Show Q.पतंजलि के अनुसार योग क्या है? Ans.पतंजलि के अनुसार चित्त की वृत्तियों को चंचल होने से रोकना (चित्तवृत्तिनिरोधः) ही योग है। अर्थात् मन को इधर-उधर भटकने न देना, केवल एक ही वस्तु में स्थिर रखना ही योग है। Q.योगदर्शन के अनुसार प्राणायाम की संख्या कितनी है? Ans.योग के आठ अंगों में से चौथा अंग है प्राणायाम। प्राणायाम करते या श्वास लेते समय हम तीन क्रियाएँ करते हैं- 1. पूरक 2. कुम्भक 3. Q.पतंजलि के दर्शन का क्या नाम है? Ans.योगदर्शन छः आस्तिक दर्शनों (षड्दर्शन) में से एक है। इसके प्रणेता पतञ्जलि मुनि हैं। यह दर्शन सांख्य दर्शन के ‘पूरक दर्शन‘ के नाम से प्रसिद्ध है। Q.पतंजलि योग सूत्र में वृत्ति का शाब्दिक अर्थ क्या है? Ans.अब समझते हैं वृत्ति क्या है-वृत्ति एकवचन न होकर बहुवचन में प्रयोग होता है, इसका अर्थ है वृत्ति एक नहीं अपितु एक से अधिक होती हैं। … बहुतों ने निरोध का शाब्दिक अर्थ किया है रोक देना अर्थात चित्त की वृत्तियों को रोक देना योग कहलाता है। Q.पतंजलि योग सूत्र के अनुसार योग के कितने अंग है? Ans.महर्षि पतंजलि ने योग को मन की चंचलता को स्थिर करने की प्राचीनतम तकनीक कहा है. योगसूत्र में उन्होंने पूर्ण कल्याण के अलावा शारीरिक, मानसिक और आत्मिक शुद्धि के लिए आठ अंगों के अष्टांग योग का वर्णन किया है Q.योग की कितनी अवस्था होती है? Ans.वह एकाग्र अवस्था संप्रज्ञात योग नाम से जानी जाती है। 5. = निरोध अवस्था= चित्त की निरोध अवस्था में चित्त त्रिगुणात्मक अवस्था से मुक्त हो जाता है। अर्थात चित्त सत्व गुण से भी मुक्त हो जाता है। Q.योग दर्शन के अनुसार नियम क्या है? Ans.यह पाँच है – सत्य , अहिंसा , अस्तेय , ब्रह्मचर्य तथा अपरिग्रह। नियम प्रवृत्तिमूलक साधन माने जाते हैं , जो पाँच है – शौच , संतोष , तप , स्वाध्याय तथा ईश्वर – प्राणिधान। … आसनों एवं प्राणायाम को करने से पूर्व यदि व्यक्ति यम और नियमों का पालन नहीं करता है तो उसे योग से पूर्ण स्वास्थ्य लाभ नहीं मिल सकता है। Q.योग सूत्र के अनुसार आसन का अर्थ क्या है? Ans.इन आसनों का वर्णन लगभग सभी भारतीय साधनात्मक साहित्य में मिलता है। पतञ्जलि के योगसूत्र के अनुसार, … (अर्थ : सुखपूर्वक स्थिरता से बैठने का नाम आसन है। या, जो स्थिर भी हो और सुखदायक अर्थात आरामदायक भी हो, वह आसन है। ) Q.योग का जन्मदाता कौन सा देश है? Ans.योग के जन्मदाता आदियोगी शिव हैं। शिव के योगसूत्र का अष्टांग योग के षट्कर्म की क्रियाओं से कोई सरोकार नहीं है। सदाशिव न केवल सदैव तंत्र-साधना में लीन रहते हैं बल्कि उसके आविष्कारक भी हैं। Q.योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः का अर्थ क्या है? Ans.योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः। अर्थ: चित्तवृत्तियों का निरोध योग है। व्याख्या: मन हमेशा दौड़ता है, कभी जगत के पदार्थों में, कभी चित्त में पडी वासनाओं, इच्छाओं और विकारों में। … अपने शुद्ध आत्म स्वरूप को जानने के लिए मन और चित्त के स्तर पर हो रही हलचलों को शांत करना जरूरी है, इसी को वृत्ति निरोध कहते हैं। Q.योग का आठवां अंग कौन सा है? Ans.वे आत्म-केंद्रित हैं, इसलिए उनकी पूर्णता आत्मनिरीक्षण के माध्यम से प्राप्त की जाती है। यम, नियमा, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि। ये योग के आठ अंग हैं। Q.योग के प्रथम अंग यम का क्या अर्थ है? Ans.यम है धर्म का मूल। … यम से मन मजबूत और पवित्र होता है। मानसिक शक्ति बढ़ती है। इससे संकल्प और स्वयं के प्रति आस्था का विकास होता है। Q.कौन सा अंग योग के अंतर्गत नहीं आता? Ans.आसन: योग का सबसे प्रचलित अंग। इसके अंतर्गत बैठने के आसन आते हैं। पतांजलि सूत्र में ध्यान में इनका वर्णन है। 8- समाधि: इसके दो प्रकार हैं। Q.योग का सातवां अंग कौन सा है? Ans.ये छः अंग हैं – प्राणायाम, प्रत्याहार, ध्यान, धारणा, तर्क और समाधि। Q.अष्टांग योग में प्रत्याहार क्या है? Ans. : अष्टांगयोग का पांचवां अंग प्रत्याहार है। … वासनाओं की ओर जो इंद्रियां निरंतर गमन करती रहती हैं, उनकी इस गति को अपने अंदर ही लौटाकर आत्मा की ओर लगाना या स्थिर रखने का प्रयास करना प्रत्याहार है। Q.शीर्षासन कब करना चाहिए? Ans.स्मरण शक्ति, एकाग्रता, उत्साह, स्फूर्ति, निडरता, आत्मविश्वास और धैर्य बढ़ाता है। व्यक्ति लंबे समय तक युवा बना रहता है। इसके अलावा इस आसन को करने से स्किन ग्लो ग्लो करने लगती है और चेहरे की झुर्रियां भी दूर हो जाती हैं। इस आसन को करने के लिए सबसे पहले खाली पेट, समतल स्थान पर कंबल या दरी बिछा ले। Q.शीर्षासन से कौन सी योग्यता मिलती है? Ans.
