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वेद क्या है समझाइए?इसे सुनेंरोकेंवेद, प्राचीन भारत के पवित्र साहित्य हैं जो हिन्दुओं के प्राचीनतम और आधारभूत धर्मग्रन्थ भी हैं। ‘वेद’ शब्द संस्कृत भाषा के विद् ज्ञाने धातु से बना है। इस तरह वेद का शाब्दिक अर्थ ‘ज्ञान’ है। इसी धातु से ‘विदित’ (जाना हुआ), ‘विद्या’ (ज्ञान), ‘विद्वान’ (ज्ञानी) जैसे शब्द आए हैं। वेदों की रचना कब प्रारम्भ हुई थी?इसे सुनेंरोकेंप्रोफेसर विंटरनिट्ज मानते हैं कि वैदिक साहित्य का रचनाकाल 2000-2500 ईसा पूर्व हुआ था। दरअसल वेदों की रचना किसी एक काल में नहीं हुई। विद्वानों ने वेदों के रचनाकाल की शुरुआत 4500 ई. पू. सबसे पहले कौन सा वेद पढ़ना चाहिए?अथर्ववेद की भाषा और स्वरूप के आधार पर ऐसा माना जाता है कि इस वेद की रचना सबसे बाद में हुई । वेद में क्या लिखा है? इसे सुनेंरोकेंवेद पुरातन ज्ञान विज्ञान का अथाह भंडार है। इसमें मानव की हर समस्या का समाधान है। वेदों में ब्रह्म (ईश्वर), देवता, ब्रह्मांड, ज्योतिष, गणित, रसायन, औषधि, प्रकृति, खगोल, भूगोल, धार्मिक नियम, इतिहास, रीति-रिवाज आदि लगभग सभी विषयों से संबंधित ज्ञान भरा पड़ा है। वेदों से क्या सीख मिलती है? इसे सुनेंरोकेंउच्चाटन, वशीकरण, विवाद व मतभेद शामक, मारण एवं मोहन मंत्र भी इस वेद की विषय सामग्री में सम्मिलित हैं। इन मंत्रों के अध्ययन से उस समय की परिस्थितियों, परेशानियों, विकृतियों, मानसिक विकारों और विद्वेषों का सहज पता चल जाता है और सामाजिक जीवन व चिंतन की झलक मिलती है। वेदों की रचना कब और कहां हुई?इसे सुनेंरोकेंप्रोफेसर विंटरनिट्ज मानते हैं कि वैदिक साहित्य का रचनाकाल 2000-2500 ईसा पूर्व हुआ था। दरअसल वेदों की रचना किसी एक काल में नहीं हुई। विद्वानों ने वेदों के रचनाकाल की शुरुआत 4500 ई. अथर्ववेद की भाषा और स्वरूप के आधार पर ऐसा माना जाता है कि इस वेद की रचना सबसे बाद में हुई । इसे सुनेंरोकेंभारतीय संस्कृति में वेद सनातन वर्णाश्रम धर्म के, मूल और सबसे प्राचीन ग्रन्थ हैं। ‘वेद’ शब्द संस्कृत भाषा के विद् ज्ञाने धातु से बना है। इस तरह वेद का शाब्दिक अर्थ ‘ज्ञान’ है। इसी धातु से ‘विदित’ (जाना हुआ), ‘विद्या’ (ज्ञान), ‘विद्वान’ (ज्ञानी) जैसे शब्द आए हैं। वेद और ग्रंथ में क्या अंतर है?इसे सुनेंरोकेंवेद हिन्दुओं के एकमात्र ग्रंथ हैं, जिन्हें श्रुति कहा गया है और पुराण हिन्दुओं के प्राचीन काल का इतिहास है, जिन्हें स्मृति ग्रंथ कहा गया है। पुराणों में संशोधन हो सकता है लेकिन वेदों में नहीं। वेद कौन पढ़ सकता है?इसे सुनेंरोकेंस्वामी दयानंद ने वेदों का अनुशीलन करते हुए पाया कि वेद सभी मनुष्यों और सभी वर्णों के लोगों के लिए वेद पढ़ने के अधिकार का समर्थन करते हैं। स्वामीजी के काल में शूद्रों का जो वेद अध्ययन का निषेध था उसके विपरीत वेदों में स्पष्ट रूप से पाया गया कि शूद्रों को वेद अध्ययन का अधिकार स्वयं वेद ही देते हैं। वेदों में क्या लिखा होता है? इसे सुनेंरोकेंवेदों में ब्रह्म (ईश्वर), देवता, ब्रह्मांड, ज्योतिष, गणित, रसायन, औषधि, प्रकृति, खगोल, भूगोल, धार्मिक नियम, इतिहास, रीति-रिवाज आदि लगभग सभी विषयों से संबंधित ज्ञान भरा पड़ा है। शतपथ ब्राह्मण के श्लोक के अनुसार अग्नि, वायु, आदित्य और अंगिरा ने तपस्या की और ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद को प्राप्त किया। ऋग्वेद में क्या लिखा गया है? इसे सुनेंरोकेंऋग्वेद की ऋचाओं में देवताओं की प्रार्थना, स्तुतियां और देवलोक में उनकी स्थिति का वर्णन है। इसमें जल चिकित्सा, वायु चिकित्सा, सौर चिकित्सा, मानस चिकित्सा और हवन द्वारा चिकित्सा का आदि की भी जानकारी मिलती है। ऋग्वेद में च्यवनऋषि को पुनः युवा करने की कथा भी मिलती है। जैसा की हम सभी जानते है कि वेदों का हमारे हिन्दू सनातन धर्म में बहुत ही महत्व है ।