नई शिक्षा नीति में क्या बदलाव हुआ है - naee shiksha neeti mein kya badalaav hua hai

नई शिक्षा नीति 2020-2022  End of (10+2) System And Start new (5+3+3+4) System

दोस्तों जैसा की हम जानते है कि एक देश का विकास वहाँ के लोगो पर निर्भर करता है। आज के बच्चे ही भविष्य में देश के विकास का कारण बनेगे जिसके लिए एक बेहतर और विकसित शिक्षा की आवश्यकता होती है। आज हम आपसे हाल ही में मानव संसधान प्रबंध मंत्रालय ने जो एजुकेशन पालिसी में जो बदलाव किये है उसके (नई शिक्षा नीति 2020) विषय में विस्तार से बातें करने जा रहे है। इस लेख के माध्यम से हम आपको नई शिक्षा नीति  2020 से संभंधित सम्पूर्ण जानकारी देने जा रही है कि क्या है नई नीति में  क्या बदलाव किये गए। बदलाव करने का उदेश्य क्या है और इस पालिसी की विशेषताएं क्या है।

शिक्षा नीति से तात्पर्य स्कूल एंड कॉलेज की पढ़ाई में कुछ अहम् बदलाव करके उसे बेहतर बनाने की कोशिश करना है।भारत में  1968 में पहली बार  शिक्षा नीति में बदलाव किया गया था।  उसके बाद 1986 में फिर 1992 में थोड़ा सा अपडेट लाया गया परन्तु यह बहुत बड़ा बदलाव नहीं था। नई शिक्षा नीति 2020 भारत की  शिक्षा नीति  है जिसे भारत सरकार   द्वारा 29 जुलाई 2020 को घोषित किया गया। यह नीति अंतरिक्ष वैज्ञानिक  के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट पर आधारित है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के तहत वर्ष 2030 तक सकल नामांकन अनुपात (Gross Enrolment Ratio-GER) को 100% लाने का लक्ष्य रखा गया है।

केंद्र सरकार ने नयी शिक्षा नीति 2020 के स्वरूप में बदलाव करके 10+2 के फॉर्मेट को बदलकर करके उसके स्थान पर 5+3+3+4 प्रारूप प्रस्तुत किया है।  अब आने वाले समय में विद्यार्थयों को इसी प्रारूप में शिक्षा प्रदान की जाएगी। इस नीति के अंतर्गत भारत के MHRD का नाम बदलकर उसके स्थान पर मिनिस्ट्री ऑफ़ एजुकेशन /शिक्षा मंत्रालय  कर दिया।

नई शिक्षा नीति 2020 में 5+3+3+4 क्या है?

 जैसे कि हम सब जानते हैं कि पहले 10+2 का पैटर्न फॉलो किया जाता था जिसके अंतर्गत  12 साल तक  आपकी स्टडी /STUDY पर सरकार निगरानी रखती थी (1-12) साल तक स्टेट गोवेर्मेंट के हिसाब से आपको पढ़ाई करनी पड़ती थी इस पैटर्न के अंतर्गत  जब आप 6 साल के हो जाते थे तब आपको (10+2 ) पैटर्न में शामिल किया जाता था  अब नयी शिक्षा नीति 2020 के पैटर्न  5+3+3+4      के हिसाब से गवर्नमेंट बच्चो पर 15 साल निगरानी रखेगी इसमें स्टडी की शुरुआत 3 साल से हो जाएगी5+3+3+4      नंबर यह दर्शाता है की बच्चे स्कूल में कितने साल रहेंगे।

इस निति को बच्चे की 3-8, 8-11, 11-14, और 14-18 उम्र के अनुसार 4 अलग-अलग हिस्सों में विभाजित किया गया है। पहले हिस्से में प्राइमरी से दूसरी कक्षा, दूसरे हिस्से में तीसरी से पांचवीं कक्षा, तीसरे हिस्से में छठी से आठवीं कक्षा और चौथे हिस्से में नौंवी से 12वीं कक्षा को शामिल किया गया है।

Highlights of New Eduction Policy 2020

पालिसी नई शिक्षा नीति 2020
कब शुरू की गयी

शुरू की गयी

29 जुलाई 2020

केंद्र सरकार द्वारा

किसने शुरू की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने
उद्देश्य शिक्षा के स्तर को ऊंचा उड़ान
बदलाव (10+2) को   (5+3+3+4)
मंत्रालय मानव संसाधन मंत्रालय
अधिकारिक वेबसाइट www.mhrd.gov.in