Q.पश्चिमोत्तानासन से क्या लाभ होता है? Ans.पश्चिमोत्तानासन के लाभ- पश्चिमोत्तानासन का नियमित अभ्यास मन को शांत करता है और तनाव से भी छुटकारा दिलाता है। पाचन तंत्र में सुधार के लिए भी आप इस आसन को प्रतिदिन कर सकते हैं। इस आसन से उच्च रक्तचाप, अनिद्रा और बांझपन का भी उपचार किया जा सकता है। पेट और कूल्हों की चर्बी को कम करने के लिए यह आसन बेहद लाभकारी है। Q.योग की अंतिम अवस्था क्या है? Ans.जब साधक ध्येय वस्तु के ध्यान मे पूरी तरह से डूब जाता है और उसे अपने अस्तित्व का ज्ञान नहीं रहता है तो उसे समाधि कहा जाता है। पतंजलि के योगसूत्र में समाधि को आठवाँ (अन्तिम) अवस्था बताया गया है। समाधि के बाद प्रज्ञा का उदय होता है और यही योग का अंतिम लक्ष्य है। Q.योग दर्शन का क्या महत्व है? Ans.योगदर्शन छः आस्तिक दर्शनों (षड्दर्शन) में से प्रसिद्ध है। इस दर्शन का प्रमुख लक्ष्य मनुष्य को वह परम लक्ष्य (मोक्ष) की प्राप्ति कर सके। अन्य दर्शनों की भांति योगदर्शन तत्त्वमीमांसा के प्रश्नों (जगत क्या है, जीव क्या है?, आदि) में न उलझकर मुख्यतः मोक्ष वाले दर्शन की प्रस्तुति करता है। Q.योग दर्शन के अनुसार स्वाध्याय के पालन से क्या प्राप्त होता है? Ans.अर्थात् प्रणव-ओंकार का जप करना तथा मोक्ष की ओर ले जाने वाले वेद-उपनिषद्, योगदर्शन, गीता आदि जो सत्यशास्त्र हैं, इनका श्रद्धापूर्वक अध्ययन करना स्वाध्याय है। हम यदि इस स्वाध्याय शब्द पर शाब्दिक दृष्टि से विचार करें तो इसके मुख्यार्थ दो हैं। एक है- ‘सु-अध्ययनं स्वाध्याय‘ अर्थात् उत्तम अध्ययन। Q.योग दर्शन के अनुसार अहिंसा क्या है ? Ans.अहिंसा मनुष्य का स्वाभाविक गुण तो नहीं है, पर आवश्यक गुण जरूर होना चाहिए। योगाभ्यास में अहिंसा प्रथम सीढ़ी है। अहिंसा के बिना योग की सिद्धि संभव नहीं है। अहिंसा के अभ्यास में जब परिपक्वता आ जाती है तब सभी प्राणियों के प्रति भेदभाव समाप्त हो जाता है…अहिंसा मनुष्य का स्वाभाविक गुण तो नहीं है, पर आवश्यक गुण जरूर होना चाहिए। योगाभ्यास में अहिंसा प्रथम सीढ़ी है। अहिंसा के बिना योग की सिद्धि संभव नहीं है। अहिंसा के अभ्यास में जब परिपक्वता आ जाती है तब सभी प्राणियों के प्रति भेदभाव समाप्त हो जाता है । Q.प्रसिद्ध योगी पतंजलि ने योग की कितनी अवस्थाओं का वर्णन किया है? Ans.महर्षि पतंजलि ने योग को आठ भागों (नियमों) में बांटा है जिसे अष्टांग योग कहते हैं। यम : इसमें सत्य व अहिंसा का पालन करना, चोरी न करना, ब्रह्मचर्या का पालन व ज्यादा चीजों को इकटा करने से बचना शामिल है। नियम : ईश्वर की उपासना, स्वाध्याय, तप, संतोष और शौच महत्वपूर्ण माने गए हैं। Q.योग दर्शन के अनुसार स्वाध्याय के पालन से क्या प्राप्त होता है? Ans.अर्थात् प्रणव-ओंकार का जप करना तथा मोक्ष की ओर ले जाने वाले वेद-उपनिषद्, योगदर्शन, गीता आदि जो सत्यशास्त्र हैं, इनका श्रद्धापूर्वक अध्ययन करना स्वाध्याय है। हम यदि इस स्वाध्याय शब्द पर शाब्दिक दृष्टि से विचार करें तो इसके मुख्यार्थ दो हैं। एक है- ‘सु-अध्ययनं स्वाध्याय‘ अर्थात् उत्तम अध्ययन। Q.योग दर्शन के अनुसार अहिंसा क्या है? Ans.अहिंसा मनुष्य का स्वाभाविक गुण तो नहीं है, पर आवश्यक गुण जरूर होना चाहिए। योगाभ्यास में अहिंसा प्रथम सीढ़ी है। अहिंसा के बिना योग की सिद्धि संभव नहीं है। अहिंसा के अभ्यास में जब परिपक्वता आ जाती है तब सभी प्राणियों के प्रति भेदभाव समाप्त हो जाता है… Q.प्रसिद्ध योगी पतंजलि ने योग की कितनी अवस्थाओं का वर्णन किया है? Ans.महर्षि पतंजलि ने योग को आठ भागों (नियमों) में बांटा है जिसे अष्टांग योग कहते हैं। यम : इसमें सत्य व अहिंसा का पालन करना, चोरी न करना, ब्रह्मचर्या का पालन व ज्यादा चीजों को इकटा करने से बचना शामिल है। नियम : ईश्वर की उपासना, स्वाध्याय, तप, संतोष और शौच महत्वपूर्ण माने गए हैं। Q.भारत में योग का इतिहास कितना पुराना है? Ans.भारत में योग का इतिहास लगभग 5000 साल पुराना है. मानसिक, शारीरिक एवं अध्यात्म के रूप में लोग प्राचीन काल से ही इसका अभ्यास करते आ रहे हैं. Q.प्राणायाम कौन कौन से हैं? Ans.प्राणायाम के कुछ प्रमुख प्रकार हैं:
