कन्याकुमारी में पूर्णिमा के दिन शाम को एक ही समय में हम चंद्रोदय और सूर्यास्त देख सकते हैं। - kanyaakumaaree mein poornima ke din shaam ko ek hee samay mein ham chandroday aur sooryaast dekh sakate hain.

kanyakumari beach, kanyakumari history, kanyakumari hotels, kanyakumari sunrise, kanyakumari sunset, kanyakumari temple, kanyakumari tour, kanyakumari tourism, kanyakumari trip, kanyakumari video

WhatsappShare Messenger Tweet reddit Print Email

 

Kanyakumari Ki Yatra in Hindi

Key Highlights

  • Kanyakumari Ki Yatra in Hindi
  • Tourist Places in Kanyakumari in Hindi
  • Kanyakumari Tourist Places
  • कन्याकुमारी में सबसे ज्यादा क्या प्रसिद्ध है?
  • कन्याकुमारी कैसे पहुँचे
  • कन्याकुमारी जाने का उचित समय
  • कन्याकुमारी में कहाँ ठहरें ?
  • विवेकानंद केंद्र रूम
  • कन्याकुमारी की पौराणिक कथा
  • कन्याकुमारी माता मंदिर दर्शन
  • भद्रकाली मंदिर (शर्वाणी देवी)
  • कन्याकुमारी के सूर्योदय का विहंगम द्रश्य
  • प्रकृति का श्रृंगार कन्याकुमारी का सूर्यास्त
  • विवेकानन्द स्मारक शिला (विवेकानंद रॉक मेमोरियल)
  • तिरुवल्लुवर प्रतिमा (Thiruvalluvar Statue)
  • तीन समुद्रों का संगम – कन्याकुमारी बीच
  • गाँधी मंडप
  • सुचिन्द्रम
  • पद्मनाभपुरम महल
  • नागराज मंदिर
  • उदयगिरी किला
  • कोरटालम झरना
  • ओलकरुवी झरना
  • सुनामी स्मारक
  • रामेश्वरम, तिरुपति, कन्याकुमारी, मदुरई और तिरुवनंतपुरम की यात्रा एक साथ कैसे करे?

Tourist Places in Kanyakumari in Hindi

Kanyakumari Tourist Places

 

कन्याकुमारी में सबसे ज्यादा क्या प्रसिद्ध है?

भारत के अंतिम छोर में बसा कन्याकुमारी तमिलनाडु राज्य के दक्षिण में स्थित है। कन्याकुमारी में घूमने के लिए बहुत सारे स्थल हैं, यहाँ पर यह हिन्द महासागर, बंगाल की खाड़ी और अरब सागर का संगम होता है, यहाँ के समुद्री तटों के मनोरम द्रश्य भारत और विदेशों के पर्यटकों को आकर्षित करते है। भारत का कन्याकुमारी शहर खूबसूरत शहर पुराने समय से ही कला, संस्कृति और सभ्यता का प्रतीक रहा है। भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में इसका विशेष महत्व है। समुद्र के किनारे दूर दूर तक फैले समुद्री बीच, रंग बिरंगी रेत, सूर्योदय और सूर्यास्त के मनमोहक नज़ारे आपकी यात्रा को लुभावना बना देते है।

 

कन्याकुमारी कैसे पहुँचे

वायुमार्ग से कन्याकुमारी कैसे पहुंचे ?

कन्याकुमारी पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा त्रिवेंद्रम इंटरनेशनल एयरपोर्ट और डोमेस्टिक तूतीकोरिन एयरपोर्ट है। यह दोनों एयरपोर्ट कन्याकुमारी से लगभग 89 और 82  किमी की दूरी पर स्थित हैं। आप एयरपोर्ट के बाहर से बसों, कैब और किराए की टैक्सियों से कन्याकुमारी पहुँच सकते है।

ट्रेन द्वारा कन्याकुमारी कैसे पहुँचे ?

कन्याकुमारी पहुचने के लिए रेलवे सबसे अच्छा साधन है। कन्याकुमारी के लिए आपको भारत के सभी प्रमुख शहरों से बड़ी संख्या में ट्रेनें मिल सकती हैं। कन्याकुमारी एक्सप्रेस, हिमसागर एक्सप्रेस, कन्याकुमारी हावड़ा एक्सप्रेस, तिरुकुरल एक्सप्रेस, बैंगलोर एक्सप्रेस और लक्ष्यद्वीप एक्सप्रेस और कई अन्य कुछ ट्रेनें हैं जिनसे आप कन्याकुमारी आ जा सकते हैं।

सड़क मार्ग से कन्याकुमारी कैसे पहुंचे ?

