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मानव विकास का अर्थ-सन 1990 में सर्वप्रथम प्रकाशित ‘human development report’ के अनुसार मानव विकास लोगों के सामने विकल्प के विस्तार की प्रक्रिया है। यूएन डीपी की मानवीय विकास रिपोर्ट 1997 में मानव विकास की अवधारणा की व्याख्या इस प्रकार की गई है- “वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा जन सामान्य के विकल्पों का विस्तार किया जाता है और इनके द्वारा उनके कल्याण के उन्नत स्तर को प्राप्त किया जाता है। यही मानवीय विकास की धारणा का मूल सिद्धांत है। Table of Contents
ऐसे सिद्धांत ना तो सीमा बद होते हैं और ना ही स्थैतिक, परंतु विकास के स्तर को दृष्टि में ना रखती हुए जन सामान्य के पास तीन विकल्प हैं-एक लंबा और स्वास्थ्य जीवन व्यतीत करना, ज्ञान प्राप्त करना और अच्छा जीवन स्तर प्राप्त करने के लिए आवश्यक संसाधनों तक अपनी पहुंच बढ़ाना। इन्हें भी पढ़ें:- आर्थिक विकास का महत्व बताइए। मानव विकास का महत्व-
मानव विकास सूचक-
1. मानव विकास का अर्थ क्या है?वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा जन सामान्य के विकल्पों का विस्तार किया जाता है और इनके द्वारा उनके कल्याण के उन्नत स्तर को प्राप्त किया जाता है। यही मानवीय विकास की धारणा का मूल सिद्धांत है। Read more – स्टील और स्टेनलेस स्टील के बीच क्या अंतर है? इन्हें भी पढ़ें:- पदसोपान सिद्धांत का वर्णन कीजिए। Read more – ऊर्जा के प्रमुख स्रोतों का वर्णन कीजिए। Read more – ऊर्जा संरक्षण क्यों आवश्यक है? इन्हें भी पढ़ें:- लिखित संप्रेषण के लाभ और हानि। Read more- जनसंख्या वृद्धि के महत्वपूर्ण घटकों की व्याख्या करें। read more – लोकल एरिया नेटवर्क के लाभ ? इन्हें भी पढ़ें:- आपदा प्रबंधन की आवश्यकता क्यों है? read more – औद्योगिक क्रांति से क्या लाभ है? read more – फसल चक्र से क्या समझते हैं ? इन्हें भी पढ़ें:- त्रिकोणमिति का परिचय- read more – भारत में निर्धनता दूर करने के उपाय? read more – ‘एक दलीय प्रणाली’क्या है? इन्हें भी पढ़ें:- 12 December 2020 Current Affairs Bilingual One Liner- latest article – जॉर्ज पंचम की नाक ( कमलेश्वर) latest article – सौर-कुकर के लाभ ? इन्हें भी पढ़ें:- बायोगैस के लाभ और हानि। click here – click इन्हें भी पढ़ें:- केंद्रीकरण के गुण तथा दोष क्या है। Recommended
Post navigationनमस्कार दोस्तों ! आज हमलोग़ इस लेख के माध्यम किसी राष्ट्र, क्षेत्र, समुदाय के संदर्भ में मानव विकास की अवधारणा को समझने का प्रयास करेंगे कि, manav vikas kya hai मानव विकास क्या है?, वृद्धि और विकास क्या है?, मानव विकास के स्तंभ कौन-कौन है?, इसके उपागम, मानव विकास सूचकांक , मापन या गणना कैसे किया जाता है? भारत के साथ-साथ अन्य देशों का मानव विकास में रैंक क्या है ?