Q.योग सूत्र के अनुसार पुरुष का क्या तात्पर्य है? Ans.योगदर्शन में संसार को दुःखमय और हेय माना गया है। पुरुष या जीवात्मा के मोक्ष के लिये वे योग को ही एकमात्र उपाय मानते हैं। पतंजलि ने चित्त की क्षिप्त, मूढ़, विक्षिप्त, निरुद्ध और एकाग्र ये पाँच प्रकार की वृत्तियाँ मानी है, जिनका नाम उन्होंने ‘चित्तभूमि’ रखा है। Q.महर्षि पतंजलि के अनुसार योग के कितने अंग हैं? Ans.इन 8 अंगों के अपने-अपने उप अंग भी हैं. वर्तमान में योग के 3 ही अंग प्रचलन में हैं– आसन, प्राणायाम और ध्यान. महर्षि पतंजलि के जन्म के बारे में एक धार्मिक कहानी भी बताई जाती है. Q.योग का जनक कौन है? Ans.महर्षि पतंजलि को योग का जनक यानि पिता कहा जाता है। योग को भारत के स्वर्ण युग करीब 26,000 साल पहले की देन माना जाता है। Q.प्राणायाम कितने प्रकार के होते हैं? Ans.सूर्यभेदन, उज्जायी, सीत्कारी, शीतली, भस्त्रिका, भ्रामरी, मूर्च्छा और प्लाविनी ये आठ प्रकार के कुम्भक (प्राणायाम ) होते हैं । Q.भारत में योग के संस्थापक कौन थे? Ans.योग विद्या में शिव को पहले योगी या आदि योगी तथा पहले गुरू या आदि गुरू के रूप में माना जाता है। कई हजार वर्ष पहले, हिमालय में कांति सरोवर झील के तटों पर आदि योगी ने अपने प्रबुद्ध ज्ञान को अपने प्रसिद्ध सप्तऋषि को प्रदान किया था। Q.योग शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई? Ans.योग शब्द की उत्पत्ति संस्कृति शब्द युज (वाईयूजे) से हुई है। जिसका मतलब है- जे से ज्वाइन यानि जड़ना, वाई से योक यानि मिलाना और यू से युनाइट मतलब एक साथ। योग शास्त्रों के मुताबिक, योग का मानव के मस्तिष्क और शरीर के बीच वैसा सीधा ही संबंध है जैसा जैसा मानव का प्रकृति से है। Q.योग की शुरुआत कब हुई? Ans.यह टिप्पणी की गई है कि इसका प्रकाशन “राज योग” 1896 में आधुनिक योग की शुरुआत हुई Q.योग शास्त्र में कितने आसनों का वर्णन है? Ans.योग शास्त्रों के परम्परानुसार चौरासी लाख आसन हैं और ये सभी जीव जंतुओं के नाम पर आधारित हैं। इन आसनों के बारे में कोई नहीं जानता इसलिए चौरासी आसनों को ही प्रमुख माना गया है. और वर्तमान में बत्तीस आसन ही प्रसिद्ध हैं। Q.योग की शक्ति के लेखक कौन है? Ans.हम बात कर रहे हैं “योग शक्ति” की. इसे शैलजा मेनन ने लिखी है Q.योग प्रवर्तक कौन है? Ans.योग के प्रवर्तक हैं शिव Q.महाभारत के अनुसार योग के अधिवक्ता कौन थे? Ans.अधिकतर यह मानते हैं कि योग के जनक महर्षि पतंजलि थे। Q.योग क्या है योग की परिभाषा? Ans.योग (संस्कृत: योगः ) एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है जिसमें शरीर, मन और आत्मा को एक साथ लाने (योग) का काम होता है। यह शब्द – प्रक्रिया और धारणा – हिन्दू धर्म,जैन पन्थ और बौद्ध पन्थ में ध्यान प्रक्रिया से सम्बन्धित है। … पतंजलि योगदर्शन में क्रियायोग शब्द देखने में आता है। Q.पतंजलि योग सूत्र में वृत्ति का शाब्दिक अर्थ क्या है? Ans.अब समझते हैं वृत्ति क्या है-वृत्ति एकवचन न होकर बहुवचन में प्रयोग होता है, इसका अर्थ है वृत्ति एक नहीं अपितु एक से अधिक होती हैं। … बहुतों ने निरोध का शाब्दिक अर्थ किया है रोक देना अर्थात चित्त की वृत्तियों को रोक देना योग कहलाता है। Q.योग के प्रमुख अंग कौन कौन से हैं? Ans.अष्टांग योग या राजयोग भगवान बुद्ध का आष्टांगिक मार्ग भी योग के इन्हीं आठ अंगों का हिस्सा है। आमतौर हम जिस योग का अभ्यास करते हैं या चर्चा करते हैं, वह यही है। योग की सबसे प्रचलित धारा है यह। इसे आठ अंग इस तरह हैं : यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, समाधि। Q.अष्टांग योग में कितने अंग हैं? Ans.