लेखक खान पान में बदलाव को लेकर चिंतित क्यों है? - lekhak khaan paan mein badalaav ko lekar chintit kyon hai?

Solution : खानपान के बदलाव से निम्नलिखित फायदे हैं <br> (i) एक प्रदेश की संस्कृति का दूसरे प्रदेश की संस्कृति से मिलना और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा मिलना। <br> (ii) खाने-पीने की चीजों का एक क्षेत्र विशेष से बाहर दूसरे क्षेत्र विशेष में आसानी से उपलब्ध होना। जिससे खाने-पीने की चीजों में विविधता का आ जाना। <br> (iii) गृहिणियों और कामकाजी महिलाओं को शीघ्र तैयार होने वाले अनेक प्रकार के व्यंजनों के बनाने की विधियों का सरलता से उपलब्ध हो जाना। <br> (iv) देश-विदेश के व्यंजनों की सरलता से जानकारी हो जाना और उनके बनाने की विधियों से परिचित हो जाना। <br> (v) स्वाद, स्वास्थ्य व समय के आधार पर भोजन का चयन सरलता से कर पाना। <br> खान-पान में बदलाव को लेकर लेखक इसलिए चिन्तित है। कि आज खान-पान की मिश्रित संस्कृति को अपनाने से नुकसान भी हो रहे है, जो निम्न प्रकार से है- <br> (i) स्थानीय स्वादिष्ट व्यंजनों का प्रचलन धीरे-धीरे कम होता जा रहा है और नई पीढ़ी उनसे अपरिचित-सी होती जा रही है। <br> (ii) स्थानीय व्यंजन और पकवान केवल पाँचसितारा होटलों के प्रचार की वस्तु बनकर रह गए हैं। <br> (iii) खाद्य पदार्थों में शुद्धता की धीरे-धीरे कमी होती जा रही है।

खानपान की बदलती तस्वीर

प्रयाग शुक्ल

इस लेख में लेखक ने भारत में खान पान की बदलती तस्वीर के बारे में लिखा है। पहले मध्यम वर्ग के लोग साधारण भोजन से काम चलाते थे जिसमें स्थानीय व्यंजनों का प्रमुख स्थान होता था। लेकिन पिछले दस पंद्रह वर्षों में तस्वीर बदल चुकी है। अब लोग भारत के विभिन्न प्रांतों के व्यंजनों का आनंद लेते हैं। इसले अलावा लोग कई अंतर्राष्ट्रीय व्यंजनों को भी नियमित रूप से खा रहे हैं। आज फास्ट फूड ने हर घर में अपना घर बना लिया है और इनमें से कुछ व्यंजन तो हर उम्र के लोगों को पसंद आने लगे हैं। इनमें से अधिकतर व्यंजनों का इतना रूपांतरण हो चुका है कि उन्हें देशी स्वाद के अनुसार ढ़ाल दिया गया है। फास्ट फूड आने से महिलाओं, खासकर से कामकाजी महिलाओं को समय के बचत की सहूलियत हो गई है। लेकिन इन व्यंजनों के कारण स्वाद और सेहत के साथ समझौता भी होने लगा है। स्थानीय व्यंजनों की घटती हुई गुणवत्ता का उनके लगभग विलुप्त होने में एक बड़ा योगदान है।

Chapter List

हम पंछी उन्मुक्त गगन के दादी माँ हिमालय की बेटियाँ कठपुतली मिठाईवाला रक्त और शरीर पापा खो गए शाम एक किसान चिड़िया की बच्ची अपूर्व अनुभव रहीम के दोहे कंचा एक तिनका खानपान की तस्वीर नीलकंठ भोर और बरखा वीर कुँवर सिंह धनराज पिल्लै आश्रम का अनुमानित व्यय विप्लव गायन

निबंध से

प्रश्न 1: खानपान की मिश्रित संस्कृति से लेखक का क्या मतलब है? अपने घर के उदाहरण देकर इसकी व्याख्या करें।

