संथाल विद्रोह के नेता कौन है? - santhaal vidroh ke neta kaun hai?

Q. संथाल (हूल) विद्रोह के नेता कौन थे?
Answer: [D] उपरोक्त सभी
Notes: संथाल या हूल विद्रोह 1955 में हुआ था। यह चार भाइयों सिद्धू, कान्हू, चाँद और भैरव के नेतृत्व में हुआ। चाँद और भैरव 10 जुलाई 1955 को अंग्रेजों की गोली से मारे गए जबकि अन्य भाइयो को बाद में पकड़कर फांसी दे दी गई।

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संथाल विद्रोह का नेता कौन था | संथाल विद्रोह कब हुआ था | Santhal vidroh ka neta kaun tha – देश को आजादी एक लम्बी लड़ाई के बाद मिली थी. जिसमे अनेक लोगो ने अपने प्राणों की आहुतिया दी थी. आजादी की लड़ाई में अनेक स्थानीय और आम लोगो ने भाग लिया. प्रत्येक देशप्रेमी आजादी की लड़ाई का मुख्य हिस्सा था. क्योंकि आजादी लड़ाई सिर्फ घटना मात्र नहीं थी. यह शताब्दियों के संघर्ष का फल था. इस आर्टिकल में हम जानेगे संथाल विद्रोह के बारे में और संथाल विद्रोह के नेता के बारे में भी जानकारी प्राप्त करेगे.

  • संथाल समुदाय क्या था – संथाल विद्रोह कब हुआ था
  • संथाल विद्रोह का कारण क्या था?
  • संथाल विद्रोह का नेता कौन था | Santhal vidroh ka neta kaun tha
  • संथाल विद्रोह में क्या हुआ था?
  • संथाल विद्रोह का दमन कैसे हुआ?
  • निष्कर्ष

संथाल समुदाय क्या था – संथाल विद्रोह कब हुआ था

संथाल समुदाय के लोगो का जीवन मुख्यरूप से कृषि पर आश्रित था. वह उन्नीसवी शताब्दी में बंगाल और झारखंड के सीमावर्ती क्षेत्रो के पहाड़ी इलाको में रहते थे. संथाल समुदाय के लोग मानभूम, सिंहभूम, मिदनापुर, ह्ज़ारिबांग, बाकुंडा और मानभूम क्षेत्र में रहते थे. संथालो ने अंग्रेजी शासन के अत्याचार और अधिक कर की निति से परेशान होकर सन 1855 में विद्रोह किया था. इस विद्रोह को अंग्रेजी शासन ने क्रूरता के साथ दबा दिया. जिसमे हमारो संथालो को मौत के घाट उतार दिया गया था.

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संथाल विद्रोह का कारण क्या था?

संथाल के हाथो अपनी जमीन छिन जाने के बाद उन्होंने अपना स्थान बदलने के बारे में सोचा और राजमहल की पहाडियों में चले गए. उन्होंने पहाड़ो पर बसने का निश्चय किया. उन्होंने पहाड़ी इलाको की बंजर भूमि पर सफाई करना शुरू किया. जिससे वह साफ भूमि पर कृषि कर सके. उन्होंने रात दिन कठिन परिश्रम से पहाड़ी इलाके को कृषि के योग्य बनाया.

लेकिन एक बार अंग्रेजी सरकार की नजर संथालो की जमीन पर पड़ी. अंग्रेजी शासन ने कर वसूलने की नियत से वहा पर जमीदारो की स्थापना कर दी. इस प्रकार स्थालो के द्वारा स्थापित इलाको में अब जमीदारो, सामन्तो, साहुकारो और सरकारी कर्मचारियों का वर्चस्व बढ़ने लगा. संथालो को अंग्रेजी सरकार को भारी कर देना पडता था. जिससे उनकी आर्थिक हालत धीरे-धीरे कमजोर होने लगी. कही बार 500 प्रतिशत कर देने के लिए विवश होना पड़ा.

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अंगेजी शासन में संथालो की बात को सुनने वाला कोई नहीं था. कर नहीं देने पर अंग्रेज उनकी जमीन हड़पने लगे. इस प्रकार संथाल समुदाय पर अत्याचार बढ़ने लगा. उनकी स्त्रीयो की इज्जत को भी लुटा जाने लगा. जिससे संथाल समुदाय के बिच जमीदारो, सामंतो और अंग्रेजी शासन के प्रति गुस्सा बढ़ता गया.

