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मनु के अनुसार मंत्रियों की संख्या कितनी होनी चाहिएKmsraj51 की कलम से…..♦ मनुस्मृति में कानून। ♦भारतवर्ष में राजा न्याय का मूल होता था। न्यायिक सभा में दीवानी और फौजदारी का केस चलता था। सत्य बोलने वाले को न्यायालय में जाना नहीं चाहिए। दोनों पक्ष के गवाहों को न्याय करता एकत्रित करवाता था। न्याय करता गवाहों
से पूछता जो वृतांत तुम लोगों ने बातें किया, जो मनुष्य झूठी गवाही देता है वह वरुण के बंधन में बनता है। इसलिए मनुष्य को सत्य साक्षी गवाही देनी चाहिए। साक्षी देने वाले को सत्य बोलना चाहिए। जबकि पापी अपने मन में विचार करता है कि हमें कोई नहीं देखता। न्याय किया जाए इसके लिए सभा में आगे और समझाया जाता था। पहले गवाहों को सभा मध्य समझाया जाता था। उपद्रव चोरी बेबी चार्ट बदनामी करने, सभा में नियम का पालन करने के लिए आदेश दिए जाते थे। मारपीट, बदनामी करना, चोरी – डाका और उपद्रो अथवा हो व्यभिचार। ऋण, धरोहर, किसी की संपत्ति के स्वामी हुए बिना उसे बेचना, पति और पत्नी के कर्तव्य, उत्तराधिकार पाना। प्राचीन काल में बनाए गए नियम और कानून आज के नियम और कानून में कुछ समानता के साथ आज का नियम बहुत व्यापक हो गया है फर्क केवल इतना है कि प्राचीन काल में जो नियम बनाए जाते थे, उनका कड़ाई से पालन किया जाता था। आज जो नियम है उनमें पारदर्शिता तो है परंतु कुछ लोग न्याय पाने के लिए अपना पूरा जीवन खो देते हैं और उनकी अगली पीढ़ी भी न्याय के लिए न्यायालय के दरवाजे खटखटा रहता है। न्यायपालिका पर जनता का पूरा विश्वास होता है। न्यायपालिका के आदेशों का पालन शासन और प्रशासन करता कराता है। ♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦ —————
————— यह लेख (मनुस्मृति में कानून।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से। अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !! ज़रूर पढ़ें: पृथु का प्रादुर्भाव।Please share your comments.आप सभी का प्रिय दोस्त©KMSRAJ51 जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51 ———– © Best of Luck ®———–मनु के अनुसार मंत्रिपरिषद में कितनी संख्या होनी चाहिए?मनु ने विधायिका की रचना का विस्तृत रूप से उल्लेख किया है। उसके अनुसार विधायिका या परिषद् के सदस्यों की संख्या 10 होनी चाहिए, किन्तु रचना का आधार बौद्धिक रहे,न कि संख्या । 'मनुस्मृति में न्याय व्यवस्था का भी वर्णन किया गया है। उसके अनुसार राजा स्वयं विवादों का निर्णय न करे।
मंत्री परिषद में अधिकतम कितने सदस्य हो सकते हैं?लोकसभा में मंत्रिपरिषद की संख्या सदस्यों कि संख्या के १५ प्रतिशत ही हो सकती है। अगर लोकसभा सदस्यों की संख्या ५४३ है तो मंत्रिपिषद इसका १५ प्रतिशत यानी ८१ की ही अधिकतम हो सकती है। यह संख्या प्रधानमंत्री और सभी प्रकार के मंत्रियों को मिलाकर है।
मंत्रिपरिषद पर नियंत्रण कौन रखता है?भारत के संविधान में औपचारिक रूप से संघ की कार्यपालिका शक्तियाँ राष्ट्रपति को दी गई हैं। पर वास्तव में प्रधानमंत्री के नेतृत्व में बनी मंत्रिपरिषद् के माध्यम से राष्ट्रपति इन शक्तियों का प्रयोग करता है। राष्ट्रपति 5 वर्ष के लिए चुना जाता है। राष्ट्रपति पद के लिए सीधे जनता के द्वारा निर्वाचन नहीं होता।
भारत की संसदीय व्यवस्था में मंत्रिपरिषद की कितनी श्रेणियां हैं उनके नाम लिखिए?राज्य मंत्री. सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन (स्वतंत्र प्रभार). विदेश मंत्रालय. प्रवासी भारतीय मामले मंत्रालय. |