जन्तुओं में अनुकूलन
Show प्रत्येक जीव में उसके परिवेश के अनुरूप तालमेल स्थापित करने के लिए होने वाले परिवर्तन को अनुकूलन कहते हैं। जीवों में निम्नलिखित कारणों से अनुकूलन होता है--
जल में रहने वाले जन्तु जल में रहने वाले जन्तु जलीय जन्तु कहलाते हैं, जैसे - मछली, आक्टोपस, आदि मछली का शरीर नाव के आकार का होता है। इसके दोनों शिरे नुकीले और बीच वाला भाग चौड़ा होता है। इस तरह की आकृति को धारा-रेखित कहते हैं। धारा रेखित शरीर तैरने में सहायक होता है। मछली बार बार अपना मुंह खोलती और बंद करती है।क्यो ? मछली के मुह में जल प्रवेश करता है और गलफड़ों से बाहर निकल जाता है। जल में घुली हुई आक्सीजन को गलफडें सोख लेते हैं।इस तरह मछली श्वसन करती है। इसी तरह मेंढ़क तथा बत्तख के पैरों को देखें । उनके पैरों की अंगुलियों के बीच झिल्ली का पाद- जाल है । यह जाल इन्हें जल में तैरने में पतवार की तरह सहायता करता है। स्थल में रहने वाले
जन्तु मैदानी भाग में रहने वाले जन्तु शेर, हिरन, हाथी वन अथवा घास स्थल में रहता है ।शेर एक शक्तिशाली जन्तु है जो हिरन जैसे जानवरों का शिकार करता है । शेर का मट्मैला रंग उसे घास के मैदान में छिपने में मदद करता है। हिरन भी मैदानी क्षेत्र में रहने वाला जन्तु है। पौधों के कठोर तनों को चबाने के लिए उसके मजबूत दांत होते हैं। उसके लम्बे कान तथा सिर के बागल में स्थित आंखे उसे खतरों की जानकारी देती हैं। उसकी तेज गति उसे शिकारी से दूर भागने में मदद करती है।
नीचे दिए गए चित्र में कुछ जन्तु एवं उनके पैरों के चित्र दिए गए हैं।ध्यान से तथा उनकी तुलना ऊंट के पैरों से करिए । आप क्या अन्तर देखते हैं? ऊंट के कूबड में भोजन चर्वी (वसा) के रूप में संचित रहता है। भोजन न मिलने पर ऊंट इसी कूबड़ में संचित वसा का उपयोग करता है। ऊंट रेगिस्तान में कई दिनों तक बिना पानी के भी जीवित रह सकता है।यह अपने आमाशय में स्थित विशेष थैलियों में पानी संचित कर लेता है। ऊंट को रेगिस्तान का जहाज क्यो कहा जाता है? रेगिस्तान में ऊंट सामान पहुंचाने तथा यातायात के साधन के रूप में बहुत उपयोगी होते हैं ऊंट के पैर लम्बे तथा गद्दीदार होते हैं।इसक इ पैरों के लक्षण उसे मरूस्थल की रेतीली भूमि पर चलने अथवा दौड़ने में सहायता करते हैं, इस लिए ऊंट को रेगिस्तान का जहाज कहते हैं। पर्वतीय क्षेत्र में पाये जाने वाले जन्तु पर्वतीय क्षेत्र में सामान्यतः बहुत ठण्ड पड़ती है। सर्दियों में तो बर्फ भी गिरती है।पर्वतीय क्षेत्रों में कुछ विशिष्ट जन्तु जैसे याक, भेड़, पहाड़ी बकरी, तथा भालू आदि पाते जाते हैं।यह जन्तु वहां के ठण्डें वातावरण में रहने के लिए उनके शरीर की त्वचा बहुत मोटी होती है। मोटी त्वचा के नीचे वसा की परत और त्वचा के ऊपर घने एवं लम्बे बाल पाये जाते हैं। लम्बे बाल इन्हें अत्यधिक सर्दी में ठंड से बचाते हैं।
नोट- पौधों में अनुकूलन क्या आप जानते हैं
वह स्थान विशेष जिसमें कोई पौधा उगता है व वृद्धि करता है, उसका वास स्थान कहलाता है। अलग-अलग स्थानों में उगने वाले पौधों की रचना भी एक दूसरे से भिन्न होती है। अपने वास स्थान के अनुसार पौधें अपने विभिन्न भागों जड़ ,तना व पत्ती की संरचना में परिवर्तन कर लेते हैं। इसे ही अनुकूलन कहते हैं। ऐसे पौधों की विशेषताएं- जलीय पौधे- चित्र में बने कमल , कुमुदिनी व जलकुंभी के पौधे हैं। जो तालाब में पाये जाते हैं। इनके तने लम्बे, पतले, मुलायम व हल्के हैं।
जल में रहने वाले पौधे और जंतु क्या कहलाते हैं?आवास कहते हैं। ग. वे आवास जिनमें जल में रहने वाले पौधे एवं जंतु रहते हैं....................... आवास कहलाते हैं।
आवास क्या है उनके प्रकार लिखिए?आवास तीन प्रकार का होता है - <br> 1. स्थलीय आवास-जैसे-वन, घास के मैदान, मरुस्थल, तटीय व पर्वतीय क्षेत्र। <br> 2. जलीय आवास जैसे-जलाशय, तालाब, झीलें, नदियाँ, समुद्र व दलदल आदि।
जलीय आवास से आप क्या समझते हैं?जलीय आवास (Aquatic Habitat) -:
ऐसा आवास, जिसमें मछली और अन्य जलीय जीव जंतु (जल में रहने वाले जीव) निवास करते हैं, उसे जलीय आवास कहते हैं। जलीय आवास के अंतर्गत झीलें, पानी के स्रोत, तालाब, समुंद्र और नदिया इत्यादि आते हैं। जलीय आवास में मछली और अन्य प्रकार के जल मे रहने वाले जीव जंतु निवास करते हैं।
आवास क्या है मरुस्थल और जलीय जीवों के दो दो उदाहरण दीजिए?इन दोनों क्षेत्रों में किस प्रकार का परिवेश है। समुद्र में जंतु तथा पौधे लवणीय जल (खारे पानी ) में रहते हैं तथा श्वसन के लिए जल में विलेय वायु (ऑक्सीजन) का उपयोग करते हैं। सारणी 9.1 : विभिन्न परिवेश में पाए जाने वाले जंतु, पौधे एवं अन्य वस्तुएँ वन में पर्वतीय क्षेत्र में मरुस्थल में समुद्र में अन्य स्थान?
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