कन्याकुमारी के लिए सरकारी और निजी बस सेवाओं का बड़ा नेटवर्क है, जो कन्याकुमारी को देश के कई हिस्सों से जोड़ कर रखता है। केरल और तमिलनाडु रोडवेज की कई एसी और नॉन एसी बस कन्याकुमारी के किये चलती है। कन्याकुमारी से तिरुवनंतपुरम, मदुरै, कोच्चि और तिरुचिरापल्ली जैसे शहर कन्याकुमारी से क्रमशः 80.8 KM, 215.6 KM, 254.9 KM और 327.9 KM की दूरी पर स्थित हैं। जिनसे आप बस या टैक्सी के माध्यम से कन्याकुमारी का सफ़र कर सकते है।

 

कन्याकुमारी जाने का उचित समय

कन्याकुमारी में ज्यादातर गर्मी पड़ती है। कन्याकुमारी का मुख्य आकर्षण सूर्य उदय और सूर्य अस्त है। बारिश के मौसम में  बादलों के कारण आप सूर्योदय और सूर्यास्त का आनंद नहीं के पाएंगे, इसलिए बारिश का मौसम जाने बाद नवंबर से मई के मध्य जाना ही उचित होगा।

Kanyakumari Temperature (Seasons wise)

Seasons                  Months                          Temperature

Summers            March to May                   25 c – 39 c

Monsoon            June to September             20 c – 35 c

Winter                December to February       17 c – 32 c

 

कन्याकुमारी में कहाँ ठहरें ?

कन्याकुमारी में बहुत सारी प्राइवेट होटल और रिसोर्ट है। आप ऑनलाइन वेबसाइट से होटल के AC और NON AC रूम बुक कर सकते है। कन्याकुमारी में रूम एडवांस में बुक करना उचित होगा।

 

विवेकानंद केंद्र रूम

कन्याकुमारी में पूर्णिमा के दिन शाम को एक ही समय में हम चंद्रोदय और सूर्यास्त देख सकते हैं। - kanyaakumaaree mein poornima ke din shaam ko ek hee samay mein ham chandroday aur sooryaast dekh sakate hain.

कन्याकुमारी में विवेकानंद  केंद्र स्थित है। विवेकानंद केंद्र में योग और ध्यान करने के लिए शिविर भी लगाए जाते है। विवेकानंद केंद्र में अत्यंत कम कीमत में कमरे उपलब्ध है। आप विवेकानंद केंद्र में एडवांस में कमरे बुक कर सकते है। विवेकानंद केंद्र में रूम बुक करने के लिए केंद्र की वेब साइट का लिंक नीचे दिया गया है।

http://www.vivekanandakendra.org/english/accommodations   

Check-in : morning 8:00hrs.

Check-out : morning 7:00hrs.

 

कन्याकुमारी की पौराणिक कथा

कन्याकुमारी में पूर्णिमा के दिन शाम को एक ही समय में हम चंद्रोदय और सूर्यास्त देख सकते हैं। - kanyaakumaaree mein poornima ke din shaam ko ek hee samay mein ham chandroday aur sooryaast dekh sakate hain.