योग से शारीरिक और मानसिक एकाग्रता बढ़ती है। इससे लोगों को आंतरिक मन में झांकने तथा शारीरिक संरचना और विभिन्न अंगों को आपसी सामंजस्य के साथ कार्य करने मे बल मिलता है। Q.सूर्य नमस्कार की कितनी स्थितियां है? Ans.ध्यान को गर्दन के पीछे ‘विशुद्धि चक्र’ पर केन्द्रित करें। (12) यह स्थिति – पहली स्थिति की भाँति रहेगी। सूर्य नमस्कार की उपरोक्त बारह स्थितियाँ हमारे शरीर को संपूर्ण अंगों की विकृतियों को दूर करके निरोग बना देती हैं। यह पूरी प्रक्रिया अत्यधिक लाभकारी है। Q.शीर्षासन से क्या क्या लाभ होता है? Ans. Sirsasana Benefits: शीर्षासन के फायदे (Benefits of Headstand)
Q.सर्वांगासन कितनी देर करना चाहिए? Ans.शरीर का पूरा भार कन्धों व हाथों के ऊपरी हिस्से पर होना लें। पैरों को सीधा रखें। पैरों की उंगलियों को नाक की सीध में ले आएं। लंबी गहरी साँस लें और 30 सेकण्ड तक आसन में रहें। Q.शीर्षासन कब और कैसे करना चाहिए? Ans. 1-
शीर्षासन रोगप्रतिरोधक क्षमता और कार्यक्षमता को बढ़ाकर एनेर्जेटिक बनाता है।
Q.शीर्षासन के बाद कौन सा आसन? Ans.कुछ देर अंतिम स्थिति में बने रहे और सामान्य रूप से सांसे लेते रहे। अगर आप थकावट महसूस कर रहे है तो शीर्षासन के तुरंत बाद कुछ देर शवासन करें या फिर सीधे खड़े हो जाएँ, ताकि मस्तिष्क की ओर बहने वाला रक्त का बहाव सामान्य हो जाएं। Q.शीर्षासन कितनी उम्र तक करना चाहिए? Ans.10 वर्ष की उम्र के बाद ये योगासन शुरू करें। बच्चों में एकाग्रता, रोग प्रतिरोधक क्षमता व लम्बाई भी बढ़ाने में कारगर है। Q.सामान्य रक्तचाप को बनाए रखने में कौन सा आसन सहायक है शवासन पद्मासन शीर्षासन शलभासन? Ans.सेतु बंधासन या ब्रिज पोज़ आपके शरीर में रक्त के प्रवाह को सही रखता है जो आपको तनाव मुक्त रखने में मदद करता है। इससे आप खुद को तरोताजा और ज्यादा एक्टिव महसूस करते हैं। ब्लड प्रेशर को कम करने के लिए किए जाने वाले आसनों में सुखासन एक ऐसा आसन है जिसमें आपके दिल पर ज्यादा जोर नही पड़ता। Q.हलासन का पूरक आसन क्या है? Ans.हलासन करते समय शरीर का आकार, किसानों द्वारा जमीन जोतने के लिए उपयोग में लाये जानेवाले उपकरण ‘हल’ के समान होने के कारण इस आसन को हलासन यह नाम दिया गया हैं। अंग्रेजी में इस आसन को ‘प्लो पोज’ कहा जाता हैं। वजन कम करने और मेरुदंड को मजबूत, लचीला बनाने के लिए एक उत्तम आसन हैं। Q.खाना खाकर कौन सा आसन कर सकते हैं? Ans.यूं तो खाना खाने के बाद कोई आसान या एक्सरसाइज ना करने की सलाह दी जाती है, लेकिन यह ऐसा आसन है जिसे खाना खाने के बाद किया जाता है. हम बात कर रहे हैं वज्रासन की. वज्रासन एक ऐसा योग है, जिसे आप खाना खाने के तुरंत बाद करेंगे तो आपको पाचन संबंधी समस्याओं में आराम मिलता है. Q.योग कितने प्रकार का होता है? Ans.योग के मुख्य चार प्रकार होत हैं। राज योग, कर्म योग, भक्ति योग और ज्ञान योग। Q.योग के कितने नियम है? Ans.महर्षि पतंजलि ने योग को आठ भागों (नियमों) में बांटा है जिसे अष्टांग योग कहते हैं। यम : इसमें सत्य व अहिंसा का पालन करना, चोरी न करना, ब्रह्मचर्या का पालन व ज्यादा चीजों को इकटा करने से बचना शामिल है। नियम : ईश्वर की उपासना, स्वाध्याय, तप, संतोष और शौच महत्वपूर्ण माने गए हैं। Q.योग दर्शन का मुख्य ग्रंथ कौन सा है? Ans.योगसूत्र, योग दर्शन का मूल ग्रंथ है। यह सात दर्शनों में से एक शास्त्र है और योगशास्त्र का एक ग्रंथ है। योगसूत्रों की रचना ३००० साल के पहले पतंजलि ने की। इसके लिए पहले से इस विषय में विद्यमान सामग्री का भी इसमें उपयोग किया। Q.योग दर्शन में कितने तत्व है? Ans.योग में ईश्वर को और मिलाकर कुल २६ तत्त्व माने गए हैं। सांख्य के ‘पुरुष’ से योग के ईश्वर में विशेषता यह है कि योग का ईश्वर क्लेश, कर्मविपाक आदि से पृथक् माना गया है। वेदांतियों के मत से ब्रह्म ही एकमात्र परमार्थ तत्त्व है। Q.योग दर्शन में योग का क्या अर्थ है? Ans.