क्यों लक्स मच्छर से कौन सा रोग होता है? - kyon laks machchhar se kaun sa rog hota hai?

र क गुप्ता डॉक्टर का स्वागत है मच्छर के काटने से कौनसा रोग होता है नजरों से काटने से कौनसा रोग होता जाता है यही बोलते हैं सूजन आ जाती है और क्या होता है तिलक और इलेक्ट्रो एडिस मच्छर क्या है इसके वाह क्या

होता है कौन सा कारण क्या है रेडियो ब्रेकअप डायरी लिविंग थिंग शर्मा का कर्म होता है जिसकी वजह से क्या होता है प्रभावित करते हैं 4 + 10 + और जब भी लाजवाब है यह है वह यह भी एडिट एडिट मच्छर होता है उसी की वजह से चलते हैं

दोनों ही चाहे वायरस क्या है जीवाणु दैनिक बैक्टीरिया जनित रोग जीवाणु जनित रोग ठीक हो जाएगा

मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है फाइलेरिया

बहराइच। हिन्दुस्तान संवाद रीजनल एनटीडी नोडल डॉ. मेजर पूनम मिश्रा (पॉथ) ने फाइलेरिया...

क्यों लक्स मच्छर से कौन सा रोग होता है? - kyon laks machchhar se kaun sa rog hota hai?

Newswrapहिन्दुस्तान टीम,बहराइचTue, 23 Feb 2021 11:00 PM

बहराइच। हिन्दुस्तान संवाद

रीजनल एनटीडी नोडल डॉ. मेजर पूनम मिश्रा (पॉथ) ने फाइलेरिया रोग के बारे में बताया कि फाइलेरिया एक कृमि जनित मच्छर से फैलने वाला रोग है, जो मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से फैलता है। यह मच्छर गंदे एवं रुके हुए पानी में पनपते हैं। इस मच्छर के काटने से किसी भी उम्र का व्यक्ति ग्रसित हो सकता है।

फाइलेरिया नियंत्रण ईकाई कार्यालय में फाइलेरिया रोगियों के इलाज के लिए आयोजित मॉरबिडिटी मैनेजमेंट (लिम्फाडिमा मैनेजमेंट) कैम्प में रीजनल एनटीडी नोडल अधिकारी मरीजों को संबोधित कर रही थीं। इस रोग का संक्रमण बाल्यावस्था में ही हो जाता है, परन्तु इसका लक्षण पांच से सात वर्ष के बाद ही प्रकट होता है। व्यक्ति के हाथ, पैर का आकार काफी बढ़ जाता है। समय पर फाइलेरिया बीमारी का इलाज कराकर इससे बचा जा सकता है। उन्होंने रोगियों को इलाज एवं इससे बचाव की जानकारी भी दी।

फाइलेरिया नियंत्रण अधिकारी दीपमाला ने रोगियों को बताया कि इस बीमार से बचने के लिए प्रत्येक वर्ष एमडीए (मॉस ड्रग एडमिनिट्रेशन) का आयोजन किया जाता है। आशा, ऑगनबाड़ी एवं हेल्थ वर्कर की ओर से घर-घर जाकर डीईसी एवं अल्बेंडाजोल की एक खुराक खिलाई जाती है। उन्होंने कहा कि इस दवा का सेवन अवश्य करें, जिससे भविष्य में इस रोग से बचा जा सके। साथ ही जनपद एवं प्रदेश को फाइलेरिया रोग से मुक्त किया जा सके।

इसके अलावा फाइलेरिया इंस्पेक्टर विमल कुमार की ओर से 15 रोगियों का मॉरबिडिटी मैनेजमेंट (पैर की साफ-सफाई) की गई। उन्होंने बताया कि कैम्प में आए रोगियों को एमएमडीपी किट प्रदान की गई। जिसमें बाल्टी, मग, टब, एंटी फंगल क्रीम आदि शामिल है। उन्होंने बताया कि इस रोग से बचाने के लिए घर के आस-पास साफ-सफाई रखना बेहद जरूरी है। गड्ढों, नाली में पानी न इकट्ठा होने दें। इस अवसर पर फाइलेरिया इकाई के समस्त कर्मचारी मौजूद रहे।