Delhi free coaching Scheme 2022

UP Paramedical  Course 2022 full detail

5+3+3+4 नीति के स्टेज

5- फाउंडेशन स्टेज:

इस स्टेज में स्कूलिंग की शुरुआत 3 साल की उम्र से हो जाएगी जिसमे बच्चा को  पहले 3 वर्ष  आंगनबाड़ी में प्री-स्कूलिंग शिक्षा लेनी होगी। जहाँ बच्चो को खेल कूद पूर्ण रूप से मनोरंजित किया जायेगा।  इसके बाद अगले 2 वर्ष  1 एवं  2 स्कूल पढेंगे। उनके लिए नया पाठ्यक्रम तैयार किया जाएगा और 5 वर्ष में उनका पहला चरण समाप्त हो जाएगा। इस चरण के अंतर्गत किसी भी प्रकार की कोई भी परीक्षा नहीं ली जाएगी।

 3- प्रीप्रेटरी स्टेज

इस स्टेज बच्चो को 3 साल रहना होगा  है जिसमे वे 3,4,5 class कवर करेंगे। प्रीप्रेटरी स्टेज   में एजुकेशन को कुछ इस तरह डिजाइन किया जायेगा जैसे बच्चो से एक्टिविटी /activity करवाई जाएगी ।साथ ही  इस स्टेज में बच्चों को विज्ञान, गणित, कला आदि की पढाई पर जोर दिया जाएगा। यही से बच्चो की एग्जाम/exam  की शुरुआत  होगी।

3-सेकेंडरी स्टेज

इस स्टेज में बच्चे 6,7,8 क्लास को कवर करेगा यह चरण 3 वर्ष में पूरा हो जाएगा। इस स्टेज में बच्चों के लिए ख़ास कौशल विकास कोर्स भी शुरू हो जाएंगे। जैस उन्हें कंप्यूटर का  ज्ञान दिया जायेगा साथ ही इस स्टेज में वोकेशनल कोर्स/ टेक्निकल कोर्स  भी चलाया जायेगा जिसमे अपनी रूचि के हिसाब से  सिलाई ,  कुकिंग ,मछली पालन माली गिरी आदि सीख सकते है।  साथ ही  बच्चे इंडिया की कोई भी Lauguage पढ़ सकते है।

4- सेकेंडरी स्टेज

सेकेंडरी स्टेज में कक्षा 9 से 12 तक की पढ़ाई होगी जोकि, इसमें 14 से 18 वर्ष तक की उम्र के बच्चों को कवर किया जाएगा। यह चरण 4 वर्ष में पूरा होगा। इस स्टेज में बच्चो को अपनी रूचि के अनुसार विषय चुनने की आजादी होगी। अब बच्चों को सेमेस्टर में एग्जाम देना होगा अर्थात उसको 6- 6 महीने में एग्जाम देना होगा। इस स्टेज  में आप एक foreign lauguage  भी पढ़ सकते है।

स्कूली शिक्षा में 100% सकल नामांकन अनुपात( GER )का लक्ष्य

किसी भी देश अथवा प्रदेश में स्कूल पढ़ने की उम्र के सभी बच्चों और स्कूल में प्रवेश लेने वाले बच्चों के अनुपात को सकल नामांकन अनुपात (Gross Enrolment Ratio) कहते है। नई शिक्षा नीति के अनुसार 2030 तक यह सकल नामांकन अनुपात 100% करने का लक्ष्य रखा गया है। इस बार सरकार का उद्देश्य यही है कि देश का प्रत्येक बच्चा शिक्षित हो क्योकि आज के बच्चे ही कल देश का भविष्य बनेंगे। वर्तमान में देश का सकल नामांकन अनुपात 5वी क्लास तक 75 % ही है जो की क्लास बढ़ने के साथ कम होता जा रहा है।

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New education policy के मुख्य तथ्य/विशेषताएं 