अर्थात् चित्त की वृत्तियों का निरोध ही योग है, अथवा चित्त की वृत्तियों को नियंत्रण कर लेना ही योग है। यह सूत्र सम्पूर्ण योगसूत्रों का मूल आधार है। यदि चित्त की वृत्तियाँ एकाग्र न होंगी, तो मन संसार में चतुर्दिक भटकता ही रहेगा और ईश्वर का दर्शन, साक्षात्कार और सम्मिलन कुछ न हो सकेगा। Q.अंतरंग योग क्या है? Ans.अष्टांग योग के अंतर्गत प्रथम पांच अंग ( यम , नियम , आसन , प्राणायाम तथा प्रत्याहार ) ‘ बहिरंग ‘ और शेष तीन अंग ( धारणा , ध्यान , समाधि ) ‘ अंतरंग ‘ नाम से प्रसिद्ध हैं। बहिरंग साधना यथार्थ रूप से अनुष्ठित होने पर ही साधक को अंतरंग साधना का अधिकार प्राप्त होता है। अंतिम तीनों अंग मनःस्थैर्य का साधना है। Q.योग दर्शन में ईश्वर का क्या स्थान है? Ans.योग दर्शन यह योग-प्रतिपादित ईश्वर एक विशेष पुरुष है; वह जगत् का कर्ता, धर्ता, संहर्ता, नियन्ता नहीं है। असंख्य नित्य पुरुष तथा नित्य अचेतन प्रकृति स्वतन्त्र तत्त्वों के रूप में ईश्वर के साथ-साथ विद्यमान हैं। साक्षात् रूप में ईश्वर का प्रकृति से या पुरुष के बन्धन और मोक्ष से कोई लेना-देना नहीं है। Q.योग दर्शन में मोक्ष प्राप्ति के क्या साधन है? Ans.पुरूष का परम लक्ष्य कैवल्य की प्राप्ति है। योग में पुरूष को आत्मा का पर्याय माना गया है। अतः आत्मा, जो कि संख्या में असंख्य है, उसकी कैवल्य प्राप्ति तभी हो सकती है जब चतुर्व्यूह का पुरूषार्थ साधन कर दुःख के त्रिविध रूपों का सामाधान कर लिया जाय। … योगदर्शन में इसे ही कैवल्य अथवा मोक्ष कहा गया है। Q.योग के उद्देश्य क्या है? Ans.योग का उद्धेश्य हमारे जीवन का समग्र विकास करना है। या इसे ऐसे कह सकते है कि जीवन का सर्वांगी विकास करना। सर्वांगी विकास से तात्पर्य यहाॅ शारीरिक, मानसिक, नैतिक, आध्यात्मिक व सामाजिक विकास से है। … योग एक ऐसा साधना विज्ञान है, जिसके द्वारा जन्म-जन्मो के संस्कार क्षीण हो जाते हैं। Q.महर्षि पतंजलि ने योग दर्शन में कितने प्रकार के प्राणायाम बताए है? Ans.इन 8 अंगों के अपने-अपने उप अंग भी हैं. वर्तमान में योग के 3 ही अंग प्रचलन में हैं- आसन, प्राणायाम और ध्यान. Q.योग का जन्मदाता कौन सा देश है? Ans.योग के जन्मदाता आदियोगी शिव हैं। शिव के योगसूत्र का अष्टांग योग के षट्कर्म की क्रियाओं से कोई सरोकार नहीं है। सदाशिव न केवल सदैव तंत्र-साधना में लीन रहते हैं बल्कि उसके आविष्कारक भी हैं। Q.संपूर्ण आसन क्या होता है? Ans.सुविधापूर्वक एकाग्र और स्थिर होकर बैठने को आसन कहा जाता है. आसन का शाब्दिक अर्थ है – विशेष प्रकार से बैठना. मुख्य रूप से आसन दो तरह के होते हैं- गतिशील आसन और स्थिर आसन. गतिशील आसन- वे आसन जिनमे शरीर शक्ति के साथ गतिशील रहता है. Q.प्राणायाम कौन से आसन में किया जाता है? Ans.प्राणायाम एवं ध्यान पर बैठने की मुद्राएँ
Q.योग शब्द की उत्पत्ति कहाँ से हुई? Ans.योग शब्द की उत्पत्ति संस्कृति शब्द युज (वाईयूजे) से हुई है। जिसका मतलब है- जे से ज्वाइन यानि जड़ना, वाई से योक यानि मिलाना और यू से युनाइट मतलब एक साथ। योग शास्त्रों के मुताबिक, योग का मानव के मस्तिष्क और शरीर के बीच वैसा सीधा ही संबंध है जैसा जैसा मानव का प्रकृति से है। Q.योग का जन्म कब हुआ था? Ans.पूर्व वैदिक काल (ईसा पूर्व 3000 से पहले) अभी हाल तक, पश्चिमी विद्वान ये मानते आये थे कि योग का जन्म करीब 500 ईसा पूर्व हुआ था जब बौद्ध धर्म का प्रादुर्भाव हुआ। लेकिन हड़प्पा और मोहनजोदड़ो में जो उत्खनन हुआ, उससे प्राप्त योग मुद्राओं से ज्ञात होता है कि योग का चलन 5000 वर्ष पहले से ही था। Q.5 प्राणायाम कौन कौन से हैं? Ans.बता रहें हैं योगगुरु धीरज पांच मुख्य प्राणायाम – कपालभाति प्राणायाम, भस्त्रिका प्राणायाम, अनुलोम विलोम प्राणायाम , भ्रामरी प्राणायाम और वशिष्ठ प्राणायाम के सूत्र। Q.