लॉर्ड कर्जन ने भारत के लिए क्या किया? - lord karjan ne bhaarat ke lie kya kiya?

MJPRU-BA-III-History I-2020 

प्रश्न 11. "लॉर्ड कर्जन एक महान् प्रशासक अवश्य था, तथापि एक राजनीतिज्ञ के रूप में वह असफल रहा।"इस कथन की विवेचना कीजिए।

अथवा ''लॉर्ड कर्जन के प्रशासनिक सुधारों का मूल्यांकन कीजिए।

उत्तर - लॉर्ड कर्जन 1899 ई. में भारत का वायसराय नियुक्त हुआ और सन् 1905 तक इस पद पर रहा। इस काल में उसने भारत में अनेक सुधार किए, जिससे भारतीयों में राष्ट्रीय चेतना जाग्रत हुई। उसने शिक्षा, शासन, कानून एवं कृषि सम्बन्धी अनेक सुधार किए, जिसके परिणामस्वरूप भारत में एक नवीन युग का सूत्रपात हुआ।

लॉर्ड कर्जन ने भारत के लिए क्या किया? - lord karjan ne bhaarat ke lie kya kiya?


लॉर्ड कर्जन के सुधार -

लॉर्ड कर्जन द्वारा किए गए सुधारों का उल्लेख निम्न शीर्षकों के अन्तर्गत किया जा सकता है

(1) शिक्षा सम्बन्धी सुधार-

 लॉर्ड कर्जन ने शिक्षा के क्षेत्र में अनेक सुधार किए। उसने सन् 1901 में उच्च शिक्षा अधिकारियों का एक सम्मेलन बुलाया, जिसके परिणामस्वरूप विश्वविद्यालय आयोग की स्थापना हुई। इस आयोग की रिपोर्ट के आधार पर भारतीय विश्वविद्यालयों के सम्बन्ध में एक विधेयक पास करवाया, जिसके अनुसार भारतीय विश्वविद्यालय केवल परीक्षा संस्थाएँ न रहकर अब शिक्षा केन्द्र भी बन गए। प्रारम्भिक शिक्षा की उन्नति के लिए उसने 2 लाख-30 हजार पौण्ड वार्षिक स्थायी अनुदान की व्यवस्था की

ये भी जाने ...................



(2) कृषि सम्बन्धी सुधार-

लॉर्ड कर्जन ने भारतीय कृषकों की आर्थिक दशा सुधारने के लिए कृषि बैंकों और सहकारी समितियों की स्थापना की तथा लोगों में पारस्परिक सहयोग की भावना जाग्रत करने का प्रयत्न किया। कृषकों की दशा सुधारने के लिए उसने सन् 1902 में 'पंजाब भूमि हस्तान्तरण नियम' पारित किया। इस नियम के अनुसार किसान का कर्जदाता कर्ज के बढ़ने पर किसानों की भूमि को नहीं खरीद सकता था। कर्जन ने सिंचाई की व्यवस्था के लिए आगामी 20 वर्षों में 40 करोड़ व्यय करने की योजना बनाई। इस योजना के परिणामस्वरूप पंजाब में चिनाब, झेलम, दोआब आदि नहरों का निर्माण कार्य प्रारम्भ कराया।

(3) आर्थिक सुधार -

लॉर्ड कर्जन ने आर्थिक क्षेत्र में अनेक सुधार किए। उसका सबसे महत्त्वपूर्ण आर्थिक सुधार भारत में ब्रिटिश स्वर्ण मुद्रा को भारत की कानूनी मुद्रा घोषित करना था। उसके विनिमय की दर 15 प्रति पौण्ड निश्चित कर दी गई। इससे भारतीय कोष को अत्यधिक लाभ पहुँचा। भारत के व्यापार तथा उद्योग-धन्धों की उन्नति के लिए कर्जन ने एक नया विभाग 'इम्पीरियल डिपार्टमेण्ट ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री' स्थापित किया। दुर्भिक्ष पीड़ित जनता के लिए कर्जन ने कर में कमी कर दी। इस प्रकार कर्जन के काल में आर्थिक क्षेत्र में अनेक महत्त्वपूर्ण सुधार हुए।