उत्तर: पिछले दस पंद्रह वर्षों में लोगों के खान पान में भारी बदलाव आया है। अब लोग स्थानीय व्यंजन के अलावा दूसरे प्रांतों और दूसरे देशों के व्यंजन भी नियमित रूप से खाने लगे हैं। आज की गृहिणियों को कई प्रकार के व्यंजन बनाने में दक्षता प्राप्त है। आज हर उम्र के लोग अन्य प्रांतों और अन्य देशों के भोजन को पसंद करते हैं। जैसे मेरे घर में आमतौर पर रोटी, चावल, दाल और सब्जी बनती है। इसके अलावा महीने में दो चार दिन इडली, डोसा, ढ़ोकला, आदि भी बनते हैं। नूडल्स और पास्ता भी घर में नियमित रूप से बनते हैं। कभी कभी बाजार से बर्गर और पिज्जा मंगवा कर भी खाये जाते हैं।

प्रश्न 2: खानपान में बदलाव के कौन से फायदे हैं? फिर लेखक इस बदलाव को लेकर चिंतित क्यों है?

उत्तर: खानपान में बदलाव के कई फायदे हैं। खानपान में बदलाव से न केवल हमारे भोजन में विविधता आती है बल्कि हम अन्य प्रदेशों और अन्य देशों की संस्कृति के बारे में जानने का अवसर भी पाते हैं। कई फास्ट फूड के प्रचलन से आज गृहिणियों, खासकर से कामकाजी महिलाओं के समय की बचत होती है। लेकिन कई फास्ट फूड सेहत के लिए हानिकारक साबित होते हैं।

प्रश्न 3: खानपान के मामले में स्थानीयता का क्या अर्थ है?

उत्तर: खानपान के मामले में स्थानीयता का अर्थ है स्थानीय व्यंजन को प्रमुखता देना। जैसे यदि कोई बंगाली हिल्सा मछली खाता है तो यह उसके लिए स्थानीय व्यंजन है। लेकिन वही बंगाली जब ढ़ोकला खाता है तो वह स्थानीयता नहीं अपना रहा है।

निबंध से आगे

प्रश्न 1: घर में बातचीत करके पता कीजिए कि आपके घर में क्या चीजें पकती हैं और क्या चीजें बनी बनाई बाजार से आती हैं? इनमें से बाजार से आनेवाली कौन सी चीजें आपके माँ पिताजी के बचपन में घर में बनती थीं?

उत्तर: मेरे घर में रोटी, चावल, पराठा, सब्जी, दाल, कढ़ी, आदि पकती हैं। इनके अलावा मेरे घर में पाव भाजी, डोसा, इडली और बड़ा पाव भी बनते हैं। मेरे घर में चिप्स, नूडल्स, पिज्जा, केचप, आदि बनी बनाई बाजार से आती हैं। मेरे माँ पिताजी के बचपन में उनके घर में पाव भाजी, डोसा, इडली या बड़ा पाव नहीं बनते थे। लेकिन उनके घर में चिप्स और नमकीन बनते थे।

प्रश्न 2: यहाँ खाने, पकाने और स्वाद से संबंधित कुछ शब्द दिए गए हैं। इन्हें ध्यान से देखिए और इनका वर्गीकरण कीजिए।

उबालना, तलना, भूनना, सेंकना, दाल, भात, रोटी, पापड़, आलू, बैंगन, मीठा, तीखा, नमकीन, कसैला

उत्तर:

भोजनकैसे पकायास्वाद
दाल उबालना नमकीन
भात उबालना फीका
रोटी सेंकना मीठा
पापड़ सेंकना, तलना नमकीन
आलू उबालना, तलना, सेंकना नमकीन, तीखा
बैंगन उबालना, तलना, सेंकना, भूनना नमकीन, तीखा

