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लौंग की खेती महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र में की जाती है.लौंग की खेती कोंकण कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विश्वविद्यालय के अंतर्गत विभिन्न अनुसंधान केंद्रों पर की जाती है.कैसे करें इसकी की खेती, कैसी मिट्टी है उपयुक्त, जानिए कौन-कौन सी किस्मों में मिलेगी अच्छी पैदावार.लौंग का पौधा एक सदाबाहर पौधा है. इसका पौधा एक बार लगाने के बाद कई वर्षों तक पैदावार देता है.लौंग की खेती मसाला फसल के रूप में की जाती है.इसके फलों का मसाले में बहुत ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है.अनुकूल मौसम की स्थिति के कारण, लौंग की खेती महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र में की जाती है.लौंग की खेती कोंकण कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विश्वविद्यालय के अंतर्गत विभिन्न अनुसंधान केंद्रों पर की जाती है.और इसने संतोषजनक फसल वृद्धि और उपज दिखाई है.इसके चलते कोंकण कृषि विश्वविद्यालय के साथ-साथ कोंकण की जिला परिषदें किसानों को लौंग की खेती के लिए प्रोजेक्ट दे रही हैं.और उसके लिए लौंग के पौधे बांटे जा रहे हैं.लौंग के तेल का उपयोग खाद्य पदार्थों के स्वाद के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के औद्योगिक उत्पादों में किया जाता है. लौंग के तेल का उपयोग टूथपेस्ट, दांत दर्द की दवा, पेट की बीमारियों की दवा के उपयोग में किया जाता है. उपयुक्त मिट्टी और जलवायुभारत के उन क्षेत्रों में लौंग की खेती उपयुक्त जहां की जलवायु उष्ण कटिबंधीय तथा गर्म होती है. लॉन्ग के पेड़ के लिए उपयुक्त स्वास्थ्य और मजबूती के लिए उष्णकटिबंधीय जलवायु की आवश्यकता होती है. लौंग का पौधा के विकास के लिए उपयुक्त 10 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान उचित रहता है. तथा इस पेड़ के वृद्धि की अवस्था में 30 से 35 डिग्री सेंटीग्रेड तक की तापमान की आवश्यकता होती है. इसकी खेती ठंडे और अधिक बारिश वाले स्थानों पर संभव नहीं है. सिंचाई कैसे करें ?किसान भाई को लौंग की खेती में शुरुआत के 4 से 5 साल तक सिंचाई की जरूरत होती है.इस समय लौंग की खेती में लगातार सिंचाई करते रहना चाहिए, जिससे भूमि में नमी बनी रहे. गर्मी के मौसम में मिट्टी में नमी के लिए सिंचाई करना बहुत जरूरी है. इंटरक्रॉपिंग और देखभाललौंग के पौधे को पहले वर्ष में छाया प्रदान करने की आवश्यकता होती है. लौंग के पेड़ को पानी की आपूर्ति करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि मिट्टी नम रहे लेकिन दलदली न हो. दलदल जनित रोगों की संभावना के कारण इसे रोकने के लिए एक बार में बहुत अधिक पानी के बजाय कई बार थोड़ी मात्रा में पानी देना चाहिए. कटाई और उत्पादनयदि रोपण के लिए दो वर्ष पुराने पौधे का उपयोग किया जाता है, तो लौंग का पेड़ रोपण के 4 से 5 वर्ष बाद फूलना शुरू कर देता है.फूल दो मौसम में आते हैं. पहली और सबसे महत्वपूर्ण फसल फरवरी और मार्च के बीच पैदा होती है. सितंबर-अक्टूबर के महीने में दूसरी और थोड़ी सी आमदनी होती है. नई पत्तियों पर लौंग की कलियाँ दिखाई देती हैं. कलियाँ उभरने के 5 से 6 महीने में उभरने के लिए तैयार हो जाती हैं. एक गुच्छा में सभी कलियाँ एक बार में निकालने के लिए तैयार नहीं होती हैं. ये भी पढ़े :एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी लासलगांव आज हुई बंद! हर घंटे होता है करोड़ों का कारोबार लौंग के पेड़ के बारें में (Clove Tree In Hindi) : यह एक मध्यम आकार का सदाबहार वृक्ष से पाया जाने वाला, सूखा, अनखुला एक ऐसा पुष्प अंकुर होता है जिसके वृक्ष का तना सीधा और पेड़ भी 10-12 मीटर की ऊँचाई वाला होता है और जिसके पत्ते बड़े-बड़े तथा दीर्घवृताकार होते हैं। लौग का वैज्ञानिक नाम Syzygium aromaticum हैं। आपको बता दे की लौंग एक प्रकार का मसाला (clove spice) है। इस मसाले का उपयोग भारतीय पकवानो में बहुतायत में किया जाता है। इसे औषधि के रूप में भी उपयोग में लिया जाता है। लौंग की खेती कैसे करें?