शिवपुराण के अनुसार कई वर्षो पहले पृथ्वी पर बाणासुर नाम का असुर था। उसने भगवान शिव को कड़ी तपस्या करके प्रसन्न किया और वरदान माँगा की केवल उसकी एक कुंवारी कन्या के द्वारा ही उसकी मत्यु हो सके। भगवान शिव ने तथास्तु कहा। वरदान प्राप्त करने के बाद उसने सारे जगत में उत्पात मचा दिया। असुर के अत्याचारों से त्रस्त होकर सभी देवताओं ने माँ आदि शक्ति से प्रार्थना की। माँ आदि शक्ति ने अपने दिव्य अंश से एक कन्या को उत्पन्न किया। उस कन्या ने उस समय भारत के राजा के घर जन्म लिया राजा ने अपनी पुत्री का नाम कन्या रखा। इस कन्या को बचपन से ही भगवान शिव से प्रेम हो गया। उनसे विवाह करने के लिए कन्या ने अत्यंत कठिन तपस्या की। उनकी तपस्या से भगवान महादेव  प्रसन्न हुए और विवाह के लिए तैयार हो गये। भोलेनाथ की शादी की तैयारियां प्रारंभ हो गई। मुहूर्त के अनुसार भगवान शिव अपने गणों के साथ बारात लेकर कैलाश पर्वत से चल दिए। बारात आधी रात को निकली, ताकि सुबह होने पर कन्याकुमारी पहुँच जाये। इस विवाह से सभी देवी देवता चिंतित हो गये। उन्होंने सोचा कि अगर भगवान महादेव का विवाह इस कन्या से हो जायेगा तो राक्षस बाणासुर का वध नहीं को पायेगा क्योंकि उसका वध देवी कन्याकुमारी माता के हाथ से होना है। जगत कल्याण के लिए सभी देवी देवताओं ने मिलकर इस विवाह को रोकने का निश्चय किया और विवाह को रद्द करने की जिम्मेदारी महामुनि नारदजी को दी। शिव जी की बारात विश्राम करने के लिए सुचिन्द्रम नामक स्थान पर ठहरी। रात को नारदजी ने मुर्गे की बांग करवा दी। सभी को लगा कि सुबह होने वाली है और विवाह का मुहूर्त निकल गया है, इसलिए बारात वापस कैलाश पर्वत को लौट गई। इस घटनाक्रम के दौरान असुर बानासुर को कन्या देवी की सुंदरता के बारे में पता चला, उसने विवाह का प्रस्ताव भेजा। क्रोध में आकर कन्या देवी ने बाणासुर से युद्ध लड़ने को कहा, साथ ही यह भी कहा कि यदि वाणासुर उन्हें हरा देता है तो वे विवाह कर लेंगी। लेकिन कन्यादेवी का जन्म तो बाणासुर का वध करने के लिए ही हुआ था। देवी कन्या और वाणासुर दोनों के बीच बहुत घमासान युद्ध हुआ और देवी कन्या ने बाणासुर का अंत कर दिया। देवी कन्या हमेशा के लिए कुंवारी रह गई इसलिए इस  कथा के अनुसार इसी दक्षिणी छोर का नाम कन्याकुमारी पड़ा। जिस स्थान पर देवी कन्या विवाह  विवाह होना था उसी स्थान पर देवी कन्याकुमारी का मंदिर स्थापित है। क्योंकि यह मन्दिर कुमारी कन्या के लिए बनाया गया था,  इसलिए यह कन्याकुमारी माता मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हुआ। किवंदितियों के अनुसार भगवान परशुराम ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था।

 

कन्याकुमारी माता मंदिर दर्शन

कन्याकुमारी में पूर्णिमा के दिन शाम को एक ही समय में हम चंद्रोदय और सूर्यास्त देख सकते हैं। - kanyaakumaaree mein poornima ke din shaam ko ek hee samay mein ham chandroday aur sooryaast dekh sakate hain.

आप सभी को पता ही होगा देवी माता के 51 शक्ति पीठ है। उनमें से एक  शक्तिपीठ कन्याकुमारी माता मंदिर में है। कन्याकुमारी में सभी दर्शनीय स्थल पास पास है। आप सभी जगह पैदल चलकर ही जा सकते है आपको कही भी जाने के लिए ऑटो या टैक्सी करने की आवश्यकता नहीं है। देवी कन्याकुमारी को माता अम्मन नाम से भी जाना जाता है। आप 15 मिनट पैदल चलकर कुमारी अम्मान माता मंदिर पहुँच जाइये है। पुरुषों को उपर का वस्त्र (शर्ट या कुर्ता) उतार कर प्रवेश करना है। महिलाओं का कोई ड्रेस कोड नहीं है। यहां पर भक्तों की  बहुत भीड़ होती है आपको लाइन में लगना है मंदिर की गर्भ गृह में आपको सुंदर वस्त्र पहने हुए आकर्षक चमकते हुए आभूषण से सजी अम्मान माता के दर्शन होंगे। गर्भ गृह में केवल दिए जले होंगे, दियों की रौशनी में  आपका पूरा ध्यान माता पर केंद्रित करे।  देवी का यह स्वरूप अत्यंत दिव्य तथा भव्य है। देवी के एक हाथ में माला है। उनकी नाक में जुड़े हीरे की चमक दियों की रौशनी में अति सुन्दर दिखती है। अपने मन में माता स्वरुप को बैठा लीजिये। माता के  दर्शन  से  आपके मन को काफी शांति  मिलेगी। विशेष पर्वों पर कन्याकुमारी माता का कई प्रकार के रत्नों और आभूषण से श्रंगार होता है 1892 में स्वामी विवेकानंद ने यहाँ आकर माँ के दर्शन किये और पूजा की थी ।

 

भद्रकाली मंदिर (शर्वाणी देवी)

कन्याकुमारी मंदिर के उत्तरी भाग में देवी भद्रकाली का मंदिर है। ये माता कन्याकुमारी की मुख्य सखी थी। देवी भद्रकाली का यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ है। इस स्थान पर देवी सती की (रीढ़ की हड्डी) पीठ गिरी थी। कन्याकुमारी के मंदिर के आस पास का द्रश्य बहुत खूबसूरत है। ऐसा लगता है कि यहाँ प्रकृति का श्रृंगार स्वयं भगवान ने किया हो। सूर्योदय के समय यहाँ का द्रश्य और भी मन मोहक हो जाता है।

 

कन्याकुमारी के सूर्योदय का विहंगम द्रश्य

कन्याकुमारी में पूर्णिमा के दिन शाम को एक ही समय में हम चंद्रोदय और सूर्यास्त देख सकते हैं। - kanyaakumaaree mein poornima ke din shaam ko ek hee samay mein ham chandroday aur sooryaast dekh sakate hain.

