व गेहूं लगाना चाहिए। जिसमें नाइट्रोजन की मात्रा पाई जाती है। रासायनिक पदार्थों का उपयोग कम किया जाना चाहिए।

ऐसे पड़ रहा है असर
सर्वे के बाद जारी रिपोर्ट में सामने आया है कि जानकारी के अभाव में कई किसान उचित मात्रा में कृषि दवाइयों का छिड़काव नहीं करने की स्थिति में उपजाऊ जमीन की उर्वरा क्षमता घटती जा रही है। पांच साल पहले प्रति हेक्टेयर नाइट्रोजन की क्षमता 300-350 किग्रा थी। जो अब घटकर 200-250 किग्रा तक सिमट गई है।

पिछले चार साल में परीक्षण के आंकड़े
वर्ष मिट्‌टी नमूना भेजे गए

2012-13 2075

2013-14 4221

2014-15 5 464

2015-16 14500

परीक्षण के ये होंगे फायदे, िकसानों को यह जानकारी मिलेगी
मिट्‌टी की उर्वरक क्षमता घटने से फसलों में बढ़ रहा कीट प्रकोप
जिले के किसानों को फसल चक्र के िलए कर रहे प्रेरित
फसल चक्र के लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है। इस वर्ष 14 हजार 500 सैंपल धमतरी भेजे गए है। जो किसान धान की फसल को ज्यादा महत्व देते है। उन्हें भी मिट्‌टी परीक्षण कराने जागरूक किया जाएगा। इसके अलावा ज्यादा जानकारी नहीं दे पाऊंगा। यशवंत केराम, कृषि उपसंचालक बालोद

भूमि में किसी भूमि सुधारक रसायन जैसे कि ऊसर भूमि के लिए जिप्सम, फॉस्फोजिप्सम या पाइराईट्स और अम्लीय भूमि में चूने की आवश्यकता है या नहीं ? यदि है तो किसी भूमि सुधारक की कितनी मात्रा डालनी चाहिए ?

भूमि में नाइट्रोजन फॉस्फोरस, पोटाश आदि तत्वों और लवणों की मात्रा और पीएच मान का पता चलता है।

भूमि की भौतिक बनावट मालूम होती है।

खाद की कितनी मात्रा डालना आवश्यक होगा।

अनुभव के बावजूद उपजाऊ शक्ति का सही अंदाजा नहीं
रिपोर्ट के अनुसार मिट्टी की बनावट पेचीदा होती है। कोई भी किसान अनुभव के बावजूद अपने खेत की उपजाऊ शक्ति का सही अंदाजा नहीं लगा सकता। अक्सर किसी भी पोषक तत्व की कमी मिट्‌टी में धीरे-धीरे पनपती है। मिट्‌टी पोषक तत्वों का भंडार है। जो पौधों को सीधे खड़ा रहने के लिए सहारा देती है। पौधों को अपना जीवन चक्र पूरा करने के लिए 16 पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। जिसमे मुख्य तत्व कार्बन, हाइड्रोजन, आक्सीजन, नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटास , कैल्शियम, मैग्नीशियम है। सूक्ष्म तत्व जस्ता, मैग्नीज, तांबा, लौह, बोरोन, मोलिबडेनम व क्लोरीन शामिल है। इन तत्वों का संतुलित मात्रा में प्रयोग करने से ही उपयुक्त पैदावार ली जा सकती है।

जिले में मिट्‌टी की उर्वरक को जानने विभाग ले रहा नमूना
मिट्‌टी की उर्वरक को जानने के लिए विभाग पिछले साल से मिट्‌टी नमूना ले रहा है। भले ही पिछले साल की अपेक्षा मिट्‌टी नमूना ज्यादा है, लेकिन जिले के किसान अब तक धान की फसल को ज्यादा महत्व देने लगे है। फसल चक्र में किसान रुचि नहीं दिखा रहे हैं। जिससे फसल चक्र का लाभ किसानों को नहीं मिल पा रहा है। इसी का नतीजा है कि फसल उत्पादन पर हर वर्ष गिरावट आ रही है। मिट्‌टी की उर्वरक क्षमता घटने से फसलों में कीट-प्रकोप बढ़ रहा है। लिहाजा उत्पादन पर असर पड़ रहा है। रबी फसल के तहत किसानों ने धान की फसल लगाने में रुचि दिखाई है। जिले में किसानों की संख्या 1 लाख 72 हजार है। जबकि मिट्‌टी की जांच करवाने वाले किसान 10 प्रतिशत ही है।

नाइट्रोजन कैसे पता करें?

नाइट्रोजन (Nitrogen), एक रासायनिक तत्व है जिसका प्रतीक N है। इसका परमाणु क्रमांक 7 है। सामान्य ताप और दाब पर यह गैस है तथा पृथ्वी के वायुमण्डल का लगभग 78% नाइट्रोजन ही है। यह सर्वाधिक मात्रा में तत्व के रूप में उपलब्ध पदार्थ भी है।

नाइट्रोजन एक आवश्यक तत्व क्या है?

नाइट्रोजन का संकेत N होता है. यह पौधों और जानवरों के जीवित रहने के लिए आवश्यक है. हमारा वातावरण लगभग 78% नाइट्रोजन से बना हुआ है. यह हमारे शरीर में एमिनो एसिड बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है जो बदले में प्रोटीन बनाते हैं.

नाइट्रोजन तत्व का क्या उपयोग है?

नाइट्रोजन के उपयोग नाइट्रोजन का मुख्य उपयोग अमोनिया, नाइट्राइड तथा कैल्शियम साइनेमाइड आदि बनाने में किया जाता है। अक्रिय वातावरण उत्पन्न करने में नाइट्रोजन प्रयोग की जाती है। द्रव नाइट्रोजन जैविक पदार्थों द्वारा खाद सामग्री के लिए प्रशीतक के रूप में उपयोग की जाती है। यह उर्वरक बनाने में प्रयोग होती है।

नाइट्रोजन के मुख्य घटक कौन कौन से हैं?

कार्बोहाइड्रेट का,वसा का,प्रोटीन का,तेल का।