कौन सा प्राणायाम पहले करना चाहिए? Ans.21 मिनट पैदल चलने के बाद प्राणायाम में सबसे पहले भस्त्रिका प्राणायाम फिर उसके बाद कपालभाति प्राणायाम करना चाहिए। पहले 7 दिन 3 मिनट और फिर प्रतिदिन 5 मिनट सुखासन, सिद्धासन, पद्मासन, वज्रासन में बैठें और सांस को बाहर करते समय पेट को अन्दर की तरफ धक्का देना है, इसमें सिर्फ सांस को छोड़ते रहना है। Q.प्राणायाम दिन में कितनी बार करना चाहिए? Ans.हृदय रोगों, हाई ब्लड प्रेशर और पेट में गैस आदि शिकायतों में यह प्राणायाम धीरे धीरे करना चाहिये (60 बार एक मिनट में ) है। Q.प्राणायाम दिन में कितनी बार करना चाहिए? Ans. अनुलोम विलोम नाड़ी शोधन प्राणायाम
Q.प्राणायाम के अभ्यास में कौन कौन सी सावधानियां रखनी चाहिए? Ans.अभ्यास विधि
Q.सुबह सुबह कौन से योग करना चाहिए? Ans.सूर्य नमस्कार: सूर्य नमस्कार के बहुत से पोज हैं, जब सूर्योदय होता है तो आप इनमें से कोई भी पोज सलेक्ट करके योगा कर सकते हैं। इससे आपके शरीर को नई ऊर्जा मिलती है और सांस के साथ शरीर गति करता है। इस योगासन से तनाव दूर होता है और शरीर के विषाक्त तत्व नष्ट होते हैं। यह रिलेक्सेशन के लिए अच्छी एक्सरसाइज है। Q.योग सूत्र में कितने सूत्र? Ansपूर्व लिखा था। इसे योग पर लिखी पहली सुव्यवस्थित लिखित कृति मानते है। इस पुस्तक में 195 सूत्र हैं जो चार अध्यायों में विभाजित है। पातंजलि ने इस ग्रंथ में भारत में अनंत काल से प्रचलित तपस्या और ध्यान-क्रियाओं का एक स्थान पर संकलन किया और उसका तर्क सम्मत सैद्धांतिक आधार प्रस्तुत किया। Q.योग सूत्र कितने प्रकार के होते हैं? Ans.
Q.पतंजलि योग सूत्र में वृत्ति का शाब्दिक अर्थ क्या है? Ans.अब समझते हैं वृत्ति क्या है-वृत्ति एकवचन न होकर बहुवचन में प्रयोग होता है, इसका अर्थ है वृत्ति एक नहीं अपितु एक से अधिक होती हैं। बहुतों ने निरोध का शाब्दिक अर्थ किया है रोक देना अर्थात चित्त की वृत्तियों को रोक देना योग कहलाता है। Q.अष्टांग योग में प्रत्याहार कौन से स्थान पर है? Ans.प्राणायाम: चौथा चरण प्राणायाम है जो आसन की अवस्था के बाद आता है इसमें एक योगी खास तकनीकों से सांस और प्राण पर नियंत्रण करना सीखता है. प्रत्याहार: योग का पांचवां चरण प्रत्याहार है जिसमें महर्षि पतंजलि इन्द्रियों को अंतर्मुखी और नियंत्रित करने का प्रशिक्षण देते हैं. Q.एक योगी के लिए प्रशिक्षण के 8 चरण होते हैं अंतिम चरण क्या है? Ans.उसका वर्णन करते हुये महर्षि पतन्जलि ने यम-नियम, आसन प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि अष्टांग योग का मार्ग बताया है, यही उनकी सर्व सामान्य पद्धति हैं। Q.कौन सा प्राणायाम रक्त को शुद्ध करने में सहायक होता है *? Ans.उन्होंने कहा कि रक्त अशुद्धि रोगों का मूल कारण है और रक्त शुद्धि करने में कपालभाति सहित प्राणायाम विशेष भूमिका निभाते हैं। Q.योग समाधि किसका कथन है? Ans.पतंजलि के योगसूत्र में समाधि को आठवाँ (अन्तिम) अवस्था बताया गया है। समाधि के बाद प्रज्ञा का उदय होता है और यही योग का अंतिम लक्ष्य है। Q.योग के क्षेत्र में समावेश किसका होता है? Ans. योग’ शब्द ‘युज समाधौ’ आत्मनेपदी दिवादिगणीय धातु में ‘घं’ प्रत्यय लगाने से निष्पन्न होता है। इस प्रकार ‘योग’ शब्द का अर्थ हुआ- समाधि अर्थात् चित्त वृत्तियों का निरोध। वैसे ‘योग’ शब्द ‘युजिर योग’ तथा ‘युज संयमने’ धातु से भी निष्पन्न होता है किन्तु तब इस स्थिति में योग शब्द का अर्थ क्रमशः योगफल, जोड़ तथा नियमन होगा। Q.भारत में योग का इतिहास कितना पुराना है? Ans.भारत में योग का इतिहास लगभग 5000 साल पुराना है. मानसिक, शारीरिक एवं अध्यात्म के रूप में लोग प्राचीन काल से ही इसका अभ्यास करते आ रहे हैं Q.योग का शाब्दिक अर्थ क्या है? Ans.सामान्य भाव में योग का अर्थ है जुड़ना। यानी दो तत्वों का मिलन योग कहलाता है। … ईश्वर से सहज मिलन हो जाए, यही योग सिखलाता है। Q.योग का सर्वाधिक प्राचीन अर्थ क्या है? Ans.