संथाल विद्रोह का नेता कौन था | Santhal vidroh ka neta kaun tha

सन 1855 में संथालो के सहन शक्ति का घडा फुट गया. संथाल समुदाय के चार भाई सिद्धू, कान्हू, चाँद और भैरव ने मिलकर संथाल समुदाय को एकत्रित किया. लोगो को एक सूत्र में बाधने के लिए सिद्धू ने खुद का ठाकुर जी का दूत बताया. और 30 जून 1855 के दिन आमसभा बुलाई. जिसमे 10,000 सथालो ने भाग लिया. इस सभा में सिद्धू ने बोला की ठाकुर जी चाहते हैं की हम सब मिलकर ज़मीदार और सामन्तो के अत्याचार का डट कर विरोध करे और अंग्रेजी सरकार को उखाड़ फेके.

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संथाल विद्रोह में क्या हुआ था?

जुलाई, 1855 में विद्रोह की शुरुआत हुई. शुरूआती दौर में संथालो ने सरकार का विरोध नहीं किया. लेकिन जब उन्होंने देखा की सरकार खुद अत्याचारियों के साथ खड़ी हैं. तो उन्होंने सरकारी कर्मचारी और दरोगा महेश लाल को मार दिया. कहि सारी सरकारी इमारतो, कार्यालयों, और डाक घरो पर आक्रमण किया गया. भागलपुर और राजमहल के बिच डाक और रेल सेवा बंद कर दी गई. संथालो ने अंग्रेजी सरकार को देश से जड़ से उखाड़ फेकने का निश्चय कर लिया था.

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संथाल विद्रोह का दमन कैसे हुआ?

जब विद्रोह ने हिंसक रूप के लिया. तो ब्रिटिश सरकार ने विद्रोह का दबाने के लिए भागलपुर और पूर्णिया से घोषणा जारी कर के कहा की अब विद्रोह को जल्द से जल्द समाप्त कर दिया जाएगा. अंग्रेजो ने कार्यवाही करते हुए बिहार के बर्रो और पूर्णिया से सेना की टुकड़ी को विद्रोह को दबाने के लिए भेजा.

विशाल सशस्त्र अंग्रेजी सेना के सामने संथाल समुदाय के लोग सिर्फ धनुष और तीर से साथ खड़े. सेना की कार्यवाही में 15,000 से भी संथालो की मौत हो गई. अपने नेता की मौत को देखते हुए संथालो का मनोबल टूट गया. इस प्रकार विद्रोह एक समय के बाद फरवरी 1856 में समाप्त हो गया. लेकिन अंगेजो के अत्याचार समाप्त नहीं. इस विद्रोह से प्रेरणा लेकर भविष्य में आजादी की लड़ाई में अनेक विद्रोह आमजन के द्वारा किए गए.

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निष्कर्ष

इस आर्टिकल (संथाल विद्रोह का नेता कौन था |संथाल विद्रोह कब हुआ था | Santhal vidroh ka neta kaun tha) को लिखने का हमारा उद्देश्य आपको संथाल विद्रोह के बारे में विस्तार से जानकारी देना हैं. संथाल विद्रोह के नेता चार भाई सिद्धू, कान्हू, चाँद और भैरव थे. जिन्होंने अंग्रेजी सरकार की नीतियों से तंग आकर समुदाय को एकत्रित किया. और अन्याय के विरुद्ध लड़ने की प्रेरणा दी. हम इस आर्टिकल में जरिये आजादी के ऐसे सच्चे प्रेमियों को श्रदांजलि देते हैं.

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संथाल विद्रोह के प्रमुख नेता कौन था?

1855-56 में संथाल विद्रोह का नेतृत्व करने वाले दो भाइयों सिदो और कान्हू ने अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए थे। अंग्रेजों ने इनके विद्रोह को ऐसे कुचला कि जालियांवाला कांड भी छोटा पड़ जाता है। इस विद्रोह में अंग्रेजों ने लगभग 30 हजार संथालियों को गोलियों से भून डाला था

संथाल विद्रोह कब शुरू हुआ इसके नेता कौन थे?

विद्रोह की प्रमुख घटनाएं इन्हीं अत्याचारों की पृष्ठभूमि में संथालों ने दरोगा महेश लाल दत्त एवं प्रताप नारायण की हत्या कर दी और इसी के साथ संथाल हूल की चिंगारी उठी | 30 जून, 1855 में भगनीडीह में 400 आदिवासी गाँवों के लगभग 6000 आदिवासी इकट्ठा हुए और सभा की।

संथाल विद्रोह में कौन कौन शामिल थे?

इन संपूर्ण तथ्यों और परिस्थितियों के कारण संथाल हूल या 1855 का विद्रोह हुआ। संथाल ने सिद्धू ,कान्हू, चांद और भैरब में साहिबगंज जिले के बरहेट के निकट भोग्नादिह गांव के सभी चार भाइयों को मिला।

संथाल विद्रोह का नायक कौन था?

भारत के स्वतंत्रता संग्राम की पहली जनक्रांति कहे जाने वाले संथाल विद्रोह के नायक सिद्धू-कानू और उनके परिजनों के लिए अन्याय ही नियति बन गई है.

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