हिन्दू धर्म में चार वेद है यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद और ऋग्वेद जिसमे सबसे प्राचीनतम वेद ग्रंथ यजुर्वेद है यजुर्वेद वेद में ही गायत्री मंत्र के शब्दों का उल्लेख मिलता है। आज हम आपको बताएंगे को वेदों की उत्पत्ति कैसे हुई और सृष्टि में इनकी रचना कैसे हुई तथा आखिर किसमे इतना ज्ञान था जिसने वेदों की रचना की। वेदों की उत्पत्ति ब्रह्मा जी के द्वारा हुई क्योंकि वेदों का ज्ञान देवो के देव महादेव ने ब्रह्माजी को दिया था और ब्रह्माजी ने यह ज्ञान चार ऋषि को दिया था जिन्होंने वेदों की रचना की। ये ऋषि ब्रह्माजी का ही अंश उनके पुत्र थे इनका नाम अग्नि, वायु, आदित्य और अंगिरा था। इन चार ऋषियों ने तपस्या कर वेदों का ज्ञान प्राप्त किया था और इन चार ऋषियों का जिक्र शतपथ ब्राह्मण और मनुस्मृति में भी मिलता है। शतपथ ब्राह्मण और मनुस्मृति में बताया गया है कि अग्नि, वायु और आदित्य ने क्रमशः यजुर्वेद, सामवेद और ऋग्वेद ने किया जबकि अथर्ववेद का समबन्ध अंगिरा से है अथर्ववेद की रचना अंगिरा ने की। कहा जाता हैं कि मनुशोक धरती पर आने से पहले इन वेदों की रचना हो चुकी थी लेकिन कुछ मतो का मानना है कि ये चारो वेद एक ही थे लेकिन वेदव्यास ने इसी एक वेद से से चारो वेदों की रचना की लेकिन ये बात सत्य नहीं है क्योकि मस्तस्य पुराण में बताया गया है कि ये चार वेद शुरुवात से ही अलग थे इन वेदों के साथ चारो ऋषियों का नाम भी जुड़ा हुआ है। वेदव्यास का वेदों में क्या योगदान था और आखिर कैसे उनका नाम कृष्णद्वैपायन व्यास से वेदव्यास पड़ा।पौराणिक कथाओं में यह बताया गया है की एक समय के लिए सौ साल का अकाल आ गया था जिसमें बहुत से ग्रंथ असंगठित हो गए थे तब वेदव्यास ने दुबारा इन वेदों और पुराणों को एक साथ संगठित किया था जब वेदव्यास इन वेदों को संगठित कर रहे थे तो उन्होंने इनको आसान बनाने के लिए भागो में बांट दिया जैसे कविता संविता और मंडल में बांट दिया था वेदव्यास वेदों को संगठित करने वाले है ना कि इनकी रचना करने वाले वेदों कि रचना तो ब्रह्मा के चार पुत्रो द्वारा हुई थी। चार वेदों में क्या – क्या दिया हुआ है?
वेदों में इतना अधिक ज्ञान भरा हुए है कि जो रचनाए वेदों के कई सालो बाद हुई उसका जिक्र भी हमारे सनातन धर्म के वेदों में पहले से ही था। Post Views: 7,788 वेदों की रचना की शुरुआत कब हुई थी?इस कारण से वेदों की रचना का समय १८००-१००० ईसा पूर्व माना जाता है जो संस्कृत साहित्य और हिन्दू सिद्धांतों पर खरा नहीं उतरता। लेकिन आर्य जातियों के प्रयाण के सिद्धांत के तहत और भाषागत दृष्टि से यही काल इन ग्रंथों की रचना का मान लिया जाता है।
वेद किसने लिखा और कब?चार वेद के नाम – char vedo ke nam – वेद भारत के सबसे प्राचीन धर्म ग्रंथ है। इसका संकलन महर्षि कृष्ण व्यास द्वैपाजन जी ने किया था। वेद का अर्थ है – ज्ञान ( knowledge ) ।
ककस वेद की रचना सबसे पहले हुई थी और कब हुई थी?सबसे पहले किस वेद की रचना हुई थी? सर्वप्रथम ऋग्वेद की रचना हुई। इसमें ईश्वर की स्तुति, देवताओं का वर्णन तथा ज्ञान की बातें हैं।
सबसे प्राचीन वेद कौन सा है?सही उत्तर ऋगवेद है। चार आंग्ल-आर्यन वेदों में सबसे पुराना वेद ऋग्वेद है। ऋग्वेद वैदिक संस्कृत भजनों का एक प्राचीन भारतीय संग्रह है। यह संस्कृत में रचित एक धार्मिक ग्रंथ है, जिसकी उत्पत्ति प्राचीन भारत (1800-1100 ईसा पूर्व) में हुई थी।
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