प्रकृति का सबसे अदभुद सूर्योदय और सूर्यास्त देखने के लिए यहां भारत ही नहीं बल्कि सभी देशों के टूरिस्ट इकट्ठा होते हैं। आप होटल के रिसेप्शन पर सुबह सूर्योदय का समय पूछ लीजिये। रात को  जल्दी सो जाइये ताकि सुबह जल्दी उठकर सूर्य उदय का अद्भुद द्रश्य देख सकें। आप सुबह होटल की छत पर पहुच जाईये या सूर्य तट सनराइज पॉइन्ट पर पहुंच जाइए। वहाँ काफी सैलानी पहले से मौजूद दिखेंगे। आप अपनी निगाहें विवेकानंद स्मारक की तरफ जमा कर रखिये। कुछ समय बाद सूर्य की उजली उजली किरणें नजर आने लगेगी। भगवान सूर्यनारायण समुद्र से धीरे धीरे बाहर निकलते हुए दिखेंगे। पूरा समुद्र सूर्य की किरणों से चाँदी की तरह चमक उठेगा, थोड़ी देर में सूर्य नारायण पूरी तरह से प्रकट हो जायेंगे। सूर्योदय का यह अदभुत नज़ारा देख कर मन बाग़ बाग़ हो जाता है। सुबह सूरज से निकलने वाली किरणें अरब सागर की खाड़ी में गिरकर समुद्र को लाल कर देती हैं। वास्तव में वह नज़ारा बेहद खूबसूरत और देखने लायक होता है।

 

प्रकृति का श्रृंगार कन्याकुमारी का सूर्यास्त

कन्याकुमारी में पूर्णिमा के दिन शाम को एक ही समय में हम चंद्रोदय और सूर्यास्त देख सकते हैं। - kanyaakumaaree mein poornima ke din shaam ko ek hee samay mein ham chandroday aur sooryaast dekh sakate hain.

आप सूरज ढलने से पहले होटल की छत पर पहुँच जाईये या समुद्र तट पर चले जाइये। कुदरत के अद्भुद सूर्यास्त के द्रश्य को देखने के लिए कई टूरिस्ट पहले से मौजूद होगें। सूर्यनारायण पच्छिम दिशा की ओर धीरे धीरे ढलते जायेंगे। सूर्य का इतना बड़ा रूप आप पहली बार देखेंगे। सूर्य से निकलने वाली किरणें अरब सागर की खाड़ी में गिरकर समुद्र को लाल कर देती हैं। समय के साथ धीरे धीरे सूर्य क्षितीज की ओर समुद्र में डूबकर कर लुप्त  हो जाता है।

 

विवेकानन्द स्मारक शिला (विवेकानंद रॉक मेमोरियल)

कन्याकुमारी में पूर्णिमा के दिन शाम को एक ही समय में हम चंद्रोदय और सूर्यास्त देख सकते हैं। - kanyaakumaaree mein poornima ke din shaam ko ek hee samay mein ham chandroday aur sooryaast dekh sakate hain.

कन्याकुमारी का प्रमुख आकर्षण विवेकानन्द स्मारक शिला है, जो रामकृष्ण मिशन के संस्थापक श्री रामकृष्ण परमहंस के शिष्य, स्वामी विवेकानंद को समर्पित है। विवेकानंद रॉक मेमोरियल का निर्माण 1970 में नीले और लाल ग्रेनाइट के पत्थरों से किया गया था। 1992 में स्वामी विवेकानंद कन्याकुमारी आये थे। एक दिन वे समुद्र में तैर कर कर इस विशाल शिला पर जा पहुँचे। यहाँ पर पर ध्यान और योग साधना करने के बाद ही उन्हें दिव्य ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। कुछ दिन बीतने पर वे शिकागो सम्मेलन में भाग लेने गए थे। वहाँ उन्होंने ओजस्वी भाषण दिया और वे विश्वविख्यात हुए।

