Show Solution : (i) उपनिवेशों में आधुनिक राष्ट्रवाद के उदय की परिघटना उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन के साथ गहरे तौर पर जुड़ी हुई थी। भारत में भी आधुनिक राष्ट्रवाद एवं सामूहिक अपनेपन के भाव का उदय इसी कारण हुआ। <br> (ii) औपनिवेशिक शासकों के खिलाफ संघर्ष के दौरान लोगों में आपसी एकता की भावना का संवार हुआ सभी जाति, वर्ग और संप्रदायों के लोग विदेशी सत्ता के विरुद्ध संघर्ष के लिए एकजुट हुए। <br> (iii) उत्पीड़न और दमन के साझा भाव ने विभिन्न समूहों को एक-दूसरे से बाँध दिया था। इस प्रकार औपनिवेशिक शासन के खिलाफ लोग एक हुए तथा उनमें राष्ट्रवाद के आदर्श का बोध जागृत हुआ। <br> (iv) इसेन स्थानीय लोगों में राष्ट्रवादी ओर उदारवादी विचारों के आदान-प्रदान के लिए एक अचछा प्लेटफार्म प्रदान किया। राष्ट्रवादी भावना के जागरण से उपनिवेशों में किसी अन्य राष्ट्र की पराधीनता के विरुद्ध आन्दोलन की पृष्ठभूमि तैयार हुई। इस प्रकार, उपनिवेश विरोधी आन्दोलन सभी उपनिवेशों में राष्ट्रवाद के विकास के लिए प्रजनन भूमि बना। उपनिवेशों में राष्ट्रवाद का विकास उपनिवेश विरोधी आंदोलन से क्यों जुड़ा हुआ है?उपनिवेशों में राष्ट्रवाद के उदय की प्रक्रिया निश्चित रूप से उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन से जुड़ी हुई थी। औपनिवेशिक शासकों के विरुद्ध संघर्ष के दौरान लोग आपसी एकता को पहचानने लगे थे। उनका समान रूप से उत्पीड़न और दमन हुआ था। इस साझा अनुभव ने उन्हें एकता के सूत्र में बाँध दिया।
भारत में राष्ट्रवाद उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन से कैसे विकसित हुआ?2. भारत में राष्ट्रवाद उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन से कैसे विकसित हुआ ? उत्तर ⇒ हिंद – चीन के समान भारत में भी राष्ट्रवाद का उदय और विकास औपनिवेशिक शासन के प्रतिक्रिया स्वरूप हुआ। 19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध से अंग्रेजी राज की प्रशासनिक, आर्थिक और अन्य नीतियों के विरुद्ध असंतोष की भावना बलवती होने लगी।
उपनिवेशवाद और राष्ट्रवाद का विकास कैसे हुआ?ईसाई-धर्म-प्रचारक भी धर्म प्रचार हेतु नये खोजे हुए देशों में जाने लगे। इस प्रकार अपने व्यापारिक हितों को साधने एवं धर्म प्रचार आदि के लिए यूरोपीय देश उपनिवेशों की स्थापना की ओर अग्रसर हुए और इस प्रकार यूरोप में उपनिवेश का आरंभ हुआ। उपनिवेशवाद का इतिहास साम्राज्यवाद के इतिहास के साथ अनिवार्य रूप से जुड़ा हुआ है।
भारत में उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन की प्रकृति क्या है चर्चा कीजिए?भारत में, उपनिवेश-विरोधी आंदोलन की वृद्धि ने एकता को जन्म दिया। साम्राज्यवाद के खिलाफ संघर्ष की प्रक्रिया के दौरान उपनिवेशवाद ने लोगों की स्वतंत्रता और राष्ट्रवादी भावनाओं को प्रभावित किया। दमन और शोषण की भावना विभिन्न समूहों के लोगों के लिए एक आम बंधन बन गई जिसके परिणामस्वरूप राष्ट्रवादी आदर्शों की वृद्धि हुई।
|