क्या 36 सप्ताह में कम एमनियोटिक द्रव के साथ सामान्य प्रसव संभव है? - kya 36 saptaah mein kam emaniyotik drav ke saath saamaany prasav sambhav hai?

In this article

  • एमनियोटिक द्रव क्या है और यह इसका क्या काम है?
  • गर्भ में एमनियोटिक द्रव का सामान्य स्तर क्या होता है?
  • मुझे ओलिगोहाइड्रेमनियोस होने का कैसे पता चलेगा?
  • एमनियोटिक द्रव कम होने की क्या वजह होती है?
  • एमनियोटिक फ्लूइड कम होने से शिशु पर क्या असर पड़ता है?
  • एमनियोटिक द्रव कम हो जाने पर मुझे अब क्या सवाधानी बरतनी चाहिए?

एमनियोटिक द्रव क्या है और यह इसका क्या काम है?

गर्भावस्था के दौरान आपका गर्भस्थ शिशु गर्भाशय के अंदर तरल से भरी हुई थैली (एमनियोटिक सैक) में सुरक्षित होता है।

एमनियोटिक थैली दो झिल्लियों (मैम्बेन) से बनी होती है - कोरियान और एमनियॉन। ये झिल्लियां आपके शिशु को एमनियोटिक द्रव के थैले में सुरक्षित ढंग से बंद रखती है।

ये झिल्लियां आमतौर पर प्रसव के दौरान टूटती हैं, जब आपका शिशु जन्म लेने के लिए तैयार होता है और द्रव बाहर निकल जाता है। इसे पानी की थैली फटना कहा जाता है।

एमनियोटिक द्रव पूरी गर्भावस्था के दौरान आपके शिशु को विकसित होने में बहुत तरीकों से मदद करता है। जैसे कि:

  • यदि आपके पेट पर आघात लगे या फिर पेट दबने की स्थिति में शिशु को चोट लगने से बचाता है
  • आपके शिशु के फेफड़ों और पाचन तंत्र को परिपक्व होने में और मांसपेशियों और हड्डियों को विकसित होने में मदद करता है।
  • शिशु को इनफेक्शन से बचाता है
  • गर्भस्थ शिशु का तापमान एक समान बनाए रखता है

गर्भ में एमनियोटिक द्रव का सामान्य स्तर क्या होता है?

शिशु नियमित तौर पर एमनियोटिक द्रव निगलता रहता है और यह शिशु के शरीर से पेशाब के रूप में बाहर निकलता है। इसका मतलब है कि एमनियोटिक थैली में द्रव की मात्रा आमतौर पर रोजाना घटती-बढ़ती रहती है।

गर्भावस्था बढ़ने के साथ-साथ एमनियोटिक द्रव की मात्रा भी बढ़ती है। शुरुआत में केवल कुछ मि.ली. द्रव ही होता है मगर 36 सप्ताह की गर्भावस्था के आसपास यह द्रव 800 से 1000 मि.ली. के बीच पहुंच जाता है। 38 सप्ताह के बाद शिशु के जन्म तक यह धीरे-धीरे कम होना शुरु हो जाता है।

जब शिशु के आसपास एमनियोटिक फ्लूइड बहुत कम रह जाता है, तो इसे ओलिगोहाइड्रेमनियोस कहा जाता है। जब इस फ्लूइड की मात्रा बहुत ज्यादा हो, इस स्थिति को पॉलिहाइड्रेमनियोस या हाइड्रेमनियोस कहा जाता है।

एमनियोटिक द्रव कम होना गर्भावस्था में आम समस्या है।

मुझे ओलिगोहाइड्रेमनियोस होने का कैसे पता चलेगा?

