Our detailed NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 16 नमक Textbook Questions and Answers help students in exams as well as their daily homework routine. पाठ के
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प्रश्न 1. प्रश्न 2. जान देकर भी वायदा पूरा करना होगा। वह सोचने लगी, यदि इस पुड़िया को कीनुओं की टोकरी में रख लिया जाए तो इतने कीनुओं के ढेर में भला इसे कौन देख पाएगा? और अगर देख लिया? वह चिंतित होने लगी। दूसरे ही क्षण वह सोचने लगी नहीं, फलों की टोकरियाँ तो आते समय भी किसी की नहीं देखी जा रही थीं। हिंदुस्तान से केले तथा पाकिस्तान से कीनू सब ऐसे ही ले जा रहे थे। बस, यही वंद्व उसके मन में चल रहा था। प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न
5. (i) प्रखर वक्ता-सफ़िया एक साहित्यकार थी, इसलिए वह बातचीत करने में तनिक भी संकोच नहीं करती थी। वह बहस करने में पूर्ण समर्थ थी। नमक ले जाने के बारे में उसका भाई बार-बार उसे समझाकर हार जाता है और उसे कहना पड़ता है कि अब आप से बहस कौन कर सकता है। इस प्रकार सफ़िया एक प्रखर वक्ता थी। (ii) निडर-वह अत्यंत निडर थी। अपने भाई के बार-बार डराने पर भी वह कस्टमवालों से नहीं डरी। वह अमृतसर के कस्टम अधिकारियों के समक्ष अपने आप ही निडरता से कहती है-“देखिए मेरे पास नमक है, थोड़ा-सा।” (iii) साहित्यकार-सफ़िया एक श्रेष्ठ साहित्यकार थी। उसका साहित्यकार होना हमें उसके भाई के संवादों से पता चलता है। उसके संवादों से हमें पता लगता है कि उसमें श्रेष्ठ प्रतिभा है। उसका भाई उससे कहता है “अब आपसे कौन बहस करे। आप अदीब ठहरों और सभी अदीबों का दिमाग थोड़ा-सा तो ज़रूर ही घूमा हुआ होता है।” (iv) ईमानदार-सफ़िया एक ईमानदार नारी है। जब सफ़िया का भाई उसे कहता है कि उसे नमक लेकर सरहद से गुजरना होगा जहाँ कस्टम वाले उसे पकड़ लेंगे तो वहाँ उसकी ईमानदारी का परिचय मिलता है। वह कहती है, “निकल आने का क्या मतलब, मैं क्या चोरी से ले जाऊँगी? छिपा के ले जाऊँगी? मैं तो दिखा के ले जाऊँगी?” (v) इंसानियत से भरपूर-सफ़िया एक ऐसी इंसान है जिसमें इंसानियत का गुण कूट-कूट कर भरा है। वह सरहदों को देखकर अत्यंत चिंता में पड़ जाती है कि जब दोनों ओर के व्यक्ति, पहनावा, बोलने के अंदाज एक हैं, जब ज़मीन एक है तो फिर ये दो कैसे बने ? इस उदाहरण से उसकी इंसानियत स्वतः ही स्पष्ट हो जाती है-“अरे, फिर वही कानून-कानून कहे जाते हो । क्या सब कानून हुकूमत में ही होते हैं ? कुछ मुहब्बत, मुरौवत, आदमियत, इंसानियत के नहीं होते ? आखिर कस्टम वाले भी इंसान होते हैं, कोई मशीन तो नहीं होते।” (vi) दृढ निश्चयी-सफ़िया दृढ़ निश्चयी नारी है। उसने नमक लेकर आने का दृढ़ निश्चय किया था जिसे उसने पूर्णतः निभाया और वह अनेक मुसीबतों का सामना करते हुए सरहद के पास गैर-कानूनी होते हुए भी नमक की पुड़िया ले आई थी। प्रश्न 6. जब सफ़िया पाकिस्तान से नमक लेकर चली तो कस्टम अधिकारी बोले कि जामा मस्जिद की सीढ़ियों को मेरा सलाम कहिएगा और उन खातून को यह नमक देते वक्त मेरी तरफ से कहिएगा कि लाहौर अभी तक उनका वतन है और देहली मेरा, तो बाकी सब रफ़्ता-रफ़्ता ठीक हो जाएगा।” भारत-पाक विभाजन के इतने वर्षों बाद भी ये पाकिस्तानी और हिंदुस्तानी व्यक्ति अपनी जन्मभूमि से हृदय से प्यार करते हैं। आज भी वे अपनी जमीन और अपने लोगों के दिलों से दूर नहीं हो पाए। इसी प्रकार सफ़िया को अमृतसर में भारतीय कस्टम अधिकारी कहता है-हाँ मेरा वतन ढाका है। जब डिवीजन हुआ तभी आए, मगर हमारा वतन ढाका है। मैं तो कोई बारह-तेरह साल का