(4) प्राचीन इमारतों की सुरक्षा -

लॉर्ड कर्जन ने प्राचीन भारतीय ऐतिहासिक इमारतों की सुरक्षा और जीर्णोद्धार के लिए सन् 1904 में 'प्राचीन भवन सुरक्षा अधिनियम' पास करवाया। इस अधिनियम के अनुसार प्राचीन इमारतों को नष्ट करना या हानि पहुँचाना अपराध घोषित कर दिया गया। उसने पुरातत्व विभाग की भी स्थापना की।

(5) सैन्य व्यवस्था में सुधार-

लॉर्ड कर्जन ने पैदल और घुड़सवार सैनिकों को काफी संख्या में भर्ती किया। सेना में अनुशासन बनाए रखने के लिए अफसर अंग्रेज ही रखे। कर्जन ने सन् 1901 में 'इम्पीरियल कैडेट कोर' की स्थापना की तथा भारतीय तट की सुरक्षा का भार ब्रिटिश सरकार को सौंप दिया। उसने अच्छी तोपों की व्यवस्था की और सैनिकों को आधुनिकतम शस्त्रों से सुसज्जित किया। '

(6) शासन सम्बन्धी सुधार-

 लॉर्ड कर्जन से पहले कुछ रेलों का प्रबन्ध और नियन्त्रण कम्पनी करती थी और कुछ का भारत सरकार का सार्वजनिक निर्माण विभाग करता था। कर्जन ने इस व्यवस्था को समाप्त कर दिया और एक तीन सदस्यीय रेलवे बोर्ड का गठन किया तथा उसे रेलवे से सम्बन्धित समस्त कार्य और अधिकार सौंप दिए। इस बोर्ड ने 28,150 मील लम्बे रेलमार्ग का निर्माण करवाया।

(7) पुलिस विभाग में सुधार-

(i) उसने सिपाहियों का वेतन बढ़ाया।

(ii) प्रत्येक प्रान्त में एक खुफिया विभाग खोला।

(iii) सिपाहियों एवं अफसरों के प्रशिक्षण के लिए पुलिस ट्रेनिंग विद्यालय की स्थापना की।

(iv) पुलिस विभाग पर 27 लाख पौण्ड व्यय करने का निर्णय किया।

(8) कलकत्ता कॉर्पोरेशन अधिनियम - 

लॉर्ड कर्जन ने कलकत्ता कॉर्पोरेशन के अधिकारों में कमी करने के लिए बंगाल की व्यवस्थापिका सभा से सन् 1900 में एक अधिनियम पारित करवाया, जिसके अनुसार कॉर्पोरेशन के संचालन का भार वायसराय की कार्यकारिणी को प्रदान कर दिया गया।

(9) बंगाल का विभाजन - 

सन् 1905 में लॉर्ड कर्जन ने भारतीयों के प्रबल विरोध के बावजूद बंगाल-विभाजन का कानून पास करके बंगाल को पूर्वी बंगाल और पश्चिमी बंगाल, दो प्रान्तों में बाँट दिया। इस विभाजन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सुरेन्द्रनाथ बनर्जी ने लिखा है, "यह घोषणा बम के गोले के समान गिरी। हमने ऐसा अनुभव किया कि हमें अपमानित किया गया है और हमारे साथ धोखा हुआ है।" इसके विरोध में सम्पूर्ण देश में अनेक प्रदर्शन हुए। अन्ततः बंगाल-विभाजन कानून रद्द करके दोनों प्रान्तों को मिला दिया गया।

लॉर्ड कर्जन का मूल्यांकन -

लॉर्ड कर्जन में एक कुशल प्रशासक के गुण थे, लेकिन वह सबसे अधिक अलोकप्रिय रहा और आलोचना का विषय बना, क्योंकि

(1) वह अहंवादी, जिद्दी, घमण्डी, स्वेच्छाचारी और दुराग्रही था। एक बार जिस मार्ग को चुन लेता था, उससे किसी के कहने पर भी नहीं हटता था। बंगाल-विभाजन, कलकत्ता कॉर्पोरेशन अधिनियम, विश्वविद्यालय अधिनियम आदि उसके दुराग्रही और स्वेच्छाचारी होने के ही प्रमाण हैं।

