कर चले हम फिदा से आपको क्या प्रेरणा मिलती है? - kar chale ham phida se aapako kya prerana milatee hai?

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. ‘कर चले हम फ़िदा’ कविता में धरती को दुल्हन क्यों कहा गया है ?
उत्तर:
सैनिकों के रक्त से रंगी धरती लाल जोड़े में सजी दुल्हन की भाँति दिखाई दे रही है।

प्रश्न 2. ‘कर चले हम फ़िदा’ कविता में कवि ने ‘साथियो’ संबोधन किसके लिए किया है और क्यों ?
उत्तर: 
देशवासियों के लिए किया है।
देश की रक्षा के लिए सैनिकों का कारवाँ सदा आगे बढ़ाने की प्रेरणा देने के लिए।
व्याख्यात्मक हल:
कविता में कवि ने साथियो संबोधन देशवासियों के लिए किया है क्योंकि वे देश की रक्षा के लिए सैनिकों का कारवाँ सदा आगे बढ़ाने की प्रेरणा दे रहे हैं।

प्रश्न 3. ‘सर हिमालय का हमने न झुकने दिया’ इस पंक्ति में हिमालय किस बात का प्रतीक है?
उत्तर:
इस पंक्ति में हिमालय सुरक्षा प्रहरी के रूप में भारतवर्ष की शान, स्वाभिमान तथा गर्व का प्रतीक है।

प्रश्न 4. ‘कर चले हम फ़िदा’ कविता में धरती को दुल्हन क्यों कहा गया है ?
उत्तर:
सैनिकों के रक्त से रँगी धरती लाल जोड़े में सजी दुल्हन की भाँति दिखाई दे रही है।

प्रश्न 5. इस गीत में ‘सर पर कफ़न बाँधना’ किस ओर संकेत करता है।
उत्तर:
इस गीत में ‘सर पर कफ़न बाँधना’ भारतीय वीर सैनिकों की बलिदान भावना की ओर संकेत करता है।

प्रश्न 6. ‘कर चले हम फ़िदा’ गीत की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि क्या है?
उत्तर:
भारत-चीन युद्ध
व्याख्यात्मक हल:
‘कर चले हम फ़िदा’ गीत की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि 1962 का भारत-चीन युद्ध है।

लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. कवि ने ‘साथियो’ सम्बोधन का प्रयोग किसके लिए किया है ?
उत्तर:
कवि ने चीन के युद्ध में सीमाओं पर लड़ने वाले सैनिकों द्वारा साथियों शब्द भारत वर्ष के देशवासियों (युवा पीढ़ी) के लिए सम्बोधन के रूप में प्रयोग किया है।

प्रश्न 2. ‘कर चले हम फ़िदा’ गीत में कवि ने वीरों के प्राण छोड़ते समय का मार्मिक वर्णन किस प्रकार किया है? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
प्राण छोड़ते समय वीर सैनिकों की साँसें थम रही थीं, नब्ज रुक रही थी लेकिन कदम बढ़ रहे थे। वे अपना सिर कटाकर भी देश का सिर ऊँचा रखना चाहते थे।
(छात्रों द्वारा दिया गया उपयुक्त वर्णन स्वीकार्य)
व्याख्यात्मक हल:
‘कर चले हम फ़िदा’ गीत में कवि ने वीरों के प्राण छोड़ते समय वीर सैनिकों की साँसे थम रही थीं, नब्ज़ रूक रही थी, लेकिन ऐसी स्थिति में वे अपने बढ़ते हुए कदमों को रुकने नहीं दे रहे थे। वे अपना सिर कटाकर भी देश के मुकुट ‘हिमालय’ को झुकने नहीं देना चाहते। वे इस देश की रक्षा, स्वाभिमान की सुरक्षा करेंगे।

प्रश्न 3. ‘सर हिमालय का हमने न झुकने दिया’, इस पंक्ति में हिमालय किसका प्रतीक है और इससे कवि क्या कहना चाहता है ?
उत्तर:
‘सर हिमालय का हमने न झुकने दिया’ इस पंक्ति में बताया गया है कि हिमालय पर्वत हमारा सुरक्षा प्रहरी है तथा स्वाभिमान, गर्व और भारतवर्ष की शान का प्रतीक है। कवि का आग्रह है कि हमारा सिर कट जाए परन्तु हम देश के मुकुट ष्हिमालयष् का सिर झुकने नहीं देंगे। हम बलिदान के लिए तैयार हैं और हमें अपने साथियों एवं भावी पीढ़ी पर गर्व है कि वे हमारे देश की रक्षा एवं स्वाभिमान की सुरक्षा करते रहेंगे।

