किसी ठोस की द्रव में विलेयता पर तापमान का क्या प्रभाव पड़ता है?

Solution : आवश्यक सामग्री-दो बीकर, पानी, ठोस पदार्थ-शक्कर और नमकं, स्प्रिट लैंप, काँच की छड़, चम्मच <br> क्रियाकलाप-सर्वप्रथम दोनों बीकरों में 100-100 ml जल लेते हैं फिर एक बीकर में एक चम्मच शक्कर तथा दूसरे बीकर में एक चम्मच नमक डालते हैं। अब काँच की छड़ की सहायता से बीकर में शक्कर व नमक को मिलाते हैं। दोनों बीकरों में शक्कर व नमक तब तक डालते जाएँ जब तक उनका धुलना बंद न हो जाए। अब दोनों बींकरों को स्प्रिट लैंप की सहायता से गर्म करें। <br> अवलोकन - दोनों बीकरों को गर्म करते हुए पुनःविलेय ठोस पदार्थ (शक्कर व नमक) की कुछ मात्रा डालते रहने पर वह कुछ देर तक घुलता है और बाद में घुलना बंद हो जाता है। <br> निष्कर्ष - उपरोक्त क्रियाकलाप से स्पष्ट होता हैं कि ठोस पदार्थ की द्रव में विलेयता पर तापमान का प्रभाव पड़ता है और वह प्रभाव यह हैं कि तापमान बढ़ाने पर विलेयता एक निश्चित सीमा तक बढ़ती है बाद में विलंयन संतृप्त हो जाता है। <br> <img src="https://doubtnut-static.s.llnwi.net/static/physics_images/AKT_HIN_SCI_IX_C02_E01_046_S01.png" width="80%">

द्रव में ठोस की विलेयता पर तापमान का क्या प्रभाव पड़ता है?

यह विलेय एवं विलायक की प्रकृति तथा ताप एवं दाब पर निर्भर करती है। आइए हम इन कारकों के प्रभाव का अध्ययन ठोस अथवा गैस की द्रवों में विलेयता पर करें । जब एक ठोस विलेय, द्रव विलायक में डाला जाता है तो यह उसमें घुलने लगता है । यह प्रक्रिया विलीनीकरण (घुलना ) कहलाती है।

किसी पदार्थ की विलेयता की परिभाषा लिखिए विलेयता पर ताप और दाब का क्या प्रभाव पड़ता है?

Answer: एक निश्चित तापमान पर विलायक की एक ज्ञात मात्रा में घुलने वाली अधिकतम मात्रा इसकी घुलनशीलता है। एक ठोस की विलेयता बढ़ती तापमान के साथ आम तौर पर बढ़ जाती है। ग्लूकोज नाटकीय जैसे कई यौगिक बढ़ते तापमान के साथ इसकी घुलनशीलता बढ़ाते हैं।

विलेयता को प्रभावित करने वाले कारक कौन कौन से हैं?

गैसों की द्रवों में विलेयता को प्रभावित करने वाले कारक ताप का प्रभाव – साधारणतः गैस से द्रवों में विलेय होती हैं। अतः ताप बढ़ाने पर गैसों की द्रवों में विलेयता घट जाती है। दाब का प्रभाव – दाब बढ़ाने पर गैसों की द्रवों में विलेयता बढ़ती है। गैसों की द्रवों में विलेयता के प्रभाव को हेनरी नियम से स्पष्ट किया जा सकता है।