जानिए मानव विकास किसे कहा जाता है ?इसके विषय में भी जाने:- लोगों के वर्तमान स्थिति से आने वाला समय में उनके कौशलों में वृद्धि ही मानव विकास कहलाता है। दूसरे शब्दों में कहे तो मानव के जीवन में नित्य गुणात्मक वृद्धि जो हमेसा सकारात्मक हो ,या उनके गुणों में वृद्धि ही मानव विकास कहलाता है। जिस देश के व्यक्तियों में जितनी अधिक गुणात्मक कौशलता होगा वह देश उतना विकास करेगा और व्यक्ति दीर्घआयु एवं स्वस्थ जीवन जी सकेंगे तथा संसाधनों का सही तरीके से उपयोग एवं वृद्धि होगी। एक मानव के सम्पूर्ण जीवन कल में प्रारम्भ से अंत तक गुणों, कौशलों, विशेषताओं में धनात्मक (सकारात्मक) बढ़ोतरी होते रहता है। उनमे से कुछ कौशल प्रकृति स्वयं समय के साथ विकसित कर देती है, जो लगभग सभी मानव में पाया जाता है। जैसे:- चलना, बोलना, बढ़ना, खाना, पीना, प्रेम, क्रोध इत्यादि। किन्तु मानव के बहुत सारे कौशलों में बढ़ोतरी उनके शिक्षण, प्रशिक्षण, अनुभव, अभ्यास से प्राप्त होता है। जिससे वह सामान्य व्यक्ति से विशेष व्यक्ति बन जाता है। चाहे वह मिट्टी से बर्तन बनाने वाला व्यक्ति हो, मोबाईल, लेबटॉप, कार आदि का रिपेयरिंग करने वाला व्यक्ति या विभिन्न प्रकार के कोडिग सीखकर कोई सॉफ्टवेयर, ऐप विकसित करने वाला व्यक्ति हो या चाहे वह डॉक्टर, अभियंता, अधिवक्ता, अध्यापक, वैज्ञानिक इत्यादि हो। मानव विकास (पार्ट -1 ) वृद्धि और विकास क्या है ?अपने आस-पास की बहुत सारी वस्तु जिसे हम देख पाते है, और बहुत सारी को नहीं देख पाते है। जैसे:- पेड़-पौधे, जीव-जंतु, मानव, विचार, राष्ट्र, क्षेत्र, संबंध इत्यादि बढ़ती और विकसित होती है। क्या दोनों एक दूसरे के साथ चलते है। ऐसा नहीं है। वृद्धि और विकास दोनों भिन्न है। और यह भी जरूरी नहीं है, कि जहां पर वृद्धि हो वहां विकास भी हो। यद्यपि समय के संदर्भ में वृद्धि और विकास परिवर्तन को प्रदर्शित (इंगित) करते है, तथापि वृद्धि और विकास एक दूसरे से अलग है। वृद्धिइसका संबंध किसी भी वस्तु, विचार, संबंधो में मात्रात्मक परिवर्तन होना वृद्धि कहलाता है। यह परिवर्तन धनात्मक तथा ऋणात्मक दोनों तरह के हो सकते है। इसे हम गणना कर सकते है। तथा वृद्धि मूल्य निरपेक्ष होता है। विकासइसका संबंध किसी भी वस्तु, विचार, संबंधो में गुणात्मक परिवर्तन से है। वस्तु, व्यक्ति, विचारो, के गुणों में और बढ़ोतरी से है। जैसे-जैसे किसी व्यक्ति, वस्तु में गुणात्मक वृद्धि होती है, वैसे-वैसे वह वस्तु, व्यक्ति, विचार, संबंध और अधिक मूल्यवान होता जाता है। अर्थात विकास मूल्य सापेक्ष होता है। इसके साथ-साथ गुणात्मक परिवर्तन हमेसा धनात्मक ही होता है। इन दोनों को हमलोग एक उदाहरण से अच्छी तरह से समझ सकते है। जैसे:- भारत, चीन दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश है इसके पास लोगो की मात्रा अधिक है। और गुणात्मक (कौशल) व्यक्तियों का दर कम है। इसलिए ये देश