मां सरस्वती की आराधना कैसे करें? - maan sarasvatee kee aaraadhana kaise karen?

Saraswati Puja 2022: ज्ञान एवं वाणी की देवी मां शारदा की आराधना का दिन सरस्वती पूजा 05 फरवरी को है. बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, बंगाल समेत देश के अन्य हिस्सों में वसंत पंचमी (Basant Panchami) के दिन सरस्वती पूजा विधि विधान से की जाती है. हिन्दू कैलेंडर के अनुसार माघ शुक्ल पंचमी तिथि को सरस्वती पूजा होती है. इसे श्री पंचमी (Sri Panchami) भी कहते हैं. इस दिन स्कूलों में मां सरस्वती की मूर्ति स्थापित की जाती हैं और उनकी पूजा होती है. विद्यार्थी एक दूसरे को गुलाल लगाते हैं और वसंत का उत्सव मनाते हैं. आइए जानते हैं कि वसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा की विधि (Saraswati Puja Vidhi) क्या है?

सरस्वती पूजा की विधि

1. 05 फरवरी वसंत पंचमी के दिन प्रात:काल स्नान आदि से निवृत होकर साफ पीले या सफेद रंग का वस्त्र पहन लें. उसके बाद सरस्वती पूजा का संकल्प लें.

2. अब पूजा स्थान पर मां सरस्वती की मूर्ति या तस्वीर को स्थापित कर दें. गणेश जी प्रथम पूज्य हैं, तो उनको भी स्थापित करें और सबसे पहले उनको फूल, अक्षत्, धूप, दीप, गंध आदि अर्पित कर पूजा करें.

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3. अब मां सरस्वती को गंगाजल से स्नान कराएं. फिर उन्हें पीले वस्त्र पहनाएं. इसके पश्चात पीले फूल, अक्षत्, सफेद चंदन या पीले रंग की रोली, पीला गुलाल, धूप, दीप, गंध आदि अर्पित करें. मां शारदा को गेंदे के फूल की माला पहनाएं.

4. बेसन के लड्डू या बर्फी या फिर पीले रंग की कोई भी मिठाई का भोग लगाएं. यदि यह नहीं है, तो आप मालपुआ, सफेद बर्फी या खीर का भी भोग लगा सकते हैं.

5. इसके पश्चात सरस्वती वंदना एवं मंत्र से मां सरस्वती की पूजा करें. आप चाहें तो पूजा के समय सरस्वती कवच का पाठ भी कर सकते हैं.

6. शिक्षा, कला एवं संगीत में सफलता के लिए सरस्वती माता के मंत्रों का जाप भी कर सकते हैं. मां शारदा की कृपा से आपको यश एवं कीर्ति प्राप्त होगी.

7. सबसे अंत में सरस्वती पूजा का हवन करते हैं. हवन कुंड बनाकर हवन सामग्री तैयार कर लें, उसके बाद ‘ओम श्री सरस्वत्यै नम: स्वहा” मंत्र की एक माला का जाप करते हुए हवन करें. फिर अंत में खड़े होकर मां सरस्वती की आरती करें.

8. आरती के दीपक को घर या स्कूल में चारों ओर लेकर जाएं, ताकि उससे नकारात्मक प्रभाव दूर हों.

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सरस्वती पूजा में ध्यान देने वाली बातें

1. सरस्वती पूजा के दिन संभव हो तो पीले वस्त्र पहनें, यह शुभ माना जाता है.
2. विद्यार्थियों को सरस्वती पूजा के दिन पुस्तकोंं, कलम, पेंसिल आदि की भी पूजा करनी चाहिए.
3. जो लोग कला एवं संगीत से जुड़े हुए हैं, उनको इस दिन मां सरस्वती को ध्यान करके अपनी कला का अभ्यास करना चाहिए.
4. अपने वाद्य यंत्र की भी पूजा करनी चाहिए.

(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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Tags: Basant Panchami, Dharma Aastha

FIRST PUBLISHED : February 04, 2022, 08:21 IST

Saraswati Puja 2022: सरस्वती पूजा के दिन बहुत से शुभ योग बन रहे हैं जो विद्यार्थियों, साधकों, भक्तों और ज्ञान चाहने वालों के लिए बहुत ही शुभ है. इस दिन सिद्ध नाम शुभ योग है जो देवी सरस्वती के उपासकों को सिद्धि और मनोवांछित फल देता है. इसके साथ ही सरस्वती पूजा के दिन रवि नामक योग भी बन रहा है, जो सभी अशुभ योगों के प्रभाव को दूर करने वाला माना जाता है. इन सबके साथ ही सरस्वती पूजा के दिन एक और अच्छी बात यह होगी कि वसंत पंचमी के एक दिन पहले बुद्धि कारक बुध ग्रह अपने मार्ग में होगा. इसके साथ ही शुभ बुद्धादित्य योग भी प्रभाव में रहेगा. जानें मां सरस्वती की पूजा विधि, मंत्र, वंदना और आरती.