योग‘ शब्द की उत्पत्ति संस्कृत भाषा के युजिर् धातु से हुई है, जिसका अर्थ है-‘सम्मिलित होना’ या ‘एक होना’। इस एकीकरण का अर्थ जीवात्मा तथा परमात्मा का एकीकरण अथवा मनुष्य के व्यक्तित्व के शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक तथा आध्यात्मिक पक्षों के एकीकरण से लिया जा सकता है। ‘योग‘ शब्द ‘युज’ धातु से बना है। Q.योग का जनक कौन है? Ans.महर्षि पतंजलि को योग का जनक यानि पिता कहा जाता है। योग को भारत के स्वर्ण युग करीब 26,000 साल पहले की देन माना जाता है। Q.योग की उत्पत्ति कहाँ से हुई? Ans.योग शब्द की उत्पत्ति संस्कृति शब्द युज (वाईयूजे) से हुई है। … भगवान शिव को योग का सबसे पहला गुरू माना जाता है। ऐसा मान्यता है कि योग करीब 2700 बी.सी. साल पहले के हिन्दू घाटी सभ्यता की अमर देन है। Q.योग के आविष्कारक कौन थे? Ans.महर्षि पतंजलि संभवत: पुष्यमित्र शुंग (195-142 ई. पू.) के शासनकाल में थे. आज आपके लिए योग का ज्ञान अगर सुलभता से उपलब्ध है तो इसका श्रेय महर्षि पतंजलि को ही जाता है Q.योग से निरोग पाठ के लेखक कौन हैं? Ans.ग्रन्थ के लेखक हैं परमहंस स्वामी महेश्वरानंद (स्वामी जी)। Q.योग की शक्ति निम्न में से कौन सी विधा है? Ans.हालांकि, आजकल लोग योग को केवल शारीरिक व्यायाम ही मानते हैं, जहां लोग शरीर को मोड़ते, मरोड़ते, खिंचते हैं और श्वांस लेने के अनेकानेक तरीके अपनाते हैं, लेकिन योग सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है। योग विज्ञान में जीवनशैली का पूर्ण सार आत्मसात है। Q.योग की कितनी अवस्थाएं होती है? Ans.वह एकाग्र अवस्था संप्रज्ञात योग नाम से जानी जाती है। 5. = निरोध अवस्था= चित्त की निरोध अवस्था में चित्त त्रिगुणात्मक अवस्था से मुक्त हो जाता है। अर्थात चित्त सत्व गुण से भी मुक्त हो जाता है। Q.कठोपनिषद के अनुसार योग की क्या परिभाषा है? Ans.कठोपनिषद्’ में योग की परिभाषा बताते हुए कहा गया है कि “इन्द्रियों की स्थिर धारणा को ही योग कहा जाता है।” विषयक गुणों की सिद्धि होने पर योगाग्निमय शरीर प्राप्त कर लेने वाले साधक को न रोग होता है, न वृद्धावस्था होती है और न ही असामयिक मृत्यु प्राप्त होती है। Q.सबसे पहले कौन सा योग करना चाहिए? Ans.शरीर की अलग-अलग बीमारियों के लिए या रोजाना स्वस्थ रहने के लिए योग शुरू करने से पहले कमलासन या पद्मासन को करना चाहिए। ध्यान के लिए किया जाने वाला ये योग आपको शरीर और मन को एकाग्र करता है और योग के लिए तैयार करता है। Q. योग के कितने अंग है क 5 ख 8 ग 10 घ 12? Ans.दरअसल पतंजलि ने योग की समस्त विद्याओं को आठ अंगों में श्रेणीबद्ध कर दिया है। यह आठ अंग हैं- (1) यम (2)नियम (3)आसन (4) प्राणायाम (5)प्रत्याहार (6)धारणा (7) ध्यान (8)समाधि। Q.योग कितने प्रकार के होते हैं राज्यों का विस्तृत वर्णन करें? Ans.परिचय
Q.योग का आठवां अंग कौन सा है? Ans.वे आत्म-केंद्रित हैं, इसलिए उनकी पूर्णता आत्मनिरीक्षण के माध्यम से प्राप्त की जाती है। यम, नियमा, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि। ये योग के आठ अंग हैं। Q.योग करने के कितनी देर बाद पानी पीना चाहिए? Ans.योगा करने से पहले और बाद में क्या खाना होता है सेहतमंद, यहां…
Q.योग का असर कितने दिन में दिखता है? Ans.योग विशेषज्ञ से बात करके अपने शरीर के अनुसार इसका समय भी तय कर सकते हैं। योग अगर सही तरीके से किया जा रहा है तो इसका असर 4-5 दिन में दिखने लगता है। Q.योग के कितने नियम है? Ans.महर्षि पतंजलि ने योग को आठ भागों (नियमों) में बांटा है जिसे अष्टांग योग कहते हैं। यम : इसमें सत्य व अहिंसा का पालन करना, चोरी न करना, ब्रह्मचर्या का पालन व ज्यादा चीजों को इकटा करने से बचना शामिल है। नियम : ईश्वर की उपासना, स्वाध्याय, तप, संतोष और शौच महत्वपूर्ण माने गए हैं Q.योग का पिता कौन है? Ans.महर्षि पतंजलि को योग का जनक यानि पिता कहा जाता है। Q.शास्त्रों में उपलब्ध ज्ञान के अनुसार योग के जनक कौन है? Ans.