विकसित नहीं है, अगर ये देश अपनी जनसंख्या को गुणात्मक (कौशलों) में वृद्धि कर दे तो ये देश विकसित हो सकते है। वही दूसरी और नॉर्वे, आयरलैंड, आइसलैंड, स्वीडेन, स्विट्जरलैंड इत्यादि विकसित देश है। जिसकी जनसंख्या मात्र लाखो में है, किन्तु वहां की जनसंख्या कौशल जनसंख्या है। साक्षरता दर 90 प्रतिशत से अधिक, स्वास्थ्य, शिक्षा, आधारभूत संरचनाएँ पूर्ण विकसित है। जिसके कारण ये देश विसम जलवायु प्रदेशो में होने के बावजूद विकसित देश है। एक और उदाहरण से हमलोग वृद्धि और विकास को समझने का प्रयास करेंगे। यदि किसी क्षेत्र या नगर की जनसंख्या किसी निश्चित समय में दस लाख से बीस लाख हो जाती है, किन्तु इस क्षेत्र या नगर की आधारभूत संरचनाएँ जैसे:- सड़क, पीने का पानी, बिजली, परिवहन, आवास, सीवर इत्यादि का वृद्धि जनसंख्या वृद्धि के अनुपात में नहीं हुआ है, तो हम कह सकते है, कि उस क्षेत्र या नगर में सिर्फ वृद्धि हुई है विकास नहीं हुआ है। मानव विकास की अवधारणा क्या है ?मानव विकास की अवधारणा1990 के दशक से पूर्व किसी देश के विकास स्तर को केवल आर्थिक वृद्धि के संदर्भ में ही मापा जाता था अर्थात जिस देश की अर्थव्यवस्था जितनी ज्यादा बड़ी होगी वह देश उतना विकसित माना जायेगा। इसके विपरीत कम विकसित अर्थव्यवस्था वाले देशों को अविकसित देश कहा जाता था। इससे मानव विकास कि स्थिति स्पष्ट नहीं होती थी। क्योंकि इस आर्थिक वृद्धि से अधिकांश लोगों के जीवन में परिवर्तन से कोई संबंध नहीं होता है। किसी देश में लोग जीवन की गुणवत्ता का जो आनंद लेते है। उन्हें जो अवसर उपलब्द्ध होते है और जिन स्वतंत्रताओं का वे लोग भोग करते है मानव विकास के मुख्य आधार है। उपरोक्त विचारो को पहली बार 1980 के दशक के अंत और 1990 के दशक के आरम्भ में दो महान एशियाई अर्थशास्त्री पाकिस्तान के डॉ. महबूब-उल-हक तथा भारतीय अर्थशास्त्री, नोबेल पुरष्कार विजेता डॉ. अमर्त्य सेन ने बेहतर रूप से व्यक्त किया। दोनों घनिष्ट मित्र थे और संयुक्त रष्ट्र में कार्यरत थे। डॉ हक के नेतृत्व में दोनों आरम्भिक ” मानव विकास प्रतिवेदन ” निकलने के लिए कार्य किए थे। बाई ओर डॉ अमर्त्य सेन ,दाई ओर डॉ महबूब-उल-हक़मानव विकास सूचकांक का निर्माण डॉ. महबूब-उल-हक़ ने 1990 के में किया या कहे मानव विकास सूचकांक का प्रतिपादन किया। जिसे संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP)ने वार्षिक मानव विकास प्रतिवेदन प्रकाशित करने के लिए 1990 में ही मानव विकास की संकल्पना का उपयोग या प्रयोग किया। -डॉ. हक के अनुसार– ” मानव विकास का संबंध लोगों के विकल्पों में वृद्धि से है, ताकि वे आत्मसम्मान के साथ दीर्घ एवं स्वास्थ्य जीवन व्यतीत कर सके। “ उनके के अनुसार इस अवधारणा में सभी प्रकार के विकास का केंद्र विन्दु मानव है। विकास का मुख्य उद्देश्य देश में ऐसी दशाओ का उत्तपन्न करना है जिससे लोग सार्थक जीवन जी सके सार्थक