प्रश्न 4. इस गीत में धरती को दुल्हन क्यों कहा गया है ?
उत्तर:
इस गीत में धरती को दुल्हन इसलिए कहा गया है, क्योंकि धरती हमारी मातृ भूमि है और इसका प्राकृतिक स्वरूप एक दुल्हन के शृंगार की तरह है। जिस प्रकार दूल्हा, दुल्हन से विवाह करने के लिए जाता है, वैसे ही हमारे सैनिक भारत की भूमि की रक्षा हेतु बलिदान के मार्ग पर सर पर कफन बाँधकर जाते हैं। ऐसा लगता है कि वे दुल्हन से विवाह करने जा रहे हैं।

प्रश्न 5. कवि ने इस कविता में किस कापि़ळले को आगे बढ़ते रहने की बात कही है ?
उत्तर: 
कवि ने इस कविता में बलिदान के मार्ग पर आगे बढ़ने वाले वीरों, सैनिकों एवं युवकों के कापि़ळले को आगे बढ़ाते रहने की बात कही है।

प्रश्न 6. इस गीत में ‘सर पर कफ़न बाँधना’ किस ओर संकेत करता है ? यह कहकर कवि देश के सेवकों से क्या आशा करता है ?
उत्तर
: इस गीत में ष्सर पर कफ़न बाँधनाष् भारतीय वीर सैनिकों की बलिदान भावना की ओर संकेत करता है। वे मर-मिटने की भावना से विदेशी आक्रमण का मुकाबला करते हैं। कवि देश के युवकों से आशा करता है कि वे देश की सुरक्षा के लिए बलिदान देने को सदा तत्पर रहेंगे।

प्रश्न 7. सीतारूपी भारत माता की रक्षा के लिए कवि देश के युवाओं से क्या अपेक्षाएँ रखता है और क्यों ?
उत्तर:
कवि सीतारूपी भारतमाता की रक्षा के लिए देश के युवाओं से राम और लक्ष्मण बन रावण-समान शत्रुओं का नाश करने को कहता है। अर्थात् वह भारत की पवित्रता को कलंकित करने को उठे हाथों को जड़ से मिटाने को कहता है।

प्रश्न 8. क्या इस गीत की कोई ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है ?
अथवा
यह गीत किस पृष्ठभूमि में लिखा गया था? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
यह गीत ‘हकीकत’ फिल्म के लिए लिखा गया था। यह फिल्म 1962 ई. में हुए भारत-चीन युद्ध की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर आधारित है। चीन ने तिब्बत की ओर से भारत पर आक्रमण किया। उस युद्ध में भारतीय वीरों ने बहुत कठिन परिस्थितियों में आक्रमण का मुकाबला किया तथा अपने को बलिदान कर दिया।

प्रश्न 9. सैनिक का जीवन कैसा होता है? ‘कर चले हम फ़िदा’ गीत के आधार पर बताइए।
उत्तर: 
सैनिक का जीवन साधारण लोगों के जीवन के विपरीत होता है। वह अपने लिए ही नहीं जीता, औरों के जीवन पर, जब उनकी आज़ादी पर आ बनती है तब मुकाबले के लिए अपना सीना तान कर खड़ा हो जाता है। यह जानते हुए भी कि उस मुकाबले में औरों की ज़िंदगी और आज़ादी भले ही बची रहे, उसकी अपनी मौत की संभावना सबसे अधिक होती है।

प्रश्न 10. गीत में ऐसी क्या खास बात होती है कि वे जीवन भर याद रह जाते हैं?
उत्तर: 
गीत में भावना की सच्चाई, मार्मिकता और गेयता ऐसे गुण होते हैं जिनके कारण कोई भी गीत सदा-सदा के लिए याद रहता है। यह गीत भी बलिदान भावना की मार्मिकता से ओत-प्रोत है। इसमें लय और संगीत का भी अद्भुत मेल है। इस कारण यह गीत भुलाए नहीं भूलता।