एमनियोटिक द्रव कम होने का पता शायद नियमित अल्ट्रासाउंड के दौरान चल जाएगा।

यदि आपका पेट या शिशु आपकी गर्भावस्था के स्तर के अनुमान से छोटा लगे (स्माल फॉर डेट) तो डॉक्टर को एमनियोटिक द्रव का स्तर कम होने की आशंका हो सकती है।

जब किसी प्रसवपूर्व जांच के दौरान डॉक्टर मापन फीते से आपके पेट का माप लेंगी, तो उस दौरान उन्हें इस बारे में पता चल जाएगा।

डॉक्टर आपके एमनियोटिक द्रव के स्तर की जांच तब भी कर सकती हैं, जब आपके साथ कम जन्म वजन शिशु होने के निम्नांकित जोखिम हों:

  • आप पहले भी गर्भावस्था के स्तर से छोटे शिशु को या कम जन्म वजन शिशु जन्म दे चुकी हैं।
  • आपको कोई विशेष स्वास्थ्य स्थिति जैसे कि ल्यूपस आदि है।
  • आपको रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) से जुड़ी समस्याएं हैं।

यदि आपकी डॉक्टर को इसे लेकर कुछ चिंता हो तो वे आपको अल्ट्रासाउंड स्कैन कराने के लिए कहेंगी।

अल्ट्रासाउंड डॉक्टर (सोनोग्राफर) पूरी एमनियोटिक थैली को देखकर द्रव का स्तर जांचेंगी। वे गर्भ में एमनियोटिक द्रव की सबसे बड़ी पॉकेट की गहराई मापेंगी।

गर्भावस्था के हर सप्ताह के लिए एमनियोटिक फ्लूइड के सामान्य स्तर पहले से ही निर्धारित हैं, इसलिए आपके स्तर की तुलना भी इनसे की जाएगी। सामान्यत: दो सें.मी. (0.8 इंच) से कम का माप कम माना जाता है।

एमनियोटिक द्रव कम होने की क्या वजह होती है?

इसका हमेशा कोई स्पष्ट कारण नहीं होता है, इसलिए सटीकता से यह बता पाना मुश्किल होता है कि आपके साथ यह क्यों हो रहा है। हालांकि, पानी की थैलीफटना इसका सबसे आम कारण है।

  अन्य कारणों में शामिल हैं:

  • शिशु के जन्म की नियत तिथि निकल चुकी है (ओवरडयू)
  • आपकी अपरा में कोई समस्या (प्लेसेंटल इनसफिशिएंसी) है
  • आप जो दवा ले रही हैं उनमें से कुछ विशेष तरह की दवाएं एमनियोटिक द्रव के स्तर को प्रभावित कर रही है
  • यदि आपके शिशु की मूत्र प्रणाली में कोई आनुवांशिक चिकित्सकीय समस्या है।
  • आपके एक जैसे दिखने वाले जुड़वां शिशुओं में से एक उतनी अच्छी तरह विकसित नहीं हो रहा है जितना होना चाहिए

पानी की थैली फटना
अगर, एमनियोटिक थैली फट जाती है, तो पानी या तो अचानक तेज बहाव के साथ निकल सकता है या फिर एमनियोटिक थैली के हल्का सा फट जाने पर द्रव धीरे-धीरे रिस सकता है। कई बार यह अंतर कर पाना मुश्किल हो जाता है कि यह पानी की थैली फट गई है या फिर गलती से पेशाब का रिसाव हुआ है।

अगर, आप निश्चित न हों कि आपकी पानी की थैली फटी है या नहीं, तो तुरंत अपनी डॉक्टर से संपर्क करें। अगर प्रसव के संकुचन शुरु होने से पहले ही आपकी पानी की थैली फट जाए, मगर जल्द ही प्रसव शुरु न हो तो आपको इनफेक्शन होने का खतरा रहता है।