जीवन का तातपर्य दीर्घकालीन नहीं होता बल्कि जीवन उद्देश्यपूर्ण हो। जीवन का कोई लक्ष्य हो, लोग स्वस्थ हो और अपने विवेक, बुद्धि का प्रयोग करके अपने लक्ष्यों को पूरा करने में स्वतंत्र हो और वे समाज और राष्ट्र के विकास में अपना योगदान दे सके। नोबेल पुरष्कार विजेता भारतीय अर्थशास्त्री डॉ. अमर्त्य सेन के अनुसार — ” मानव विकास का ध्येय लोगों की स्वतंत्रता में वृद्धि ( अथवा परतंत्रता में कमी ) से है। “ लोगों की स्वतंत्रताओं में वृद्धि मानव विकास का सर्वाधिक प्रभावशाली माध्यम है। डॉ. सेन के अनुसार स्वतंत्रता की वृद्धि में सामाजिक और राजनीतिक संस्थाओ एवं प्रक्रियाओ की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। मानव विकास के पक्षइसके तीन महत्वपूर्ण पक्ष है।
इन पक्षों को आधार पर संसाधनों तक पहुँच, स्वास्थ्य एवं शिक्षा मानव विकास के केंद्र विन्दु है। इन पक्षों के मैं के लिए उपयुक्त सूचकों का विकास किया गया है। परन्तु लोगों में अपने आधारभूत विकल्पों को तय करने की क्षमता और स्वतंत्रता नहीं होती है। इसके लिए भौतिक अक्षमता, सामाजिक भेदभाव, संस्थाओ की अक्षमता आदि कर्क उत्तरदाई है। इससे दीर्घ और स्वास्थ्य जीवन जीने, शिक्षा प्राप्ति के योग्य होने और एक शिष्ट जीवन जीने के साधनो को प्राप्त करने में बाधा आती है। अतः लोगों के विकल्पों में वृद्धि करने के लिए स्वास्थ्य , शिक्षा और संसाधनों तक पहुँच में उनकी क्षमताओं का निर्माण करना महत्वपूर्ण है। यदि इन क्षेत्रो में लोगों की क्षमता नहीं है तो विकल्प भी सिमित हो जाते है। उदाहरण के लिए एक अशिक्षित व्यक्ति डॉक्टर, इंजीनियर, अध्यापक का विकल्प नहीं चुन सकता, क्योकि उसका विकल्प शिक्षा के अभाव में सीमित हो गया। उसी प्रकार एक निर्धन व्यक्ति उपचार और शिक्षा के लिए बेहतर संस्थान नहीं चुन सकता। क्योकि धन जैसे संसाधनों के अभाव में उनका विकल्प सीमित हो जाता है। मानव विकास के स्तंभ क्या है ?जिस प्रकार इसी इमारत को टिके रहने के लिए चार दीवारों का जरूरत होता है उसी प्रकार मानव विकास का विचार भी समता, सतत पोषणीयता, उत्पादकता, और सशक्तिकरण की संकल्पनाओ पर आश्रित होता है। 1. समताइसका अभिप्राय समाज के प्रत्येक व्यक्ति को उपलब्ध अवसरों के लिए समान पहुंच की व्यवस्था होनी चाहिए। लोगों को उपलब्ध अवसर लिंग, प्रजाति, आय तथा क्षेत्र और भरत के संदर्भ में जाति के भेदभाव के विचार के बिना समान होने चाहिए ,यद्यपि ऐसा ज़्यदातर तो नहीं होता फिर भी यह लगभग प्रत्येक समाज में घटित होता है ज़्यदातर निर्धन तथा सामाजिक एवं आर्थक रूप से पिछड़े लोगों को समता प्राप्त नहीं होती है 2. सतत पोषणीयताइसका संबंध अवसरों की उपलब्धता में निरंतरता से है। अतः प्रत्येक पीढ़ी को समान असर प्राप्त होने के लिए हमें अपने पर्यावर्णीय , वित्तीय तथा मानव संसाधनों का उपयोग इस प्रकार करना चाहिए की हमारी भावी पीढ़ियाँ इससे वंचित न रह जाए। 