विवेकानंद रॉक मेमोरियल में विवेकानंद मंडपम और श्रीपाद मंडपम बने हुए है। यहाँ पर कन्याकुमारी देवी के पदचिह्न भी उभरे हुये है। विवेकानंद स्मारक देखने का समय सुबह 8 बजे से दोपहर 4 बजे तक  होता है। पहले आप को टिकट काउंटर पर जाने के लिए एक घंटा लाइन में लगना पड़ेगा। आने जाने का टिकट प्रति व्यक्ति Rs.50 का  है। टिकट लेकर आपको नाव तक पहुँचना है। फिर लाइफ जैकेट पहनकर नाव में बैठ जाइये। 15 मिनट में आप की नाव विवेकानंद स्मारक पर पहुंच जाएगी। नाव से उतरने के बाद आप Rs.10 का एंट्री टिकट ले लीजिये। थोड़ा आगे जाने पर चप्पल और जूते स्टैंड पर उतार कर टोकन ले लीजिये। ऊपर चढाई चढ़कर जाने पर सबसे पहले श्रीपाद मंडपम मिलेगा। इस स्थान का बहुत महत्त्व है यहाँ पर कन्याकुमारी माता  ने भगवान शिव को पाने के लिए तपस्या की थी। अंदर जाकर कन्याकुमारी माता की चरण पादुका का दर्शन कर लीजिये। यहाँ पर परिक्रमा कर लीजिये, फिर कुछ देर यहां बैठकर समुद्र के नैसर्गिक सौन्दर्य का आनंद ले लीजिये। आगे सीढ़ियां चढ़कर ऊपर मुख्य मंडप तक जाइये। आपको भवन में प्रवेश करने पर स्वामी विवेकनंद जी कासे  के धातु से बनी मूर्ति  दिखेगी। आपको ऐसा प्रतीत होगा कि स्वामी जी जीवित आपके सामने खड़े है। कुछ देर तक स्वामीजी की  मूर्ति को निहारने के बाद ध्यान केंद्र की तरफ चलिए। ध्यान केंद्र  के अंदर बात करना मना है। नीचे भूमि पर पर पद्मासन की अवस्था में बैठ जाइए। आपको सामने दीवार पर अंधेरे में चमकता ॐ दिखेगा। थोड़ी देर अपने ध्यान को केंद्रित कीजिए। ध्यान की शक्ति से आप सभी दुख दर्द यहां भूल जाएंगे। ध्यान केंद्र के पास एक बुक स्टॉल है। यहाँ स्वामी विवेकानद जी से जुडी हुई कई किताबे अत्यंत कम मूल्य पर उपलब्ध है, आप भवन से बाहर आइये। आपका मन चारों तरफ का खुशनुमा माहौल देखकर प्रसन्न हो जायेगा। चारों तरफ से समुद्र की लहरे स्मारक से लगातार टकराती रहतीं है। कानों में लहरों की मधुर आवाज़ निरंतर गूंजती रहती है। अब तिरुवल्लुवर प्रतिमा देखने के लिए वापस लाइफ जेकेट पहनकर नाव में बैठ जाइये ।

 

तिरुवल्लुवर प्रतिमा (Thiruvalluvar Statue)

कन्याकुमारी में पूर्णिमा के दिन शाम को एक ही समय में हम चंद्रोदय और सूर्यास्त देख सकते हैं। - kanyaakumaaree mein poornima ke din shaam ko ek hee samay mein ham chandroday aur sooryaast dekh sakate hain.

नाव दस मिनट में आपको समुद्र से घिरे मूर्ति स्थल तमिल सन्त कवि तिरुवल्लुवर की चट्टान पर ले जायेगी। नाव से उतरकर आप सीढ़ियां चढ़कर ऊपर चले जाइये। वहां आपको प्रसिद्ध तमिल संत कवि तिरुवल्लुवर विशाल मूर्ति दिखेगी। संत तिरुवल्लुवर तमिल साहित्य के जानेमाने एक महान लेखक थे। इस 133 फिट ऊँची प्रतिमा का निर्माण 9 वर्ष में हुआ है। यह प्रतिमा 38 फिट के आसन पर स्थित है। 5000 शिल्पकारों ने बहुत मेहनत से इस मूर्ति को बनाया था। परिसर में एक मंदिर भी है, जो ध्यान एवं योग करने के लिए उपयुक्त स्थान है।  आपको यहां से भी आपको चारों तरफ अद्भुत नज़ारा दिखाई देगा। विवेकानद स्मारक का यहां से अति सुन्दर दिखता है। यहाँ आकर आपका मन प्रफुल्लित हो जायेगा।

 

तीन समुद्रों का संगम – कन्याकुमारी बीच

कन्याकुमारी में पूर्णिमा के दिन शाम को एक ही समय में हम चंद्रोदय और सूर्यास्त देख सकते हैं। - kanyaakumaaree mein poornima ke din shaam ko ek hee samay mein ham chandroday aur sooryaast dekh sakate hain.

