मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के प्रयासों के फलस्वरूप निम्नलिखित में कौन कौन कौन से संस्थानों की स्थापना हो सकी? - maulaana abul kalaam aazaad ke prayaason ke phalasvaroop nimnalikhit mein kaun kaun kaun se sansthaanon kee sthaapana ho sakee?

राज एक्सप्रेस। आज भारत के पहले केन्द्रीय शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती है। उनकी याद में हर साल 11 नवंबर को देश में ‘राष्ट्रीय शिक्षा दिवस’ या ‘नेशनल एजुकेशन डे’ मनाया जाता है। साल 2008 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने 11 नवंबर को ‘राष्ट्रीय शिक्षा दिवस’ मनाने का फैसला लिया था। इस दिन मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा एक थीम जारी की जाती है, जिसके तहत देशभर में कई तरह के कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। साल 2022 के लिए मंत्रालय द्वारा जारी की गई राष्ट्रीय शिक्षा दिवस की थीम ‘चेंजिंग कोर्स, ट्रांसफॉर्मिंग एजुकेशन’ है।

मौलाना आजाद ने दिया शिक्षा को बढ़ावा :

दरअसल ‘राष्ट्रीय शिक्षा दिवस’ मनाने के लिए 11 नवंबर का दिन इसलिए चुना गया, क्योंकि स्वतंत्र भारत में देश की शिक्षा प्रणाली की नींव रखने का श्रेय मौलाना अबुल कलाम आजाद को ही जाता है। वह देश के पहले शिक्षा मंत्री थे। उन्होंने अशिक्षा को खत्म करने की दिशा में तेजी से काम किया। उन्होंने ही 'भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान' (IIT) और 'विश्वविद्यालय अनुदान आयोग' (UGC) की स्थापना की थी। इसके अलावा शिक्षा और संस्कृति का विकास करने के लिए उन्होंने संगीत नाटक अकादमी, साहित्य अकादमी और ललित कला अकादमी की स्थापना भी की थी।

कौन थे मौलाना आजाद?

भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी और शिक्षाविद् मौलाना अबुल कलाम आजाद का जन्म 11 नवंबर 1888 को मक्का में हुआ था। बाद में वह अपने परिवार के साथ कलकत्ता में शिफ्ट हो गए। मौलाना आजाद ने देश को आजाद करवाने के लिए बढ़-चढ़कर प्रयास किए। महज 11 साल की उम्र में ही उन्होंने पत्रकारिता शुरू कर दी थी। वह अंग्रेजी हुकूमत के अत्याचारों के खिलाफ लिखते थे। इसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा था। उन्होंने महात्मा गाँधी के असहयोग आन्दोलन में सक्रिय भूमिका निभाई थी।

पाकिस्तान बनाने के खिलाफ :

मौलाना आजाद राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी से काफी प्रभावित थे। वह हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए हमेशा काम करते थे। वह समय-समय पर मुस्लिम नेताओं की आलोचना करने से भी नहीं चूकते थे। अन्य मुस्लिम नेताओं से अलग उन्होने 1905 में बंगाल के विभाजन का विरोध किया था। इसके अलावा वह अलग मुस्लिम राष्ट्र बनाने के भी सख्त खिलाफ थे। देश की आजादी और शिक्षा के क्षेत्र में मौलाना आजाद के योगदान को देखते हुए ही साल 1994 में उन्हें मरणोपरांत ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया था।

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आज देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद का 131वां जन्मदिन है. वह भारत के पहले शिक्षा मंत्री, स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षाविद्, लेखक थे. उन्हीं के जन्मदिन पर हर साल 11 नवंबर को भारत में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है.

आपको बता दें, सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (CBSE) ने मौलाना अबुल कलाम आजाद के शिक्षा के क्षेत्र में किए गए योगदान के लिए उनके जन्मदिन पर साल 2015 में 'नेशनल एजुकेशन डे' मनाने का फैसला किया था.

मौलाना अबुल कलाम आजाद का जन्म 11 नवंबर 1888 को हुआ था. आजाद उर्दू में कविताएं भी लिखते थे. इन्हें लोग कलम के सिपाही के नाम से भी जानते हैं.

आजाद भारत के पहले शिक्षा मंत्री

भारत की आजादी के बाद मौलाना अबुल कलाम भारत के पहले शिक्षा मंत्री बने और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC की स्थापना की थी. मौलाना आजाद 35 साल की उम्र में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सबसे नौजवान अध्यक्ष बने थे.

भारत रत्न लेने से किया था मना

मौलाना अबुल कलाम आजाद ने भारत रत्न से 1992 में मरणोपरांत सम्मानित किया गया था. उन्होंने हमेशा सादगी का जीवन पसंद किया था. आपको जानकर हैरानी होगी जब उनका निधन हुआ था, उस दौरान भी उनके पास कोई संपत्ति नहीं थी और न ही कोई बैंक खाता था. उनकी निजी अलमारी में कुछ सूती अचकन, एक दर्जन खादी के कुर्ते पायजामें, दो जोड़ी सैंडल, एक पुराना ड्रैसिंग गाऊन और एक उपयोग किया हुआ ब्रुश मिला किंतु वहां अनेक दुर्लभ पुस्तकें थी जो अब राष्ट्र की सम्पत्ति हैं.

रचनाएं

- इंडिया विन्स फ्रीडम अर्थात् भारत की आज़ादी की जीत,

- उनकी राजनीतिक आत्मकथा, उर्दू से अंग्रेज़ी में अनुवाद के अलावा 1977 में

- साहित्य अकादमी द्वारा छ: संस्करणों में प्रकाशित क़ुरान का अरबी से उर्दू में अनुवाद उनके शानदार लेखक को दर्शाता है.

- इसके बाद तर्जमन-ए-क़ुरान के कई संस्करण निकले हैं.

- उनकी अन्य पुस्तकों में गुबारे-ए-खातिर, हिज्र-ओ-वसल, खतबात-ल-आज़ाद, हमारी आज़ादी और तजकरा शामिल हैं.

- उन्होंने अंजमने-तारीकी-ए-हिन्द को भी एक नया जीवन दिया.

पाकिस्तान बनाने के विरोध में थे मौलाना

मौलाना अबुल कलाम आजाद का असली नाम अबुल कलाम गुलाम मुहियुद्दीन है. लेकिन उन्हें मौलाना आजाद नाम से ही जाना जाता है. मौलाना आजाद महात्मा गांधी के सिद्धांतों का समर्थन करते थे. उन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए कार्य किया और वो अलग मुस्लिम राष्ट्र (पाकिस्तान) के सिद्धांत का विरोध करने वाले मुस्लिम नेताओ में से थे.

स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री रहे मौलाना आज़ाद ने शिक्षा के क्षेत्र में कई अतुल्य कार्य किए. भारत के पहले शिक्षा मंत्री बनने पर उन्होंने नि:शुल्क शिक्षा,उच्च शिक्षा संस्थानों की स्थापना में अत्यधिक के साथ कार्य किया. मौलाना आजाद को ही 'भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान' (IIT) और 'विश्वविद्यालय अनुदान आयोग' (UGC) की स्थापना की थी.

इसी के साथ उन्होंने शिक्षा और संस्कृति को विकसित करने के लिए उत्कृष्ट संस्थानों की स्थापना की थी. उन्होंने संगीत नाटक अकादमी (1953), साहित्य अकादमी (1954) और ललित कला अकादमी (1954) की स्थापना की थी.