वसंत पंचती पूजा शुभ मुहूर्त

पंचमी तिथि प्रारंभ- 5 फरवरी तड़के 3 बजकर 48 मिनट से शुरू

पंचमी तिथि समाप्त- 6 फरवरी तड़के 3 बजकर 46 मिनट तक

मां सरस्वती की पूजा कैसे करें

  • मां सरस्वती की प्रतिमा लाएं और उन्हें पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें.

  • अब देवी सरस्वती को रोली, चंदन, हल्दी, केसर, चंदन, पीले या सफेद रंग के पुष्प, पीली मिठाई और अक्षत चढ़ाएं.

  • अब पूजा के स्थान पर वाद्य यंत्र और अपनी नई किताबें, पेंसिल, पेन चढ़ाएं.

  • मां सरस्वती की वंदना का पाठ करें.

  • हवन करें और आरती कर पूजा समाप्त करें.

मां सरस्वती को प्रसन्न करने वाले मंत्र

ॐ श्री सरस्वती शुक्लवर्णां सस्मितां सुमनोहराम्।। कोटिचंद्रप्रभामुष्टपुष्टश्रीयुक्तविग्रहाम्। वह्निशुद्धां शुकाधानां वीणापुस्तकमधारिणीम्।। रत्नसारेन्द्रनिर्माणनवभूषणभूषिताम्। सुपूजितां सुरगणैब्रह्मविष्णुशिवादिभि:।।वन्दे भक्तया वन्दिता च ।।

सरस्वती वंदना

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना। या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥

शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌। हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्‌ वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्‌॥२॥

सरस्वती आरती

सरस्वती नमस्तुभ्यं
वरदे कामरूपिणी
विद्यारम्भं करिष्यामि
सिद्धिर्भवतु मे सदा

माँ शारदे कहाँ तू
वीणा बजा रही हैं
किस मंजु ज्ञान से तू
जग को लुभा रही हैं

किस भाव में भवानी
तू मग्न हो रही है
विनती नहीं हमारी
क्यों माँ तू सुन रही है
हम दीन बाल कब से
विनती सुना रहें हैं
चरणों में तेरे माता
हम सर झुका रहे हैं
हम सर झुका रहे हैं
माँ शारदे कहाँ तू
वीणा बजा रही हैं
किस मंजु ज्ञान से तू
जग को लुभा रही हैं

अज्ञान तुम हमारा
माँ शीघ्र दूर कर दो
द्रुत ज्ञान शुभ्र हम में
माँ शारदे तू भर दे
बालक सभी जगत के
सूत मात हैं तुम्हारे
प्राणों से प्रिय है हम
तेरे पुत्र सब दुलारे
तेरे पुत्र सब दुलारे
मां शारदे कहाँ तू

हमको दयामयी तू
ले गोद में पढ़ाओ
अमृत जगत का हमको
माँ शारदे पिलाओ
मातेश्वरी तू सुन ले
सुंदर विनय हमारी
करके दया तू हर ले
बाधा जगत की सारी
बाधा जगत की सारी
माँ शारदे कहाँ तू
वीणा बजा रही हैं
किस मंजु ज्ञान से तू
जग को लुभा रही हैं
माँ शारदे कहाँ तू
वीणा बजा रही हैं
किस मंजु ज्ञान से तू
जग को लुभा रही हैं

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Published Date Wed, Jan 26, 2022, 1:02 PM IST

सरस्वती माता का ध्यान कैसे करें?

* सरस्वती गायत्री मंत्र : 'ॐ वागदैव्यै च विद्महे कामराजाय धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात्‌। ' इस मंत्र की 5 माला का जाप करने से साक्षात मां सरस्वती प्रसन्न हो जाती हैं तथा साधक को ज्ञान-विद्या का लाभ प्राप्त होना शुरू हो जाता है।

सरस्वती माता की पूजा कैसे की जाती है बताइए?

सरस्वती माता के पूजन स्थल को गंगाजल पवित्र करेंसरस्वती माता की प्रतिमा अथवा तस्वीर को सामने रखकर उनके सामने धूप-दीप, अगरबत्ती, गुगुल जलाएं जिससे वातावरण में सकारात्मक उर्जा का संचार बढ़े। इसके बाद पूजा आरंभ करें। “ऊं अपवित्र: पवित्रोवा सर्वावस्थां गतोऽपिवा।

मां सरस्वती जुबान पर कब आती है?

मित्रों धर्म पुराणों के अनुसार रात्रि के 3:10 से 3:15 के 5 मिनट यह ऐसे होते हैं जो प्रत्येक मनुष्य की जुबान पर माता सरस्वती स्वयं होती है.

सरस्वती माता को क्या चढ़ाना चाहिए?

देवी सरस्वती श्वेत वस्त्र धारण करती हैं अत: उन्हें श्वेत वस्त्र पहनाएं। सरस्वती पूजन के अवसर पर माता सरस्वती को पीले रंग का फल चढ़ाएं। प्रसाद के रूप में मौसमी फलों के अलावा बूंदी अर्पित करना चाहिए। इस दिन सरस्वती माता को मालपुए एवं खीर का भी भोग लगाया जाता है।