भारतीयों के बीच सबसे आम प्रकार का ब्लड ग्रुप कौन सा है - bhaarateeyon ke beech sabase aam prakaar ka blad grup kaun sa hai

भारत में इस ब्लडग्रुप के है सबसे अधिक लोग, जानिए हर ब्लड ग्रुप की स्थिति

Author: TilakrajPublish Date: Fri, 17 Dec 2021 01:02 PM (IST)Updated Date: Fri, 17 Dec 2021 01:02 PM (IST)

आस्ट्रेलिया में 40 फीसद लोग O+ ब्लड ग्रुप के हैं। A+ B+ AB+ 31 फीसद आठ फीसद और दो फीसद ब्लड ग्रुप के हैं। अमेरिका में O और A ब्लड ग्रुप के 44 फीसद और 42 फीसद लोग हैं जबकि B और AB ब्लड ग्रुप के 10 और 40 फीसद।

नई दिल्ली, अनुराग मिश्र/ विवेक तिवारी। कहते हैं कि रक्तदान महादान होता है। अलग-अलग बीमारियों से जूझ रहे लोगों को नियमित अंतराल पर रक्त की आवश्यकता होती है। कई रिपोर्ट इस बात की तस्दीक करती हैं कि दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को अगर राहत और रक्त समय से पहुंच जाएं, तो उसकी जान बचाई जा सकती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में किस ब्लड ग्रुप की क्या स्थिति है। किस ब्लड ग्रुप के लोग सबसे अधिक संख्या में हैं।

रेसू निगेटिव द्वारा जुटाए गए आंकड़ों के अनुसार, भारत में बी+ ग्रुप वालों की संख्या सबसे अधिक है। भारत में 38.13 फीसद लोगों को ब्लड ग्रुप B+ है। 27.85 प्रतिशत लोगों का ब्लड ग्रुप o+ और 20.8 प्रतिशत लोगों का ब्लड ग्रुप A+ है। 8.93 फीसद लोगों का ब्लड ग्रुप AB+ है। दक्षिण एशियाई देशों में भी ब्लड ग्रुप B कॉमन है। वैश्विक स्तर पर बात करें, तो सबसे कॉमन ब्लड ग्रुप o है। वहीं, सबसे कम मिलने वाला ब्लड ग्रुप AB है।

आस्ट्रेलिया में 40 फीसद लोग O+ ब्लड ग्रुप के हैं। A+, B+, AB+ 31 फीसद, आठ फीसद और दो फीसद ब्लड ग्रुप के हैं। अमेरिका में O और A ब्लड ग्रुप के 44 फीसद और 42 फीसद लोग हैं, जबकि B और AB ब्लड ग्रुप के 10 और 40 फीसद हैं। सऊदी अरब में 48 फीसद लोग 0+ ग्रुप, 24 फीसद A+, 17 फीसद B+ और 4 फीसद AB+ ग्रुप के हैं।

रक्त क्या है और उसका कार्य

रक्त हमारे शरीर में पाए जाने वाला जीवनदायी तरल पदार्थ है, जो हमारे जीवन का आधार है। रक्त पोषक तत्व और ऑक्सीजन को कोशिकाओं तक पहुंचाता है और अपशिष्ट पदार्थों को शरीर के बाहर निकालने में मदद भी करता है। रक्त हमारे शरीर के तापमान को सामान्य रखने, बीमारियों से लड़ने, घाव भरने, अंगों तक हार्मोन और हार्मोन सिग्नल पहुंचाने जैसे कार्य भी करता है।

लालरक्त कोशिकाएं, श्वेत रक्त कोशिकाएं, प्लेटलेट्स और प्लाज्मा

रक्त अलग-अलग तरह की कोशिकाओं से मिलकर बना होता है। यह कोशिकाएं रक्त प्लाज्मा में तैरती रहती हैं। लाल रक्त कोशिकाओं (Erttgricttes) को आरबीसी कहा जाता है। यह शरीर में ऑक्सीजन परिवहन का कार्य करती है। 1 माइक्रोलीटर रक्त में पुरुषों में 4.7 से 6.1 मिलियन और महिलाओं में में 4.2 से लेकर 5.4 मिलियन तक आरबीसी होती हैं।

श्वेत रक्त कोशिकाओं ( leukocytes) को डब्ल्यूबीसी कहते हैं। यह बैक्टीरिया और वायरस से लड़ने का काम करती हैं तथा शरीर को इंफेक्शन और बीमारियों से बचाती है। 1 माइक्रोलीटर रक्त में रक्त में 4000 से 11000 की संख्या में श्वेत रक्त कोशिकाएं पाई जाती हैं। इसके अलावा शरीर के 1 माइक्रोलीटर रक्त में 2 लाख से 5 लाख तक की संख्या में प्लेटलेट्स (thrombocytes) होती हैं। यह कोशिकाएं रक्त का थक्का जमाने में मदद करती हैं।