(2) वह भारतीयों तथा उनकी योग्यता पर विश्वास नहीं करता था।

(3) वह भारतीय जनता के विचारों की परवाह नहीं करता था।

(4) उसमें दूरदर्शिता का अभाव था।

इसलिए वह समय की गति को नहीं पहचान सका। कांग्रेस के सम्बन्ध में उसने जो शब्द कहे थे, वे उसकी अदूरदर्शिता को प्रदर्शित करते हैं। उसने कहा था-"कांग्रेस पतन की ओर उन्मुख है और भारत में रहते हुए मेरी यह सबसे बड़ी आकांक्षा है कि मैं इसकी शान्तिपूर्वक मृत्यु में सहायक बनूँ।" .

रासबिहारी बोस ने कर्जन का मूल्यांकन करते हुए लिखा है कि "कर्जन ने वह प्रत्येक कार्य अधूरा छोड़ दिया जिसे वह करना चाहता था तथा जिस कार्य को उसे नहीं करना चाहिए था, उसे वह पूर्ण कर गया।"

लॉर्ड मॉण्टेग्यू का कथन है कि "कर्जन एक मोटर ड्राइवर के समान था, जिसने अपनी सारी शक्ति तथा समय उस मशीन के विभिन्न पुर्जो की पॉलिश करने में लगा दिया, किन्तु उसने लक्ष्य का ध्यान रखे बिना उसे चलाया।" यद्यपि वह एक महान् प्रशासक था, व्यवस्थापक था, तथापि राजनीतिज्ञ के रूप में असफल था।

गोपालकृष्ण गोखले के अनुसार, "कर्जन अत्यन्त प्रतिभासम्पन्न व्यक्ति था, परन्तु देवताओं ने उसे सहानुभूतिपूर्ण कल्पना से वंचित रखा था, जिसके परिणामस्वरूप उसका भारतीय कार्यकाल इतना विफलतापूर्ण बना।"

जो भी हो, उसके कृषि सम्बन्धी सुधारों, आर्थिक सुधारों और प्रशासनिक सुधारों का अपना महत्त्व है।


लॉर्ड कर्जन क्यों प्रसिद्ध थे?

लॉर्ड कर्जन (Lord Curzon in Hindi) भारत के सबसे प्रमुख वायसराय में से एक थे, जिनकी प्रशासनिक नीतियों और सुधारों का भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन और भारत में औपनिवेशिक सरकार की भविष्य की नीतियों पर भी बहुत प्रभाव पड़ा।

लार्ड कर्जन क्या चाहता है?

लॉर्ड कर्जन किसी फौजी व्यक्ति को अपनी इच्छानुसार एक पद देना चाहता था। उसकी यह बात ब्रिटिश शासन द्वारा अस्वीकार कर दी गई। उसने अपना क्रोध दिखाने तथा शासन पर दबाव बनाने के लिए अपने पद से इस्तीफा दे दिया। लॉर्ड कर्जन ने सोचा था कि उसकी बात मान ली जाएगी लेकिन हुआ इसके विपरीत।

लॉर्ड कर्जन ने शासन की कौन सी नीति अपनाई थी?

उत्तर- लार्ड कर्जन ने 1905 में ''फूट डालो और शासन करो की नीति का अनुसरण करते हुए बंगाल को दो भागों में विभाजित कर दिया। उसने बंगाल की जनता की एकता को आघात पहुँचाने और वहाँ के हिन्दुओं और मुसलमानों में सदैव के लिए फूट डालने के उद्देश्य से विभाजन का कुटिल षड़यंत्र रचा था जिससे बंगाल में विस्फोटक स्थिति उत्पन्न हो गयी।

भारत में वायसराय लॉर्ड कर्जन का शासन कब से कब तक था?

लार्ड कर्जन का कार्यकाल भारत में वायसराय के तौर पर 6 जनवरी 1899 से लेकर 18 नवंबर 1905 तक था. 1898 में ये घोषणा हुई कि लार्ड कर्जन को भारत का वायसराय बनाया जाएगा. उनकी पहचान भारत के सबसे युवा वायसराय की थी. उस समय क्वीन विक्टोरिया के लिए भारत सबसे महत्वपूर्ण उपनिवेश था, इसलिए कर्जन की यहाँ नियुक्ति उसकी उपलब्धि थी.