यदि आपको संक्रमण होने के संकेत हों, तो एंटिबायटिक दवाएं दी जा सकती हैं। यदि आपकी पानी की थैली 36 सप्ताह से पहले फटी है, गर्भावस्था को जारी रखने और आपको इनफेक्शन से सुरक्षा देने के लिए एंटिबायोटिक्स लेने की सलाह दी जाती है। जो एंटिबायोटिक दवाएं दी जाती हैं वे आपके और आपके शिशु के लिए सुरक्षित होती हैं। आप गर्भावस्था के कौन से सप्ताह में हैं, इसे देखते हुए यदि जरुरत हुई तो आपको स्टेरॉइड्स भी दिए जा सकते हैं।

हालांकि डॉक्टर की कोशिश यही रहेगी कि शिशु को जितने ज्यादा समय तक गर्भ में रखा जा सके उतना अच्छा है मगर, यदि जटिलताएं हुई तो वे आपको प्रसव पीड़ा प्रेरित करवाने की सलाह भी दी जा सकती है।

अगर, प्रसव प्रेरित नहीं किया जाता, तो प्राकृतिक तौर पर प्रसव शुरु होने तक आप पर पूरी निगरानी रखी जाएगी। कभी-कभार एमनियोटिक थैली में हुआ चाक या छिद्र अपने आप बंद हो जाता है, और आपका द्रव रिसना रुक जाता है। डॉक्टर आप और आपके शिशु की सेहत पर नजर रखेंगी और इसे देखते हुए निर्णय लेंगी कि शिशु को जन्म देने का सबसे सही समय कौन सा रहेगा।

अपरा से जुड़ी समस्या

ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि आपके साथ ऐसी कोई स्वास्थ्य समस्या है, जो आपकी अपरा को शिशु तक पर्याप्त रक्त और पोषक तत्व पहुंचाने से रोकती है। ऐसी स्वास्थ्य स्थितियों में ल्यूपस, उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर), प्री-एक्लेमप्सिया और मधुमेह (डायबिटीज) आदि शामिल हैं।

यह तब भी हो सकता जब आपके प्रसव की नियत तिथि निकल चुकी हो, और शिशु का जन्म न हुआ हो। समय से पहले अपरा का काल प्रभावन (कैल्सिफिकेशन या एजिंग) ओलिगोहाइड्रेमनियोस का एक अन्य कारण हो सकता है।

अगर अपरा सही ढंग से काम नहीं कर रही हो, तो इससे आपके शिशु के विकास और सेहत पर असर पड़ेगा। आपके स्वास्थ्य और शिशु के विकास पर कड़ी नजर रखी जाएगी और एमनियोटिक द्रव के स्तर को जांचने के लिए नियमित अल्ट्रासाउंड स्कैन कराए जाएंगे।

कुछ दवाओं का असर
कुछ दवाइयों की वजह से एमनियोटिक फ्लूइड का स्तर कम हो सकता है। इनमें उच्च रक्तचाप का उपचार (एसीई इन्हिबिटर्स या एन्जियोटेंसिन II रिसेप्टर एंटागोनिस्ट्स) और नॉन-स्टेराइडल एंटि-इन्फ्लेमेटरी दवाएं जैसे कि आईबूप्रोफेन शामिल है। मगर ये दवाएं आमतौर पर गर्भावस्था में नहींं दी जाती हैं।

शिशु को कोई स्वास्थ्य समस्या है
हो सकता है आपका शिशु पर्याप्त मात्रा में पेशाब का उत्पादन नहीं कर रहा। इसका मतलब यह हो सकता है कि शिशु को गुर्दों या मूत्र प्रणाली से संबंधित कोई समस्या है, जो कि उसमें कोई गुणसूत्रीय असामान्यता होने का संकेत हो सकता है।

अगर आपके शिशु के साथ भी ऐसा हो, तो इस बारे में 18 से 20 सप्ताह की गर्भावस्था के बीच होने वाले एनॉमली स्कैन (अल्ट्रासाउंड लेवल II) में पता चल सकता है।