प्लाज्मा की बात करें, तो यह एक तरल पदार्थ होता है। इसका 92 फीसदी भाग पानी होता है। प्लाज्मा में पानी के अलावा प्रोटीन, ग्लूकोस मिनरल, हार्मोंस, कार्बन डाइऑक्साइड होते हैं। शरीर में कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन रक्त के प्लाज्मा द्वारा होता है। इनके अतिरिक्त रक्त में सिरम एल्बुमिन, कई तरह के प्रोटीन और इलेक्ट्रोलाइट भी पाए जाते हैं। वहीं रक्त कोशिकाओं में पाए जाने वाले हिमोग्लोबिन और आयरन तत्व की वजह से खून लाल होता है। हृदय शरीर में रक्त का संचार करता है।

कौन कर सकता है रक्तदान

कोई भी स्वस्थ व्यक्ति 18 साल की उम्र के बाद ब्लड डोनेट कर सकता है। उसका वजन 50 किलोग्राम से ज्यादा होना चाहिए। रक्तदान से पहले मछली, बीन्स, पालक, किशमिश या कोई भी आयरन से भरपूर चीज़ें खाएं।

कौन किस ग्रुप को कर सकता है रक्तदान

ब्लड ग्रुप A+ A+ या AB+
ब्लड ग्रुप A- A-, A+, AB- या AB+
ब्लड ग्रुप B+ B+ या AB+
ब्लड ग्रुप B- B-, B+, AB- या AB+
ब्लड ग्रुप O+ A+, B+, O+ या AB+
ब्लड ग्रुप O- यूनिवर्सल डोनर्स
ब्लड ग्रुप AB+

AB+ (यूनिवर्सल रिसीवर)

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ब्लड ग्रुप AB- AB+ या AB-

Edited By: Tilakraj

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ब्लड ग्रुप और गर्भधारण में रिश्ता

25 अक्टूबर 2010

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नए शोध के मुताबिक महिला के गर्भधारण में उसके ब्लड ग्रुप की अहम भूमिका होती है.

वैज्ञानिकों ने पहली बार ये दावा किया है कि किसी महिला का ब्लड ग्रुप उसके गर्भधारण करने की संभावना को प्रभावित करता है.

एक नए शोध के मुताबिक 'ओ पाज़िटिव' ब्लड ग्रुप वाली महिलाओं को गर्भधारण करने में मुश्किलें आ सकती हैं क्योंकि उनके अंडाणु कम हो सकते हैं.

वैज्ञानिकों का कहना है कि 'ए पाज़िटिव' ब्लड ग्रुप की महिलाओं के लिए तुलनात्मक दृष्टि से गर्भधारण करना इसलिए आसान है क्योंकि उनके अंडाणुओं का स्तर बेहतर होता है.

इस शोध के लिए न्यूयॉर्क और येल विश्वविद्यालय के ऐल्बर्ट आइंस्टाइन कॉलेज के विशेषज्ञों ने 35 की औसत उम्र की उन 560 महिलाओं के साथ काम किया जो प्रजनन के लिए इलाज़ करवा रही थीं.

इस शोध के परिणाम का मतलब ये हुआ कि अब किसी महिला के प्रजनन संबंधी इलाज़ के लिए उसके ब्लड ग्रुप पर ध्यान दिए जाने की ज़रूरत ज़्यादा होगी.

'ऐंटिजन ए' की भूमिका

'ए' ब्लड ग्रुप वाले लोगों के ख़ून में 'ऐंटिजन ए' होता है.

ये एक प्रोटीन है जो कोशिकाओं की सतह पर होता है. 'ऐंटिजन ए', 'ओ ब्लड ग्रुप' के लोगों में नहीं पाया जाता.

ऐल्बर्ट आइंस्टाइन कॉलेज के डॉक्टर ऐडवर्ड नेजात का कहना है कि 'ए और एबी' ब्लड ग्रुप वाली महिलाओं की बच्चेदानी में अंडाणुओं की संख्या कम होने की संभावना कम होती है.

डॉक्टर ऐडवर्ड नेजात ने कहा कि अभी इस क्षेत्र में और शोध की आवश्यकता है लेकिन अबतक इस विषय में जितना पता चला है, वो काफ़ी महत्वपूर्ण है.

उनका कहना है कि महिला की प्रजनन शक्ति निर्धारित करने में उसकी उम्र ही सबसे अहम भूमिका निभाती है.

ब्रिटिश फ़र्टिलिटी सोसायटी के टोनी रदरफ़ोर्ड का कहना है," ये पहला मौक़ा है जबकि शोधकर्ताओं ने प्रजनन शक्ति और ब्लड ग्रुप में संबंध दिखाया है."

उन्होंने कहा कि ये महत्वपूर्ण हो सकता है लेकिन इसके साथ साथ हॉरमोन और प्रजनन के लिए ज़रूरी दूसरे और पैमानों को एक साथ जोड़कर देखना होगा और इस पर अभी और शोध की आवश्यकता है.

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