मुगल काल में पूर्वी तट पर एक प्रसिद्ध बैंकर के रूप में कौन जाना जाता था - mugal kaal mein poorvee tat par ek prasiddh bainkar ke roop mein kaun jaana jaata tha

मुगल सेना
Mughal Army
मुगल काल में पूर्वी तट पर एक प्रसिद्ध बैंकर के रूप में कौन जाना जाता था - mugal kaal mein poorvee tat par ek prasiddh bainkar ke roop mein kaun jaana jaata tha

मुगल साम्राज्य का ध्वज

मुगल काल में पूर्वी तट पर एक प्रसिद्ध बैंकर के रूप में कौन जाना जाता था - mugal kaal mein poorvee tat par ek prasiddh bainkar ke roop mein kaun jaana jaata tha
स्थापना15वीं शताब्दी
विस्थापन1805

मुगल साम्राज्य की सेना; Army of the Mughal Empire; राज्य के द्वारा कोई विशाल सेना स्थायी रूप से नहीं रखी जाती थी परन्तु सिद्धान्त रूप में साम्राज्य के सभी बल नागरिक शाही सेना के हो सकने वाले सिपाही थे। मुगल सेना का इतिहास अधिकतर मनसबदारी प्रणाली का इतिहास है।

मानसबदारी[संपादित करें]

मनसबदारों के अतिरिक्त दाखिली और अहदी होते थे। दाखिली पूरक सिपाही थे, जो मनसबदारों के कमान में रखे जाते थे तथा उनका खर्च राज्य से मिलता था। अहदी प्रतिष्ठा वाले सिपाही थे। वे एक विशेष प्रकार के अश्वारोही थे, जो साधारणत बादशाह के शरीर के आसपास रहते थे तथा किसी और के अधीन नहीं थे मनसबदारी प्रथा भ्रष्टाचार से मुक्त न थी। आधुनिक शब्दों में मुगल सेना के ये भाग थे- 1 घुड़सवार, 2 पैदल, 3 गोलंदाज 4 जलसेना। इन सब विभागों में घुड़सवार सबसे अधिक महत्वपूर्ण था। पैदल सेना में अधिकतर साधारण नगरवासी तथा किसान थे। सेना की सामरिक शक्ति के अंग के रूप में यह विभाग महत्वहीन था। बाबर, हुमायूँ तथा अकबर ने युद्धों में देश के भीतर बनी बंदूकों का और बाहर से मंगायी गयी बन्दूकों का भी, व्यवहार किया। किन्तु तोपें आलमगीर के राज्यकाल में पहले की अपेक्षा अत्याधिक पूर्ण तथा बहुसंख्यक थीं। गोलंदाज फौज का पूरा खर्च राज्य देता था। आधुनिक अर्थ में कोई प्रबल जलसेना नहीं थी। किन्तु अबुल फजल एक जलसेना- विभाग का वर्णन करता है, जिसके कर्त्तव्य थे- 1 नदी में आवागमन के लिए हर प्रकार की नावें बनाना, 2 लड़ाई के हाथियों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए मजबूत नावों को तैयार करना, 3 कुशल नाविकों की भर्ती करना, 4 नदियों की देखभाल करना 5 नदी सम्बन्धी चुगियाँ और कर लगाना, वसूल करना तथा माफ करना। बंगाल के तट की मूगों तथा अराकानी समुद्री लुटेरों से रक्षा करने के लिए सात सौ अडसठ सशस्त्र जहाजों तथा नावों का एक बेडा ढाके में रहता था। परन्तु मुगलों की समुद्र- सेना की व्यवस्था काफी मजबूत नहीं मालूम पड़ती। यद्यपि मुगल सेना अयोग्य नहीं थी, फिर भी वह दोष रहित नहीं थी प्रथमत: वह राष्ट्रीय सेना नहीं थी, बल्कि विभिन्न तत्वों का सम्मिश्रण थी, जिसमें प्रत्येक तत्व अपने विचित्र तरीकों तथा युद्धकौशल का अनुसरण करने की चेष्टा करता था इस प्रकार यद्यपि समय बीतने के साथ इसकी संख्या में वृद्धि होती गयी, किन्तु यह कष्टकर हो गयी तथा इस पर नियंत्रण रखना अथवा इसका प्रबन्ध करना कठिन हो गया दूसरे, सिपाही सीधे बादशाह के प्रति वफादारी नहीं रखते थे, बल्कि अपने निकटस्थ भतीं करने वालों तथा उच्च अधिकारियों से उनका अधिक घनिष्ट सम्बन्ध था। इन अधिकारियों के भीषण द्वेष एवं घोर प्रतिद्वंद्विता के कारण प्राय: आक्रमण में सफलता की सम्भावना नष्ट हो जाती थी। अन्ततः पड़ाव में तथा आक्रमण के समय मुगल सेना के वैभव तथा प्रदर्शन के कारण अधिकतर इसकी कार्यक्षमता नष्ट हो जाती थी कभी-कभी अकबर इस प्रचलन को छोड़ सका था। परन्तु सामान्यतः शाही सेना एक भारी चलायमान शहर के समान दिखाई पड़ती थी तथा शाही दरबार के सभी अति व्ययी साजसामानों के बोझ से दब जाती थी। इसमें हाथियों तथा ऊँटों पर सवार अन्त:पुर का एक भाग तथा इसके सेवक रहते थे; भ्रमणशील दरबार रहता था, गायकों की वीथी, दफ्तर, कारखाने तथा बाजार रहते थे हाथियों तथा ऊँटों पर कोष रहता था सैकड़ों बैलगाड़ियों पर फौजी भंडार रहता था। खच्चरों की एक फौज शाही साज-सामान और अन्य सामग्री का परिवहन होती थी। मनसबदारों के अतिरिक्त सैनिकों का एक अन्य प्रकार था जो दखिली कहा जाता था ये सैनिक भी मनसबदारों के अंतर्गत ही नियुक्त किये जाते थे।