था। पर नजरूल और टैगोर को तो हम लोग बचपन से पढ़ते थे। जिस दिन हम रात को यहाँ आ रहे थे उसके ठीक एक वर्ष पहले मेरे सबसे पुराने सबसे प्यारे, बचपन के दोस्त ने मुझे यह किताब दी थी। उस दिन मेरी सालगिरह थी-फिर हम कलकत्ता रहे, पढ़े, नौकरी भी मिल गई, पर हम वतन आते-जाते थे। प्रश्न 7. भारत-पाक जनता परस्पर जुड़ी हुई है। उन्हें अब भी अपनी जन्मभूमि की स्वर्णिम यादें सताती हैं। उन्हें अब भी कोई बात याद आने पर एक-दूसरे के प्रति संवेदनाएँ जागृत हो जाती हैं। सफ़िया के द्वारा गैर-कानूनी नमक लाने पर कस्टम अधिकारी उसे रोकते हैं तथा नमक को पकड़ भी लेते हैं लेकिन आपसी मुहब्बत के कारण वे सफ़िया को स्वयं नमक ले जाने की अनुमति दे देते हैं। क्यों कहा गया? प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. समझाइए तो ज़रा प्रश्न 1. प्रश्न 2. पाठ के आस-पास प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. (i) मैं अखबार के माध्यम से दोनों देशों की सरकार से यह अपील करूँगा कि आपसी संबंध सुधारने से जनसामान्य को बहुत लाभ होगा, अतः वे उन्हें सुधारने का प्रयास करें। (ii) विदेश मंत्रियों को एक बुद्धिजीवी प्राणी के नाते सचेत करने का प्रयास करूंगा कि ऐसा करना जनहित के लिए लाभदायक होगा। (iii) दोनों देशों के सर्वोच्च पदाधिकारी राष्ट्रपति महोदय जी को पत्र के माध्यम से अपील करूंगा। (iv) मैं पाकिस्तान की यात्रा करके वहाँ की लोगों की भावनाओं को जानने का प्रयास करूंगा और आपकी भावनाओं और अपेक्षाओं से उन्हें अवगत कराने का प्रयास करूंगा। प्रश्न 4. प्रश्न 5. आपकी राय प्रश्न 1. भाषा की बात प्रश्न 1. वाक्य –
वाक्य –
प्रश्न
2. प्रश्न 3. सृजन के क्षण प्रश्न 1. इन्हें भी जानें 1. मुहर्रम – इस्लाम धर्म के अनुसार साल का पहला महीना, जिसकी दसवीं तारीख को इमाम हुसैन शहीद हुए। फ़िल्में – रचनाएँ 7. सरहद और मजहब के संदर्भ में इसे देखें नमक कहानी में Namak की पुड़िया इतनी महत्वपूर्ण क्यों है?➲ कहानी में साफिया के लिए नमक की पुड़िया इसलिए महत्वपूर्ण हो गई थी क्योंकि यह नमक उसकी माँ समान महिला ने अपने जन्म स्थान लाहौर से मंगाया था। उसकी माँ के जैसी महिला दिल्ली में रहती थी और उनका जन्म लाहौर में हुआ था, इसलिए उन्हें अपने जन्म स्थान नामक लाहौर के नमक की बड़ी ख्वाहिश थी।
नमक कहानी में नमक की पुड़िया इतनी महत्वपूर्ण क्यों हो गई थी कस्टम अिधकारी उसे लौटाते हुए भावुक क्यों हो उठा था?उत्तर: इस कहानी में नमक की पुड़िया के महत्त्वपूर्ण बनने का यह कारण है कि भारत-पाक के बीच नमक का व्यापार गैरकानूनी था। दूसरे, यह विभाजन की यादों से जुड़ी है। कस्टम अधिकारी नमक की पुड़िया लौटाते हुए भावुक हो उठा क्योंकि हर व्यक्ति को जन्मभूमि से लगाव होता है।
1 सफिया के भाई ने नमक की पुड़िया ले जाने से क्यों मना कर दिया?साफिया के भाई ने नमक की पुड़िया भारत ले जाने से इसलिए मना कर दिया क्योंकि यह गैरकानूनी था। पाकिस्तान से लाहौरी नमक भारत ले जाना प्रतिबंधित था। उसके अनुसार नमक की पुड़िया निकल आने पर बाकी सामान की भी चिंदी-चिंदी बिखेर दी जाएगी। नमक की पुड़िया तो जा नहीं पाएगी, ऊपर से उनकी बदनामी मुफ्त में हो जाएगी।
नमक कहानी की मूल संवेदना क्या है?Answer: (नमक' कहानी की मूल संवेदना है कि देश मानचित्र पर लकीर खीचने सही देश अलग नहीं होते। पाठ में सफिया, सिख बीबी, कस्टम आधकारी, सुनीलदासा गुप्ता आदि को देखकर यह पता चलता है। मानाच पर लकीर खींचने से मनुष्य की भावनाएं ही नष्ट करी जा सकती है। ...
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