फाइलेरिया के लक्षण

बहराइच। आमतौर पर फाइलेरिया के लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते, लेकिन बुखार, बदन में खुजली व सूजन की समस्या दिखाई देती है। इसके अलावा पैरों और हाथों में सूजन, हाथी पांव और हाइड्रोसिल (अंडकोषों की सूजन) भी फाइलेरिया के लक्षण हैं। ऐसे लक्षण दिखाई देने पर फौरन अपने नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचकर इलाज कराएं।

क्यों लक्स मच्छर से कौन सा रोग होता है? - kyon laks machchhar se kaun sa rog hota hai?

कयूलैक मच्छर के काटने से फैलता फाइलेरिया रोग

पहाड़कट्टा (किशनगंज),निप्र : पोठिया प्रखंड क्षेत्र में फाइलेरिया रोग का प्रकोप दिनोंदिन बढ़ता ही जा रहा है। छतरगाछ तथा पोठिया अस्तपाल में 19 रोगियों का पिछले दस माह के दौरान इलाज किया गया है। अस्पताल से बाहर भी दर्जनों रोगियों इलाजरत हैं।

इस संबंध में छतरगाछ रेफरल अस्पताल के चिकित्सक डॉ. ए.के.झा के मुताबिक पिछले जनवरी माह से अक्टूबर माह तक बारह रोगियों का इस प्रकार पोठिया प्राथमिक स्वास्थ्य के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. सब्बीर अहमद के मुताबिक सात रोगियों का इलाज चल रहा है।

--कैसे फैलता है रोग : फाइलेरिया रोग कयूलैक मच्छर के काटने से फैलता है। इसके काटने के बाद रोगी को दर्द, सूजन तथा काटे हुए जगह पर छूने से दर्द होता है। मच्छर के काटने के बाद रोगों को बुखार और थरथर्राहट होती है। उसके बाद दो माह के दौरान उस स्थान पर रक्त प्रवाह रुक जाती है। जिससे उसमें पानी जमना शुरू हो जाती है। ऐसी स्थिति में यह रोग मुख्य रूप से पुरुष के फोता तथा पुरुष व महिला की पांव पर इस मच्छर का प्रभाव देखा जाता है। कभी कभी हाथ में ऐसा देखा जाता है। जिसकी संख्या काफी कम है।

बचने के उपाय :

इस रोग से बचने के लिए मच्छरदानी, आसपास की साफ सफाई तथा मच्छर भगाने वाले मार्टिन जलाकर सोना चाहिए। सोने वाले कमरे को अच्छी तरह साफ सफाई रखनी बहुत आवश्यक है। इसके अलावे प्रत्येक छह माह के दौरान इससे बचने के लिए टीईसी की गोलियां ले जो प्रत्येक स्वास्थ्य केन्द्रों पर मुफ्त में दी जाती है।

--------------क्या कहते हैं पीड़ित रोगी : चिचुआबाड़ी निवासी मो. रफीक बताते हैं कि मुझे पांव में पिछले आठ वर्ष पूर्व फाइलेरिया पांव में शुरू हुआ। जो फुलकर हाथी पांव हो गया है। जिसका इलाज पश्चिम बंगाल के इस्लामपुर में किया गया। इसके पश्चात पश्चिम बंगाल स्थित गंगा नर्सिग होम में शल्य चिकित्सा चल रहा है। लेकिन मैं पूरी तरह अपाहिज हूं। कोई भी काम नहीं कर पा रहा हूं। यही स्थिति कौआबाड़ी निवासी डोली देवी जो फाइलेरिया रोग से लगभग दस वर्षो से पीड़ित है और आधे दर्जन से अधिक एलोपैथ चिकित्सकों से अपनी इलाज करा चुकी हूं। फिलहाल आयुवैद्य से अपना इलाज करा रही हूं। लेकिन अब तक राहत नहीं मिली है।

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