  • शिक्षण के माध्यम के रूप में पहली से पांचवीं तक मातृभाषा का इस्तेमाल किया जायेगा।
  • पहले 12 साल तक  आपकी स्टडी /STUDY पर सरकार निगरानी रखती थी अब नयी नीति के अनुसार सरकार 15 साल निगरानी रखेगी।
  • जिसकी शुरुआत 3 साल की उम्र से हो जाएगी।
  • बच्चो को स्कूल के लिए प्रेरित करने के लिए पहले 3 साल प्ले ग्रुप(Play group) में रखा जायेगा ।
  • इस बार शिक्षक के प्रशिद  पर विशेष ध्यान दिया जायेगा।
  • अब बच्चो को संगीत खेल  कूद योग आदि को सहायक पाठ्यक्रम की बजाय मुख्य पाठ्यक्रम में ही जोड़ा जाएगा।
  • उन्हें कंप्यूटर का नॉलेज कोडन आदि सिखाया जायेगा साथ ही टेक्निकल कोर्स भी करवाया जायेगा।
  • प्राइवेट स्कूलों में मनमाने ढंग से फीस रखने और बढ़ाने को भी रोकने का प्रयास किया जाएगा।
  • पहले ‘समूह’ के अनुसार विषय चुने जाते थे, किन्तु अब उसमें भी बदलाव किया गया है।
  • जो छात्र इंजीनियरिंग कर रहे हैं वह संगीत को भी अपने विषय के साथ पढ़ सकते हैं।
  • नेशनल साइंस फाउंडेशन के तर्ज पर नेशनल रिसर्च फाउंडेशन लाई जाएगी ।
  • जिससे पाठ्यक्रम में विज्ञान के साथ सामाजिक विज्ञान को भी शामिल किया जाएगा।
  • पहले स्टीम के मुताबित स्टडी करना पड़ता था। किन्तु अब बच्चे  कोई भी सब्जेक्ट अपनी रूचि के हिसाब से पढ़ सकते है।
  • इससे बच्चो में रट्टा विद्या को समाप्त किया जा सकता है।
  • नयी शिक्षा निति में आप फॉरेन Laugauge / विदेशी भाषा भी सीख सकते है।
  • किसी कारणवश विद्यार्थी उच्च शिक्षा के बीच में ही कोर्स छोड़ के चले जाते हैं। ऐसा करने पर उन्हें कुछ नहीं मिलता एवं उन्हें डिग्री के लिये दोबारा से नई शुरुआत करनी पड़ती है।
  • नई नीति में पहले वर्ष में कोर्स को छोड़ने पर प्रमाण पत्र, दूसरे वर्ष पे छोड़ने पे डिप्लोमा एवं अंतिम वर्ष पे छोड़ने पे डिग्री देने का प्रावधान है।

नई शिक्षा नीति की जरूरत क्यों पड़ी ?

जैसा कि हम जानते है कि शिक्षा के क्षेत्र में नए और बेहतर बदलाव के लिए केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति की घोसणा ने कर दी है। यह परिवर्तन करीब तीन दशक के बाद हुआ है आईये जानते है कि आखिर देश में इतने बड़े परिवर्तन कि आवश्यकता क्यों पड़ी। पहले की शिक्षा नीति के किन बिन्दुओ पर ध्यान देकर उसे बेहतर करने की कोशिश की गयी है। सबसे पहले 1968 की शिक्षा नीति की संरचना  इस प्रकार की गयी थी कि  शिक्षा में गुणों का विकास  या गुणों का समावेश हो सके जिससे छात्रों एवं शिक्षा के उद्देश्यों की प्राप्ति भली-भांति हो सकें।और देश का कोई भी नागरिक शिक्षा से वंचित न हो।

इसके बाद दूसरी शिक्षा नीति 1986 में आयी जिसमे कंप्यूटर और  पुस्तकालय जैसे संसाधनों को लाने पर जोर दिया गया। इस नीति को 1992 में संशोधित भी  किया गया परन्तु यह बहुत बड़ा बदलाव नहीं था। मौजूदा समय में देश में जिस तरह की पढ़ाई चल रही है, उसमे केवल बच्चे पर अधिक से अधिक अंक लाने का दबाव होता है

नई शिक्षा नीति के इस प्रकार संचालित की गयी है कि बच्चो को स्कूल से लगाव हो सके वे स्वयं ही स्कूल के प्रति उत्साहित हो सके। इस नई शिक्षा नीति की खास बात यह है कि स्कूल कि शिक्षा , उच्च शिक्षा के साथ तकनीकी शिक्षा और कृषि शिक्षा , क़ानूनी शिक्षा ,प्राथमिक शिक्षा ,चिकित्सा शिक्षा जैसी  व्यावसायिक शिक्षाओं  पर जोर दिया गया। नई शिक्षा नीति के द्वारा बच्चो को देश की संस्कृति, सभ्यता, परंपरा, जीवनशैली, वेशभूषा, भाषा, नैतिक मूल्यों एवं आदर्शो से अवगत कराना है।अब बच्चो को संगीत खेल  कूद योग आदि को सहायक पाठ्यक्रम की बजाय मुख्य पाठ्यक्रम में ही जोड़ा जाएगा।