शिशु को स्वास्थ्य संबंधी समस्या होने का पता चलना हमेशा चिंताजनक होता है। आपको अच्छी से अच्छी देखभाल मिल सके, इसके लिए आपको डॉक्टरों की विशेषज्ञ टीम से मिलना होगा जो फीटल मेडिसिन के क्षेत्र के विशेषज्ञ हों। वे आपको ऐसे उपचार दे सकते हैं जो छोटे मेटरनिटी हॉस्पिटल या क्लिनिक पर उपलब्ध नहीं होते।

एक जैसे दिखने वाले जुड़वा शिशुओं में से एक के साथ समस्या
अगर, एक जैसे दिखने वाले (आइडेंटिकल ट्विन्स) एक ही अपरा से जुड़े हुए हैं, तो कई बार उनका एमनियोटिक द्रव का स्तर असंतुलित हो जाता है। ऐसा तब होता है जब एक की बजाय दूसरे को अपरा से ज्यादा खून मिले। ऐसे में अधिक खून वाले शिशु में अत्याधिक द्रव होगा और दूसरे शिशु में पर्याप्त द्रव नहीं होगा (ट्विन टू ट्विन ट्रांस्फ्यूजन सिंड्रोम)।

अगर आपके मामले में उपर्युक्त कोई भी स्वास्थ्य स्थिति नहीं है, तो आपके गर्भ में एमनियोटिक द्रव के कम होने की वजह बता पाना शायद संभव न हो। हम यह जानते हैं कि एमनियोटिक फ्लूइड के स्तर का घटना गर्मियों में अधिक आम है, इसलिए हो सकता है कि आपके शरीर में पानी की कमी हो। खूब सारा पानी पीने से द्रव के स्तर को बढ़ाने में मदद मिल सकती है। यहां और अधिक जानें कि गर्भावस्था में जलनियोजित रहने के लिए कौन से सेहतमंद पेय बेहतर हैं।

एमनियोटिक फ्लूइड कम होने से शिशु पर क्या असर पड़ता है?

यह इस बार पर निर्भर करता है कि फ्लूइड स्तर घटने की वजह क्या है, द्रव कितना कम है और आप अपनी गर्भावस्था के कौन से चरण में हैं।

एमनियोटिक द्रव का स्तर कम होने से शिशु के विकास में और उसके फेफड़ों के विकसित होने में समस्याएं आ सकती हैं।

यदि पहली तिमाही और दूसरी तिमाही की शुरुआत में एमनियोटिक द्रव का स्तर कम हो तो इससे गर्भपात होने की संभावना बढ़ जाती है।

अत्याधिक गंभीर मामलों में द्रव के स्तर में कमी 24 सप्ताह के बाद मृत शिशु के जन्म (स्टिलबर्थ) का कारण बन सकता है।

हालांकि, अधिकांश मामलों में एमनियोटिक द्रव में कमी तीसरी तिमाही में होती है। और इसकी वजह भी आमतौर पर पानी की थैली फटना होता है। थैली फट जाने पर डॉक्टर आपके द्रव के स्तर और शिशु की बढ़त पर पर नजदीकी निगरानी रखेंगी।

यदि आपके डॉक्टर को लगे, तो आपको जलनियोजित रखने के लिए आपको नस के जरिये (इंट्रावीनस) अतिरिक्त तरल लेने की जरुरत हो सकती है।

एमनियोटिक द्रव कम होने की वजह से प्रसव में जटिलताएं पैदा हो सकती हैं। उदाहरण के तौर पर, हो सकता है आपका शिशु सिर ऊपर और नितंब नीचे यानि की ब्रीच स्थिति में हो। उसे सिर नीचे वाली स्थिति में आने के लिए पर्याप्त स्थान नहीं मिल रहा हो।

अगर, आपकी पानी की थैली पहले फट गई है, तो इस बात की संभावना रहती है कि आपका प्रसव समय से पहले हो जाएगा। डॉक्टर समय से पहले प्रसव करने के जोखिम की तुलना शिशु के गर्भ में रहने से इनफेक्शन होने के जोखिम से करेंगी। इनफेक्शन का शिशु पर असर होने से बचाने के लिए आपको एंटिबायटिक दवाएं दी जा सकती हैं।