कन्याकुमारी का दूर दूर तक फैला हुआ विशाल बीच देशी और विदेशी पर्यटकों के मनपसंद बीच में से एक है। यह बीच कन्याकुमारी के दर्शनीय स्थलो में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यहाँ से सूर्योदय और सूर्यास्त का द्रश्य अति सुन्दर दिखाई देता है। इस बेहतरीन नज़ारे को कैमरे में क़ैद करने के लिए पर्यटक भारी संख्या में यहाँ उपस्थित रहते है। यहाँ से तीनों समुद्र का पानी अलग अलग दिखता है।

 

गाँधी मंडप

कन्याकुमारी में पूर्णिमा के दिन शाम को एक ही समय में हम चंद्रोदय और सूर्यास्त देख सकते हैं। - kanyaakumaaree mein poornima ke din shaam ko ek hee samay mein ham chandroday aur sooryaast dekh sakate hain.

समुद्र तट पर गांधी जी का स्मारक बना हुआ है, इसे ही गांधी मंडप कहते है। दूर से देखने पर गुलाबी रंग का गांधी मंडप किसी मंदिर की तरह प्रतीत होता है। जिस स्थान पर गांधी जी की कुछ अस्थियाँ समुद्र में प्रवाहित की गई थी, उसी स्थान पर महात्मा गाँधी जी के सम्मान में गाँधी मंडप बनाया गया है। इसका निर्माण 1956 में किया गया था। इस स्मारक का मुख्य आकर्षण इसकी अनोखी तकनीक है। प्रति वर्ष 2 अक्टूबर को गाँधी जयंती के अवसर पर दोपहर को ठीक 12 बजे सूर्य की किरणें उसी स्थान पर पड़ती है जिस स्थान पर गाँधी जी का अस्थिकलश विसर्जन के पूर्व रखा गया था। यहाँ पर गांधीजी के संदेश एवं उनके जीवन की कई महत्वपूर्ण घटनाओं के चित्र लगाये गये हैं। नीचे संग्रहालय देखने के बाद आप सीढ़ियों से ऊपर चले जाइये वहाँ से कन्याकुमारी का द्रश्य बहुत खूबसूरत दिखेगा। गांधी स्मारक से समुद्र के बीच में बने विवेकानंद स्मारक और तमिल संत कवि तिरुवल्लुवर की प्रतिमा बहुत खूबसूरत नजर आती है।

 

सुचिन्द्रम

कन्याकुमारी में पूर्णिमा के दिन शाम को एक ही समय में हम चंद्रोदय और सूर्यास्त देख सकते हैं। - kanyaakumaaree mein poornima ke din shaam ko ek hee samay mein ham chandroday aur sooryaast dekh sakate hain.

कन्याकुमारी से सुचिन्द्रम 14 किलोमीटर दूर स्थित है। ऑटो से सुचिन्द्रम आने जाने का किराया Rs. 400-500 लगता है। सुचिन्द्रम जाते समय रास्ते में दोनों तरफ नारियल के पेड़ और बड़ी बड़ी चट्टानों के पहाड़ दिखाई देते है, बीच में साईं बाबा का एक बड़ा मंदिर भी दिखाई देता है। साईं बाबा के दर्शन करने के बाद आप 20 मिनट में सुचिंद्रम पहुंच जाते है। 9 वी शताब्दी में बना हुआ यह भव्य मंदिर अपने कलात्मक महत्व के लिए जाना जाता है। आपको मंदिर में प्रवेश करने के लिए पत्थर से बने स्तम्भ के विशाल मंडप से गुजरना पड़ता है। इस मंदिर में त्रिदेव ब्रम्हा, विष्णु और महेश लिंग के रूप में विराजमान है। यहाँ कई देवी देवता की सुन्दर प्रतिमा बनाई गई है। यहाँ भगवान विष्णु की अस्ष्टधातु से बनी प्रतिमा सुसज्जित है। यहां 18 फीट ऊंची हनुमान जी की भव्य प्रतिमा स्थित है। भगवान महादेव के वाहन नंदी जी की 800 वर्ष  पुरानी विशाल नंदी की प्रतिमा देख कर आप आश्चर्य चकित रह जाते है। मंदिर में एक सुन्दर सरोवर है। जिस के मध्य में एक मंडप स्थित है।

 

पद्मनाभपुरम महल

कन्याकुमारी में पूर्णिमा के दिन शाम को एक ही समय में हम चंद्रोदय और सूर्यास्त देख सकते हैं। - kanyaakumaaree mein poornima ke din shaam ko ek hee samay mein ham chandroday aur sooryaast dekh sakate hain.