इसके लिए सबसे पहले भूमि को अच्छी तरह से निराई - गुड़ाई (clove farming tricks) करके तैयार करें। ध्यान रहे की लौंग की खेती गर्म प्रदेशों में ही करना ज्यादा उपयुक्त है। लौंग के पौधों के विकास के लिए 10 डिग्री सेंटीग्रड से ज्यादा का तापमान होना चाहिए। वहीं उसके पेड़ के वृद्धि में 30 से 35 डिग्री तक तापमान (How to do clove farming in hindi) की आवश्यकता होती है। ठंडे स्थानों पर इसकी खेती करने से बचना चाहिए वरना किसानों को भारी नुकसान हो जा सकता है। जिस दिन लौंग की बुवाई करनी है उससे एक दिन पहले इसे पानी में भिगोकर रखें। इसके बाद इसके ऊपर के छिलके को हटा दें और बुवाई की प्रकिया शुरू कर दें। इसकी 10 सेंटीमीटर की दूरी पर पंक्तियां में बुवाई करें। इसके बाद पौधे के विकास के लिए जैविक खाद का उपयोग करते रहें। तकरीबन चार-पांच सालों में ये पौधा तैयार होकर फल देना शुरू कर देता है। अगर इसके पेड़ का अच्छी तरह से ख्याल रखा गया तो ये काफी लंबे समय तक आपको मुनाफा दे सकते हैं। लौंग की खेती से मुनाफा :लौंग का पौधा 150 साल तक जीवित रहता है। साथ ही इसकी खेती मिश्रित खेती के रूप में की जाती है। इसका मतलब हम ऐसे समझे की अखरोट और नारियल जैसे पेड़ों के साथ उगाकर इससे दुगुनी कमाई (cloves benefits) कर सकते हैं। यदि एक पौधे पर तीन किलो पैदावार आती है तो बाज़ार में उसकी कीमत 2100 से 2400 रूपए है। इससे आप दूसरे फसल से ज्यादा कमा सकते हैं। अगर एक किसान एक एकड़ में लौंग के पौधे लगाता है तो प्रति एकड़ ढाई से तीन लाख रूपए आसानी से कमा सकता है। क्या आप जानते हैं कि आपके घर में मौजूद लौंग आखिर आती कहां से है? जानिए इसके बारे में कुछ रोचक बातें और देखें इसके पेड़ की तस्वीर। लौंग का इस्तेमाल तो आप सभी ने किया होगा। यकीनन लौंग एक ऐसी चीज़ है जिसे भारतीय घरों में बहुतायत में पाया जाता है, लेकिन अगर बात करें लौंग के दाम की और आखिर ये इतनी ज्यादा महंगी क्यों होती है तो उसके लिए आपको लौंग के असल ओरिजन के बारे में जानना पड़ेगा। लौंग का इस्तेमाल हम कई तरह से करते हैं और इसे बचपन से ही देखते आ रहे हैं, लेकिन अभी तक कई लोगों को ये नहीं पता कि ये आती कहां से है और उगाई कैसे जाती है। अब अगर हमने लौंग की बात की है तो क्यों ना हम उसके बारे में आपको थोड़ी सी जानकारी दे दें। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि लौंग कहां से आती है और इसकी प्रोसेसिंग कैसे होती है? कहां से आती है लौंग?लौंग असल में एक पेड़ से आती है जिसे कहा ही 'The Clove Tree' है। ये अधिकतर एशियन कॉन्टिनेंट में ही उगाई जाती है और लौंग के पेड़ की बात करें तो इसकी मेंटेनेंस का काम बहुत हद तक मौसम पर निर्भर करता है। अगर इसके लिए उपयुक्त मौसम नहीं मिला तो इसमें फल नहीं आएंगे। इसके पेड़ को देखने पर आसानी से ये नहीं पता चलता है कि ये लौंग का ही पेड़ है। ये गर्म और ह्यूमिड मौसम में अच्छे से उगाई जाती है और इसे अच्छी वर्षा की भी जरूरत होती है। इसके पेड़ को पार्शियल शेड चाहिए होती है। इसे जरूर पढ़ें- क्या आप जानते हैं ज्योतिष के अनुसार लौंग का महत्व, नवरात्रि पूजन में जरूर होता है इसका इस्तेमाल कैसे उगाई जाती है लौंग?