उच्च स्तरीय शिक्षा से संभंधित बातें

New education policy 2020 में वर्ष 2018 के 26.3% के सकल नामांकन अनुपात (Gross Enrolment Ratio) को बढ़ाकर50%  तक करने का लक्ष्य रखा गया है। (व्यवसायिक शिक्षा सहित ) उच्च स्तरीय शिक्षा में GER (सकल नामांकन अनुपात) को 100% इसलिए नहीं रखा गया क्योकि कुछ स्टूडेंट्स किसी अन्य कोर्स को करेंगे और कुछ स्वयं का कोई व्यवसाय । इसके साथ ही नई शिक्षा प्रणाली में देश के उच्च शिक्षण संस्थानों में 3.5 करोड़ नई सीटों को जोड़ा जाएगा।

Graduate/ स्नातक शिक्षा में बदलाव

अभी जो शिक्षा नीति चल रही उसके अनुसार स्नातक की पढ़ाई 3 साल की है। और इसके अंतर्गत छात्रों को स्टीम( B.A/B.SC/B.COM  )  का चुनाव करना होता है।  परन्तु नई शिक्षा नीति के अनुसार स्टीम को पूर्ण रूप से समाप्त कर दिया गया है।अब स्नातक की पढ़ाई  करने वाले छात्र केवल  ग्रेजुएट/Graduate कहलायेगे।  नई नीति में graduation को 4 साल का कर दिया गया है। इसमें उन्हें हर साल एक प्रमाण पत्र दिया जायेगा जिससे  छात्र ने  यदि प्रथम साल भी किया है तो इसकी एक वैल्यू /value होगी।   आईये देखे –

  • अब स्नातक के प्रथम साल को पास करने वाले छात्रों को अलग प्रमाण दिया जायेगा जिसे graduate प्रमाण पत्र कहते है।
  • दूसरा साल पास करने वाले छात्रों को graduate डिप्लोमा दिया जायेगा।
  • तीसरा साल पास करने वाले छात्रों को graduate डिग्री दिया जायेगा।
  • ४ साल पास करने वाले छात्रों को graduate रिसर्च दिया जाएगी।

Re-Entry

अभी की शिक्षा नीति के अनुसार यदि कोई छात्र अपनी स्नातक की पढ़ाई को अधूरा छोड़ता है और पुनः अपनी पढ़ाई को जारी करना चाहता है  तो उसे प्रथम साल से शुरू करना होगा मतलब यदि उसने 1 ईयर करने के बाद कुछ सालो बाद आगे पढ़ना चाहता है तो उसे फिर से  1 ईयर पढ़ना पड़ेगा। नई शिक्षा नीति में इस प्रक्रिया को समाप्त कर दिया गया है अब इसमें नए सिस्टम को शुरू किया गया है जिसके अंतर्गत छात्र जहाँ से अपनी पढ़ाई को बंद करता है वह वही से ही अपनी पढ़ाई को जारी कर सकता है।

इससे मजबूरी और आर्थिक समस्या के कारण अगर कोई अपनी पढ़ाई बंद करता है तो भविष्य में इच्छुक छात्र अपनी पढ़ाई जारी कर सकता है।

Post Graduation /पोस्ट ग्रेजुएशन

नई शिक्षा नीति के अनुसार पोस्ट  ग्रेजुएशन  1 साल का भी होगा और 2 साल का भी होगा। मतलब जिस भी छात्र ने स्नातक 4 साल का किया है उसके लिए पोस्ट ग्रेजुएशन  1 साल का होगा और जिसने स्नातक 3 साल किया है उसको पोस्ट ग्रेजुएशन  २ साल का करना होगा।

इसमें M.PHL को पूरी तरह से ख़तम कर दिया गया है।

PH.D  4 साल का ही है उसमे कोई परिवर्तन नहीं किया गया।

मातृभाषा को बढ़ावा

New education policy में 5वी क्लास तक के सभी बच्चो को मातृभाषा में शिक्षा देने की बात है क्योकि बच्चा अपनी स्थानीय भाषा और मातृभाषा में जल्दी सीखता है साथ ही वह अपनी भाषा से भी जुड़ा रहता है। विधार्थियो को स्कूली शिक्षा और उच्च शिक्षा में संस्कृत को एक विकल्प के रूप में चुनने का अवसर दिया जायेगा।

