नई कविता के कवि कौन है - naee kavita ke kavi kaun hai

इसे सुनेंरोकेंनयी कविता हिन्दी साहित्य में सन् १९५१ के बाद की उन कविताओं को कहा गया, जिनमें परंपरागत कविता से आगे नये भावबोधों की अभिव्यक्ति के साथ ही नये मूल्यों और नये शिल्प-विधान का अन्वेषण किया गया। यह प्रयोगवाद के बाद विकसित हुई हिन्दी कविता की नवीन धारा है।

मौखिक कविता का प्रारंभ कब हुआ?

इसे सुनेंरोकेंमौखिक कविता का जन्म सन् 1960 में हुआ।

नई कविता के प्रवर्तक कौन है?

इसे सुनेंरोकेंहिंदी साहित्य में छायावाद के आधारस्तम्भों में से एक, प्रयोगवादी और प्रगतिशील चेतना के कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की आज जयंती है। वे एक कवि, उपन्यासकार, निबन्धकार और कहानीकार थे। उन्होंने हिंदी काव्य जगत में नई कविता का सूत्रपात किया।

नई कविता का प्रकाशन कहाँ से हुआ?

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इसे सुनेंरोकेंनई. शब्द हिन्दी कविता के क्षेत्र में वर्ष 1950 के आस-पास प्रयोगवाद के विरुद्ध आन्दोलन का द्योतक है। सन् 1954 में डॉ. जगदीश गुप्त और रामस्वरूप चतुर्वेदी द्वारा इलाहाबाद से नई कविता पत्रिका का प्रकाशन हुआ।

आधुनिक हिंदी कविता का प्रारंभ कब से माना जाता है?

इसे सुनेंरोकेंआधुनिक हिन्दी कविता का प्रारम्भ संवत् 1900 से माना जाता है। यह काल अनेक दृष्टियों से महत्त्वपूर्ण है। इस काल में हिन्दी साहित्य का चहुंमुखी विकास हुआ। इस काल में सांस्कृतिक,राजनीतिक एवं सामाजिक आन्दोलनों के फलस्वरूप हिन्दी काव्य में नई चेतना तथा विचारों ने जन्म लिया और साहित्य बहुआयामी क्षेत्रों को सस्पर्श करने लगा।

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प्रयोगवादी कविताओं ने आगे चलकर नई कविताओं का रूप ले लिया। नवीन कविताओं के प्रमुख विषय चमत्कार और जीवन यथार्थ थे। नई कविताएँ परिस्थितियों की उपज हैं। इनका लेखन स्वतंत्रता के बाद किया गया था। नवीन भावबोध, नए मूल्य, शिल्प विधान आदि नई कविताओं की प्रमुख विशेषताएँ हैं। प्रथम विश्व युद्ध के बाद पहली बार मनुष्य की असहायता, विवशता और निरूपायता सामने आई। साथ ही मनुष्य ने अपने अस्तित्व का संकट भी अनुभव किया। हिंदी के ऐतिहासिक युग नई कविता में मानव का दार्शनिक रूप वादों से परे है और एकांत में प्रगट होता है। नई कविता युग एक प्रतिष्ठित युग है। साथ ही यह प्रत्येक परिस्थिति में अपने अस्तित्व को बनाए रखने वाला युग है। नई कविताओं में लघु मानव और उसके संघर्ष का अनूठा वर्णन किया गया है। नई कविता के कवि दो परिवेशों को लेकर लिखने वाले कवि हैं। ग्रामीण और शहरी दोनों परिवेशों का नई कविताओं में वर्णन किया गया है। इसके अलावा कुंठा, असमानता, घुटन और कुरूपता का वर्णन किया गया है। गिरिजाकुमार माथुर, धर्मवीर भारती, शमशेर बहादुर सिंह आदि शहरी परिवेश के कवि हैं। इनके अलावा भवानीप्रसाद मिश्र, केदारनाथ सिंह, नागार्जुन आदि ग्रामीण परिवेश के कवि हैं। नई कविता को वस्तु की तुलना में शिल्प की नवीनता ने ज्यादा गंभीर चुनौती दी है। नए शिल्प अपनाना तथा परंपरागत शिल्प को तोड़ना कठिन कार्य था। इसलिए नई कविता युग में छोटी-छोटी कविताओं की प्रचुरता रही। प्रभावशीलता की दृष्टि से ये छोटी-छोटी रचनाएँ भी बड़े-बड़े वृत्तांतों को सफलता के साथ वर्णित करती हैं। नई कविता में व्यंग्यों की प्रधानता रही है। इसका कारण तत्कालीन समाज में घुटन, आक्रोश और नैराश्य के भावों का स्वाभाविक रूप से उपस्थित रहना है।