इसकी हार्वेस्टिंग अधिकतर फरवरी से शुरू होती है और जब इसे तोड़ा जाता है तो इस बात का ध्यान रखा जाता है कि कहीं कोई गलत तरीके से पेड़ की ब्रांच को ना तोड़ दे वर्ना अगले साल हार्वेस्टिंग सीजन में लौंग की पैदावार अच्छी तरह से नहीं होगी। इसे जरूर पढ़ें- तनाव को कम करती है लौंग, सोने से पहले इसे खाने से मिलेंगे अनगित फायदे क्या आप जानते हैं लौंग से जुड़े ये हैक्स?
लौंग से जुड़ी ये जानकारी आपको कैसी लगी ये हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। क्या आपको और किसी इंग्रीडिएंट से जुड़ी ऐसी ही जानकारी चाहिए? इसके बारे में हमें लिख भेजें। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से। Image Credit: Shutterstock/ Unsplash क्या आपको ये आर्टिकल पसंद आया ?बेहतर अनुभव करने के लिए HerZindagi मोबाइल ऐप डाउनलोड करें Disclaimer आपकी स्किन और शरीर आपकी ही तरह अलग है। आप तक अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी लाना हमारा प्रयास है, लेकिन फिर भी किसी भी होम रेमेडी, हैक या फिटनेस टिप को ट्राई करने से पहले आप अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें। किसी भी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, पर हमसे संपर्क करें। लौंग का पौधा कितना बड़ा होता है?लौंग का वृक्ष
लौंग मध्यम आकार का सदाबहार वृक्ष से पाया जाने वाला, सूखा, अनखुला एक ऐसा पुष्प अंकुर होता है जिसके वृक्ष का तना सीधा और पेड़ भी 10-12 मीटर की ऊँचाई वाला होता है और जिसके पत्ते बड़े-बड़े तथा दीर्घवृताकार होते हैं।
भारत में लौंग की खेती कहाँ होती है?देश के सभी हिस्सों में लौंग की खेती होती है, लेकिन इसकी खेती तटीय रेतीले इलाकों में नहीं हो सकती. तो वहीं इसकी सफलतापूर्वक खेती केरल की लाल मिटटी और पश्चिमी घाट के पर्वत वाले इलाके में हो सकती है.
लौंग का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य कौन सा है?विश्व का सबसे बड़ा लौंग उत्पादक देश कौन है? सबसे पहले जवाब दिया गया: विश्व का सबसे बड़ा लौंग उत्पादक देश कौन है ? लौंग, मलैका का देशज है, किंतु अब सारे उष्णकटिबंधी प्रदेशों में बहुतायत से प्राप्य हैं। जंजीबार में समस्त उत्पादन का 90 प्रतिशत लौंग पैदा होता है, जिसका बहुत सा भाग बंबई से होकर बाहर भेजा जाता है।
लौंग का पौधा कैसे तैयार किया जाता है?ऐसे करें लौंग की खेती की तैयारी
लौंग की पौधों को लगाने के लिए 15 से 20 फीट की दूरी पर गढ्ढे की खुदाई कर लें। इन गड्ढों को जैविक और रासायनिक खाद भरकर गहरी सिंचाई के बाद दें। आपको बता दें, लौंग के पौधे दो साल बाद फल देने के लिए तैयार हो जाता है।
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