3. उत्पादकतायहाँ उत्पादकता का तात्पर्य मानव श्रम उत्पादकता अथवा मानव कार्य के संदर्भ में उत्पादकता से है। इसका विकास लोगों में क्षमताओं का निर्माण करके ऐसी उत्पादकता में निरंतर वृद्धि की जानी चाहिए। किसी देश में वहाँ के लोग हो वास्तविक संसाधन होते है। इस प्रकार उनके ज्ञान को बढ़ाने में प्रयास अथवा उन्हें बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ देने से उनकी कार्य क्षमता में बढ़ोतरी होगी। 4. सशक्तीकरणलोगों को अनपे विकल्प चुनने के लिए शक्ति प्राप्त करने की क्षमता को सशक्तीकरण कहा जाता है। ऐसी शक्ति बढ़ती हुई स्वतंत्रता और क्षमता से आती है लोगों को सशक्त करने के लिए सुशासन एवं लोकोन्मुखी नीतियों की आवश्यकता होती है। सामाजिक एवं आर्थिक दृष्टि से पिछड़े वर्ग के लोगों का सशक्तीकरण का विशेष महत्व है। मानव विकास के उपागम क्या है ?यहाँ मानव विकास के उपागम का तात्पर्य इसके मापने के अनेक आधारों है या, मानव विकास को मापने के लिए कई आधारों को अपनाया जाता है जिसे उपागम कहा जाता है। कुछ महत्वपूर्ण उपागम निम्न इस प्रकार है। 1. आय उपागमयह मानव विकास के सबसे पुराने उपागम है। इसमें मानव विकास को आय के साथ जोड़कर देखा जाता है। विचार यह है कि आय का स्तर किसी व्यक्ति के द्वारा भोगी जा रही स्वतंत्रता के स्तर को परीलक्षित करता है। आय का स्तर ऊँचा होने पर मानव विकास का स्तर भी ऊँचा होगा। 2. कल्याण उपागमयह उपागम को लाभार्थी अथवा सभी विकासात्मक गतिविधियों के लक्ष्य के रूप में देखते है। यह उपागम शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा और सुख साधनो पर उच्चतर सरकारी व्यय का तर्क देता है। लोग विकास में प्रतिभागी नहीं है, किन्तु वे केवल निष्क्रिय प्राप्तकर्ता है। सरकार कल्याण पर अधिकतम व्यय करके मानव विकास के स्तर में वृद्धि करने के लिए जिम्मेदार है। 3. आधारभूत आवश्यकता उपागमइस उपागम को मूल रूप से अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ( ILO ) ने प्रस्तावित किया था। इसमें छः न्यूनतम आवश्यकताओं जैसे:- स्वास्थ्य, शिक्षा, भोजन, जलापूर्ति, स्वच्छता और आवास की पहचान की गई थी। इसमें मानव विकल्पों के प्रश्न की उपेक्षा की गई है। और परिभाषित वर्गो की मूलभूत आवश्यकताओं की व्यवस्था पर जोर किया गया है। 4. क्षमता उपागमइस उपागम का संबंध प्रो. अमर्त्य सेन से है। संसाधनों तक पहूँच क्षेत्रो में मानव क्षमताओं का निर्माण बढ़ते मानव विकास की कुंजी है। मानव विकास (पार्ट-2 ) मानव विकास सूचकांक क्या है ?