महर्षि व्यास, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि याज्ञवल्क्य, स्वामी शंकराचार्य, महर्षि गोरखनाथ जैसे योगियों ने उस समय योग को विशिष्ट स्वरूप देने का और उसका प्रचार-प्रसार करने बहुत बड़ा कार्य किया है। वे अपने योग का उपयोग सार्वभौमिक कल्याण के लिए करते थे। महर्षि पतन्जलि को योग के आदि प्रवर्तक के रूप में जाना जाता है। Q.योग का उद्भव कब और कहां हुआ? Ans.ऐसा मान्यता है कि योग करीब 2700 बी.सी. साल पहले के हिन्दू घाटी सभ्यता की अमर देन है। मानवीय मूल्य योग साधाना की आधारभूत पहचान रही है। हिंदू घाटी सभ्यता के ऐसी कई प्रमाण और जीवाश्म हैं जिसमें योग साधना और उसकी मौजूदगी को दर्शाया गया है, जिससे ये साफ पता चलता है कि प्राचीन भारत में भी योग की मौजूदगी थी Q.भारत में योग के संस्थापक कौन थे? Ans.योग विद्या में शिव को पहले योगी या आदि योगी तथा पहले गुरू या आदि गुरू के रूप में माना जाता है। कई हजार वर्ष पहले, हिमालय में कांति सरोवर झील के तटों पर आदि योगी ने अपने प्रबुद्ध ज्ञान को अपने प्रसिद्ध सप्तऋषि को प्रदान किया था Q.प्राकृतिक व्यायाम पाठ के लेखक कौन हैं? Ans.प्रश्न1 – इस पाठ के लेखक का नाम लिखिए। उत्तर – इस पाठ (प्राकृतिक व्यायाम) के लेखक महात्मा गाँधी जी हैं। Q.अंतरराष्ट्रीय योग दिवस कब और क्यों मनाया जाता है? Ans.21 जून को ही क्यों मनाया जाता है योग दिवस Q.दिन में कितनी बार योग करना चाहिए? Ans.योग एक विज्ञान है। इसे ठीक तरह से समझे बिना इसका अभ्यास करना नुकसानदेह भी हो सकता है।
Q.क्या शाम को योग कर सकते हैं? Ans.योग विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि यदि आप अपने आध्यात्मिक अस्तित्व को बढ़ाने के लिए योग का अभ्यास करना चाहते है, तो इसके लिए ब्रह्म मुहूर्त का समय (Best Time for Yoga) सबसे अच्छा माना जाता है। पर अगर आप फिजिकल फिटनेस के लिए योगाभ्यास करना चाहते हैं तो आप शाम के समय भी योग कर सकते हैं। Q.राजयोग के कितने अंग होते हैं? Ans.ये हैं : षट्कर्म, आसन, मुद्रा, प्रत्याहार, प्राणायाम, ध्यान और समाधि। महर्षि पतंजलि के योग को ही अष्टांग योग या राजयोग कहा जाता है। इसके आठ अंग होते हैं। भगवान बुद्ध का आष्टांगिक मार्ग भी योग के इन्हीं आठ अंगों का हिस्सा है। Q.योग समाधि किसका कथन है? Ans.पतंजलि के योगसूत्र में समाधि को आठवाँ (अन्तिम) अवस्था बताया गया है। समाधि के बाद प्रज्ञा का उदय होता है और यही योग का अंतिम लक्ष्य है। Q.योगासन करने वाले को कौन सा आहार लेना चाहिए? Ans.
Q.शारीरिक शिक्षा में योग के सम्मिलित होने से क्या लाभ होंगे? Ans.योग से शारीरिक और मानसिक एकाग्रता बढ़ती है। इससे लोगों को आंतरिक मन में झांकने तथा शारीरिक संरचना और विभिन्न अंगों को आपसी सामंजस्य के साथ कार्य करने मे बल मिलता है। अष्टांग योग का चौथा अंग कौन सा है *?ये छः अंग हैं - प्राणायाम, प्रत्याहार, ध्यान, धारणा, तर्क और समाधि।
पातंजल योग सूत्र के चतुर्थ पाद अध्याय का क्या नाम हैं?इस ग्रंथ के चार अध्याय है- (1) समाधिपाद (2) साधनापाद (3) विभूतिपाद (4) कैवल्यपाद।
महर्षि पतंजलि ने अष्टांग योग के कितने अंग बताए हैं?महर्षि पतंजलि ने योग को मन की चंचलता को स्थिर करने की प्राचीनतम तकनीक कहा है. योगसूत्र में उन्होंने पूर्ण कल्याण के अलावा शारीरिक, मानसिक और आत्मिक शुद्धि के लिए आठ अंगों के अष्टांग योग का वर्णन किया है.
अष्टांग योग का चतुर्थ चरण क्या है?चतुर्थ कैवल्यपाद मुक्ति की वह परमोच्च अवस्था है, जहाँ एक योग साधक अपने मूल स्रोत से एकाकार हो जाता है। 1). यम: कायिक, वाचिक तथा मानसिक इस संयम के लिए अहिंसा, सत्य, अस्तेय चोरी न करना, ब्रह्मचर्य जैसे अपरिग्रह आदि पाँच आचार विहित हैं। इनका पालन न करने से व्यक्ति का जीवन और समाज दोनों ही दुष्प्रभावित होते हैं।
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