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नई कविता की विशेषताएँ

नई कविता की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं–
1. लघु मानव वाद की प्रधानता– नई कविता में मानव जीवन को विशेष महत्व दिया गया है। साथ ही उसे अर्थपूर्ण दृष्टि प्रदान की गयी है।
2. क्षणवाद की प्रधानता– नई कविता में मनुष्य के जीवन के प्रत्येक क्षण को महत्व दिया गया है। साथ ही मनुष्य की एक-एक अनुभूति को कविता के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है।
3. प्रयोगों में नवीनता– नई कविताओं में पुराने भावों और शिल्प विधानों के स्थान पर नवीन भावों और शिल्प विधानों को प्रस्तुत किया गया है।
4. मानव की अनुभूतियों का चित्रण– कविताओं में मानव और समाज की अनुभूतियों का सच्चाई के साथ वर्णन किया गया है।
5. बिम्बों का प्रयोग– नई कविता के कवियों ने अपनी रचनाओं में नूतन बिम्बों का प्रयोग किया है।
6. कुंठा, संत्रास और मृत्युबोध की प्रधानता– नवीन कविताओं में मानवमन में व्याप्त कुंठाओं का चित्रण किया गया है। इसके अलावा जीवन के संत्रास और मृत्युबोध का भी मनोवैज्ञानिक ढंग से अंकन किया गया है।
7. व्यंग्य प्रधान कविताएँ– नई कविताओं के युग में कवियों ने अपनी रचनाओं में मानव जीवन की विसंगतियों, विकृतियों और अनैतिकतावादी मान्यताओं पर व्यंग्यों के माध्यम से करारे प्रहार किये हैं।

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कवि एवं उनकी रचनाएँ

नई कविता के प्रमुख कवि एवं उनकी रचनाएँ निम्नलिखित हैं–
1. भवानी प्रसाद मिश्र– सन्नाटा, गीत फरोश, चकित है दुःख
2. शमशेर बहादुर सिंह– इतने पास अपने, बात बोलेगी हम नहीं, काल तुझ से होड़ है मेरी
3. कुंवर नारायण– आमने-सामने, कोई दूसरा नहीं, चक्रव्यूह
4. दुष्यंत कुमार– सूर्य का स्वागत, साये में धूप, आवाजों के घेरे
5. जगदीश गुप्त– नाव के पाँव, शब्द दंश, बोधि वृक्ष, शम्बूक
6. रघुवीर सहाय– हँसो-हँसो जल्दी हँसो, आत्महत्या के विरुद्ध
7. श्रीकांत वर्मा– दिनारम्भ, भटका मेघ, मगध, माया दर्पण
8. नरेश मेहता– वनपाँखी सुनो, बोलने दो चीड़ को, उत्सव।

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नई कविता के कौन कवि हैं?

नई कविता के प्रमुख कवि एवं उनकी कृतियां.
सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन 'अज्ञेय' (1911-1987 ई.).
गजानन माधव 'मुक्तिबोध (1917-1964 ई.).
गिरिजा कुमार माथुर (1919-1994 ई.).
भवानीप्रसाद मिश्र (1914-1985 ई.).
धर्मवीर भारती (1926-1997 ई.).
नरेश मेहता (1922-2000ई.).
सर्वेश्वरदयाल सक्सेना (1927-1983 ई.).
कुंवर नारायण (1927 ई.).

नई कविता का संस्थापक कौन है?

नयी कविता (पत्रिका) का प्रकाशन सन् १९५४ में आरंभ हुआ। इसके प्रकाशन की योजना आलोचना (पत्रिका) के तत्कालीन संपादक मंडल - धर्मवीर भारती, डॉ॰ रघुवंश, ब्रजेश्वर वर्मा एवं विजयदेव नारायण साही के द्वारा बनायी गयी।

नई कविता का दूसरा नाम क्या है?

नयी कविता अनेक अर्थों में प्रयोगवाद का विकास मानी जाती है। उसने प्रयोग की अनेक उपलब्धियों को आत्मसात् किया है। ऐतिहासिक दृष्टि से नयी कविता 'दूसरा सप्तक' (1951) के बाद की कविता को कहा जाता है। जहाँ तक 'नयी कविता' के नामकरण का प्रश्न है तो 'नई कविता' नाम भी अज्ञेय द्वारा ही दिया गया है।

नई कविता की परिभाषा क्या है?

नई कविता क्या हैं? {nai kavita kise kahte hai) नई कविता स्वतंत्रता के बाद लिखी गई वह कविता है जिसमे नवीन भावबोध, नए मूल्य तथा नया शिल्प विधान है। नई कविता मे मानव का वह रूप जो दार्शनिक है, वादों से परे है, जो एकांत मे प्रगट होता है, जो प्रत्येक स्थिति मे जीता है, प्रतिष्ठित हुआ है।