यह मानव विकास सूचकांक एक सांख्यिकीय गणना है। जिसका उपयोग किसी देश की सामाजिक, आर्थिक आयामों के लगभग सभी उपलब्धियों को मापने के लिए किया जाता है। किसी देश के सामाजिक और आर्थिक आयाम लोगों के स्वास्थ्य, उनकी शिक्षा और उनके जीवन स्तर पर आधारित होते है। मानव विकास को मानव विकास सूचकांक ( HDI ) के रूप में मापा जाता है। इस सूचकांक में स्वास्थ्य, शिक्षा और संसाधनों तक पहुँच के क्षेत्रों में की गई उन्नति के आधार पर देशों का क्रम( Rank ) तैयार किया जाता है। यह क्रम 0 से 1के बीच के स्कोरो पर आधारित होता है। जो एक देश के मानव विकास के महत्वपूर्ण सूचकों में अपने रिकार्ड से प्राप्त करता है स्वास्थ्य, शिक्षा और संसाधनों तक पहुँच इन तीनो आयामों को 1/3 भारिता दी जाती है और मानव विकास सूचकांक इन तीनो आयामों को दिए गए भरों का कुल योग होता है। स्कोर 1 के जितना निकट जो देश होता है। मानव विकास का स्तर उतना ही अधिक होता है। इस प्रकार 0.983 का स्कोर अति उच्च स्तर का जबकि 0.268 मानव विकास का अत्यंत निम्न स्तर का माना जायेगा। 1. स्वास्थ्यइसका मूल्यांकन करने के लिए जन्म के समय जीवन-प्रत्याशा को सूचक के रूप में चुना गया है। उच्चतर जीवन-प्रत्याशा का अर्थ है की लोगों के पास अधिक दीर्घ और अधिक स्वस्थ जीवन जीने के ज़्यादा अवसर है। यह वर्ष के रूप में मापी जाती है। जितनी उच्च जीवन प्रत्याशा होगी उतनी ही अधिक मानव विकास सूचकांक होगा। UNDP द्वारा 25 से 85 वर्ष के बीच आंकलित किया जाता है। 2. शिक्षायहाँ पर शिक्षा का अभिप्राय प्रौढ़ साक्षरता दर और सकल नामंकन अनुपात से है । ये दोनों को शिक्षा के सूचक के रूप में चुना गया है। दोनों के औसत मानव विकास सूचकांक में समाहित क्या जाट ह ये दोनों सूचक यह दर्शाता है की किसी देश विशेष में ज्ञान तक पहुँच कितनी आसान अथवा कठिन है। इसे UNDP द्वारा 0 से 100% के बीच आंकलित किया जाता है। 3. संसाधनों तक पहुँचयहां संसाधनों तक पहुँच का संबंध किसी देश के नागरिकों के क्रय शक्ति की क्षमता से है। जिस देश के नागरिकों के द्वारा क्रय शक्ति की क्षमता अधिक होगी वहां का मानव विकास सूचकांक अधिक होगा। क्रय शक्ति की क्षमता का तात्पर्य उस देश के सकल राष्ट्रिय आय ( GNP ) या प्रति व्यक्ति आय( PCI ) के रूप में अमरीकी डॉलर में मापा जाता है। इसे UNDP द्वारा न्यूनतम 100 डॉलर और अधिकतम 75000 डॉलर निर्धारित किया गया है।
मानव विकास सूचकांक कैसे निकलते है ?कुछ सूत्रों की सहायता से निकलते है। उद्धरण के लिए हम भारत को लेते है। UNDP द्वारा भारत को वर्ष 2019 में जारी मानव विकास रिपोर्ट के अनुसार निम्न आंकड़े है। मानव विकास सूचकांक वर्ष 2019 में भारत देश की स्थिति
भारत का मानव विकास सूचकांक अंक (Value) निकलने के लिए तीनो सूचकांकों की गणना निम्न इस प्रकार करके समेकित किया जाता है और मानव विकास सूचकांक (HDI ) निकाला जाता है।
मानव विकास सूचकांक(HDI) = (I helth *I education *I incom )1/3, = (0.76*0.55*0.63)1/3, =0.647 जहाँ :-