प्रश्न 11. ‘कर चले हम फ़िदा’ कविता से आपको क्या प्रेरणा मिलती है ?
उत्तर:
इस गीत को पढ़कर हमें देशहित, बलिदान और संघर्ष करने की प्रेरणा मिलती है। जब देश पर कोई विदेशी आक्रमणकारी चढ़ आया हो, तब हमें जी जान लगाकर देश की रक्षा करनी चाहिए। युद्ध में चाहे कितने भी संकट आएँ, मौत सामने आ जाए, तो भी हमें बलिदान देने से पीछे नहीं हटना चाहिए। हमें एक के बाद एक बलिदानी काफिले तैयार करने हैं ताकि आखिरी दम तक हम देश की रक्षा में काम आ सकें।

प्रश्न 12. निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) साँस थमती गई नब्ज जमती गई
फिर भी बढ़ते कदम को न रुकने दिया।
(ख) खींच दो अपने खूँ से जमीं पर लकीर
इस तरफ आने पाए न रावण कोई।
(ग) छूने पाए न सीता का दामन कोई
राम भी तुम, तुम्हीं लक्ष्मण साथियो। 

उत्तर: (क) भाव-बलिदान की राह पर अपने प्राणों का बलिदान करने के लिए तत्पर सैनिक कह रहा है, उसकी साँसें थम गई हैं, नब्ज जम गयी है, लेकिन वह अपने बढ़ते हुए कदमों को निरन्तर आगे बढ़ाते हुए शत्रु सैनिकों का सामना कर रहा है।
(ख) भाव-सैनिक बलिदान के मार्ग पर अपने प्राणों का त्याग करते हुए अपने साथियों से कह रहा है, तुम अपने रक्त से जमीन पर एक लकीर खींच दो जो सीमा रेखा के रूप में हो, तुम्हारे भय से सीमा पार देश से कोई शत्रु रूपी रावण यहाँ प्रवेश न कर सके।
(ग) भाव- इस पंक्ति में कवि सैनिक के द्वारा हमें सम्बोधित करते हुए कह रहा है, हे साथियो! शत्रु देश का कोई भी सैनिक हमारी मातृभूमि में प्रवेश करके हमारी सीता रूपी भारतमाता को अपमानित न कर सके। तुम ही राम हो, तुम ही लक्ष्मण हो।

कर चले हम फिदा पाठ से आपको क्या क्या प्रेरणा मिलती है?

'कर चले हम फ़िदा' कविता से आपको क्या प्रेरणा मिलती है ? उत्तर: इस गीत को पढ़कर हमें देशहित, बलिदान और संघर्ष करने की प्रेरणा मिलती है। जब देश पर कोई विदेशी आक्रमणकारी चढ़ आया हो, तब हमें जी जान लगाकर देश की रक्षा करनी चाहिए।

कर चले हम फिदा कविता के द्वारा कवि हमें क्या संदेश देता है?

कर चले हम फिदा' गीत कैफ़ी आज़मी द्वारा रचित है। यह कविता हमें यह संदेश देती है सैनिक अपना आखरी संदेश दे रहें है, कि वो जवान जो अपनी जान की परवा ना करते हुए अपने देश की रक्षा के लिए अपनी जान से दी और अपने भारत देश की रक्षा करते करते हुए शहीद हो गए है ,उनके बाद इस देश की रक्षा करने की जिम्मेदारी अब तुम्हारें कंधों पर है।

कर चले हम फिदा शीर्षक कविता में किन के बारे में और क्या बताया गया है?

'कर चले हम फ़िदा' कविता में भारतीय सैनिकों के साहस एवं वीरता की गाथा है। इन सैनिकों ने अत्यंत विपरीत परिस्थितियों में चीनी सैनिकों का मुंहतोड़ जवाब दिया और उन्हें रोकते हुए आगे ही आगे कदम बढ़ाते-बढ़ाते गए। देश की रक्षा करते हुए उन्होंने अपनी जान की परवाह नहीं की और कुरबान हो गए।

कर चले हम फ़िदा कविता में बाँकपन से क्या अभिनय है जान देने की रुत रोज आती नहीं के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है?

कवि ने इस कविता में देश के लिए न्योछावर होने वाले अर्थात् देश के मान-सम्मान व रक्षा की खातिर अपने सुखों को त्याग कर, मर मिटने वाले बलिदानियों के काफिले को आगे बढ़ते रहने की बात कही है।