क्या हाल में क्या जीत में? - kya haal mein kya jeet mein?

PKL 9 Points Table: प्रो कबड्डी लीग (PKL) 2022 में मंगलवार (25 अक्टूबर) को दो मुकाबले खेले गए. दीवाली ब्रेक के बाद हुए दोनों मैच बेहतरीन रहे. पहले मुकाबले में पुनेरी पलटन ने जयपुर पिंक पैंथर्स को हराते हुए इस सीजन की लगातार चौथी जीत हासिल की है. जयपुर ने इस हार से पहले लगातार पांच मैच जीते थे. दूसरे मैच में हरियाणा स्टीलर्स ने शानदार खेल दिखाते हुए तेलुगू टाइटंस को हराया. हरियाणा को लगातार चार हार के बाद पहली जीत मिली है. 

प्रो कबड्डी लीग की प्वाइंट्स टेबल (Pro Kabaddi League 2022 Points Table)

सीजन की दूसरी हार झेलने के बाद जयपुर प्वाइंट टेबल में दूसरे स्थान पर आ गई है. दबंग दिल्ली और जयपुर के पास 26-26 प्वाइंट हैं, लेकिन दिल्ली ने जयपुर से एक मैच कम खेला है. लगातार चौथी जीत हासिल करने के साथ ही पुनेरी ने प्वाइंट टेबल में चौथा स्थान हासिल कर लिया है.

प्रो कबड्डी लीग 2022 के आंकड़े (Pro Kabaddi League 2022 Stats)

आज के मैच में सात रेड प्वाइंट लेने वाले अर्जुन देशवाल के नाम सात मैचों में 72 रेड प्वाइंट हो चुके हैं. वह संयुक्त रूप से तीसरे सबसे अधिक रेड प्वाइंट लेने वाले खिलाड़ी बने हैं. पुनेरी के असलम इनामदार सात मैचों में 68 रेड प्वाइंट ले चुके हैं और टॉप-5 में उनकी एंट्री हो गई है.

दिल्ली के कप्तान नवीन कुमार छह मैचों में 81 रेड प्वाइंट के साथ पहले स्थान पर बने हुए हैं. नवीन इस सीजन लगातार छह सुपर 10 लगाने वाले भी इकलौते खिलाड़ी हैं. डिफेंस में बंगाल वॉरियर्स के गिरीश एर्नाक लगातार पहले स्थान पर बने हुए हैं. गिरीश ने छह मैचों में 23 टैकल प्वाइंट्स हासिल किए हैं. 

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क्या हाल में क्या जीत में? - kya haal mein kya jeet mein?

जयराम शुक्ल

आज राष्ट्रकवि डा.शिवमंगल सिंह सुमनजी की पुण्यतिथि है। सुमनजी, दिनकरजी की तरह ऐसे यशस्वी कवि थे जिनकी हुंकार से राष्ट्रअभिमान की धारा फूटती थी। संसद में अटलजी ने स्वयं की कविता से ज्यादा सुमनजी की कविताएँ उद्धृत की। हाल यह की सुमनजी की कई कविताएँ अब अटलजी के नाम से प्रचलित हैं। अटलजी सुमनजी को अपना साहित्यिक गुरू मानते हैं। वे सुमनजी ही थे जो अटलजी को कविसम्मेलनों तक खींच ले गए। इसीलिए सुमनजी व अटलजी की रचनाधर्मिता में अद्भुत साम्य मिलता है।

सुमनजी लिखते तो अद्भुत थे ही, उससे अच्छा प्रस्तुत करते थे..उनकी भाषणकला बेहतर थी या लेखन कला तय कर पाना मुश्किल। यही विलक्षणता अटलजी के साथ भी जड़ी रही। सुमन जी दिखने में तो शुभ्रवस्त्रावृता थे ही साक्षात् वाणी पुत्र लगते थे। उनकी स्मृति को नमन… यहां वो कविता प्रस्तुत कर रहे हैं जिसे अटलजी ने तेरह दिन की सरकार के पतन के दिन संसद में पढी थी..आज इस कविता को प्रायः लोग अटलजी की ही मानकर चलते हैंं।

संघर्ष पथपर जो मिले

यह हार एक विराम है
जीवन महासंग्राम है
तिल-तिल मिटूँगा पर दया की भीख मैं लूँगा नहीं।
वरदान माँगूँगा नहीं।।

स्‍मृति सुखद प्रहरों के लिए
अपने खंडहरों के लिए
यह जान लो मैं विश्‍व की संपत्ति चाहूँगा नहीं।
वरदान माँगूँगा नहीं।।

क्‍या हार में क्‍या जीत में
किंचित नहीं भयभीत मैं
संधर्ष पथ पर जो मिले यह भी सही वह भी सही।
वरदान माँगूँगा नहीं।।

लघुता न अब मेरी छुओ
तुम हो महान बने रहो
अपने हृदय की वेदना मैं व्‍यर्थ त्‍यागूँगा नहीं।
वरदान माँगूँगा नहीं।।

चाहे हृदय को ताप दो
चाहे मुझे अभिशाप दो
कुछ भी करो कर्तव्‍य पथ से किंतु भागूँगा नहीं।
वरदान माँगूँगा नहीं।।

क्या हार में क्या जीत में किसकी कविता है?

शिवमंगल सिंह 'सुमन' : क्या हार में क्या जीत में किंचित नहीं भयभीत मैं

क्या हार में क्या जीत में किंचित नहीं भयभीत मैं कर्तव्य पथ पर जो भी मिला यह भी सही वो भी सही?

क्या हार में, क्या जीत में किंचित नहीं भयभीत मैं कर्तव्य पथ पर जो मिला यह भी सही वो भी सही वरदान नहीं मांगूंगा हो कुछ, पर हार नहीं मानूँगा।” — #अटल_बिहारी_वाजपेयी #जन्मदिवस की ढेरों शुभकामनायें अटल जी!! #AtalBihariVajpayee ji.

कभी कब भयभीत होना नहीं चाहते?

कवि यहाँ पर कहना चाहता है कि जीवन के लिए अनिवार्य साधन का होना भी आज़ादी है। अकेलेपन के कष्ट से मुक्त होना, भय से मुक्त होना भी आज़ादी है।

यह भी सही वह भी सही का आशय इनमें से क्या है?

'यह भी सही वह भी सही' कहने से कवि का सुख-दुख की ओर संकेत है।