इस तरह से हम किसी भी देश के मानव विकास सूचकांक का अंक ज्ञात कर सकते है। मानव विकास प्रतिवेदन (रिपोर्ट) क्या है ?यह संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP )के कार्यालय के द्वारा विभिन्न प्रकार के विकास के आयामों से संबंधित आंकड़े जैसे:-शिक्षा, स्वास्थ्य, आय, गरीबी, लैंगिक इत्यादि का संकलन, विश्लेषण और प्रकाशन मानव विकास प्रतिवेदन (रिपोर्ट ) कहा जाता है। इसे प्रथम बार वर्ष 1990 में UNDP द्वारा प्रकाशित किया गया था। और इसके बाद प्रतिवर्ष इसका प्रकाशन किया जाता है। यह प्रतिवेदन मानव विकास स्तर के अनुसार सभी सदस्य देशो की कोटि, कर्मानुसार सूचि उपलब्ध कराता है। इसके कुछ महत्वपूर्ण सूचकांक इस प्रकार है।
मानव विकास सूचकांक 2020मानव विकास सूचकांक 2020 UNDP (United Nations Devlopment Programme ) द्वारा मानव विकास सूचकांक के आधार पर इसके सदस्य देशों को शिक्षा, स्वास्थ्य, जीवन स्तर में हुए प्रगति के आधार पर चार वर्गो में विभाजित किया है। जिनका सूचकांक मान 0 से 1 के मध्य है। 0 से 1 तक जिन देशों का मान अधिक है, उन देशों का मानव विकास सूचकांक उच्च तथा जिसका मान निम्न है उन देशों का मानव विकास सूचकांक निम्न है। जो निम्न तालिका से स्पष्ट होता है।
विश्व के दस अत्यधिक उच्च मानव विकास सूचकांक वाले देश 2020
और अधिक देशों की जानकारी प्राप्त करनी हो UNDP को क्लीक करके देख सकते है। मानव विकास से आप क्या समझते हैं इसकी मुख्य विशेषताओं को लिखिए?मानव विकास, स्वास्थ्य भौतिक पर्यावरण से लेकर आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक स्वतंत्रता तक सभी प्रकार के मानव विकल्पों को सम्मिलित करते हुए लोगों के विकल्पों में विस्तार और उनके शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं तथा सशक्तीकरण के अवसरों में वृद्धि की प्रक्रिया है।
मानव विकास से आप क्या समझते हैं उत्तर?हक ने मानव विकास का वर्णन एक ऐसे विकास के रूप में किया जो लोगों के विकल्पों में वृद्धि करता है और उनके जीवन में सुधार लाता । इस अवधारणा में सभी प्रकार के विकास का केंद्र बिंदु मनुष्य है। ये विकल्प स्थिर नहीं हैं बल्कि परिवर्तनशील हैं।
मानव विकास का क्या महत्व है?भौतिक पर्यावरण की दृष्टि से भी मानव विकास अच्छा है। गरीबी में वनों के विनाश, रेगिस्तान के विस्तार और क्षरण में कमी आती है। गरीबी में कमी से एक स्वस्थ समाज के गठन, लोकतंत्र के निर्माण और सामाजिक स्थिरता में सहायता मिलती है। मानव विकास से सामाजिक उपद्रवों को कम करने में सहायता मिलती है और इससे राजनीतिक स्थिरता बढ़ती हैं।
विकास से आप क्या समझते हैं मानव विकास के संक्षेप में संकेतक लिखिए?संयुक्त राष्ट्र की विकास योजना के अनुसार, मानव विकास को लोगों के चयन में वृद्धि की प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। विकास के सभी स्तरों पर लोगों के तीन अनिवार्य चुनाव में एक दीर्घकालीन स्वस्थ जीवन व्यतीत करना अच्छा ज्ञान प्राप्त करना तथा शानदार जीवन स्तर के लिए आवश्यक संसाधनों की पहुंच सम्मिलित हैं।
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