मानवीय करुणा की दिव्य चमकसर्वेश्वर दयाल सक्सेनाNCERT Exerciseप्रश्न 1: फादर की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी क्यों लगती थी? Show
उत्तर: फादर बुल्के के पोर पोर से ममता झलकती थी। उनकी नीली आँखें हमेशा प्यार भरा आमंत्रण देती थीं। देवदार की छाया घनी होती है जिससे थके हुए पथिक को आराम मिलता है। इसलिए लेखक को फादर की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी लगती थी। प्रश्न 2: फादर बुल्के भारतीय संस्कृति के एक अभिन्न अंग हैं, किस आधार पर ऐसा कहा गया है? उत्तर: फादर बुल्के ४७ वर्षों तक भारत में रहे। उन्होंने रामकथा पर शोध किया। उन्होंने पहला अंग्रेजी से हिंदी का शब्दकोश तैयार किया। वे हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के पक्षधर थे। इसलिए फादर बुल्के को भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग कहा गया है। Chapter List
प्रश्न 3: पाठ में आए उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जिनसे फादर बुल्के का हिंदी प्रेम प्रकट होता है? उत्तर: फादर बुल्के ने पहला अंग्रेजी-हिंदी शब्दकोश तैयार किया था। वे हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाना चाहते थे। यहाँ के लोगों की हिंदी के प्रति उदासीनता देखकर वे क्रोधित हो जाते थे। इन प्रसंगों से पता चलता है कि वे हिंदी प्रेमी थे। प्रश्न 4: इस पाठ के आधार पर फादर कामिल बुल्के की जो छवि उभरती है उसे अपने शब्दों में लिखिए। उत्तर: फादर बुल्के एक सरल इंसान थे। उनमें करुणा लबालब भरी हुई थी। वे कभी भी किसी बात पर खीझते नहीं थे, लेकिन अपनी बात पूरे जोश से किसी के सामने रखते थे। वे लोगों से दीर्घकालीन संबंध बनाने में विश्वास रखते थे। प्रश्न 5: लेखक ने फादर बुल्के को ‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ क्यों कहा है? उत्तर: फादर बुल्के के मन में अपने प्रियजनों के लिए असीम ममता और अपनत्व था। इसलिए लेखक ने फादर बुल्के को ‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ कहा है। प्रश्न 6: फादर बुल्के ने सन्यासी की परंपरागत छवि से अलग एक नयी छवि प्रस्तुत की है, कैसे? उत्तर: फादर बुल्के एक बार किसी से संबंध बना लेते थे तो उसे अंत तक निभाते थे। वे अपने दोस्तों से जब भी मौका मिलता जरूर मिलते। दिल्ली आने पर वे लेखक से दो मिनट के लिए ही सही मिलते जरूर थे। कोई भी सन्यासी इस तरह से रिश्तों के बंधन में नहीं पड़ता है। इसलिए यह कहा गया है कि फादर बुल्के ने सन्यासी की परंपरागत छवि से अलग एक नयी छवि प्रस्तुत की है। प्रश्न 7: आशय स्पष्ट कीजिए:
प्रश्न 8: आपके विचार से बुल्के ने भारत आने का मन क्यों बनाया होगा? उत्तर: ऐसा हो सकता है कि फादर बुल्के भारत के अध्यात्म और पारंपरिक ज्ञान से प्रभावित रहे होंगे। हो सकता है कि वे भारत की विविधता से प्रभावित रहे होंगे और उससे रूबरू होना चाहते होंगे। इसलिए उन्होंने भारत आने का मन बनाया होगा। प्रश्न 9: ‘बहुत सुंदर है मेरी जन्मभूमि – रेम्सचैपल।‘ - इस पंक्ति में फादर बुल्के की अपनी जन्मभूमि के प्रति कौन सी भावनाएँ व्यक्त होती हैं? आप अपनी जन्मभूमि के बारे में क्या सोचते हैं? उत्तर: इस पंक्ति में फादर बुल्के ने अपनी जन्मभूमि के प्रति अपने प्रेम और अटूट रिश्ते को दर्शाया है। किसी भी व्यक्ति के लिए उसकी जन्मभूमि उसकी माँ के समान होती है। वहीं की मिट्टी में खेलकूदकर वह व्यक्ति बड़ा होता है।
फादर की उपस्थिति लेखक को देवदार की छाया के समान क्यों लगती थी पाठ के आधार पर?उत्तर: फादर बुल्के के पोर पोर से ममता झलकती थी। उनकी नीली आँखें हमेशा प्यार भरा आमंत्रण देती थीं। देवदार की छाया घनी होती है जिससे थके हुए पथिक को आराम मिलता है। इसलिए लेखक को फादर की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी लगती थी।
ख लेखक सर्वेश्वर दयाल सक्सेना के अनुसार देवदार की छाया और फादर कामिल बुल्के के व्यक्तित्व में क्या समानता थी?(ख) लेखक सर्वेश्वर दयाल सक्सेना के अनुसार देवदार की छाया और फादर कामिल बुल्के के व्यक्तित्व में क्या समानता थी? देवदार के सघन वृक्ष की छाया घनी, शीतल और मन को शांत करने वाली होती है। फादर कामिल बुल्के 'परिमल' के सभी सदस्यों से एक पारिवारिक रिश्ते में बँधे जैसे थे। वे सब के साथ हँसी मजाक में निर्लिप्त शामिल रहते।
फादर को कैसे वृक्ष के समान कहा गया है और क्यों?उत्तर: फादर बुल्के देवदार वृक्ष के समान थे। जैसे देवदार का वृक्ष विशाल और छायादार होता है। फादर बुल्के का व्यक्तित्व भी देवदार की तरह था। जो भी उनकी शरण में आता उसे शांति और सुकून देते हैं।
देवदार की छाया और फादर कामिल बुल्के के व्यक्तित्व में क्या समानता है?Answer: फादर बुल्के की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी लगती है क्योंकि वह सन्यासी होते हुए भी सबके साथ पारिवारिक रिश्ता बना कर रखते थे। सबसे बड़ी बात यह थी कि वह सबके घरों में उत्सवों और संस्कारों में पुरोहित की तरह उपस्थित रहते थे । हर व्यक्ति उनसे स्नेह और सहारा प्राप्त करता था।
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