भाषा की बात

प्रश्न 1: खानपान शब्द, खान और पान दो शब्दों को जोड़कर बना है। खानपान शब्द में और छिपा हुआ है। जिन शब्दों के योग में और, अथवा, या जैसे योजक शब्द छिपे हों उन्हें द्वंद्व समास कहते हैं। नीचे द्वंद्व समास के कुछ उदाहरण दिए गए हैं। इनका वाक्य में प्रयोग कीजिए और अर्थ समझिए:

सीना-पिरोना, भला-बुरा, चलना-फिरना, लंबा-चौड़ा, कहा-सुनी, घास-फूस

उत्तर: सीना-पिरोना: मेरे मुहल्ले के नुक्कड़ पर एक बूढ़ी औरत अपनी आजीविका चलाने के लिए सीने-पिरोने का काम करती है।

भला-बुरा: आज क्लास टीचर ने मयंक को भला-बुरा कहा।

चलना-फिरना: भीम इतना बूढ़ा हो चुका था कि उसका चलना-फिरना भी मुश्किल हो गया था।

लंबा-चौड़ा: खली एक लंबा-चौड़ा पहलवान है।

कहा-सुनी: आज मेरे और मेरे मित्र के बीच कहा-सुनी हो गई।

घास-फूस: गाँव में अकाल पड़ने से लोगों को घास-फूस खाने की नौबत आ गई।

  • Prev
  • खानपान की बदलती तस्वीर
  • Next

खानपान मेंबदलाव को लेकर लेखक चितिं त क्यों है?

फिर लेखक इस बदलाव को लेकर चिंतित क्यों है? उत्तर: खानपान में बदलाव के कई फायदे हैं। खानपान में बदलाव से न केवल हमारे भोजन में विविधता आती है बल्कि हम अन्य प्रदेशों और अन्य देशों की संस्कृति के बारे में जानने का अवसर भी पाते हैं। कई फास्ट फूड के प्रचलन से आज गृहिणियों, खासकर से कामकाजी महिलाओं के समय की बचत होती है।

खान पान की तस्वीर क्यों बदल रही है?

हो यह भी रहा है कि खानपान की मिश्रित संस्कृति में हम कई बार चीज़ों का असली और अलग स्वाद नहीं ले पा रहे । अकसर प्रीतिभोजों और पार्टियों एक साथ ढेरों चीजें रख दी जाती हैं और उनका स्वाद गड्डमड्ड होता रहता है। खानपान की मिश्रित या विविध संस्कृति हमें कुछ चीजें चुनने का अवसर देती है, हम उसका लाभ प्रायः नहीं उठा रहे हैं।

खानपान में बदलाव के कौन से फायदे हैं लिखो?

Answer:.
खानपान में बदलाव से -.
(i) हमारी रूचि बनी रहती है। ... .
(ii) इससे भारत की एकता बनी रहती है।.
(iii) समय की बचत होती है।.
(iv) इसमे परिश्रम भी कम लगता है।.
खानपान के इस बदलाव से स्थानीय व्यंजनों का अस्तित्व खतरें में है, उनकी लोकप्रियता कम हो रही है तथा यह हमारे स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक नहीं है।.

खानपान की मिश्रित संस्कृति से लेखक का क्या मतलब है अपने घर केउदाहरण देकर इसकी व्याख्या करें?

यहाँ मिश्रित संस्कृति से लेखक का तात्पर्य विभिन्न प्रांतो व देशों के व्यंजनों के अलग-अलग प्रकारो का मिला जुला रूप है। उदाहरण के लिए आज एक ही घर में हमें दक्षिण भारतीय, उत्तर भारतीय व विदेशी व्यंजनों का मिश्रित रूप खाने में मिल जाता है। जैसे - कभी ब्रेड तो कभी पराठे, कभी सांभर-डोसा तो कभी राजमा जैसे व्यंजन।

संबंधित पोस्ट

Toplist

नवीनतम लेख

टैग