जब आपकी प्रसव पीड़ा शुरु हो जाती है, तो शिशु के तनाव या संकट में आने की संभावना रहती है। वह एमनियोटिक फ्लूइड में अपना पहला मल कर सकता है। यह काले रंग का पदार्थ होता है, जिसे मीकोनियम कहा जाता है। अगर शिशु सांस के जरिये मीकोनियम अंदर ले ले, तो जन्म के समय उसे सांस से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं।

एक अन्य संभावित समस्या यह हो सकती है कि जन्म के दौरान गलती से शिशु से गर्भनाल दब सकती है।

आपके शिशु पर ध्यानपूर्वक निगरानी रखी जाएगी कि वह ठीक-ठाक है या नहीं। यदि वह अत्याधिक संकट में लगे तो आपको सीजेरियन आॅपरेशन करवाना पड़ सकता है।

एमनियोटिक द्रव कम हो जाने पर मुझे अब क्या सवाधानी बरतनी चाहिए?

एमनियोटिक द्रव के कम होने का पता चलना चिंताजनक हो सकता है। आप गर्भावस्था की बाकी बची अवधि में परेशान सी रह सकती है, क्योंकि आपको अपने शिशु के स्वास्थ्य की चिंता है।

आप शिशु के लिए सबसे अच्छा यह कर सकती हैं कि आप खुद स्वस्थ रहने पर ध्यान दें। निम्नांकित बातों पर विशेष ध्यान दें:

  • अपने सभी डॉक्टरी चेकअप पर जाएं
  • जलनियोजित रहें
  • पौष्टिक व संतुलित आहार लें
  • जितना हो सके आराम करें

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  • गर्भावस्था के दौरान बेडरेस्ट (बिस्तर पर पूर्ण आराम)
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गर्भावस्था के 8 वें महीने में एमनियोटिक द्रव कितना होना चाहिए?

आमतौर पर डॉक्‍टर अल्‍ट्रासाउंड की मदद से एम्निओटिक फ्लूइड के लेवल का पता लगाते हैं। एम्निओटिक फ्लूइड की नॉर्मल वैल्‍यू 500 से 1000 मिली के बीच होनी चाहिए। अगर इससे ज्‍यादा हो, तो इसकी वजह से प्रेग्‍नेंसी में कुछ मुश्किलें आ सकती हैं।

34 सप्ताह में कितना एमनियोटिक द्रव होना चाहिए?

अब ब्लैडर पर दबाव पड़ने के कारण आपको बार-बार रेस्टरूम जाने की आवश्यकता पड़ सकती है। इस समय ऐम्नियॉटिक द्रव अपनी सबसे अधिकतम मात्रा में होता है, जो शिशु को बढ़ने की अनुमति देता है और उसकी गतिविधियों के लिए स्थान प्रदान करता है।

9 महीने में एमनियोटिक द्रव कितना होना चाहिए?

एमनियोटिक द्रव का सामान्य स्तर 5 से 25 सेंटीमीटर (amniotic fluid normal range) तक रहता है। वहीं, अगर इसका स्तर 5 सेंटीमीटर से हो जाए, तो यह लो एमनियोटिक द्रव की कटैगरी में आता है। वहीं, अगर गर्भ में एमनियोटिक द्रव का स्तर 25 सेंटीमीटर से ऊपर चला जाए, तो इस स्थिति को पॉलीहाइड्राम्निओस कहा जाता है।

36 हफ्ते में बच्चे का वजन कितना होना चाहिए?

36 सप्ताह की गर्भावस्था में भ्रूण विकास आपके शिशु का वजन अब करीब 2.6 किलोग्राम हो चुका है। उसकी लंबाई अब 47.4 सें. मी. (18.7 इंच) से थोड़ी ज्यादा है, जो कि एक बड़े रोमेन लैटस (सलाद के पत्ते) जितनी है।