कन्याकुमारी से लगभग 32 कि.मी की दूरी पर पद्मनाभपुरम महल स्थित है। लकड़ी से बना यह महल केरल की वास्तुकला का अद्भुत नमूना है। इसमें बनाए नक्काशीदार फूल, भित्ति-चित्र और काले ग्रेनाइट के फ्लोर आपने आज तक नहीं देखे होंगे। महल को अन्दर से शीशम की लकड़ी पर उकेरी गई बारीक़ नक्काशियों और मूर्तियों से सुशोभित किया गया है। महल के कई भित्तिचित्र 17 वीं से लेकर 18 वीं सदी के मध्य बनाये गये हैं। शाही कुर्सियां, रंगीन अबरक की खिड़की, नक्काशीदार तथा भव्य ‘ताईकोट्टारम’, रंगीन हुई सीलिंग वाला राजमाता का महल, इस संपूर्ण महल को अविस्मरणीय बनाते हैं। महल के अन्दर और भी कई दुर्लभ द्रश्य देखने को मिलते हैं। अंडे की सफेदी, गुड़, नींबू, जले हुए नारियल, कोयले तथा नदी की रेत से निर्मित चमकदार काले फ्लोर वाला दरबार हॉल और इसकी वास्तुकला दर्शनीय है। इस महल में राजा के शयन कक्ष में प्रसिद्ध औषधीय बिस्तर, भगवान कृष्ण के चित्र, देवी सरस्वती का एक मंदिर, खुफ़िया भूमिगत रास्ते, खुले में बना स्विमिंग बाथ, मछलियों की नक्काशी, कई भित्तिचित्र तथा कई लटकते हुए कांस्य दीपक भी है। यह दीपक 18वीं सदी से जल रहे है।

प्रवेश समय

9 बजे से 17 बजे (सोमवार को छोड़कर सभी दिन)।

 

नागराज मंदिर

कन्याकुमारी में पूर्णिमा के दिन शाम को एक ही समय में हम चंद्रोदय और सूर्यास्त देख सकते हैं। - kanyaakumaaree mein poornima ke din shaam ko ek hee samay mein ham chandroday aur sooryaast dekh sakate hain.

नागराज मंदिर कन्याकुमारी से 20 किमी दूर नागरकोइल में स्थित है। यह मंदिर सांपों के राजा वासुकी को समर्पित है। पांच मुख वाले नागराज भगवान को समर्पित इस मंदिर में चीन की बुद्ध विहार की अदभुद कारीगरी की गई है। यह मंदिर तमिलनाडु राज्य के सबसे प्रसिद्ध और अद्भुत मंदिरों में गिना जाता है। स्थानीय लोगो के अनुसार केरल के नायर वंश की उत्पत्ति नाग राजवंश में ही हुई थी। पौराणिक कथाओं  के अनुसार अमृत नागों की धरोहर थी। एक बार गरुड़ देव उनसे अमृत लेकर आये थे, उन्होंने एक कलश में अमृत को भरकर जमीन पर रख दिया था, जिससे अमृत की कुछ बुंदे जमीन पर रह गईं थी। नागों ने अमृत को चाट लिया, ऐसा करने पर उनकी जीभ कट गई थी, तब से नागों की जीभ दो भागों में अलग दिखाई देती है।

उदयगिरी किला

कन्याकुमारी में पूर्णिमा के दिन शाम को एक ही समय में हम चंद्रोदय और सूर्यास्त देख सकते हैं। - kanyaakumaaree mein poornima ke din shaam ko ek hee samay mein ham chandroday aur sooryaast dekh sakate hain.

उदयगिरी किला कन्याकुमारी से  45 किमी की दूरी पर स्थित है। राजा मार्तंड वर्मा ने उदयगिरी किले का निर्माण करवाया था, उनके शासनकाल में इस किले का नाम डे लेनॉय किला था। इस किले में डे लेनॉय और उनकी पत्नी एवं बेटे की समाधि भी बनी हुई है।

 

कोरटालम झरना

कन्याकुमारी में पूर्णिमा के दिन शाम को एक ही समय में हम चंद्रोदय और सूर्यास्त देख सकते हैं। - kanyaakumaaree mein poornima ke din shaam ko ek hee samay mein ham chandroday aur sooryaast dekh sakate hain.

कोरटालम झरने को दक्षिण भारत का स्पा कहा जाता है। कन्याकुमारी से 137 किमी दूरी पर स्थित यह झरना तमिलनाडु का सबसे बड़ा झरना है। घने जंगल के बीच 167 मीटर ऊँचा यह झरना बहुत खूबसूरत हैं। इस क्षेत्र की वर्ष भर बहने वाली कई नदियों के कारण इस झरने में हमेशा पानी रहता है। इसमें कई औषधीय गुण विद्यमान है, जिसके कारण ज्यादातर पर्यटक इस झरनें में स्नान करते हैं। अगस्त्यमलाई नामक एक प्रसिद्ध पर्वत और हरे भरे जंगल से कोर्टालम का वातावरण बहुत भव्य हो जाता हैं।

 

ओलकरुवी झरना

कन्याकुमारी में पूर्णिमा के दिन शाम को एक ही समय में हम चंद्रोदय और सूर्यास्त देख सकते हैं। - kanyaakumaaree mein poornima ke din shaam ko ek hee samay mein ham chandroday aur sooryaast dekh sakate hain.