अहदी सैनिक[संपादित करें]

अहदी सैनिक- वैसे सैनिक जो राजा की व्यक्तिगत सेवा में थे। मुगल घुड़सवार एशिया में प्रसिद्ध माना जाता था। औरंगजेब के समय तोपखाने सबसे सशक्त थे। आइन-ए- अकबरी से ज्ञात होता है कि बंगाल की खाड़ी में पुर्तगीजों के दमन के लिए नाविक बेडे भी रखे जाते थे। पियादगानों पैदल सैनिकों को कहा जाता था इन्हें विशेष कार्यों के लिए नियुक्त किया जाता था।

सन्दर्भ[संपादित करें]

मुगल काल के दौरान पश्चिमी भारत में एक प्रसिद्ध बैंकर के रूप में कौन जाना जाता था?

फ्रांस्वा बर्नियर (अंग्रेजी:François Bernier) फ्रांस का निवासी था। वह एक चिकित्सक , राजनीतिक दार्शनिक तथा एक इतिहासकार था। वह मुगल काल में अवसरों की तलाश में १६५६ ई.

मुगल काल में सेनापति को क्या कहा जाता था?

मीर बक्शी या सेनापतिमुगल काल में सैनिक विभाग के मुखिया को “मीर बख्शी” कहा जाता था। मीर-ए-समाँन – बादशाह के घरेलू व व्यक्तिगत मामलों का प्रधान होता था

मुगल काल के वास्तुकार कौन थे?

शाहजहाँ के शासन के दौरान मुगल साम्राज्य अपने चरम पर था। उनके शासनकाल के दौरान, दुनिया ने मुगल साम्राज्य की कला और संस्कृति के अद्वितीय विकास को देखा। शाहजहाँ को "वास्तुकार राजा" भी कहा जाता है।

मुगल वंश का पहला शासक कौन था?

बाबर ने १५२६ ई० में दिल्ली में मुगलसाम्राज्य की स्थापना की थी और इस वंश का अन्तिम शासक बहादुर शाह १८५८ ई० में दिल्ली के सिंहासन से हटाया गया था