भारतीय संकेत भाषा को देश भर में चलाया जायेगा और बधिर विधार्थियो जो देख सुन नहीं सकते उनके लिए उपयोग किये जाने के लिए राष्टीय और राज्य स्तरीय पढ़ने की सामग्री विकसित की जाएगी। NEP में हमारी प्राचीन भाषाओ पालि फ़ारसी प्राकृत भाषा को बढ़ाने के लिए राष्टीय संस्थान ,भारतीय अनुदान ,और व्याख्या संस्थान की अलग से स्थापना की जाएगी। इसका उद्देश्य बच्चो को हमारी प्राचीन भाषाओ संस्कृति और सभ्यता से जोड़ कर रखना है

positive things

  • सूत्रों के अनुसार अब नई शिक्षा नीति में देश की GDP का 6%शिक्षा पर खर्च करने का निश्चय किया गया है।
  • हलाकि अभी इस पर कोई कन्फर्म स्टेटमेंट नहीं दिया गया।

School Fees

  • स्कूल फीस जैसा की हम जानते है अभी वर्तमान में प्राइवेट स्कूल मनचाही फीस लेते है।
  • नई शिक्षा नीति के अनुसार सरकार इस पर एक कैटेरिया बना देगी उसके अनुसार ही स्कूल अपनी फीस लेंगे ।

छात्रों के रिजल्ट सम्बंधित बाते-

  • अब छात्रों का रिजल्ट सिर्फ उनके मार्क्स पर निर्भर नहीं करेगा।
  • बल्कि  अब उनको सेल्फ असिस्मेंट देना होगा जैसे आप कितनी देर पढ़ाई करते है।
  • आपका timetable  कैसा है इससे बच्चो में खुद को जज करने की आदत शुरू से होगी।
  • दूसरा आपके फ्रेंड्स /friends आपको ग्रेड देंगे इससे आप अपने दोस्तों से अच्छा व्यवहार बना कर रखेंगे।
  • जिससे बच्चो में भाईचारे की भावना का विकास होगा। तीसरा आपके टीचर्स भी आपको मार्क्स देंगे।

Foreign University

अब विदेशी  university को भी भारत में ब्रांच खोलने अनुमति दे दी जाएगी।

इसमें टॉप 50 विदेशी  university आएगी उससे हमारे देश की university को भी बेहतर compitation  का अवसर मिलेगा।

Department

  • शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए नई नीति में इसके लिए अलग से चार डिपार्टमेंट बनाया जायेगा।
  • जिसमे पहला डिपार्टमेंट बच्चो का सिलेबस तैयार करने काम करेगा।
  • दूसरा डिपार्टमेंट सेलरी और बच्चो को स्कूलरशिप देने का काम करेगा।
  • वही तीसरा डिपार्टमेंट रिजल्ट बनाने और चौथा रेगुलर्टी देखने का काम करेगा।

नई शिक्षा नीति में क्या बदलाव किया गया है?

अब नई शिक्षा नीति में 5 प्लस 3 प्लस 3 प्लस 4 के पैटर्न को लागू किया जा रहा है. इसके तहत 12वीं तक की स्कूली शिक्षा में प्री स्कूली शिक्षा को भी शामिल किया गया है. इसका अर्थ है कि स्कूली शिक्षा को 3-8, 8-11, 11-14, और 14-18 उम्र के बीच विभाजित किया गया है. इसमें प्राइमरी से दूसरी कक्षा तक एक हिस्सा.

नई शिक्षा नीति 2022 कितनी उपयोगी?

भारत की नई शिक्षा नीति के तहत स्टूडेंट को एक बड़ी राहत छठी कक्षा में मिलेगी क्योंकि छठी कक्षा से व्यवसायिक प्रशिक्षण इंटर्नशिप को भी आरंभ कर दिया जाएगा । पांचवी कक्षा तक शिक्षा मात्रिभाषा या फिर क्षेत्रीय भाषा में शिक्षा प्रदान की जाएगी :- यानी पांचवी कक्षा तक छात्र अपनी भाषा में ही पढ़ाई कर सकते हैं ।

नई शिक्षा नीति कब से लागू होगी 2022 up?

Uttarakhand New Education Policy: उत्तराखंड (Uttarakhand) में आज यानी 12 जुलाई 2022 दिन मंगलवार से नई शिक्षा नीति (National Education Policy) लागू कर दी गई है. यहां सबसे पहले विद्यालयी शिक्षा के अंतर्गत प्राइमरी एजुकेशन में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति - 2020 (NEP) को शुरू किया गया है.

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