पश्चिमी घाट में स्थित इस सुंदर झरने का नाम ओलाकरुवी फॉल्स है। इस झरने में दो छोटे-छोटे झरने हैं। एक 200 मीटर की ऊंचाई पर पहाड़ी पर स्थित है और दूसरा झरना नीचे पॉपुलर पिकनिक स्पॉट है। यह जलप्रपात दक्षिण भारत में बहुत प्रसिद्ध हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार ओलाकरुवी जलप्रपात में औषधीय गुण विद्यमान हैं। इसके औषधीय पानी में नहाने से त्वचा से संबंधित कई समस्याएं और जोड़ों की मांस पेशियों का दर्द ठीक हो जाता है। ये वृद्ध जन भी इस झरने में स्नान करके तरोताजा महसूस करते हैं, वे स्वयं को फिर से स्वस्थ और ताकतवर महसूस करने लगते हैं। जलप्रपातों तक पहुँचने के लिए आपको नगरकोइल शहर से होकर जाना पड़ता है। रास्ता जलप्रपात के कुछ दूर पहले समाप्त होता है, फिर बाकी की दूरी चलकर तय करनी पड़ती है। यहाँ पैदल चलने में बहुत आनंद आता है क्योंकि रास्ता ट्रेकिंग के रास्ते की मनमोहक तरह है। यह एक सुखद अनुभव होता है क्योंकि आप हरे खेतों और जंगलों से होकर गुज़रते हैं।

 

सुनामी स्मारक

कन्याकुमारी में पूर्णिमा के दिन शाम को एक ही समय में हम चंद्रोदय और सूर्यास्त देख सकते हैं। - kanyaakumaaree mein poornima ke din shaam ko ek hee samay mein ham chandroday aur sooryaast dekh sakate hain.

कन्याकुमारी में एक सुनामी स्मारक भी बनाया गया है, जो 26 दिसंबर 2004 की याद दिलाता है, इस दिन 14 देश सुनामी का शिकार हुए थे। इस सुनामी में सबसे ज्यादा तबाही इंडोनेशिया का आचेह प्रांत में हुई थी, यहाँ 1 लाख 70 हजार लोग सुनामी से प्रभावित हो गये थे। भारत के समुद्र के किनारे बसे राज्य तमिलनाडु, केरल पांडिचेरी व आंध्र प्रदेश में कई जाने गई थीं और लगभग 34 लाख लोग इस सुनामी से आहत हुए थे। स्टील के बने हुए इस  स्मारक की ऊंचाई 16 फुट है। स्मारक की दो भुजाए हैं, जिनमें से एक को सागर की विशाल लहरों को रोकते हुए दिखाया गया है और दूसरे हाथ को आशा का दीपक जलाए रखते हुए दिखाया गया है।

कन्याकुमारी में पूर्णिमा के दिन शाम को एक ही समय में हम क्या क्या देख सकते हैं?

Answer. पूर्णिमा के दिन शाम को कन्याकुमारी में चंद्रमा का उदय और सूर्य का अस्त होना एक साथ देख सकते हैं

पूर्णिमा की संध्या को कन्याकुमारी में क्या देख सकते हैं?

उत्तर: पूर्णिमा की संध्या को कन्याकुमारी में चन्द्रमा का उदय और सूरज का अस्त होना दोनों ही देख सकते हैं

कन्याकुमारी कब जाये?

कन्याकुमारी कब जाएँ – When To Go Kanyakumari In Hindi समुद्र तट पर दर्शनीय स्थलों और अन्य वाटर एक्टिविटी का आनंद लेने के लिए अक्टूबर को कन्याकुमारी जाने के लिए एक सही समय के रूप में वर्णित किया जा सकता है।

कन्याकुमारी क्यों प्रसिद्ध है?

कन्याकुमारी हिन्द महासागर, बंगाल की खाड़ी और अरब सागर का संगम स्थल है, जहां भिन्न सागर अपने विभिन्न रंगो से मनोरम छटा बिखेरते हैं। भारत के सबसे दक्षिण छोर पर बसा कन्याकुमारी वर्षो से कला, संस्कृति, सभ्यता का प्रतीक रहा है। भारत के पर्यटक स्थल के रूप में भी इस स्थान का अपना ही महत्च है।